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लेखिका : सुचित्रा अनुवादिका, सम्पादिका एवं प्रेषिका: टी पी एल
अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा प्रणाम। मेरा नाम सुचित्रा है और लगभग पचीस वर्ष पहले मैं शादी होते ही अपने पति के साथ कनाडा में रहने आ गई थी। मैं तब से कनाडा में वैंकूवर के एक उपनगर रिचमोंड (एक रिचमोंड नगर अमेरिका में भी है !) में अपने बेटे ऋषभ और बहू श्रुति के साथ रहती हूँ तथा अपने पति के साथ उनके द्वारा स्थापित किये गए एक छोटे से स्टोर का संचालन करती थी।
मेरी एक बेटी निहारिका भी है जो की अमरीका के सीएटल शहर में नौकरी करती थी और वह दो वर्ष पहले अपने ऑफिस के ही एक सहकर्मी रोहन के साथ शादी करके वहीं रहने लगी है। तीन वर्ष पहले मेरे पति का प्रोस्ट्रेट ग्रंथि में कैंसर के कारण आकस्मिक निधन हो जाने के बाद से ऋषभ एवं श्रुति ने ही हमारे उस स्टोर के रोज़मरा का सभी कार्य संभाल लिया था।
रिचमोंड में बहुत से भारतीय मूल की लोग रहते हैं और उन भारतीय परिवारों की महिलायें ने मिले कर एक भारतीय महिला क्लब बना रखा है जिसकी मैं भी सदस्य हूँ। में अक्सर अपने खाली समय को व्यतीत करने के लिए उस महिला क्लब में चली जाती हूँ।
लगभग चार माह पहले उसी क्लब में एक दिन मेरी एक पड़ोसन ने भारत से आई उसकी भतीजी टी पी एल से मेरी मुलाकात करवाई और बातों ही बातों में मुझे उससे ज्ञात हुआ की वह अन्तर्वासना साईट पर व्यस्क रचनाएं भी लिखती है। मैंने भी तब से अन्तर्वासना पर प्रकाशित होने वाली रचनाएँ पढ़ना शुरू कर दिया था और इन चार माह में बहुत सारी रचनाएँ पढ़ डाली हैं।
उन कहानियों को पढ़ने के बाद मुझे भी अपने जीवन में घटी एक घटना का विवरण अन्तर्वासना पर प्रकाशित करने की तीव्र इच्छा हुई। तब मैंने उस घटना को अंग्रेजी में लिख कर टी पी एल के साथ साझा किया और उसे उस रचना का हिंदी में अनुवाद एवम संपादित करके अन्तर्वासना पर प्रकाशित करने के लिए आग्रह किया। मेरे आग्रह को स्वीकार करते हुए टी पी एल ने मुझे आश्वासन दिया की वह भारत लौटने पर मेरे जीवन के उस छुपे सत्य को अन्तर्वासना के पटल पर अवश्य ही उजागर करेगी।
नीचे लिखी घटना का विवरण जो आज आप पढ़ रहे है वह रचना टी पी एल द्वारा अनुवादित एवम् सम्पादित करके मेरी ओर से अन्तर्वासना पर प्रकाशित करवाई है जिसके लिए मैं उसकी बहुत आभारी हूँ।
मेरे साथ वह घटना लगभग पन्द्रह माह पहले घटी थी जब मेरे बेटे और बहू ने अपनी शादी की पहली वर्षगाँठ की ख़ुशी में एक पार्टी दी थी। क्योंकि उस समय निहारिका गर्भावस्था के नवम् माह में थी इस कारण वह उस पार्टी में तो नहीं आ सकी लेकिन उसने मेरे दामाद रोहन को पार्टी के लिए भेज दिया था।
हमारे यहाँ पहुँच कर रोहन ने मुझे निहारिका का सन्देश दिया कि प्रसव के समय उसके पास रहने के लिए मैं रोहन के साथ ही उनके घर सीएटल आ जाऊँ।
उस शाम की पार्टी जब रात को ग्यारह बजे समाप्त हुई तब रोहन ने मुझे कहा– सासु माँ, चलिए जल्दी से तैयार हो जाइए हम अभी निकलते हैं। मेरे बेटे, बहू तथा मैंने उसे समझाया कि सुबह होते ही निकल पड़ेगें पर वह नहीं माना और बोला– आपकी बेटी वहाँ पर अकेली है और इस हालत में उसे कभी भी हमारी आवश्यकता पड़ सकती है। अगर हम लोग अभी चलते हैं तो ढाई या तीन घंटे में सीएटल पहुँच जायेंगे।
रोहन के तर्क सुन कर हम सभी चुप हो गए और उसकी बात मानते हुए मैंने अपना सामान बाँध कर उसकी कार में रखा तथा उसके साथ चलने के लिए उसी में बैठ गई। लगभग रात के साढ़े ग्यारह बजे हम वहाँ से चले तथा आधे घंटे में ही हम कनाडा और अमरीका की सीमा पर पहुँच गए।
सीमा पर दस मिनट के लिए रुक कर हमने आप्रवासन की सभी औपचारिकताओं को पूरा किया और आगे के सफर के लिए निकल पड़े।
सीमा से लगभग तीन किलोमीटर आगे चल कर हम ब्लैन शहर के पास से गुज़रे ही थे कि तभी हमारे पीछे से पुलिस की एक कार हमारे आगे आ गई और हमें रुकने का संकेत दिया। रोहन ने तुरंत कार रोक दी और दोनों पुलिस ऑफिसर से हमें रोकने का कारण पूछने के लिए जैसे ही कार से बाहर निकले तभी रोहन थोड़ा लड़खड़ा पड़ा।
रोहन को लड़खड़ाते देख कर पुलिस ऑफिसर उससे बोला– क्या आप को मालूम है कि अमेरिकी सड़क सुरक्षा कानून के अंतर्गत नशे की हालत में कार चलाना एक जुर्म है? क्या आप मानते हो कि आपने नशे की हालत में कार चला कर उस कानून का उल्लंघन किया है? अगर आप अपने जुर्म को मानते हो तो आपसे नियम अनुसार थोड़ा जुर्माना ले कर छोड़ दिया जायेगा। अगर आप इससे इन्कार करते हैं तो आपको इसी समय इस सांस परीक्षण विश्लेषक में अपनी सांस का नमूना देना होगा। अगर इस यंत्र से प्रमाणित हो गया कि आप नशे की हालत में कार चला रहे थे तो आपके विरुद्ध अमेरिकी कानून के अनुसार न्यायालय में केस दर्ज़ होगा और उसके द्वारा निर्धारित किया गया जुर्माना देना होगा।
ऑफिसर की बात सुन कर रोहन ने तुरंत अपनी गलती को मान लिया और नशे की हालत में कार चलाने के लिए माफ़ी भी मांग ली। तब ऑफिसर में नियम अनुसार 50 डॉलर का जुर्माना लेकर रसीद दे दी और हमें एक शर्त पर आगे जाने की अनुमति दी कि कार रोहन नहीं चलाएगा।
जब मैंने ऑफिसर से कहा– ऑफिसर, क्योंकि हम एक पार्टी से आ रहे हैं और मैंने भी उस पार्टी में शराब पी थी इसलिए मैं भी नशे की हालत में हूँ। क्या आप मुझे इस हालत में कार चलाने की अनुमति दे सकते हैं? मेरी बात सुन कर ऑफिसर मुस्करा कर बोला– तब तो मैं आप दोनों को ही कार चलाने की अनुमति नहीं दे सकता।
ऑफिसर की बात सुन कर मैंने कहा– तो क्या हम इतनी रात में इस सुनसान जगह पर सारी रात खड़े रहें? क्या आप हमें इस दुविधा से बाहर निकलने का कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं बता सकते? क्या आप हमारी कोई सहायता नहीं कर सकते?
मेरे इतना कहने पर वह ऑफिसर कुछ देर सोचता रहा और फिर बोला– मैं आपकी एक ही सहायता कर सकता हूँ। मैं आपकी कार को चला कर यहाँ से लगभग बीस किलोमीटर दूर फ़र्नडेल शहर के किसी मोटेल (गेस्ट हाउस) में छोड़ सकता हूँ। आप रात भर उस मोटेल में रहें और सुबह नशा उतर जाने पर वहाँ से आगे का सफर कर सकते हैं।
और कोई विकल्प नहीं होने के कारण हमने ऑफिसर की बात मान कर दोनों कार के पिछले भाग में बैठ गए।
तब ऑफिसर ने हमारी कार को पुलिस की कार के पीछे चलाते हुए हमें फ़र्नडेल शहर में स्थित ‘फ़र्नडेल मोटेल # 6’ पर पहुँचा दिया। जब हम कार से बाहर निकले तब उस ऑफिसर ने हमारी कार को बंद करके उसकी चाबी और दस्तावेजों को एक लिफाफे में डाल कर उसे सील कर दिया।
इसके बाद वह हमारे साथ मोटेल के रिसेप्शन में गया और लिफाफे को मोटेल के रिसेप्शनिस्ट देते हुए कहा– यह लिफाफा तुम अपने पास सुबह छह बजे तक तो सुरक्षित अभिरक्षा में रखो और उसके बाद इन्हें दे देना। फिर पुलिस ऑफिसर ने हमारी ओर मुड़ कर कहा– मुझे आशा है कि आप अब अगले भाग के सफ़र से पहले कोई भी नशा नहीं करेंगे। और शुभ रात्रि कहता हुआ मोटेल के दरवाज़े से बाहर चला गया।
ऑफिसर के जाने के बाद जब मैं मुड़ी तो देखा कि रोहन रिसेप्शनिस्ट से कमरे के लिए बात कर रहा था और वह बार बार अपना सिर हिला कर उसे मना कर रही थी। मैं जब उनके पास पहुँची तो पता चला कि रोहन दो कमरे देने के लिए कह रहे थे लेकिन रिसेप्शनिस्ट उसे बार बार यही कह रही थी कि उस समय मोटेल में सिर्फ एक ही कमरा खाली था।
उनकी बात सुन कर मैंने रोहन से कहा– हमें कुछ घंटों के लिए ही तो रुकना है, इसके लिए दो कमरों का क्या करना है? जो एक कमरा मिल रहा है हम उसी में ही विश्राम कर लेते हैं। मेरी बात सुन कर रोहन ने उस कमरे की चाबी ले ली और हम कमरे की ओर बढ़ गए।
जब कमरा खोला तो देखा कि वह कुछ छोटा तो था लेकिन उसमे सुख सुविधा की सभी वस्तुएँ थी। उस कमरे में एक क्वीन-साइज़ का डबल बैड था जिस पर एक बहुत ही नर्म और आराम-दायक बिस्तर लगा हुआ था तथा दो बहुत ही आराम-देह कुर्सियाँ रखी हुई थी।
कमरे में एक अलमारी थी जिसमें दो अतिरिक्त तकिये, चार सफ़ेद चादरें और चार तौलिये तथा साबुन, शैम्पू, क्रीम, तेल, कंघी आदि रखे हुए थे और बिस्तर पर दो चादरें बिस्तर तथा एक डबल साइज़ की रजाई पड़ी थी।
उस बिस्तर को देख कर मेरे मन में कुछ देर नींद लेने की इच्छा हुई लेकिन मेरे सभी कपड़े आदि कार में थे और उसकी चाबी सील बंद लिफाफे में रिसेप्शनिस्ट के पास थी। इसलिए मैं कुर्सी पर बैठ गई और रोहन से कहा– तुम बिस्तर पर सो जाओ क्योंकि तुमने आगे भी कार चलानी है। मैं इस आरामकुर्सी पर ही विश्राम कर लेती हूँ।
मेरी बात सुन कर दूसरी कुर्सी पर बैठते हुए रोहन बोला– नहीं, आप बिस्तर पर नींद कर लीजिये। मैं यहाँ आराम कुर्सी पर ही विश्राम कर लूँगा। कुछ देर इसी बात पर बहस होती रही लेकिन अंत में दोनों अपनी अपनी जिद पर अड़े रहे जिस कारण हम दोनों को बिस्तर पर सोने के लिए सहमत होना पड़ा।
सहमति होते ही मैं तुरंत उठी और बिस्तर पर पड़ी एक चादर उठा कर बाथरूम में चली गई और सभी कपड़े उतार कर अपने पूरे शरीर को उस चादर से लपेट कर बाहर आई तथा बिस्तर के एक ओर रजाई ओढ़ कर लेट गई।
मेरे लेटने के बाद रोहन बाथरूम में घुस गया और थोड़ी देर के बाद वह सिर्फ एक तौलिया बांधे हुए बाहर आया और बिस्तर के दूसरी ओर से उसी रजाई में घुस गया।
रात के एक बजने वाले थे इसलिए हम दोनों एक ही रजाई में एक दूसरे की ओर पीठ करके सो गए। पिछले दिन की थकावट, शराब के नशे एवं रात को देर से सोने के कारण मुझे चार घंटे बहुत ही गहरी नींद आई तथा सुबह पांच बजे ही मेरी नींद खुली।
आँखें खोली तो अपने को अनजान कमरे और बैड पर देख कर मैं कुछ अचंभित हुई लेकिन पिछले रात की बातें याद आते ही मैंने करवट बदली तो देखा की रोहन मेरी ओर मुंह किये सो रहा था।
मैं जब उठ कर बैठी तो अपने को बिल्कुल नग्न पाया क्योंकि नींद में मेरे शरीर पर बंधी चादर खुल कर शरीर से अलग हो गई थी। मैंने तुरंत उस चादर को खींच कर लपेटना चाहा तो वह नहीं खिंची और जब मैंने रजाई को ऊँचा कर के देखा तो पाया कि उस चादर का एक छोर रोहन के नीचे दबा हुआ था।
मैं एक बार फिर रजाई ओढ़ कर लेट गई और उस चादर को रोहन के नीचे से खींचने के लिए अपने हाथ को उसकी ओर बढ़ाया, तभी मेरा हाथ उसके लिंग से टकरा गया। जब मैंने रजाई को ऊँचा उठा कर देखा तब मुझे एक बहुत ही दिलचस्प नज़ारा दिखाई दिया।
नींद में करवट लेने के कारण रोहन के शरीर पर बंधा तौलिया खुल कर उसके शरीर से अलग हो चुका था और रजाई के अन्दर वह बिलकुल नग्न सो रहा था। उसका छह इंच लम्बा तथा ढाई इंच मोटा लिंग, सुबह की इरेक्शन के कारण तना हुआ था और एक मीनार की तरह कमरे की छत की ओर संकेत कर रहा था।
मैं वह दृश्य देख कर एकदम जड़ हो गई और उस मनमोहक, सुन्दर, आकर्षक एवं जवान लिंग को देख कर मेरे शरीर में एक तरह की झुरझुरी सी होने लगी। पति की बिमारी एवं उनके निधन के कारण पिछले पांच वर्ष में मुझे किसी भी पुरुष के लिंग को देखने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए रोहन के तने हुए लिंग को देखते ही मन में एक लालसा जाग उठी।
मैंने झुक कर जब रोहन के लिंग को हाथ से छूआ तो वह मुझे वह लोहे की छड़ जैसा सख्त महसूस हुआ और तब मैंने अपने पर नियंत्रण खो दिया तथा उसे अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी।
पांच वर्षों के बाद किसी लिंग को छूने एवं चूसने के कारण मेरे शरीर में उत्तेजना की लहरें उठने लगी और मेरी योनि एक अजीब से सरसराहट के साथ गीली होने लगी।
मेरे द्वारा लिंग चूसने के कारण रोहन की नींद खुल गई और वह हड़बड़ा कर उठने लगा तब मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ कर नीचे की ओर दबाया और उसके लिंग को और भी तेज़ी से चूसने लगी।
रोहन ने जब इसका विरोध करना चाहा तब मैं फुर्ती से उसके उपर चढ़ गई और उसके लिंग को पकड़ कर अपनी योनि में डाल लिया। लिंग के योनि के अन्दर जाते ही जब मैंने उछल उछल कर उसे अन्दर बाहर करने लगी तब रोहन ने विरोध जताना बंद कर दिया और नीचे से अपने कूल्हे उचका कर मेरा साथ देने लगा। इस तरह हम दोनों को संसर्ग करते हुए पांच मिनट हुए थे की तभी मेरी योनि में बहुत ही तीव्र खिंचावट हुई और उस में से रस की धारा बह निकली।
शरीर में हुई अकड़न और योनि में हुई खिंचावट के कारण जब मैं उछल नहीं पाई तब मैं रोहन के शरीर पर लेट गई और उसे मेरे ऊपर आ कर संसर्ग ज़ारी रखने के लिए कहा।
मेरे निर्देश को मानते हुए रोहन ने मुझे कस कर अपनी बाहों में जकड़ा और एक ही करवट ले कर मुझे अपने नीचे कर लिया तथा खुद ऊपर आ कर धक्के मार कर अपने लिंग को मेरी योनि के अन्दर बाहर करने लगा।
अगले दस मिनट तक मेरी योनि में लिंग के तीव्र धक्के एवं रगड़ लगने के कारण उसमे एक बार फिर से तीव्र खिंचावट हुई जिससे रोहन का लिंग उसमे फंस गया और उसे बहुत ही ज़बरदस्त रगड़ लगने लगी। मेरी योनि से लग रही तीव्र रगड़ के कारण रोहन बहुत उत्तेजित हो गया और उसमें फसा उसका लिंग फूलने लगा तब मैं समझ गई कि उसमें से वीर्य-रस का स्खलन होने वाला था।
मैंने उसे तेज़ी से धक्के देने की लिए कहा और खुद भी नीचे से तेज़ी से उचक कर उसका साथ देने लगी। दस बारह धक्के लगते ही रोहन के लिंग में से लावा फूट पड़ा और वह मेरी योनि को अपने वीर्य-रस से भरने लगा।
उस लावे की गर्मी के कारण मेरी योनि में ज़बरदस्त खिंचावट हुई और उसने रोहन के लिंग को बहुत ही कस कर जकड़ लिया तथा उसमे से निकलने वाले सारे रस को निचोड़ लिया।
उसके बाद रोहन निढाल हो मेरे ऊपर लेट गया और मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया तथा हम दोनों एक दूसरे से चिपट कर रजाई की गर्मी में लेट गए। हमें पता भी नहीं चला की कब नींद आ गई और हम सुबह के सात बजे तक सोते रहे।
मेरी नींद तब खुली जब रोहन मेरे होंठों को चूमने एवं चूसने लगा तथा अपने हाथों से मेरे उरोजों को मसलने लगा था। पांच वर्षों के बाद किसी मर्द द्वारा मेरे शरीर के साथ खेलना मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था और इसलिए मैंने रोहन की इस हरकत का कोई विरोध नहीं किया।
कुछ देर के बाद रोहन ने मेरे होंठों को छोड़ कर मेरी चुचुकों को चूसने लगा और अपने हाथ से मेरी योनि को सहलाते हुए मेरे भागनासे को अपनी उँगलियों से मसलने लगा। उसका ऐसा करना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए मैंने अपनी टांगें चौड़ी कर दी ताकि वह मुझे अच्छी तरह से उत्तेजित कर सके। कुछ देर तक तो मैंने उसका भरपूर साथ दिया लेकिन जब घडी देखी तो रोहन से बोली– साढ़े सात बजने वाले हैं, हमें यहाँ से चलने में देर हो जाएगी। क्यों नहीं यह सब हम बाथरूम में करें? संसर्ग और स्नान दोनों एक साथ ही हो जायेंगे।
मेरी बात सुनते ही रोहन बिस्तर से उठ खड़ा हुआ और झुक कर मुझे अपनी बाहों में उठाया और बाथरूम में लेजा कर टब के किनारे पर में बिठा दिया और नल चला दिया।
जब वह नल चलाने के लिए झुका तब उसका तना हुआ लिंग बिल्कुल मेरे चेहरे के पास आ गया था। मैं अपने को रोक नहीं सकी और लपक कर मैंने उसके लिंग को पकड़ लिया और मुँह में लेकर चूसने लगी।
तब रोहन ने नीचे बैठते हुए मुझे अपने ऊपर खींच और घूम कर मेरी टांगों के बीच में अपना सिर डाल कर मेरी योनि को चाटने लगा। दस मिनट तक 69 की इस मुद्रा में एक दूसरे को चूसने एवं चाटने के कारण हम दोनों बहुत ही उत्तेजित हो गए और दोनों के गुप्तांगों में से पूर्व-रस रिसने लगा था।
तब रोहन ने टब के अन्दर शावर की बौछार के नीचे मुझे झुका कर घोड़ी बना दिया और मेरी टांगों को चौड़ा करके मेरे पीछे से अपने लिंग को मेरी रसीली योनि के अंदर धकेल दिया।
लिंग के योनि में घुसते ही रोहन बहुत तेज़ी से धक्के मारने लगा और पंद्रह मिनट में दो बार मेरी योनि का रस स्खलित करवा दिया तथा अंत में एक ही झटके में अपने लिंग के सारे वीर्य-रस का फव्वारा मेरे अन्दर छोड़ दिया।
उसके लिंग के बाहर निकालने पर जब मैं सीधी खड़ी हुई तब मेरी योनि में से हम दोनों के मिश्रित रस की एक धारा बाहर निकली और मेरी जाँघों एवं टांगों पर से बहती हुई शावर के पानी के साथ टब के निकास छिद्र में बह गई।
उसके बाद हम दोनों ने एक दूसरे के गुप्तांगों को अच्छी तरह मल मल कर साफ़ किया और एक दूसरे को नहला कर बाथरूम से बाहर निकले तथा अपने अपने कपड़े पहन कर आगे के सफर के लिए तैयार हो गए।
कमरे से निकल कर हमने रिसेप्शनिस्ट से कार की चाबी एवं दस्तावेज लेकर करीब साढ़े आठ बजे निकल पड़े और एक सौ चालीस किलोमीटर का सफर दो घंटों में पूरा कर के साढ़े दस बजे घर पहुँच गए।
उस दिन के बाद लगभग अगले चार माह तक मैं निहारिका और रोहन के साथ रही और उन दिनों में जब भी रोहन और मुझे एकांत मिलता था, हम दोनों जम कर सम्भोग कर लेते थे।
अब पिछले एक वर्ष से तो मैं और रोहन चोरी-छुपे हर माह में एक बार तीन दिन और दो रातों के लिए फ़र्नडेल शहर के ‘फ़र्नडेल मोटेल # 6’ के उसी कमरे में मिलते है और अपनी वासना को संतुष्ट कर लेते हैं।
मेरी इस रचना को अनुवादित एवम् सम्पादित कर के अन्तर्वासना के पटल पस्तुत करने के लिए मैं टी पी एल का एक बार फिर से धन्यवाद एवम् आभार व्यक्त करती हूँ।
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