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हैलो दोस्तो, आपके लिए एक नई कहानी पेश है। बात तब की है, जब मेरी शादी हुई थी, शादी को अभी मुश्किल से 10-12 दिन ही हुये थे। हमारा तो अपना घर था मगर साथ वाले घर में कोई नए पड़ोसी आए थे, वो भी बस मियां बीवी थे। मैं अपने घर में ऊपर वाले कमरे में रहता था, ऊपर वाले कमरे का फायदा यह था कि घर का कोई ऊपर आता नहीं था और हम मियां बीवी की प्रेम लीला खूब खुल के चलती थी, जब भी मौका मिलता, हम दोनों मियां बीवी आपस में भिड़ जाते। मैंने अपनी बीवी को मना कर रखा था कि वो साड़ी के नीचे पेंटी नहीं पहनेगी ताकि जब भी मौका मिले, मैं उसकी साड़ी ऊपर उठाऊँ और ठोक दूँ।
अब जवानी के दिन, नई नई शादी, तो बीवी भी चुदाई के खूब मज़े ले रही थी, बड़े मज़े की लाइफ कट रही थी।
एक दिन सुबह सुबह करीब 5 बजे मेरी आँख खुल गई। मैं उठा, उठ कर बाथरूम गया, पेशाब किया। रात ढाई बजे एक शिफ्ट लगाई थी सो मैं तो बिल्कुल नंगा ही सो गया था। वापिस आकर देखा, बिस्तर पे बीवी बिल्कुल नंग धड़ंग, दुनिया से बेखबर सो रही थी। मैं उसके पास गया, खिड़की से आ रही रोशनी में उसके गोरे चिकने बदन को निहार रहा था, छोटे छोटे दो गोल गोल बूब्स, उसके नीचे सपाट पेट, और पेट के नीचे अभी रात को ही शेव की हुई, गुलाबी चूत।
मैं नीचे झुका और अपनी जीभ से मैंने अपनी बीवी की चूत चाट ली। वो कसमसा कर हिली और अपनी टाँगें आपस में जोड़ कर चादर लेकर सो गई। मतलब उसकी तो मैं अब ले नहीं सकता था, उसे तो सोना था और सोते हुये किसी को क्यों डिस्टर्ब करना… मैंने अपने लंड को एक झटका दिया, अपनी लंबी वाली निकर पहनी और कमरे से बाहर निकल आया।
बाहर आया तो देखा, जो हमारे नए पड़ोसी आए थे, उनकी बीवी एक पतली सी नाइटी पहने हुये छत घूम रही थी, शायद सुबह की सैर कर रही थी। मैंने उसे देखा, अब निकर के ऊपर तो मैं नंगा ही था, उसने मुझे देखा, बड़े घूर कर, मेरे बालों से भरे सीने को बड़े ध्यान से देखा। उसके देखने में एक बात थी, मुझे लगा जैसे आँखों आँखों में उसने मुझे कुछ कहा हो, क्या कहा, यह तो पता नहीं, मगर कोई इशारा ज़रूर था।
मैंने भी उसे देखा और जब वो दूसरा चक्कर लगा कर आई, तो मैंने सर झुका कर उसका अभिवादन किया। यह अभिवादन एक सभ्य महिला के लिए नहीं था, यह अभिवादन एक महिला को लाइन देने वाला अभिवादन था। मैंने उसे विश किया तो उसने भी सर झुका कर मेरी विश का जवाब दिया।
‘अरे ये क्या? यह तो लाइन का जवाब दे रही है, मतलब?’ मैंने सोचा कि दोबारा विश करके देखता हूँ। जब वो तीसरा चक्कर लगा कर आई, मैंने फिर से विश किया, तो उसने फिर से जवाब दिया और इस बार स्माइल भी दी। मेरे तो होश ही उड़ गए। बेशक मेरी अपनी बीवी भी बहुत खूसूरत है, मगर यह भी बुरी नहीं है।
उसके बाद हम दोनों अपनी छत पर कितनी देर सैर करते रहे। हर बार जब भी हम एक दूसरे के सामने होते हम एक दूसरे से निगाह नहीं हटाते। उसे चेक करने के लिए मैं छत पर रखी एक कुर्सी पर बैठ गया और लगातार उसे घूरने लगा। वो हर चक्कर में आती और मुझे देख कर जाती। मैंने यह भी नोटिस किया कि नाईटी के नीचे उसने कुछ भी नहीं पहना था। उसकी गोल गोल छातियाँ जो मेरी बीवी बूब्स से तो दुगनी बड़ी थी, बिना ब्रा के उसकी नाईटी में इधर उधर झूल रही थी और चलते वक़्त उसके चूतड़ भी बहुत हिल रहे थे। करीब करीब 10-15 मिनट मैं उसे घूरता रहा।
जब वो भी हर बार मुझे देखते हुये गुजरती तो मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ जाती। इस बार जब वो घूम कर आई और मेरे तरफ देख रही थी, तो मैं उसे फटाक से आँख मार दी। उसने देख लिया, वो हंसी और पलट कर चली गई, मैं उसे जाती को देख रहा था।
दरवाजे के अंदर जाकर उसने मुझे टाटा किया। मैंने तो उछल कर छलांग लगा दी कि ‘लो जी, यह तो पट गई।’ मैंने तो सुना था कि लड़की सिर्फ ढाई मिनट में पट जाती है, इसको 15 मिनट लगे, मगर पट गई।
फिर मैंने सोचा ‘अरे पागल, अभी तो तेरी शादी हुई है।’ फिर मन में ख्याल आया- तो क्या हुआ, एक घरवाली तो एक बाहरवाली, दोनों से मुझे कोई ऐतराज नहीं।
अगले दिन तो मैं सुबह 5 बजे का अलार्म लगा कर सोया। सुबह उठा और सिर्फ एक छोटी सी चड्डी पहन कर छत पर आ गया और एक्सरसाइज़ करने का ढोंग करने लगा।
थोड़ी ही देर में वो भी छत पर आ गई। उस वक़्त दिन पूरी तरह नहीं चढ़ा था, सिर्फ हल्की सी रोशनी थी। जब मैंने उसे देखा तो उसे सैल्यूट किया, उसने भी जवाब में सलूट मारा।
मैं उठ कर खड़ा हो गया और दीवार के साथ लग कर खड़ा हो गया और उसे देखने लगा। आज भी वो वही नाईटी पहन कर आई थी। मैं कुछ देर उसे देखता रहा, फिर उसे देख कर अपना लंड सहलाने लगा। थोड़ा सा सहलाने पर जब लंड खड़ा हो गया तो मैंने लंड को अपनी चड्डी से बाहर निकाल लिया और उसकी तरफ करके हिलाना शुरू किया, जब उसका ध्यान मेरे लंड की तरफ गया तो वो रुक गई और मेरे लंड को घूरने लगी।
मैंने पहले तो उसका रीएक्शन देखा और जब मुझे लगा कि वो मेरे लंड में दिलचस्पी ले रही है, तो मैंने अपनी चड्डी अपने घुटनों तक उतार दी। मैं अपना लंड हिला रहा था और वो मुझे देखे जा रही थी।
कुछ पल देखने के बाद वो वापिस मुड़ी, मैंने भी अपनी चड्डी ऊपर चढ़ा ली कि ‘लो जी, यह तो अब चली गई।’
मगर वो दरवाजे के पास जा कर रुकी, दरवाजे के अंदर जा कर उसने अपनी नाइटी उठाई और पूरी की पूरी उतार दी।
‘ओ माई गोड…’ मेरे मुँह से निकला। वो तो साली पूरी नंगी हो कर मुझे दिखा गई।
मैंने देखा उसके गोल गोल और काफी बड़े बूब्स, जिन पर गहरे भूरे रंग के निप्पल थी। नीचे सपाट पेट और छोटी सी झांट जैसे 4-5 दिन पहले ही शेव की हो। मैंने देखा तो उसे फ्लाइंग किस किया, उसने भी मुझे फ्लाइंग किस से जवाब दिया और अंदर चली गई। अब तो यह बात पक्की थी कि वो मुझसे चुदना चाहती थी।
मैंने सोचा कि ऐसे करता हूँ ‘दीवार फांद कर उसके घर जाता हूँ और उसको ठोक कर आता हूँ।’
मगर तभी मुझे अंदर से अपने कमरे से खटपट की आवाज़ आई, मतलब मेरी बीवी भी जाग गई थी। मैंने सोचा ‘यह साली बहनचोद क्यों उठ गई इतनी सुबह!’ मैं अंदर गया, बीवी उस वक़्त सलवार पहन रही थी।
मैंने पीछे से जाकर उसे बाहों में भर लिया। उसने मेरी तरफ मुँह घुमाया, मैंने उसके होंटों पे अपने होंठ रख दिये और अपने हाथों से उसके बूब्स सहलाने लगा। उसने भी अपने हाथ पीछे को घुमाए और मेरी चड्डी में से मेरा लंड निकाल के सहलाने लगी।
मैंने फिर से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसे वैसे ही आगे को झुका कर घोड़ी सी बना लिया और पीछे से अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया। बेशक मैं अपनी बीवी को चोद रहा था, मगर मेरे ज़ेहन में ख्याल उसी पड़ोस वाली का था। मैं आँखें बंद करके उसको चोदने के फीलिंग ले रहा था।
दोपहर को मैं किसी काम से बाज़ार गया। जब मैं मार्केट से वापिस आ रहा था, तो मैंने देखा वही मेरी पड़ोस वाली, रेहड़ी पर से सब्जी ले रही थी। मैंने कुछ लेना तो नहीं था, मगर वैसे ही गाड़ी रोकी और जानबूझ कर सब्जी वाले के पास जा खड़ा हुआ और खीरे टमाटर का भाव पूछने लगा। उसने मेरे तरफ देखा, मैंने कहा- नमस्ते जी, क्या हाल चाल हैं आपके?
वो भी मुस्कुराई और बोली- जी बिल्कुल ठीक… आप बताइये!
बस फिर क्या था मैंने बातचीत आगे बढ़ाई और बातों बातों में उसे अपनी गाड़ी से घर तक छोड़ने की ऑफर की। वो मान गई। सब्जी लेकर वो मेरे साथ आकर गाड़ी में बैठ गई।
अब मैंने सोचा के आगे बात कर लेनी चाहिए, मैंने कहा- सुबह सुबह सैर का बहुत शौक है आपको? वो मेरा इशारा समझ गई और बोली- जी, आपको कसरत का शौक लगता है! कह कर उसने मेरी तरफ देखा और उसकी आखों में शरारत साफ तैर रही थी। मैंने कार को साईड पे रोका और पूछा- क्या मैं तुम्हारे घर आ सकता हूँ? बात बिल्कुल साफ थी, उसने मेरी आखों में देख कर कहा- मेरे पति नाईट शिफ्ट करते हैं, सुबह सात बजे घर आते हैं, दोपहर तक सोते हैं, उसके बाद अपने भाई की दुकान पे चले जाते हैं, तुम दोपहर के बाद आ सकते हो।
मैंने उसकी गर्दन के पीछे अपना हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींचा, वो भी बड़े आराम से मेरी तरफ आई और अगले ही पल उसके रसीले होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे। मैं उसके होंठो पे लगी सारी लिपस्टिक चाट गया, वो भी अपनी जीभ से मेरे होंठ चाट रही थी, दोनों ने एक दूसरे की जीभ तक चूस डाली। हम अलग हुये, हम दोनों को पता चल चुका था कि दोनों में बहुत आग है और इस सेक्स की आग को दो जवान जिस्म मिल कर ही बुझा सकते हैं। उसके बाद मैं उसे घर छोड़ कर अपने घर चला गया, खाना खाया, दोपहर को ऊपर अपने कमरे में जा कर लेट गया। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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