This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
सम्पादक – जूजा जी हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
फिर थोड़ा दरवाजे से पीछे हट कर मैंने फैजान को और फिर जाहिरा को आवाज़ दी और जल्दी आने को कहा। मेरी आवाज़ सुन कर जाहिरा रसोई में आ गई। मैंने जाहिरा का चेहरा देखा तो वो सुर्ख हो रहा था.. मैंने पूछा- आए नहीं तुम्हारे भैया.. क्या कर रहे हैं? जाहिरा बोली- आ रहे हैं वो बस अभी आते हैं।
वो मेरे सवाल का जवाब देने में घबरा रही थी। फिर वो आहिस्ता से बोली- भाभी आपने मेरी ब्रा वहीं बिस्तर पर ही डाल दी थी क्या? मैं- ओह हाँ.. बस यूँ ही ख्याल ही नहीं रहा बस.. क्यों क्या हुआ है उसे? अब आगे लुत्फ़ लें..
जाहिरा बोली- नहीं.. कुछ नहीं भाभी.. कुछ नहीं हुआ.. फिर वो जल्दी से खाना उठा कर बाहर आ गई। मैंने उसे ब्रेकफास्ट टेबल के बजाए आज छोटी सेंटर टेबल पर लगाने के लिए कहा। ज़ाहिर है कि इसमें भी मेरे दिमाग की कोई शैतानी ही शामिल थी ना.. थोड़ी ही देर में फैजान भी बेडरूम से कप की ट्रे लेकर आ गया।
मैंने पूछा- कहाँ रह गए थे?
उसने घबरा कर एक नज़र जाहिरा पर डाली और बोला- वो बस बाथरूम में चला गया था। जाहिरा अपने भाई की तरफ नहीं देख रही थी.. बस सोफे पर बैठे अपने भाई के आने का इन्तजार कर रही थी।
क्योंकि रात को उसे सोई हुई समझ कर उसका भाई जो जो उसके साथ करता रहा था और जो कुछ अब वो उसकी ब्रेजियर के साथ कर रहा था.. तो वो उसके लिए बहुत ही उत्तेजित हो उठी थी.. लेकिन उसे शर्मा देने वाला महसूस भी हो रहा था।
फैजान आया तो मेरे साथ ही सोफे पर बैठ गया और हम तीनों ने नाश्ता शुरू कर दिया। जाहिरा हम दोनों के बिल्कुल सामने बैठे थी। अब खाना इस टेबल पर रखने में मेरा ट्रिक यह था कि यह जो टेबल थी.. वो काफ़ी नीची थी और इस पर खाना खाते हुए आगे को काफ़ी झुकना पड़ता था। इस तरह आगे को नीचे झुकने का पूरा-पूरा फ़ायदा मैं फैजान को दे रही थी.. क्योंकि जाहिरा भी नीचे झुक कर खाना खा रही थी और उसके नीचे झुकने की वजह से उसकी नेट शर्ट और भी नीचे को लटक रही थी। इस वजह से उसकी चूचियाँ और भी ज्यादा एक्सपोज़ हो रही थीं।
फैजान की नज़र भी सीधी-सीधी अपनी बहन की खुली ओपन क्लीवेज और चूचियों पर ही जा रही थी। मैंने महसूस किया कि फैजान नाश्ता कम कर रहा था और अपनी बहन की चूचियों को ज्यादा देख रहा था।
एक और बात जो मैंने नोट की.. वो यह थी कि जाहिरा को पता था कि उसकी चूचियाँ काफ़ी ज्यादा खुली नज़र आ रही हैं और उसका भाई इनका पूरी तरह से मज़ा ले रहा है.. लेकिन इसके बावजूद भी जाहिरा ने अपनी पोजीशन को चेंज करने की और अपनी चूचियों को छुपाने की कोई कोशिश नहीं की।
वैसे भी उसकी और मेरी शर्ट इतनी ज्यादा ओपन थी कि हमारे पास अपनी खुली चूचियों को छुपाने के लिए कुछ नहीं था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
हमारी तवज्जो हटाने के लिए फैजान बोला- यार आज तो बाहर मौसम काफ़ी खराब हो रहा है.. काले बादल भी छाए हुए हैं.. लगता है कि आज बारिश हो जाएगी।
जाहिरा- जी भैया.. अच्छा है ना बारिश हो जाए.. तो कुछ गर्मी की शिद्दत में भी कमी हो जाएगी। बारिश का जिक्र आते ही मैं दिल ही दिल मैं बारिश कि लिए दुआ माँगने लगी ताकि कुछ और भी मस्ती करने का मौका मिल सके। नाश्ता करने के बाद मैंने और जाहिरा ने बर्तन उठाए और रसोई में ले जाकर रखे।
फिर मैं जाहिरा को चाय बना कर लाने का कह कर रसोई से बाहर टीवी लाउंज में आ गई और फैजान के बिल्कुल साथ लग कर बैठ गई। फैजान ने भी टीवी देखते हुए मेरी गर्दन के पीछे से अपना बाज़ू डाला और मेरी दूसरे कन्धों पर ले आया और ऊपर से ही मेरी चूचियों को सहलाने लगा।
फिर उसका हाथ आहिस्ता आहिस्ता मेरी ओपन शर्ट में नीचे चला गया और उसने मेरी शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर मेरी एक चूची को पकड़ लिया और आहिस्ता आहिस्ता उससे खेलने लगा।
मैंने भी उसे मना नहीं किया और ना ही उसकी बहन के पास होने का इशारा दिया बल्कि उसे खुल कर एंजाय करने दे रही थी और खुद भी उससे चिपकती जा रही थी.. ताकि उसका हाथ बहुत ही आसानी के साथ और भी मेरी शर्ट के अन्दर तक चला जाए।
हम दोनों ही इसी हालत में बैठे हुए टीवी देख रहे थे.. मैं थोड़ी तिरछी नज़र से रसोई की तरफ भी देख रही थी.. इतने में जाहिरा टीवी लाउंज में दाखिल हुई तो मैंने अपनी नज़र उस पर नहीं डाली और भी ज्यादा बेतक्कलुफी से फैजान से चिपक गई।
फैजान का हाथ अभी भी मेरी शर्ट के अन्दर मेरी चूची से खेल रहा था। उसकी बहन ने आते ही सब कुछ देख लिया था।
मैंने देखा कि चंद लम्हे तो वो वहीं रसोई के दरवाजे पर खड़ी हुई यह नज़ारा देखती रही.. फिर आहिस्ता आहिस्ता क़दमों से चलते हुए हमारी टेबल के क़रीब आई और झुक कर टेबल पर चाय की ट्रे रख दी। उसके चेहरे पर हल्की-हल्की मुस्कराहट थी।
उसे देखते ही फैजान ने अपना हाथ मेरी शर्ट से बाहर निकाल लिया.. लेकिन इससे पहले तो जाहिरा सब कुछ देख ही चुकी थी कि कैसे उसका भाई मेरी शर्ट की अन्दर अपना हाथ डाल कर मेरी चूचियों से खेल रहा है।
फैजान ने अपना हाथ तो मेरी शर्ट से निकाल लिया था.. लेकिन अभी तक मेरे कन्धों पर ही रखा हुआ था। मैं भी बिना कोई शरम किए हुए फैजान के साथ चिपक कर बैठी हुई थी।
जाहिरा ने मुस्कराते हुए वहीं पर ही हम दोनों को चाय के कप पकड़ा दिए और फिर वो भी चाय लेकर मेरे पास बैठ गई। अब मैं दरम्यान में थी और दोनों बहन-भाई मेरी दोनों तरफ बैठे थे।
जाहिरा के नंगे कंधे भी मेरे कंधों से टकरा रहे थे और फैजान के हाथ भी मेरे कन्धों से होते हुए अपनी बहन के कन्धों को छू जाते थे। लेकिन वो बिना किसी मज़हमत के आराम से बैठी हुई थी।
मैंने चाय का एक सिप लिया और उन दोनों के दरम्यान से उठते हुए बोली- यार चीनी कुछ कम है.. मैं अभी डाल कर लाई। मैं उन दोनों बहन-भाई के दरम्यान से उठ गई और फिर रसोई में आ गई।
वहाँ से मैंने देखा कि फैजान ने थोड़ा सा सरकते हुए जाहिरा के कन्धों पर गर्दन से पीछे बाज़ू डाल कर अपना हाथ रखा और फिर उसके कन्धों को सहलाते हुए बोला- और सुनाओ जाहिरा.. तुम्हारी पढ़ाई कैसे चल रही है? जाहिरा भी सटते हुए बोली- जी भैया.. पढ़ाई भी और कॉलेज भी.. ठीक चल रहे हैं।
मैंने देखा कि जाहिरा ने अपने जिस्म को अपने भाई के हाथ की पकड़ से छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की.. बल्कि उसी तरह बैठी रही। कुछ देर तक मैंने उन दोनों को बिना कोई और बातचीत किए हुए मज़ा लेने दिया और फिर रसोई से बाहर आ गई।
मेरे आते ही दोनों सम्भल कर बैठ गए। मैं महसूस कर रही थी कि दोनों बहन-भाई के दरम्यान बिना कोई बातचीत शुरू हुए ही एक ताल्लुक सा बनता जा रहा था। जाहिरा को अपने भाई के टच से लुत्फ़ आने लगा था और शायद फैजान को भी पता चलता जा रहा था कि उसकी बहन भी कुछ-कुछ एंजाय करने लगी है।
मैं अब जाकर फैजान की दूसरी तरफ बैठ गई और उसे दरम्यान में ही बैठा रहने दिया। ऐसे ही चाय पीते और गप-शप लगाते हुए हम लोग टीवी देखते रहे।
हम दोनों ननद-भाभी ने इसे ड्रेस में पूरा दिन घर में अपने जिस्म के नंगेपन की बिजलियाँ गिराते हुए गुजारा। पूरे दिन हम दोनों के नंगे जिस्मों को देख कर फैजान पागल होता रहा। कई बार जब भी उसने मुझे अकेले पाया.. तो अपनी बाँहों में मुझे दबोच लिया और चूमते हुए अपनी प्यास बुझाने लगा।
मैंने भी उसके लण्ड को सहलाते हुए उसे खड़ा किया.. लेकिन हर बार उसकी बाँहों से फिसल कर उसे केएलपीडी का अहसास कराते हुए भाग आई.. ताकि उसकी प्यास और उसकी अन्दर जलती हुई आग इसी तरह ही भड़कती रहे और ठंडी ना होने पाए।
आप सब इस कहानी के बारे में अपने ख्यालात इस कहानी के सम्पादक की ईमेल तक भेज सकते हैं।
कुछ हजरात का कहना है कि जाहिरा की चुदाई में देर क्यों हो रही है.. तो मेरा उन सभी से यही कहना है कि चुदाई का लुत्फ़ तो कहानी का खात्मा ही कर देगा.. जो कुछ मजा खड़ा करने में है.. वो अन्दर लेने में नहीं है.. अन्दर तो इन्कलाब और सैलाब आता है.. जो जल्द ही खत्म भी हो जाता है।
इसलिए मेरे प्यारे साथियो.. कहानी का मजा लें। अन्तर्वासना शब्द का उद्देश्य ही आपकी अन्तर्वासना को जगाना है। अभी वाकिया बदस्तूर है। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000