मेरे लण्ड का नसीब -4

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अब तक आपने पढ़ा..

मोनिका के पति ने कहा- आप समाज के सामने ये शादी मत करना। आप सिर्फ उसके साथ शारीरिक संबंध बना कर उसे औरत बना दीजिए और हमें बदनामी से बचा लीजिए। मैंने उसे चुप करवाया और मोनिका से कहा- आप दूसरे कमरे में चली जाओ.. मैं इनसे अकेले में बात करना चाहता हूँ।

तभी मेरे दिमाग में एक योजना आई। मैंने अपने लैपटाप का कैमरा चालू कर दिया और आकर उसके पास बैठ गया। मैंने कहा- मुझे अपना भाई समझो.. और पूरी बात खुलकर बताओ। उसने वही बात फिर से कही तो वो पूरी बात मेरे लैपटाप में रिकार्ड होती चली गई.. जिसे मोनिका भी छुप कर देख रही थी। मोनिका के पति ने कहा- आप एक तरह मोनिका के पति ही रहोगे और वो आपकी पत्नी बनकर रहेगी।

मैंने कहा- मैं आपकी सारी बात मानने को तैयार हूँ.. लेकिन मेरी कुछ शर्तें है। अगर आप मानो तो मैं तैयार हूँ। उसने कहा- मैं आपकी सारी शर्तें मानने को तैयार हूँ। अब आगे..

उसी वक्त मैंने मोनिका को आवाज लगाई और मोनिका तो जैसे बाहर आने को मचल रही थी.. वो तुरंत मेरे सामने आ गई।

मोनिका मेरे सामने अपने पति के पास बैठने लगी तो मैंने कहा- मोनिका तुम इधर आओ.. मेरी गोद में बैठो.. अब तुम्हारे पति को मुझसे कोई परेशानी नहीं है। ये खुद ही चाहते हैं कि मैं तुम्हारे साथ पति वाला व्यवहार करूँ..

मोनिका एक पल के लिए हिचकी तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खीचते हुए उसके पति से ज़रा बेशर्मी दिखाते हुए कहा- क्यों.. ठीक कह रहा हूँ न मैं श्रीमान जी.. अब तो मैं मोनिका को तुम्हारे सामने चोद भी सकता हूँ न?

मोनिका एकदम से सकुचा गई थी और उसका गांडू पति मेरे सामने सर झुकाए बैठा रहा।

उसने सर झुकाए हुए ही कहा- प्लीज़ मुझे जलील मत करो आप मोनिका के साथ ‘सब कुछ’ कर सकते हैं..।

मैंने कहा- मैं तुम्हें जलील नहीं कर रहा हूँ मेरा आशय सिर्फ इतना सा है.. जो तुमने मुझसे अकेले में कहा था… तुम वो सब एक बार मोनिका के सामने भी कह दो.. ताकि यह पूरा मामला हम सब के बीच खुल्लम-खुल्ला हो सके और मोनिका भी अपनी जिन्दगी को पूरी स्वछन्दता से जी सके!

मेरी बात सुन कर उसके पति ने अपना सर ऊपर उठाया और मोनिका से कहा- मोनिका अब तुम मेरे साथ पत्नी धर्म निभाते हुए राहुल के साथ अपने जिस्मानी रिश्ते कायम रख सकती हो और मैं तो यह भी चाहता हूँ कि तुम राहुल के बच्चे की माँ बन जाओ ताकि समाज में मेरी इज्जत बनी रह सके।

मोनिका के चेहरे पर एक ख़ुशी झलक रही थी उसने कहा- थैंक्स डियर मैंने अभी तक राहुल से सिर्फ दोस्ती ही की थी और ये तो राहुल का बड़प्पन था कि मेरे पूर्ण समर्पण के बाद भी उसने मेरे जिस्म को भोग नहीं किया है..

तभी मैंने मोनिका के दूध मसकते हुए कहा- ओए चिकनी.. मेरी जान.. अब मेरी सज्जनता बहुत हो गई.. अब तो मुझे तुम्हारे पति ने खुली छूट भी दे दी है। अब तो आज तुम अपने पति के सामने ही खुल जाओ.. क्योंकि आज तो चुदाई की पार्टी तीनों मिल कर ही करते हैं। क्यों पतिदेव जी.. क्या ख्याल है.. आ जाओ.. सब साथ में ही खेल खेलते हैं.. मोनिका का पति मुस्कुरा कर बोला- हाँ राहुल जी आप मेरे सामने ही मोनिका को चोद दो ताकि इसकी सारी शर्म और झिझक निकल जाए।

इतना सुनते ही मैंने मोनिका के होंठों को अपने होंठों में भर लिए और उसके मम्मों को मसकते हुए उसके होंठों का रस पीने लगा। अब मोनिका ने भी मेरा पूरा खुल कर साथ देना शुरू कर दिया था।

मैंने देखा कि उसके पति ने अपने सामने ही अपनी बीवी की चुसाई शुरू होते देखी तो उसकी उत्तेजना भी भड़कने लगी और उसने अपने लौड़े पर हाथ फिराना शुरू कर दिया।

धीरे-धीरे मेरे और मोनिका के कपड़े प्याज के छिलकों की तरह उतरते चले गए और कुछ ही देर में हम दोनों पूर्णतया नग्न हो कर अपनी काम-लीला में लिप्त हो गए।

वो पूर्ण नग्न होकर किसी हूर से कम नहीं लग रही थी मैं उसे कामुक निगाहों से देखने लगा और उसके सामने अपने लौड़े को हिलाने लगा। मोनिका ने लाज से अपनी आँखें नीचे कर लीं और वो मेरे सीने से लिपट कर अपनी लज्जा छुपाने लगी। मैंने उसे अपने से थोड़ा दूर किया।

अब मैंने मोनिका के मम्मों को अपने होंठों में चूमा और मम्मों पर अपने होंठों को फिराते हुए उसके दोनों मम्मों के मध्य में अपनी जीभ की नोक को फिराया तो मोनिका के मुँह से मादक सीत्कार फूट पड़ी।

मेरी इस हरकत से मोनिका की चुदास भड़क उठी और उसने बिना हाथ से अपने मम्मों को पकड़े अपना एक दूध का निप्पल मेरे मुँह की तरफ बढ़ा दिया और मैंने भी उसकी आँखों में देखते हुए उसके निप्पल को अपने अधरों के बीच पकड़ लिया।

उसकी और मेरी नजरें मानो एक-दूसरे की आँखों से चुद रही थीं और मेरे होंठों में दबा हुआ उसका गुलाबी निप्पल उसकी चूत में एक सुरसुरी कर रहा था। मैंने अपना एक हाथ उसकी पीठ से लगाया और दूसरा हाथ उसके दूसरे मम्मे पर धर दिया।

ज्यों ही उसका दूसरा दूध मैंने जोर से दबाया उसकी मादक सिसकारी निकल पड़ी- आह्ह.. धीरे से करो न.. लगती है न..

मैंने अपना हाथ उसकी पीठ से हटा कर उसके उठे हुए चूतड़ों पर फिराया तो मेरा लवड़ा उसकी चूत से स्पर्श होने लगा.. जिससे मोनिका को खड़े लण्ड का मस्त अहसास होने लगा और उसने बरबस ही अपने हाथ से मेरे लौड़े को पकड़ लिया। उसके हाथों का स्पर्श पा कर मेरे खड़े लौड़े ने एक अंगड़ाई सी ली और उसने अपनी प्रिय गुफा में घुसने की जद्दोजहद आरम्भ कर दी।

मैंने मोनिका को अपने सीने से चिपका लिया तो मोनिका ने मेरे कान में चुदास भरे स्वर में कहा- क्यों तरसा रहे हो.. अब पेल भी दो न.. कब से भूखी हूँ। मैंने मोनिका को अपने सीने से लिपटाए हुए ही उसके दोनों चूतड़ों पर अपने हाथों को लगाया और जैसे ही मैंने उसको चूतड़ों के बल उठाने की कोशिश की, वो तो जैसे समझ चुकी थी फट से अपनी बाहों को मेरे गले में बांधती हुई और मेरी कमर के दोनों तरफ पैर डाल कर मुझसे झूल गई..

मैं उसको अपनी कमर पर लटका कर बिस्तर की तरफ ले गया.. और बिस्तर के नजदीक रखी मेरी स्टडी टेबल देख कर मैं उसको बजाए बिस्तर के टेबल पर टिका कर चोदने की सोची।

मोनिका के चूतड़ों को मैंने टेबल के किनारे से लगाया और उसके होंठों को चूसने लगा। उधर मोनिका ने भी चूतड़ों को आधार मिलता देखा तो उसने अपने एक हाथ को मेरी गर्दन से अलग किया और लौड़े को चूत की रास्ता दिखा दी।

हम दोनों ही चुदास की आग में जलने लगे थे तो रस से सराबोर चूत ने मेरे लौड़े को तुरंत रास्ता दे दी.. लेकिन अभी मोनिका कुँवारी थी उसकी चूत ने सुपारे को ही अन्दर लिया था कि एक जोर की दर्द भरी सिसकारी निकल पड़ी। मैं उसकी दर्द भरी सिसकारी को अनदेखा करते हुए लौड़े को उसकी चूत के अन्दर घुसेड़ता चला गया।

उसकी सिसकारी चीख में तब्दील होती.. उससे पहले ही मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों का ढक्कन लगा दिया था। उसके मुँह से ‘गूं..गूं..’ की आवाज निकल कर रह गई।

मैंने अपने आधे पेवस्त हुए लौड़े को कुछ पलों के लिए रोका और फिर लौड़े के उतने ही हिस्से को चूत से बाहर खींच कर फिर से अन्दर कर दिया। यह काम बहुत ही धीमी गति से किया तो उसकी चूत को अधिक दर्द नहीं हुआ.. बस वो सहन करती रही और कुछ ही धक्कों में उसकी ‘गूं.. गूं..’ कम हुई व उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया.. जिससे मुझे समझ आ गया कि इसका दर्द अब ठीक है।

अबकी बार मैंने लौड़े को बाहर निकाला और एक अपेक्षाकृत तेज धक्का मार दिया.. जिससे मेरा लौड़ा उसकी चूत की जड़ तक धंसता चला गया। इसी के साथ मैंने उसके होंठों को भी जकड़ लिया था.. जिससे उसके दर्द को चीख में बदलने से रोकने का काम भी बखूबी हो गया।

अब वो तड़फने लगी थी पर मैं अपनी मजबूत बांहों में उसको अपनी पूरी ताकत से समेटे हुए था। मैंने उसकी चूचियों को अपने सीने से दबा लिया था.. जिससे वो मेरे जिस्म से एक तरह से भिंची हुई थी और मेरा दिल उसके दिल की धड़कनों को बिल्कुल चिपक कर महसूस कर रहा था।

मुश्किल से 30-40 सेकंड में ही उसकी तड़फ कम होने लगी और एक बार वो फिर से मुझे चूमने लगी।

बस अब मैंने भी अपने लण्ड को चूत की गहराइयों से बाहर निकाल कर फिर से उसको चूत में गोता लगाने के काम पर लगा दिया। कुछ ही धक्कों में चूत भी चूतड़ों का सहारा लेकर लौड़े से लड़ने लगी और मैंने पाया कि अब मोनिका फिर से अपनी बाँहों को मेरी गर्दन से लपेट कर मुझसे लगभग झूल सी गई थी।

मैंने भी उसके चूतड़ों को सहारा दिया और उस फूल से भार वाली मोनिका को टेबल की बजाय अपनी गोद में उठा कर हचक कर चोदना शुरू कर दिया। मोनिका भी अपनी कमर को मेरे लौड़े पर बेताबी से रगड़ने लगी और हमारी चुदाई अपनी मंजिल की तरफ बढ़ चली।

कुछ 5-7 मिनट में ही मोनिका ने अपने धक्कों को तेज कर दिया था और वो कुछ अकड़कर सख्त सी होती महसूस हुई.. तो मैंने उसके चरम पर पहुँचने की स्थिति को समझ लिया और उसको पुनः टेबल पर टिका दिया। जब तक मैं उसको टेबल पर टिकाता तब तक उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था।

वो एक बहुत जोर की ‘आह्ह..’ के साथ चीखी और मुझसे लटक कर ढीली पड़ती चली गई।

मैंने अपने लौड़े पर उसके गरम पानी को महसूस किया और साथ ही मेरे धक्कों के साथ रस के कारण ‘छपछप’ की आवाजें आने लगीं.. जिससे मेरा लौड़ा भी अब पिघलने को था। मैंने उसको अपने अन्दर समेट सा लिया और उसकी चूत में ही अपना रस छोड़ दिया। कुछ पलों के लिए हम दोनों एक-दूसरे से बहुत जोर से चिपके रहे।

मोनिका के साथ मेरी चुदाई अपनी पूर्णता पा चुकी थी। उसका पति हमें अजीब सी निगाहों से देख रहा था।

कुछ वक्त बाद हम अलग हुए तो देखा कि मोनिका की सील टूटने के कारण खून की कुछ बूँदें टेबल पर लग गई थीं। हमने एक-दूसरे की ओर प्यार से देखा और मैं मोनिका को अपनी गोद में उठाकर बाथरूम में ले गया।

मित्रो, इसके बाद की कहानी मेरे और उर्मिला के साथ-साथ मोनिका को भी चोदने की है तथा साथ ही उर्मिला के जरिये मुझे बहुत सी ऐसी प्यासी औरतों को चोदने का अवसर मिला कि मैं एक जिगोलो जैसा बन गया।

आरम्भ में तो उर्मिला ने मुझे बताया नहीं.. वो साली मेरा इस्तेमाल उन चुदासी औरतों की चुदाई करवा कर उनसे पैसा ऐंठती थी और मुझे ये कह कर चूतिया बनाती थी- आओ, तुम्हें नई चूत दिलवाती हूँ.. खुद वो मेरे लौड़े की दलाल बन कर पैसा कमाने लगी थी।

एक दिन एक औरत ने मुझसे सीधे सीधे कह दिया- तुम अपनी चुदाई की कमाई से क्या करते ह? मैं उस वक्त तो चौंक गया.. पर मैंने बाद में उर्मिला से पूछा तो उसने मुझे बताया- हाँ मैं पैसा लेती हूँ। उस दिन से फिर मुझे भी मेरा हिस्सा मिलने लगा और धीरे-धीरे मैंने खुद ही अपनी ग्राहकों को ढूँढना शुरू कर दिया।

मोनिका मेरे बच्चे की माँ बन चुकी है और अब भी वो मुझसे मस्ती से चुदती है। डउसे भी मालूम चल चुका है कि मैं एक जिगोलो बन गया हूँ.. पर उसे मुझसे कोई गिला नहीं है। उसके पति से हुई बातचीत को मैंने अब डिलीट कर दिया है.. क्योंकि जिस हथियार के रूप में मैंने उससे बातचीत को रिकॉर्ड किया था.. उसकी अब जरूरत ही नहीं थी। मित्रो, यह मेरी कहानी थी.. जो मैंने आप तक पहुँचाने का प्रयास किया। आप सभी के विचारों को जानने की उत्सुकता है, आपके ईमेल के इन्तजार में! [email protected]

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