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अन्तर्वासना के सभी पाठकों के खड़े लंड को रसीली हिना की चिकनी चूत और खड़ी चूचियों का सलाम..
दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है.. इसलिए आपको अपने बारे में बता दूँ.. मैं एक अमीर घराने से हूँ और मेरी शादी को चार साल हो चुके हैं। शादी से पहले भी मैं दो-तीन बार चुदाई कर चुकी हूँ.. मगर जो वाकिया मेरे साथ मेरी ‘गोल्डन नाईट’ में हुआ.. उसे शेयर करने के लिए मैं बहुत बेक़रार थी। लिहाज़ा अपना अनुभव आप सभी की खिदमत में पेश कर रही हूँ।
बात 4 साल पहले की है, शादी के लिए हर लड़की की तरह मैंने भी ख्वाब संजो कर रखे थे, फिर वो समय आया जब मेरी शादी तय हो गई, मेरा होने वाला पति किसी हीरो की तरह खूबसूरत है, मैं तो उसे पाकर फूली नहीं समां रही थी, उनका घराना भी बहुत ऊँचा है।
फिर वह दिन भी आ गया.. जिसका हर चूत को इंतजार होता है। मैं सुहागरात की सेज पर छुईमुई सी सजी बैठी.. अपने सपनों के राजकुमार का इंतजार कर रही थी। वो आए और मेरे पास आकर मुझसे ज़माने भर की बात करने लगे। मुझे इंतजार था कि वो कब अपना लण्ड मुझे दिखाएं.. मगर मैं कैसे पहल कर सकती थी।
सो मैंने एक आईडिया सोचा और धीरे-धीरे अपने गहने उतारने शुरू किए और अपना दुपट्टा सीने से हटा दिया।
मेरे सफ़ेद बड़े-बड़े खरबूजे देख कर मेरे पति की जुबान रुक गई। उन्होंने मुझे बिना कुछ कहे उठा कर अपनी गोद में घसीटा और मेरे लिपस्टिक से रंगे होंठ बिना लिपस्टिक के कर दिए।
मैं भी पागल सी हो गई और अपने हाथ उनकी गर्दन पर फिराने लगी। मुझे तो पता भी नहीं चला कि उन्होंने कब मुझे नंगी कर दिया। मैं तो उनके होंठों में ही गुम थी कि अचानक से एक ‘चटाक..’ से मेरे चूतड़ों में एक चपत सी महसूस हुई।
मैंने बिलबिला कर उनके होंठ छोड़ दिए और उनकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा.. तो वो मुस्कुरा रहे थे, बोले- माफ़ कर देना.. मुझे सेक्स करते समय मुझे कुछ भी होश नहीं रहता। मैंने भी मुस्कुरा दिया और कहा- कोई बात नहीं.. मैं सब सहन कर लूँगी।
मगर मुझे पता नहीं था कि आगे जो होगा.. वो सहन कर पाना सबके बस की बात नहीं है। मैंने अपने ऊपर ध्यान दिया तो पता चला कि मैं उनके ऊपर नंगी बैठी हूँ.. मैंने अपने हाथ उनके सीने पर टिका रखे हैं।
मैं पूरी नंगी.. अपने शौहर की गोद में किसी बच्चे की तरह बैठी हुई थी। उन्होंने कुरता-पायजामा अभी तक पहन रखा था। उनके कसरती बदन की मजबूती बाहर से ही महसूस हो रही थी। मगर उनका लण्ड देखने की चाहत अभी बरक़रार थी।
मैं उनकी गोद से उतरने ही वाली थी कि उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और बोले- तुम मुझे पामेरियन कुतिया की तरह लगती हो.. एकदम मासूम सी.. मैंने भी कहा- और तुम मुझे देसी कुत्ते के जैसे लग रहे हो.. वो हंस दिए।
वो फिर मुझे चुम्बन करने लगे और मेरी चूचियों को पकड़ कर मींजने और सहलाने लगे। उन्होंने फिर से मेरी गांड में एक चपत मारी.. फिर मुझे अपनी गोद से उतार कर बिस्तर पर ही खड़े हो कर अपना कुरता उतारने लगे.. फिर बनियान और पायजामा उतार कर बोले- लो.. अब तुम्हारी बारी.. मैं शर्मा गई.. मेरा सर उनकी जाँघों के पास था। मैं बोली- आज नहीं.. ये सब कल..
उन्होंने बिना कुछ कहे मेरा सर पकड़ कर अपने लण्ड पर अंडरवियर के ऊपर से ही रगड़ना चालू कर दिया। मेरे दिमाग में अजीब सी गंध भर गई. मैं भी मदहोश सी होने लगी, मैंने उनका अंडरवियर पकड़ कर नीचे किया.. तो मेरे होश उड़ गए। सिकुड़ा हुआ भी उनका लण्ड करीब 5 इंच का था।
मेरे शौहर और मेरा दोनों का रंग एकदम गोरा है.. मगर उनका लण्ड एकदम भुजंग काला था। मैं उनका लौड़ा देख कर हल्के से चिल्ला पड़ी- हाय अल्लाह.. ये क्या है? वो हंसे मगर बोले कुछ नहीं और मेरा सर पकड़ कर अपने लन्ड पर रगड़ने लगे।
मैंने जोर लगाने की कोशिश की.. मगर वो ज्यादा ताकतवर थे। मेरे होंठ न चाहते हुए भी उनके काले लन्ड पर फिर रहे थे।
एक मिनट बाद मुझे भी अच्छा लगने लगा, मैंने भी जोर लगाना बंद कर दिया। तभी उन्होंने मेरे बाल जोर से खींचे तो मेरा मुँह खुल गया। जैसे ही मेरा मुँह खुला वैसे ही उन्होंने अपना लण्ड अन्दर करके मेरा सर अपने लण्ड पर दबा लिया। मुझे लगा कि जैसे मेरा पूरा मुँह भर गया हो।
तभी उनके लण्ड ने अपना आकार बढ़ाना शुरू कर दिया.. मुझे लगा कि मेरा मुँह फट जाएगा.. मैं छटपटा उठी.. हाथ-पांव पटकने लगी.. मगर उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा!
अब मुझे साफ-साफ महसूस हुआ कि उनका लण्ड मेरे गले से होता हुआ सीने तक चला गया है। मेरी आँखों से आंसुओं की धार निकल पड़ी। मैं उनकी जाँघों पर मर रही थी.. नाखून गड़ा रही थी.. मगर उन पर कोई असर न हुआ। वो मेरा सर दबाये हुए थे।
मैंने हाथ जोड़ लिए और उनसे लण्ड निकालने के लिए विनती वाली नजरों से देखा। मेरी आँखों के आगे अब तक अँधेरा छाने लगा था। इतने में मेरे गाल पर एक झन्नाटेदार तमाचा पड़ा। मैंने तिलमिला कर ऊपर देखा तो मेरे पति आँखों में कठोरता लिए मुस्कुरा रहे थे। वो बोले- अब बता.. जैसे बोलूँगा.. वैसे ही करेगी न? मैंने तुरंत आँखों से हामी भरी। उन्होंने मेरा सर छोड़ दिया..
मैं बिस्तर पर गिर पड़ी, मेरा दिमाग ही काम नहीं कर रहा था, मैं एक दमे के मरीज की तरह हांफ रही थी। इतने में पति बोले- हाँ.. अब तू पूरी कुतिया लग रही है।
वो मेरे दोनों हाथ फैला कर उनके ऊपर घुटने रख कर मेरे सीने पर बैठ गए और कहा- इस लण्ड को हड्डी समझ और चाट। अब मेरा दिमाग कुछ समझने के काबिल हुआ था.. तो उनका हलब्बी लण्ड देख कर मेरी आँखें फ़ैल गईं। करीब आठ इंच लंबा और तीन इंच मोटा काला.. लौकी जैसा लण्ड.. मेरे मुँह पर रखा हुआ था। मैं लण्ड देख के हक्की-बक्की थी।
मेरे पति का लण्ड मेरे मुँह पर रखा हुआ था, मैं इतने बड़े लण्ड को देख कर हैरान थी, इतने में मेरे गाल पर फिर एक जबरदस्त चांटा पड़ा, मेरे पति बोले- चाट इसे जल्दी। मैंने जल्दी से जीभ निकाल कर लण्ड चाटना शुरू कर दिया। वो बोले- हाँ.. अब तू पूरी कुतिया बनी।
मैं रोती जा रही थी और लंड चाटती जा रही थी, मेरे दोनों हाथ उनके पैरों के नीचे दबे हुए थे। बीच बीच में वो लण्ड को पकड़ कर मेरे चेहरे पर मार देते थे, मेरे गोरे गालों पर उनका भारी लण्ड मुक्के की तरह पड़ रहा था। लगभग पांच मिनट बाद वो उठे और मुझे उठा कर गोद में बिठा लिया। बोले- अपनी चूचियों से मेरे चेहरे पर मसाज कर..
मैं एक गुलाम की तरह महसूस कर रही थी, मैंने अपनी चूचियाँ पकड़ कर उनके क्लीन शेव चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया। उनका लण्ड ठीक मेरी चूत के नीचे था, अब तक दर्द थोड़ा कम हो गया था। तभी उन्होंने मेरी कमर पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा.. मैं उछल पड़ी.. तब तक मगर उनका टोपा मेरी चूत में फंस चुका था।
मैं जैसे किसी लोहे की सलाख पर बैठी हुई थी। उन्होंने जोर लगाया तो मैं चिल्ला पड़ी। उन्होंने मुझे खिलौने की तरह उठाया और खड़े हो कर एक और झटका दिया। मुझे लगा कि मैं मर जाऊँगी, इतना अधिक दर्द मुझे कभी नहीं हुआ था, मैं बेहोश सी होने लगी।
तभी वो मुझे ले कर बैठ गए और मेरे होंठ चूसने लगे, लगभग दो मिनट तक वो ऐसे ही बैठे रहे, दो मिनट बाद मुझे थोड़ा आराम मिला.. तो वो बोले- चूत को ऊपर-नीचे कर..
मैं रोते-रोते अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी, बीस-पच्चीस बार ऊपर-नीचे करने के बाद मुझे अच्छा लगने लगा। मेरे पति मुझे ही देख रहे थे, वो बोले- जब दर्द ख़त्म हो जाए तो बताना। मैं बोली- अब दर्द हल्का हो गया है।
बस यह सुनते ही उन्होंने मेरी कमर पकड़ कर मुझे हल्का सा ऊपर उठाया और नीचे से जोर-जोर से धक्के लगाने लगे। मेरे बड़े-बड़े कोमल मम्मे किसी फुटबॉल की तरह उछाल मार रहे थे। चूत भी अब गीली हो गई थी। मेरे पति बोले- चल.. अब कुतिया बन जा।
मैं उनके ऊपर से उठ कर हाथ-पैरों के बल झुक गई। उन्होंने पीछे आकर लण्ड को चूत पर रख कर जोर से झटका मारा और एक ही बार में पूरा लण्ड अन्दर डाल दिया। मैं अब किसी कुतिया की तरह चुद रही थी। मैं अब झड़ने वाली थी।
उन्होंने कहा- बोल.. तू मेरी कुतिया है। मैं चुदाई के नशे में मशगूल थी, उन्होंने एक करारा चांटा मेरे चूतड़ों पर मारा। ‘हाँ.. मैं आपकी कुतिया हूँ। मुझे कुतिया बना दो.. चोद-चोद के..’
मुझे जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा था। मैंने ढेर सारा पानी उनके लंड पर छोड़ दिया.. दो-तीन झटकों बाद उन्होंने भी अपना लण्ड निकाल लिया और मुझे लिटा कर मेरे ऊपर आ गए। अपना लण्ड पकड़ कर मेरे मुँह के पास हिलाने लगे, बोले- मुँह खोल कर लेट जा। जैसे ही मैंने मुँह खोला.. उनका भी छूट गया.. जो निकला.. वो मुझे पीना पड़ा।
उस रात के बाद मुझे वो हमेशा अकेले में कुतिया ही बुलाते हैं.. और मुझे उनकी कुतिया बनने में बड़ा मज़ा आता है।
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