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मैं फिर दोनों के बीच में लेटा था और इस तरह हम तीनो नंगे ही एक दूसरे के साथ चिपक कर सो गए। अगले दिन मुझको कालेज में जल्दी पहुंचना था, मैं जल्दी से नाश्ता करके चला गया, दोनों बहनों को उनके कमरे के बाहर से बाय कर गया. कालेज में पता चला कि अगले दिन सुबह 6 बजे पहुंचना है क्यूंकि बस 7 बजे रवाना हो जायेगी। जाने वाले सब छात्रों को 1 बजे दोपहर छुट्टी दे दी गई ताकि वो घर में जाने की तैयारी कर सकें।
मैं भी घर आ गया और कम्मो के साथ मिल कर एक चमड़े के सूटकेस में जो ज़रूरी कपडे थे, पैक कर दिए। कम्मो ने काफी सारा खाने-पीने का सामान एक और बैग में डाल दिया था।
रात को मैंने दोनों बहनों को बैठक में बुलाया और उनको अपना प्रोग्राम भी बताया और यह भी कहा- मेरी गैर हाज़री में कम्मो आंटी घर की इंचार्ज होगी, जैसा वो कहेगी तुम सबको मानना पड़ेगा। पारो आंटी तुम सबके लिए जो खाना तुम पसंद करो, वो बना दिया करेगी। और कालेज से वक्त पर आ जाया करना, दोपहर मैं थोड़ा आराम भी कर लिया करना।
तब विनी ने पूछा- आपकी टीम जा कहाँ रही है? मैं बोला- नैनीताल, क्यों कोई ख़ास बात है? विनी बोली- नहीं नहीं, मेरी एक सहेली भी कल आपकी बस में जा रही है। उसका नाम है निम्मी। मैं अभी उसको फ़ोन कर देती हूँ आप के बारे में? मैं बोला- ठीक है फ़ोन कर दो और उसको कह देना कि किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझसे मांग ले बिना झिझक के।
उस रात मैंने सिर्फ एक एक बार कम्मो और पारो को चोदा और फिर हम सो गए। सवेरे कम्मो ने मुझको टाइम पर जगा दिया और मैं तैयार हो कर सामान लेकर कालेज चला गया।
बस खड़ी थी, सामान रख कर बैठ गया, थोड़ी देर बाद एक बड़ी ही स्मार्ट लड़की मेरे पास आई और साथ वाली सीट पर बैठ गई। बस चलने से पहले एक और लड़की जो सलवार सूट पहने थी, मेरी सीट के पास आई और बोली- हेलो सोमू, मैं निम्मी हूँ. विनी ने मेरे बारे में बताया होगा। मैं बोला- हां हां, बताया था।
निम्मी बोली- मैं तुम्हारे साथ वाली सीट पर बैठ सकती हूँ क्या? मैं बोला- हाँ हाँ, क्यों नहीं। तब मेरे बायें हाथ वाली सीट पर बैठी हुई लड़की उठी और मैं भी उठ कर बाहर आ गया और तब वो निम्मी खिड़की वाली सीट पर बैठ गई। अब मैंने स्मार्ट लड़की को कहा कि वो चाहे तो बीच वाली सीट पर बैठ सकती है। वो बोली- नहीं मुझे किनारे वाली सीट ही पसंद है। इस तरह मैं दो सुन्दर लड़कियों के बीच में बैठा था।
जल्दी ही बस चल दी। कालेज के एक पुरुष प्रोफेसर ने ज़रूरी अनाऊंसमेंट्स की और फिर एक महिला प्रोफेसर के साथ बैठ गया। वो दोनों बस के एकदम आगे वाले भाग में बैठे थे।
फिर मैंने साथ बैठी स्मार्ट लड़की को अपना परिचय दिया, उसका नाम मैरी था। अब मैंने उस लड़की को ध्यान से देखा, वो एक लम्बी स्कर्ट पहने हुए थी और लगता था कि वो क्रिस्चियन है। उसका शरीर काफी सुडौल था लेकिन रंग थोड़ा सांवला था, खूब पाउडर लिपस्टिक लगाये हुए थी।
निम्मी एक सुंदर लड़की थी लेकिन साधारण सलवार सूट में थी, उसका शरीर भी भरा हुआ था और रंग काफी साफ़ था। शक्ल सूरत से वो पंजाबी लग रही थी। निम्मी से मैं बातें करता रहा क्यूंकि वो विनी के बारे में काफी कुछ जानती थी।
बस एक छोटे से शहर में नाश्ते के लिए रुकी और हम सब नीचे उतर कर एक साफ़ सुथरे रेस्टोरेंट में नाश्ता करने लगे। वो दोनों लड़कियाँ भी मेरे साथ ही रहीं और हमने मिल कर अण्डों का आमलेट और टोस्ट खाया और चाय पी!
जब बस दोबारा चली तो निम्मी ने अपने थैले में से एक हलकी सी चुन्नी निकाल ली और अपने ऊपर और थोड़ी से मेरे ऊपर डाल दी। निम्मी को नींद आने लगी और वो ऊँघने लगी और उसका सर मेरे कंधे पर आ गया। मैंने कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया लेकिन थोड़ी देर बाद मुझको लगा कि निम्मी का हाथ मेरी जांघ पर आ गया था। अब मैं काफी सतर्क हो गया।
धीरे धीरे निम्मी का हाथ सरकता हुआ मेरे लंड के ऊपर आ गया और मेरी पैंट के आगे के बटन खोलने शुरू किये। मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया और धीरे धीरे उसकी जांघ पर दोनों हाथ रख दिये- उसका और अपना भी! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर हल्के हल्के मैंने हाथ उसकी सलवार में छुपी उसकी चूत पर रख दिया। उसने अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख दिया और उस पर ज़ोर डालने लगी। मेरा हाथ उसकी कमीज से ढकी सलवार के ऊपर था।
उधर मैरी शायद छुपी नज़रों से हम दोनों का कार्य कलाप भांप रही थी, अब उसने भी अपने थैले से एक सुंदर सी पतली शाल निकाली और उसको अपने शरीर के ऊपर डाल लिया लेकिन काफी सारी शाल मेरे ऊपर आ गई थी।
अब थोड़ी देर बाद मैरी का भी हाथ मेरी जांघों के ऊपर दौरा कर रहा था। पैंट के ऊपर चलते हुए वो दो हाथ आपस में मिले और चौंक कर अलग हट गए।
पहले मैंने निम्मी को देखा और थोड़ा मुस्करा दिया और फिर मैरी की तरफ देखा और ज़रा मुस्करा दिया। दोनों मेरी मुस्कराहट देख कर संयत हो गई। मैंने दोनों से कहा- लगी रहो गर्ल्स और पकड़न पकड़ाई खेलते रहो दोनों। मुझको भी कुछ पकड़ने के लिए दे दो ना!वो दोनों भी मुस्करा दी।
फिर मैंने हाथ चुन्नी के नीचे करके अपने लंड को पैंट के बाहर निकाल लिया और निम्मी और मैरी का हाथ शाल और चुन्नी के अंदर से सीधा अपने खड़े लंड पर रख दिया।
दोनों को खड़े लंड पर हाथ रखने से एक हल्का सा करंट लगा और उनकी आँखें अचरज में फ़ैल गई और दोनों ने झट से अपना हाथ हटा लिया। लेकिन मैंने फिर दुबारा उनका हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया। मैं बोला- अब तुम दोनों घबराओ नहीं, मैं ज़रा भी बुरा नहीं मान रहा, अगर इजाज़त दो तो मेरे भी हाथ आप दोनों के ख़ज़ाने की सैर कर लें। दोनों ने हँसते हुए हाँ में सर हिला दिया।
अब शाल हम तीनों के ऊपर आ गया था, सबसे पहले मैंने निम्मी की सलवार के ऊपर चूत वाली जगह पर हाथ रख दिया और मैरी की भी स्कर्ट के ऊपर हाथ रख दिया। वो दोनों एक एक हाथ से मेरे लंड के साथ खेल रही थी और मैं भी सलवार के अंदर हाथ डालने की कोशिश कर रहा था पर उसकी सलवार का नाड़ा सख्त बंद था।
उधर मैरी की स्कर्ट को एक कोने से पकड़ कर ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा था. दोनों ने मेरी मुश्कल को समझा और खुद ही निम्मी ने नाड़ा ढीला कर दिया और मैरी ने अपनी स्कर्ट एक साइड से थोड़ी ऊपर कर दी।
अब मेरा हाथ भी निम्मी की पैंटी के अंदर चूत पर था और उसकी घनी झांटों से खेल रहा था, मेरा बायां हाथ जो मैरी की तरफ था, वो भी मैरी की पैंटी के ऊपर चक्कर लगा रहा था।
मैरी की तरफ वाले हाथ ने पैंटी के ऊपर से ही उसकी भग को ढूंढ लिया था और उसको मसलना शुरू कर दिया और निम्मी की चूत पर हाथ फेरते हुए उसकी भी भग को तलाश लिया था।
दोनों की ही चूत हल्की गीली लगी और दोनों ही बहुत गरमा रही थी, मैं सर उठा कर बस मैं बैठे अन्य छात्र छात्रों की तरफ देखा। सब थोड़ा ऊंघ रहे थे और किसी का भी ध्यान हमारी तरफ नहीं था।
एक बात जो अजीब लगी, वो थी कि बस में ज्यादा लड़कियाँ थी और लड़के बहुत ही कम थे। इसी लिए तकरीबन ज़्यादा सीटों पर लड़कियाँ एक साथ बैठी थी और लड़के अलग बैठे थे।
निम्मी और मैरी एक एक हाथ से मेरे लंड की मुठी मारने की कोशिश कर रही थी लेकिन मेरे लंड पर ठण्ड थी क्यूंकि निम्मी की चूत पर मेरा हाथ पहुँच चुका था, उसको मेरे हाथ से ज्यादा आनंद आ रहा था और उधर मैरी की चूत को मैं पैंटी के ऊपर से छेड़ रहा था।
फ़िर मैरी ने ज़रा चूतड़ ऊपर उठा कर अपनी पैंटी को नीचे कर दिया जिससे उसकी चूत भी आधी नंगी हो गई। अब दोनों चूतें मेरे हाथ में थी।
निम्मी की चूत का पानी पहले छूटा और ढेर सारा छूटा। उसने झट से अपना पर्स निकाला और उसमें से एक रूमाल निकाल कर अपनी सलवार के अंदर डाल दिया। लेकिन मैरी की चूत पर बाल नहीं थे और वो सफाचट थी, उसकी चूत की चमड़ी काफी मुलायम थी और उस पर हाथ फेरते हुए काफी मज़ा आ रहा था। उसकी भग काफी उभरी हुई थी और मोटी थी। हाथ लगाते ही वो एकदम सख्त हो गई जैसे कि छोटा लंड हो।
धीरे धीरे मैरी की भग को रगड़ा तो वो अपने हाथ को मेरे हाथ के ऊपर रख रख देती थी और ज़ोर डालती थी कि यहीं करूँ। फिर मैंने हाथ की ऊँगली को उसकी चूत के अंदर डाला और गोल गोल घुमाया। मैरी ने झट अपनी जांघें बंद करके मेरे हाथ को कैद कर दिया।
वो थोड़ी सा कांपी और उसकी चूत में से भी थोड़ा सा पानी निकला और फिर उसने अपनी जांघें खोल दी लेकिन मेरे हाथ को भग के ऊपर ही रखा और साथ ही उसने मेरे लंड को भी सहलाना जारी रखा।
निम्मी भी अब अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर उसके साथ या फिर अंडकोष के साथ खेल रही थी। मैं दोबारा से निम्मी की चूत के साथ खेल रहा था और वो अब पूरी तरह सी सूखी थी। इतने में प्रोफेसर साहब उठे और घोषणा की- अगला शहर आने वाला है, यहाँ हम लंच करेंगे।
हम तीनों एकदम संयत हो गए और अपने कपड़े भी ठीक कर लिए।
मैं बोला- निम्मी और मैरी, आप दोनों मेरे साथ लंच करना प्लीज, तीनों एक साथ खाना खायेंगे। क्यों ठीक है? दोनों बोली- हाँ सोमू, ठीक है।
लंच एक बहुत शानदार रेस्टोरेंट में था, खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था, हम तीनों ने चिकन करी और परांठे खाए। खाना खाते समय मैंने मैरी और निम्मी को कहा- आप दोनों रात को कैसे सोना पसंद करेंगी? अलग अलग कमरे में दूसरी फ्रेंड्स के साथ या फिर दोनों एक ही कमरे को शेयर करेंगी? निम्मी बोली- एक ही कमरे में सोयेंगी हम दोनों अगर तुम वायदा करो कि रात को तुम हमारे कमरे में आओगे। क्यों मैरी, तुमको मंज़ूर है क्या? मैरी बोली- हाँ हाँ, बिल्कुल मंज़ूर है। मैं बोला- तुम दोनों ऐसा करना कि सर को बोल देना कि तुम दोनों एक ही कमरे में ही सोयेंगी। तो वो तुम दोनों को एक कमरा दे देगा। मैं देखूंगा मेरा साथ कैसे बनता है।
खाना खाने के बाद हम अपनी सीटों पर बैठ गए और जल्दी ही बस फिर चल पड़ी। पेट भरे होने के कारण हम सब ही जल्दी झपकी लेने लगे और शाम होते ही हम नैनीताल की सुन्दर पहाड़ियों में पहुँच गए।
जैसा हम चाहते थे, निम्मी और मैरी को एक कमरा मिल गया और मुझको भी उनसे दो कमरे के बाद अलग कमरा मिल गया। प्रोफेसर सर बोले- मुझको थोड़े पैसे ज़्यादा देने पड़ेगे। मैंने कहा- कोई बात नहीं सर में दे दूंगा।
फिर हम सब नैनीताल के माल रोड पर घूमने के लिए निकल गए, मैरी और निम्मी मेरे साथ ही थी। नैनीताल की लेक अति सुन्दर लग रही थी रात को… वहाँ मैंने दोनों लड़कियों को गोलगप्पे और चाट खिलाई, कोकाकोला पीकर सब वापस आ गए।
रात का डिनर बहुत ही सुन्दर था। कई प्रकार के व्यंजन बने थे और हम सबने बड़े ही आनन्द से रात को भोजन किया और उसके बाद होटल के हाल में खूब गाना बजाना हुआ, कई लड़कों और लड़कियों ने बड़ा ही सुन्दर डांस और संगीत का प्रोग्राम दिया।
उसके बाद जल्दी ही हम सब सो गए। जैसा कि मेरा अनुमान था, सर और मैडम ने ठीक रात के 11 बजे सब कमरों को चेक किया कि सब विद्यार्थी अपने अपने कमरों में मौजूद हैं या नहीं। उसके बाद वो भी सो गए।
जैसा हमने तय किया था, मैं 12 बजे रात को निम्मी और मैरी के कमरे को 3 बार हल्के से खटखटाऊंगा और तभी मैरी या निम्मी कमरे का दरवाज़ा खोल देंगी। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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