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अन्तर्वासना के पाठको, मैंने अभी अभी अन्तर्वासना की कामुक कहानियों को पढ़ना शुरू किया है। मुझे इस पर प्रकाशित होने वाली कहानियों ने अपनी कहानी लिखने को रास्ता दिखा दिया है.. जो कि मेरे मन में बहुत दिन से थी.. कि मैं अपनी सच्ची दास्तान किसी से कह सकूँ। मेरा नाम राहुल है.. उम्र 18 वर्ष..मैं अपने परिवार के साथ जयपुर में रहता हूँ।
मेरे 52 वर्षीय पिता जी एक फैक्ट्री चलाते हैं.. माँ 50 वर्ष की हैं और एक गृहणी हैं.. भाई 26 साल के हैं.. वे एक प्राइवेट जॉब करते हैं और उनकी पत्नी यानि मेरी भाभी रेणु जो कि 25 वर्ष की एक बहुत ही मादक और कामुक जिस्म की हैं उनका फिगर 36सी-28-38 का है। उनकी मदमस्त जवानी मेरा लंड खड़ा कर देती है। वो मेरे घर में जब से आई हैं.. तभी मेरा लौड़ा बेकाबू हो गया है।
यह किस्सा एक साल पहले का है.. मेरी 12 वीं की पढ़ाई चालू ही हुई थी और उसी वक्त मेरे भाई की नई-नई शादी हुई थी। मैं पढ़ाई में इंटेलिजेंट तो नहीं हूँ.. पर आप मुझे औसत मान सकते हैं।
मम्मी-पापा नीचे रहते हैं और मेरा और मेरे भाई का कमरा ऊपर सीढ़ियाँ चढ़ कर है, मेरे कमरे में घुसते ही एक बाथरूम है.. जो भैया-भाभी के कमरे से अटैच है.. मैं वही बाथरूम इस्तेमाल करता हूँ। मम्मी के घुटनों में प्राब्लम है.. इसलिए मम्मी कभी ऊपर नहीं आती हैं।
एक दिन शाम को बिन मौसम तेज बारिश हो रही थी.. दरवाजे की घन्टी बजी.. मैंने गेट खोला तो देखा.. सामने भाभी खड़ी थीं.. लाल रंग की साड़ी में.. पूरी भीगी हुईं.. उनके जिस्म के पूरे कटाव नुमाया हो रहे थे। उन्हें देखते ही पजामे में.. मेरा लौड़ा तो एकदम पूरा सख्त हो गया।
भाभी अन्दर आईं और सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर जाने लगीं।
मैं भी पीछे-पीछे चल दिया.. हाय.. क्या मटकती गाण्ड लग रही थी.. उनकी साड़ी से चिपके हुए चूतड़ों को देख कर कलेजा मुँह में आ रहा था।
भाभी नहाने सीधे बाथरूम में चली गईं। मैं अपने कमरे में आकर मोबाइल में पॉर्न देखने लग गया।
आज मुझे पॉर्न देखने में बिल्कुल भी मज़ा नहीं आ रहा था.. क्योंकि मेरे सामने सिर्फ़ भाभी की ही तस्वीर आ रही थी.. लाल साड़ी.. भीगा बदन.. आह मेरा हाथ अपने खड़े लौड़े को सहला रहा था।
थोड़ी देर में भाभी बाथरूम से कपड़े चेंज करके बाहर आ गईं और नीचे चली गईं। मैं मुठ मारने सीधे बाथरूम में भागा।
बाथरूम में जाते ही मैंने अपना पजामा खोला.. और जैसे ही सामने देखा तो सामने भाभी के भीगे हुए कपड़े पड़े थे। मैंने साड़ी उठाई तो नीचे ब्रा-पैन्टी भी पड़ी थी। मेरी धड़कनें तेज हो गईं। मैंने पहले ब्रा उठाई और उस पर लेबल देखा 36 सी.. वाउ.. मैंने उसे सूँघा.. उसमें से भाभी के बदन की खुश्बू आ रही थी.. मैं पागल हो गया।
फिर मैंने पैन्टी उठाई.. उस पर चूत वाली जगह कुछ चिपचिपा सा लगा हुआ था.. शायद वो भाभी की चूत का पानी था। मैंने पैन्टी सूँघी और चूत वाली जगह को चाटने लग गया.. इस नशे में मैं सातवें आसमान में था। मैंने आँखें बंद कीं और पैन्टी सूंघते-चाटते मुठ्ठ मारना चालू कर दिया।
तभी एकदम से बाथरूम का दरवाजा खुला.. मेरी ज़मीन खिसक गई.. आँखों के सामने अंधेरा छा गया.. सामने भाभी खड़ी थीं। मैंने सिटकनी ढंग से नहीं लगाई थी.. इस वजह से दरवाजा खुल गया। भाभी मुझे गुस्से से देख रही थीं.. मेरा लंड डर के मारे एकदम से सिकुड़ गया.. मेरे हाथ-पैर काँपने लग गए।
भाभी मेरे पास आईं और एक ज़ोरदार चपाट मारी.. और मेरे हाथों से पैन्टी छीनी.. और ज़मीन पर पड़ी ब्रा उठा कर चली गईं। अब मैंने दरवाजा ढंग से बंद किया और फुव्वारे के नीचे खड़ा हो गया। पानी मेरे जिस्म से होते हुए ज़मीन पर गिर रहा था.. पर मुझे कुछ एहसास नहीं हो रहा था.. मेरा शरीर सुन्न पड़ चुका था।
काफ़ी देर बाद मैं बाथरूम से बाहर आया.. भाभी के कमरे में कोई नहीं था।
मैं नीचे गया भाभी रसोई में खाना बना रही थीं। मैं चुपचाप टीवी के सामने जाकर बैठ गया। थोड़ी देर में मम्मी ने मुझे खाना दिया और मैं चुपचाप खाना खाकर अपने कमरे में आकर सो गया। मुझे पक्का यकीन था कि भाभी भैया को सब बता देंगी.. मैं बहुत डरा हुआ था।
सुबह जब मैं उठा.. तब तक भैया उठ चुके थे.. भैया से नज़र मिलते ही भैया ने मुझे बुलाया.. मेरी साँसें रुक सी गईं। मैं भैया के पास जाकर बैठ गया। मैं भैया के पहले गुस्से और डांट में भरे अल्फाजों को इन्तजार कर रहा था।
लेकिन भैया ने बस मेरी पढ़ाई के लिए पूछा और नहाने-धोने चले गए। शायद भाभी ने भैया को अभी तक नहीं बताया था। एक महीने तक मैंने भाभी से नजरें भी नहीं मिलाईं.. भाभी ने भी मुझसे बात नहीं की। पूरा महीना मेरा ख़ौफ़ में निकला..
खैर.. मेरा तिमाही परीक्षा का रिज़ल्ट आया.. मैं फिज़िक्स और मैथ्स में फेल था.. मेरे कुल 38 प्रतिशत नम्बर ही आए थे। रात को भैया आकर मुझ पर खूब चिल्लाए.. मैं नजरें झुकाए बस सुनता रहा।
फिर भैया मुझ पर हाथ ही उठाने वाले थे कि भाभी ने भैया का हाथ पकड़ लिया। भाभी बोलीं- प्लीज़ मारो मत.. राहुल आगे मन लगा कर पढ़ेगा।
यह सुनते ही मैंने भाभी की तरफ देखा.. भाभी नॉर्मल थीं। भैया ने बोला- मैं तो इस लड़के से थक चुका हूँ.. पढ़ेगा ही नहीं तो क्या करेगा लाइफ में.. इसकी ज़िंदगी खराब हो जाएगी। भाभी- आप चिंता ना करें.. अब से ये खूब पढ़ेगा। भैया- ठीक है रेणु.. अब तुम ही संभालो इसको.. मैं अब इससे 12 वीं के बाद ही बात करूँगा।
एक घंटे की डांट-फटकार के बाद मैं अपने कमरे में आकर किताब खोल कर बैठ गया। अब मैं थोड़ा रिलॅक्स हुआ.. भाभी के प्रति मेरे सारे गंदे विचार निकल चुके थे। रात को भैया के सोने के बाद मैंने भाभी के नम्बर पर मैसेज किया। मैं- सॉरी भाभी.. भाभी का तुरंत जबाव आया- इटस ओके.. मैं- थैंक्स फॉर सेविंग मी फ्रॉम भैया.. भाभी- गुड नाइट.. सुबह बात करते हैं। इसके बाद मेरे चेहरे पर पूरे एक महीने बाद मुस्कान आई।
सुबह भैया ऑफिस और पापा फैक्ट्री जा चुके थे, भाभी मुझे उठाने आईं.. मैंने ‘गुड-मॉर्निंग’ बोला और स्माइल दी.. भाभी ने वापिस स्माइल दी।
मैं- सॉरी अगेन भाभी.. भाभी- मैं वो सब भूल चुकी हूँ.. अब तुम भी वो सब भूल कर बस पढ़ाई पर ध्यान दो। मैं- मुझे लगा था कि आप भैया को सब बता देंगी। भाभी- बोल देती.. लेकिन मुझे लगा कि तू दोबारा नहीं करेगा। मैं- थैंक यू भाभी..
भाभी- चल अब छोड़ उस बात को.. अब केवल पढ़ाई पर ध्यान दे.. तेरी ज़िम्मेदारी अब मैंने ले ली है। तुझे अब तेरे भैया को नम्बर ला कर दिखाना ही पड़ेगें। मुझे बोर्ड्स में तेरे 80% से ऊपर नम्बर चाहिए। मैं- हलवा है क्या भाभी 80%? मेरे तो पास होने के ही लाले पड़ रहे हैं।
भाभी- मैं कुछ नहीं जानती.. मुझे तेरे बोर्ड्स में 80% चाहिए.. मैं चाहती हूँ कि तेरा एडमिशन एक अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में हो।
मेरी भाभी की कातिल जवानी की यह मस्त कहानी आपको हिला कर रख देगी.. बस आप मुझे अपने ईमेल से लिखते रहिएगा.. मेरा उत्साह बढ़ेगा। कहानी जारी है। [email protected]
कहानी का अगला भाग: भाभी की गीली पैन्टी -2
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