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हाय दोस्तो, मैं सैम हूँ.. मेरी हाइट 5 फ़ीट 11 इंच है। मेरे लण्ड की लम्बाई 8 इंच और मोटाई 3 इंच है। मैं रायगढ़ जिले का हूँ.. यह कहानी भी वहीं की है।
यह मेरी पहली कहानी है.. मैं 2012 में DCA कर रहा था.. मार्च के महीने में मेरे नाना की तबियत खराब हो गई.. जिस कारण से मुझे मामा के गांव जाना पड़ा।
मेरे मामा का गांव रायगढ़ से 300 किलोमीटर दूर है। पूरा गांव देहात क्षेत्र है। मेरे मामा के घर में नाना.. मामा-मामी और उनकी दो बेटी विनीता और मंजूषा रहते हैं।
नाना की तबियत ख़राब होने के कारण मैं 12 साल बाद मामा के गांव गया था.. वहाँ जाकर पता चला कि मेरे नाना जी स्वर्ग सिधार गए हैं, वहाँ शोक के कारण सब रो रहे थे।
मैं तो वहाँ पर ठीक से किसी को जानता भी नहीं था.. पापा ने सबसे मेरा परिचय करवाया। मैं सबसे मिला.. पर घर में मातम था तो सबसे कम बात हुई।
दाह-संस्कार करके आने के बाद रात को सब बैठ कर बात क़र रहे थे। मैं अकेला हो गया था। पापा मामा के साथ.. मम्मी मामी के साथ बात करने में व्यस्त थे.. मैं इधर अकेला बैठा था। मेरे मामा की बेटियों के बारे में .. बड़ी वाली मंजूषा 12 वीं में पढ़ती है और छोटी भी गाँव में ही पढ़ती है। बड़ी का फिगर 30-26-34 है.. छोटी का अभी छोटा है.. दोनों ही बड़ी हॉट दिखती हैं।
कुछ देर बाद मन्जू (मंजूषा) आकर मुझसे बात करने लगी। मुझे कम्पनी मिल गई.. मैंने उससे दोस्ती की.. अच्छे से बात हुई। फिर रात के 11 बजे सब सोने चले गए.. पर हम दोनों बात कर रहे थे।
वो 12वीं में पढ़ती थी.. अभी अप्रैल में उसका पेपर था.. वो मुझसे मेरी पढ़ाई के बारे में पूछने लगी। मैंने उसे बताया- मैं कंप्यूटर डिप्लोमा कर रहा हूँ। तो वो मेरे पास आकर बहुत सेक्सी आवाज में बोली- और क्या-क्या करते हो?
मुझे समझ नहीं आया कि वो ऐसे कैसे बोली.. मैं बोला- और कुछ नहीं.. वो पूछने लगी- कोई लड़की तुम्हारी दोस्त है कि नहीं है? मैं झूठ बोला- नहीं है। वो बोली- क्यों झूठ बोल रहे हो? मैं बोला- तेरी कसम नहीं है.. बस एक ही है.. वो भी तू है.. तेरे अलावा और कोई नहीं है। वो हँस कर बोली- अच्छा मैं तेरी दोस्त हूँ.. तो बता कैसी लगती हूँ मैं तुमको?
मैं बोला- सच बताऊँ या झूठ? बोली- सच बताओ..
मैं बोला- तुम बहुत ही सेक्सी लगती हो मंजू.. यार तुझे खा जाने का मन करता है यार.. मंजू नशीली आँखों से बोली- तो खा जा न.. किसने रोका तुझे सैम.. उस वक्त रात के 1 बजे थे.. मैं बोला चल.. अन्दर चल..
हम दोनों कमरे में आए.. कमरे में अन्दर आने बाद.. उसने मुझे पकड़ लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी, मेरे गले से लग कर पूरे बदन पर हाथ फ़ेर रही थी।
मैंने उसको पकड़ा और उसके मम्मों को धीरे-धीरे दबाने लगा। मुझे उतना अनुभव तो नहीं था.. वो बोली- जोर से दबाओ न..
वो सिसकार रही थी.. मेरी भी हालत ख़राब हो रही थी। मैं पागलों की तरह उसके मम्मों को दबाने लगा… चुम्बन करते हुए दोनों मदहोश हो रहे थे.. सिसकार रहे थे।
उसका एक हाथ मेरे लण्ड पर पहुँच गया, वो पैन्ट के ऊपर से ही मेरे हथियार को दबा रही थी, वो बटन खोलना चाहती थी.. पर जीन्स का बटन नहीं खुल रहा था।
मैंने उसे बटन खोलने में मदद की.. फिर पैन्ट निकाल दी। अब वो मेरे अंडरवियर के अन्दर हाथ घुसा कर मेरे लण्ड को पकड़ कर हिला रही थी। वो चुदासी सी होकर बोली- ओह्ह.. बहुत बड़ा है.. मैं तो मर ही जाऊँगी यार सैम.. मैं बोला- कुछ नहीं होगा मेरी जान.. तू चिंता मत कर..
मैं उसके कपड़ों को खोलने लगा.. जल्द ही मैंने उसके पूरे कपड़े निकाल दिए। अब हम दोनों नंगे खड़े थे। फिर हम दोनों खाट पर लेट गए और हम दोनों एक-दूसरे को बेहताशा चूमने लगे। ‘मंजू.. आई लव यू.. तुम बहुत सेक्सी हो..’ ‘आई लव यू सैम.. मैंने जब से तुम्हें देखा.. तब से मैं तुमको पाना चाहती थी.. सैम आई लव यू..’
वो मुझे पागलों की तरह चूम रही थी। मैं बोला- मंजू.. मेरा लंड चूसो न जान.. वो मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी।
‘मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है..’ यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसने हामी भरी और हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए.. दोनों एक-दूसरे में खो गए थे। उसकी चूत पर भूरे रेशमी बाल उगे थे, उसकी चूत का पानी नमकीन लग रहा था.. मुझे चूत चाटने में बहुत मजा आ रहा था। करीब 5 मिनट बाद मंजू के पैर अकड़ गए और वो मेरे सर को चूत में दबाते हुए सिसकारती हुई- ऊईईई… ईईईई मेरी जान सैम.. मैं आ रही हूँ.. लव यू आआआ ऊऊऊ..
वो छूट गई.. पर अभी तक मेरा नहीं हुआ था। मैं बोला- मंजू जान.. अभी तक मेरा नहीं हुआ है। वो- रुक.. मैं करती हूँ।
वो जोर से लौड़ा दबा कर मुठियाने लगी और चूसने लगी। दस मिनट बाद मैं झड़ने वाला था- मंजू.. मैं आ रहा हूँ.. और जोर से कर..
मैं अब मन्जू के सर को जोर से लौड़े पर दबा रहा था.. तभी मेरा माल निकल गया। पूरा माल मंजू के मुँह में चला गया था.. वो पी गई।
अब हम दोनों एक-दूसरे के ऊपर लेट गए। ‘लव यू सैम..’ ‘लव यू टू मंजू..’
दस मिनट के बाद वो फिर से लण्ड चूस रही थी.. अब मेरा लण्ड रॉड की तरह कड़क हो गया था। मैं लगातार मन्जू को चुम्बन कर रहा था। मंजू बोली- और मत तड़पा सैम.. कर दे.. मैंने पूछा- क्या कर दूँ? वो बोली- जालिम.. चोद दे मुझे.. जान चोद न.. प्लीज़..
मैंने उसको लिटा दिया.. मंजू के चूतड़ों के नीचे एक तकिया लगाया और फिर लण्ड में बहुत सारी क्रीम लगा कर उसकी चूत के छेद में डालने लगा।
बहुत टाइट छेद था.. लण्ड फिसला जा रहा था।
फिर मंजू ने अपने हाथ से लौड़े को चूत के छेद में सैट करके कहा- अब करो..
मैंने जोर से झटका मारा.. मेरा लण्ड 2 इंच अन्दर घुस गया। मंजू के मुँह से गाली निकल गई- उई.. माँ के लौड़े.. बाहर निकाल.. दर्द दे रहा मुझे.. मुझे भी गुस्सा आ गया.. मैंने भी उसको गाली देते हुए जोर से झटका मार दिया- ले बहन की लौड़ी..
मेरा लण्ड 5 इंच अन्दर तक घुसता चला गया, मंजू के मुँह से चीख निकल गई ‘उईईईईईई..’
मैंने उसके मुँह को अपने मुँह में ले कर मुश्किल से उसकी चीख़ को रोका। करीब 5 मिनट तक रुक कर मैं मंजू को किस करता रहा.. मैंने उसे शांत होने दिया। फिर एक और झटका मारा.. अबकी बार पूरा लण्ड अन्दर चूत की जड़ तक चला गया था।
मंजू की आँखों से आँसू निकल आए थे, उसे बहुत दर्द हो रहा था.. मेरा मुँह उसके मुँह में था.. इसलिए अबकी बार चीख़ नहीं निकल पाई थी। दस मिनट रुकने के बाद मंजू उसका दर्द कम हुआ.. वो अपनी गाण्ड हिलाने लगी थी। मैंने भी लौड़े को धीरे-धीरे आगे-पीछे करना चालू किया।
मंजू का दर्द कम हो गया था.. वो धीरे-धीरे सिसक कर ‘उईईईईई..’ कर रही थी। कुछ ही पलों बाद नजारा बदल गया- सैम जोर से करो.. जोर से जान.. जोर से करो.. मैंने स्पीड बढ़ा दी।
मंजू 3 बार झड़ गई थी.. मेरा अभी तक नहीं निकल पाया था। मैं जोर से चुदाई कर रहा। फिर मंजू अकड़ गई.. अब मैंने उसे डॉगी स्टाइल में आने को कहा… फिर मुश्किल से वो डॉगी स्टाइल आई। मैं उसके पीछे से दनादन चोट मार रहा रहा था।
मंजू सिसकार रही थी- आहा.. हरामी.. युऊऊ.. ऊऊऊईईइई.. उसके मुँह से अजीब सी आवाजें आ रही थीं। मेरा माल आने वाला था, मैंने बोला- अब मेरा होने वाला है..
मंजू बोली- मेरे मुँह में गिराना.. मुझे तेरा माल खाना है.. आह्ह.. जान.. मैंने लौड़ा चूत से निकाल कर उसके मुँह में लगा दिया- ले मंजू.. उईईईई निकल गया.. मैं झड़ गया और मन्जू के ऊपर ही लेट गया।
कुल एक घंटे तक दोनों की घमासान चुदाई चली थी.. पूरा बेड खून से सन गया था। बहुत मुश्किल से मंजू उठ सकी.. वो ठीक से चल नहीं पा रही थी।
मैंने उसे एक दर्द की गोली दी और उसे उसके कमरे तक छोड़ने गया।
विनीता ने हमको देख लिया उसकी चलने के अंदाज को देख कर उसे शक हो गया.. पर शायद दोनों के बीच में बात हुई होगी.. उसके बारे में मुझे नहीं मालाम पड़ सका।
मंजू को अगले दिन चलने में तकलीफ हो रही थी.. पर उसने अपने पैर में पट्टी लगा ली और सबको यही लगा कि चोट लगने की वजह से मंजू को चलने में दिक्कत है। दूसरे दिन मैं सामान लेने के लिए मामा के साथ शहर आया। मैं रायगढ़ रुक गया.. मामा चले गए फिर मैं अपना काम खत्म करके गांव गया।
मंजू मुझे देख कर नाराज हो गई कि मैं रायगढ़ क्यों रुक गया था। रात को मैं उससे मिला.. मैं उसके लिए गिफ्ट लाया था। मैंने उसको दी.. तो वो खुश हो गई।
फिर देर रात को वो मुझसे मिलने आई.. अभी भी वो मुझसे नाराज थी.. बहुत गुस्से में बोली- क्यों रुक गए थे.. मैं कैसे करूँगी यहाँ पर अकेले हाँ.. आपके बिना? मैंने उसको मनाया.. उसको प्यार से चोदा..
चुदाई के बाद मंजू ने बताया कि उसने मेरे जाने के बाद कुछ नहीं खाया था। वो मेरी लिए भूखी रही और मैं उसको तड़पाता रहा। आई लव यू मंजू.. तेरा सैम..
दोस्तो, ये मेरी पहली कहानी है.. अगर अच्छी लगे.. तो मुझे बताना जरूर मुझे इन्तजार रहेगा। [email protected]
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