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उस दिन से आशा के मन में उस रोहित के प्रति नफरत सी हो गयी। उसने घर में तो किसी को कुछ नही बताया पर अब जहाँ भी रोहित मिलता, उससे किनारा कर लेती। पहले कई बार रोहित के साथ बाज़ार भी चली जाती थी। पर अब कभी भी बाज़ार जाती या तो राहुल के पापा के साथ या फेर अकेली।
रोहित को हर पल यही डर रहता के उसकी चोरी पकड़ी न जाये। उसके इतना हब्शी और कामुक होने का कारण उसके घर का अपना माहौल था। वो कई बार अपनी माँ को चुदते, नहाते, कपड़े बदलते देख चूका था।
दिन बीतते गए रोहित दिन भर सुस्त रहने लगा।
राहुल – क्या हुआ बे साले दिन ब दिन सुस्त रहता है। पहले जेसी मस्ती नही करता। क्या दिक्कत है तेरे को बता न
रोहित – कुछ भी नही यार बस ऐसे ही फालतू की टेंशन थी थोड़ी।
राहुल — बोल न हुआ क्या है।
रोहित – बता देता हूँ पर वादा कर बुरा नही मानेगा और मुझसे बोलचाल बन्द नही करेगा।
राहल – क्या मतलब मैं कुछ समझ नही,
रोहित – देख यर तू तो मुझे भली भांति जानता है के मेरी कमज़ोरी लड़की है, जहाँ दिखी नही मेरी चड्डी गीली हुई नही।
(लड़ाई के डर से फेर भी आधी बात बताई)
पिछले रविवार तेरे घर गया था। तब तू घर पे नही था। तू ओर मामा जी सैर को गए थे। घर पे अकेली मामी थी। मैंने बाहर से ही आवाज़ दी कोई नही बोला, जब अंदर गया तो मामी नहाकर कपड़े पहन रही थी। मैंने उन्हें नंगा देख लिया और कामवासना में अँधा होकर छिपकर ही मुठ मारने लगा। जब रस्खलित हुआ तो मामी ने मुझे देख लिया और डांटा भी था। पता नही उन्होंने तुझे या मामा जी को बताया या नही पर अब मैं शर्म के मारे उनके सामने भी नही जा सकता। तू बता मैं क्या करू अब ? बस यही मेरे उदास होने की वजह है।
उसकी बात सुनकर राहुल का भी खून खौल उठा, जो के स्वभाविक भी था। क्योंके उसकी जगह आपमें कोई भी होता, ये बात बर्दाश्त नही करता।
उसने रोहित को उस समय कहा तो कुछ नही पर दिल में अपने इस अपमान का बदला लेने की कसम खा ली, और चेहरे पे स्माइल लाते हुए कहा,” चल कोई बात नही यार होता रहता है इतना तो, टेंसन न लेना अब किसी भी बात की।
रोहित को लगा के उसकी गलती माफ़ करदी गयी है । धीरे धीरे दिन बीत ते गए। रोहित बात को भूल गया पर राहुल के बदले का ज़ख़्म अभी भी ताज़ा था। वो बस एक मौके की तलाश में था, कब अपने मन की भड़ास निकाले।
इस दौरान स्कूल की छुटिया हुई। तो इस बार राहुल अपनी बुआ के यहां रहने आ गया। उसकी बुआ मीरा की उम्र भी 40 के करीब, शरीर थोड़ा सा भारी, रंग गोरा और साडी ब्लाऊज़ पहनती थी। वो थोड़ा खुले स्वभाव की स्त्री थी। मतलब जिन बातो को आम स्त्रियां बोलने से भी झिझकती है, मीरा फटाक से बोल देती थी।
राहुल और रोहित दोनों अपने माँ बाप की एकलौती सन्ताने थी।
इन दिनों दशहरे का त्यौहार नज़दीक आ रहा था। तो उसकी खूब तयारिया हो रही थी। एक दिन रोहित और उसके पापा को घर के किस काम के लिए एक दिन के लिए बाहर जाना पड़ा। पीछे राहुल और मीरा दोनों बुआ भतीजा घर पर रह गए।
राहुल उन दोनों बाप बेटे को स्टेशन तक छोड़कर आया और आते वक़्त मेडिकल स्टोर से कुछ नींद की गोलिया ले आया। शाम को उसके घर पे आते ही उसकी बुआ ने उसे खाना परोसा।
राहुल – बुआ नही आज मेरे साथ रोहित नही है सो आप भी मेरे साथ बैठ कर खाना खाइये न।
बुआ – नही बेटा तुम खालो, मैं बाद में सब काम काज निपटा कर फ्री होकर खाऊँगी। ऐसे जल्दबाज़ी में मुझसे नही खाया जायेगा।
राहुल — तो ठीक है फेर मैं भी आपके साथ ही खाऊँगा ले जाओ वापिस खाना।
बुआ ने काफी मिन्नते की के खालो, पर राहुल नही माना और उसे अपने भतीजे की ज़िद के आगे झुकना पड़ा।
बुआ — चलो ऐसे करो मैं थोड़ी घर की सफाई कर लू। फेर इकठे बैठ कर खाना खाएंगे। तब तक तुम रोहित के कमरे में जाकर आराम करलो और जाते जाते ये खाना रसोई में ढक कर जाना।
राहुल ने उसकी आज्ञा का पालन किया।
राहुल को भूख तो बहुत लगी थी। पर बदले की आग ने उसे खाना खाने नही दिया।
थोड़ी देर बाद मीरा रोहित के कमरे में पसीने से भीगी हुई आई और जिस बेड पे राहुल आराम कर रहा था। उसी पे थोड़ा सा हटकर राहुल के साथ ही लेट गयी। ऊपर पंखा चल रहा था, थोड़ा थकी होने की वजह से लेटते ही गहरी नींद के आगोश में चली गयी। इधर जब राहुल ने लेटे लेटे साइड बदली तो उसका हाथ बुआ की चुचियो पे आ टिका।
अपने हाथो के निचे मुलायम मुलायम चीज़ महसूस करके राहुल की भी नींद टूट गयी और उठ कर बैठ गया और एक अजीब सी ख़ुशी महसूस करके खुद ही मुस्कुराया। जैसे भगवान ने उसकी तपस्या मंजूर करली हो। उसने कंधे से पकड़ कर बुआ को हिलाया और बुआ नींद में इतना डूबी थी के एक दो आवाजे उसे सुनाई न दी।
उसने मोका देखते ही बुआ के गालो पे किस कर लिया और बैठ कर आगे की प्लानिंग सोचने लगा। फेर पता नही क्या मन में आया भाग कर रसोई में गया और दो प्लेटो में खाना परोस कर ले आया। उसने बुआ को झँझोड़ते हुए उठाया और कहा,” बुआ जी खाना खालो पहले बाद में सो जाना। वरना ठंडा हो जायेगा। वेसे भी रात को भूख लगेगी आपको, जब अब न खाया तो…
बुआ नींद से तो जाग गयी पर लेटी ही बोली’ रसोई से दो प्लेट में खाना ले आ।
राहुल — खाना तो कब का आया हुआ है। आप उठो और खालो।
बुआ बेड पे ठीक होकर बैठ गयी। राहुल ने उनके आगे खाना परोसा और बुआ खाने लगी । आज बुआ को खाने के स्वाद में कुछ थोड़ा सा फर्क महसूस हो रहा था तो बोली,” राहुल तुम अपनी प्लेट से एक निवाला उठाकर खाना जरा। मुझे पता नही क्यों आज खाने का स्वाद बदला बदला सा लग रहा है।
बुआ की बात सुनकर जैसे राहुल के पैरो तले ज़मीन निकल गयी हो, उसका रंग फीका पड गया।
और घबराहट में बोला,” न.. न… नही तो बुआ, मेने चख कर देखा है खाना।
ठीक है खाना तो, आप थके हुए हो शायद इस लिए आपको लग रहा है।
बुआ — हाँ हो सकता है, वैसे भी मेने दोपहर में थोड़ा चटपटा खाया था, उसकी वजह से भी हो सकता है।
खाना खाते राहुल बोला,” बुआ आज आप रात को यही सो जाओ न, मुझे अकेले में अच्छा नही लगेगा। क्योंके पहले साथ में रोहित सोता था आज वो यहाँ नही है।
बुआ — कोई बात नही राहुल बेटा, रोहित नही है तो क्या हुआ मैं तो हूँ न
हम दोनों इसी बेड पे सोयेंगे।
बुआ की बात सुनते ही राहुल का मुरझाया चेहरा खिल उठा और मन से आवाज़ आई । तू देखता जा रोहित बेटा, आगे आगे होता है क्या ?
खाना खाकर बुआ ने जूठे बर्तन साफ किये और राहल को बोली, मैं नहाने जा रही हूँ । तब तक तुम भी अलमारी से अपने कपड़े निकाल लो, बाद में तुम भी नहा लेना।
थोड़ी देर बाद बुआ बाथरूम से नहाकर आई और राहुल अपने कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गया।
वहां जाकर शीशे के सामने खड़ा होकर अपनी ही तस्वीर से बाते करने लगा।
राहुल बेटा, आज की रात तुम्हारा बदला पूरा करने की रात है।
साले रोहित हरामज़ादे तू भी क्या याद रखेगा किस से पंगा लिया है तूने?
साले तूने तो मेरी माँ के सामने लण्ड ही हिलाया था, अब देख कैसे तेरी माँ की चूत की धजिया उडाता हूँ।
गुस्से में ही नहाकर बाहर आ गया और बुआ को देखते ही अपना मूड बदलते हुए चेहरे पे एक फेक स्माइल ले आया।
उस वक़्त उसने अकेली घुटनो तक लोअर टाइप की निकर ही पहनी थी।
अपना सर तौलिये से पोंछ कर बैड पे एक साइड पे बैठ गया। तब तक बुआ ने भी नाइटी पेहन ली थी और निचे पतला सा पायजामा पहन लिया।
दोनों टीवी देखने में मस्त हो गए। फेर बुआ उठी और दो गिलासो में राहुल और खुद के लिए दूध ले आई।
रसोई से आती बुआ अब राहुल को एक लाल जोड़े में सजी पत्नी के रूप मे दिखी। जो अपनी शादी की पहली रात पे अपने पति के लिए दूध लेके आई हो।
दूध पकड़ते वक़्त राहुल के होंठो पे एक स्माइल सी आ गयी।
बुआ – क्या हुआ नटखट इतना हस क्यू रहा है।
राहुल – कुछ नही बुआ, ऐसे ही कोई बात याद आ गयी थी।
बुआ – ऐसी क्या बात है, मुझे भी सुनाओ न।
राहुल – नही बुआ इतनी भी खास नही है बस ऐसे ही और जल्दी से दूध का गिलास खाली करके मीरा को पकड़ा दिया और मन में ही बोला,
अब आगे देख रानी, कैसे निकालता हूँ तेरी चूत में अपना पानी ?
इतने में बुआ ने भी दूध पी लिया और दोनों गिलास रसोई में रखकर राहुल के साथ आकर लेट गयी और इधर उधर की बाते करने लगी। राहुल ने टीवी बन्द कर दिया और अपना सारा ध्यान बुआ पे केंद्रित करते हुए उनसे बाते करने लगा। कमरे की बड़ी लाइट बन्द कर दी गयी और जीरो वाट का बल्ब जला दिया गया।
अब बाते करते करते बुआ पे खाने में डाली दवाई का असर होने लगा और बाते करती करती सोने लगी। जब बुआ पूरी तरह से नींद में डूब गयी तो उसने बुआ के पास आकर उसे हिला डुला कर देखा। जब पूरी तरह से पक्का हो गया के अब सुबह तक नही जागेगी तो उसने बुआ को सीधा बेड पे लिटाया और उसके होंठ अपने होंठो से चूसने लगा।
उसकी गालो पे किस करने लगा। बुआ की कमीज़ टाइप नाइटी के सारे बटन खोल कर, उसके मम्मो को मुँह में लेकर चूसने लगा। कभी दायें मम्मे को मुँह में लेता, तो कभी बांए वाले मम्मे को,बुआ के तन का स्पर्श पाते ही उसका लण्ड तन गया और उसने अपना निकर भी उतार दिया।
अब धीरे धीरे बुआ के इलास्टिक वाले पयज़ामे को निचे किया और देखा क बुआ ने चूत पे शेव की हुई है। डबलरोटी की तरह फूली चूत उसकी टांगो में किसी ख़ज़ाने से कम नही लग रही थी।
बुआ की टांगे थोडी चौड़ी करके हाथ की सबसे बड़ी वाली ऊँगली से उसकी चूत की गहराई को नापा और टांगो के बीच आकर बुआ की चूत चाटने लगा। उसका स्वाद थोड़ा नमकीन सा लगा पर बदले में अंधे को वो भी किसी अमृत से कम नही लग रहा था।
करीब 10 मिनट तक चूत चाटने के बाद जब बुआ की चूत अपने पानी और उसके थूक से भीग गयी। राहुल ने बुआ का पायजामा एक टांग से निकाल करके उसकी एक टांग को अपने कन्धे पे रख कर चूत के मुंह पर लण्ड टिका कर हल्का सा धक्का दिया और झट से सारा जड़ तक लण्ड बुआ की गुफा में चला गया और अपने मन ही मन में इस काम के लिये बहुत खुश हो रहा था।
करीब 5-7 मिनट बाद जब उसका वीर्य निकलने वाला था तो उसने वीर्य की एक पिचकारी चूत के अंदर और बाकि बुआ के मम्मो और मुह पे पिचकारियां छोड़ी और तब तक नही रुका जब तक एक एक बूँद निकल न गयी।
इस वक़्त वो बहुत थक गया था। उसने जल्दी जल्दी बुआ को कपडे पहनाये और बुआ का मुँह, चूत और मम्मे तौलिये से पोंछे और जब लगा के सब ठीक है फेर हाथ मुह धोकर सो गया।
अगली सवेर बुआ उसके लिए चाय लेकर आई और बोली” उठ जाओ नवाब साब। आप तो ऐसे सोये हो जेसे एक कर्ज़दार बहुत बड़ा क़र्ज़ उतार कर चैन की नींद सोता है।
राहुल — (चाय पकड़ते हुए) — हाँ बुआ ऐसे ही समझ लो आप। कल रात सपने में एक काम निपटाते निपटाते देर हो गयी थी और हल्की सी स्माइल दिखी उसके होंठो पर।
फेर अगले दिन राहुल अपने घर आ गया और इस तरह से राहुल का बदला पूरा हुआ।
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