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मैं निखिल राय अपनी कहानी को आगे बढ़ाता हूँ।
मैंने जल्दी से ब्रा और पैंटी अलमारी में रख दी और कम्प्यूटर के पास बैठ गया। भाभी कुछ देर बाद नहा कर बाहर आईं और रोज की तरह कपड़े फैलाने के लिए छत पर गईं। आज मुझे बहुत डर लग रहा था, भाभी मेरे पास आकर बैठ गईं, मैं जैसे-तैसे भाभी को पढ़ाकर अपने घर आया। मैं यह सोचकर परेशान था कि भाभी जब अपनी पैंटी देखेंगी.. तो क्या सोचेंगी। खैर किसी तरह दिन बीता।
अगले दिन जब मैं भाभी के घर पहुँचा.. तो मैं भाभी से नजरें नहीं मिला पा रहा था, भाभी मुझे लगातार घूर रही थीं, वो मुझे ऐसे देख रही थीं जैसे उन्होंने मेरी चोरी पकड़ ली हो। फिर रोज की तरह शीतल भाभी नहाने बाथरूम गईं।
आज मेरी इतनी गाण्ड फटी थी कि मैं आज उन्हें छेद से देखने भी नहीं गया। कुछ समय बाद शीतल भाभी ने आवाज लगाई- निखिल जरा अन्दर तो आना।
मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैं बोला- भाभी बाथरूम के अन्दर? भाभी बोलीं- हाँ.. और कहाँ?
मैं उठकर बाथरूम की तरफ गया, देखा कि दरवाजा खुला था, मैं अन्दर गया तो देखा कि भाभी पैंटी के ऊपर पेटीकोट पहन कर मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थीं। ऊपर उन्होंने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी जिसका हुक खुला था, भाभी बोलीं- निखिल मेरी ब्रा का हुक लगा दो प्लीज..
भाभी मेरे साथ इतनी जल्दी खुल जाएंगी.. मैंने सोचा नहीं था। उनके पास जाते हुए मेरी धड़कनें बढ़ रही थीं, उनकी ब्रा के हुक बांधते हुए मेरे हाथ कांपने लगे, मेरा लंड खड़ा होकर भाभी की गाण्ड पर दस्तक देने लगा।
भाभी ने पूछा- निखिल, तुम्हारे हाथ क्यों कांप रहे हैं? मैंने कहा- भाभी पहली बार किसी औरत के पास ऐसी हालत में खड़ा हूँ.. ना इसलिए..
मैंने शीतल भाभी की ब्रा का हुक लगा दिया। भाभी ने पलट कर मुझसे पूछा- क्यों रोज दरवाजे के छेद से झांकने पर तुम्हारा कुछ नहीं कांपता?
मेरी गाण्ड फट कर हाथ में आ गई, मैंने कहा- मैं भाभी वो.. भाभी बोलीं- तुम्हें क्या लगता है.. कि तुम मेरे दरवाजे में छेद करोगे और मेरी पैंटी में अपना माल गिराओगे और मुझे पता भी नहीं चलेगा?
मैंने हिम्मत करते हुए कहा- भाभी मुझे माफ कर दीजिए.. पर आप इतनी सेक्सी हैं कि मुझसे रहा नहीं गया, आपकी जवानी ने मुझे दीवाना बना रखा है भाभी.. आइ लव यू।
यह सुनकर भाभी पिघलने लगीं। मैंने तुरंत शीतल भाभी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगा। भाभी भी मेरा साथ देने लगीं। अब मैं कभी उनके ऊपरी होंठ को चूमता कभी निचले होंठ को, तो कभी भाभी की जीभ को चाटता। शीतल भाभी पूरी गरम होकर मेरा साथ दे रही थीं।
करीब 5 मिनट तक हम एक-दूसरे के होंठ चूमते रहे। फिर मैंने भाभी को गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लाकर गिरा दिया।
भाभी को बांहों में भरकर मैंने उनकी ब्रा खोल दी। मेरे लंड का पैंट में बुरा हाल था। मैं भाभी के चूचकों को एक-एक करके मसलने लगा। फिर भाभी के निप्पलों को चूसने और काटने लगा। निप्पल कड़े होने लगे। अब भाभी ‘आहें..’ भरने लगीं।
मैं भाभी के एक-एक अंग को चूमने लगा। भाभी ने मेरी टी-शर्ट और बनियान उतार फेंकी। मैंने भाभी के पेटीकोट का नाड़ा ना खुलने पर उसे फाड़ डाला और भाभी की कमर, गाण्ड, जांघों को चूमने लगा।
भाभी को लिटा कर पैंटी के ऊपर से ही मैंने उनकी चूत को चूम लिया। चूत गीली हो गई थी और उसमें से भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी।
फिर मैंने झटके से पैंटी को निकाल फेंका। अब मेरे सामने शीतल भाभी की नंगी चूत थी.. जिस पर एक भी बाल नहीं था। भाभी की नंगी चूत को मैंने मुँह में भर लिया। जैसे ही मैंने भाभी की चूत पर जीभ फिराना शुरू किया.. भाभी की मादक सिसकारियां कमरे में गूंजने लगीं ‘ऊऊ.. आआह.. अह.. हाय.. हाय मैं मर गई.. चाट ले राजा.. चूत अपनी भाभी की.. पी जा अपनी भाभी का चूत-रस..’ वे कामातुर होकर बड़बड़ाने लगीं।
यह सब सुनकर मैं और तेजी के साथ भाभी की चूत चाटने लगा। बीच-बीच में उनकी पनीर जैसी झिल्ली को दांत से काट भी लेता था। ऐसा करने पर शीतल भाभी गाण्ड उठाकर और जोर से सिसकारियां भरकर शाबाशी दे रही थीं।
जैसे ही मैं उनकी चूत छोड़कर खड़ा हुआ भाभी मेरा पैंट उतार कर मेरे लंड पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ीं। मेरा 7 इंच का लंड देखकर उनके मुँह में पानी आ गया, तुरंत भाभी ने लंड मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं।
भाभी कभी मेरे सुपाड़े पर जीभ फिरातीं, तो कभी जड़ तक पूरा लंड मुँह में लेतीं। मेरे मुँह से ‘आहें..’ और भाभी के मुँह से ‘गूं-गूं..’ की आवाज आ रही थी।
मैं तो जैसे जन्नत में मस्ती ले रहा था। फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए। भाभी पूरी ताकत से मेरा लंड चूस रही थीं और मैं पूरी मस्ती से भाभी की बुर चाट रहा था।
कुछ देर बाद भाभी की टांगों का दबाव मेरी गर्दन पर बढ़ने लगा और भाभी चिल्लाते हुए मेरे मुँह पर झड़ गईं।
फिर मैंने भाभी को सीधा करके लिटाया और फिर उनकी बुर चाटने लगा। भाभी बोलीं- अरे मेरे राजा.. कितना तड़पाएगा..? मैं तीन महीने से प्यासी हूँ। अब चोद दे मेरे राजा.. अपनी भाभी को चोद दे.. चोद दे राजा।
मैंने अपने हुंकार भरते लंड को चूत पर टिकाया और भाभी के होंठ को चूमने लगा, फिर मैंने एक जोरदार धक्का मारा, आधा लंड चूत में समा गया, भाभी की जोरदार चीख निकली, पर मैं उनके होंठों को चूमता रहा।
भाभी सिसिया कर बोलीं- फाड़ दे मेरी बुर मेरे राज्जजा.. शांत कर दे अपनी भाभी की चूत को.. दूसरे ही धक्के में मैंने पूरा लंड भाभी की चूत की गहराइयों में उतार दिया।
अब मैं लंड धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा। शीतल भाभी पर तो जैसे चुदाई का भूत चढ़ा था। मेरे धक्कों का जवाब वो भी अपनी गाण्ड उठा कर देने लगीं। मैं दोनों हाथों से भाभी की गोल छातियों को मसलने लगा। दोनों की सांसें तेज चल रही थीं। इस आसन में मैंने उन्हें दस मिनट तक चोदा। फिर मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और चोदता रहा। भाभी की मादक सिसकारियों और ‘फच-फच’ की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था। भाभी फिर से एक बार झड़ गईं। कुछ देर चोदने के बाद मैंने भाभी की कोरी गाण्ड भी मारी और भाभी की गाण्ड में ही झड़ गया।
बहुत थक जाने की वजह से मैं भाभी के साथ ही सो गया। जब उठा.. तो भाभी कॉफी बनाकर लाईं, वो बोलीं- यही तुम्हारी टयूशन की फीस थी। उसके बाद हमने चुदाई के कई खेल खेले।
तो यह थी मेरी सच्ची कहानी.. आपके सुझाव व राय आमंत्रित हैं। मुझे जरूर बताएं ताकि मैं अपनी अगली कहानी को और सुधार सकूँ। [email protected]
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