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दीदी के बदन की मालिश और चूत चुदाई-1
अब तक आपने पढ़ा.. मालिश के बाद हमने खेल को आगे बढ़ाया। इस बार मैंने बोतल घुमाई और फिर बोतल मेरी तरफ आकर रुक गई। मैंने कहा- बोलो मेरा टास्क क्या है? वो बोली- मुझे तो फुल बॉडी मसाज चाहिए, मेरे पूरे शरीर में बहुत दर्द हो रहा है।
अब आगे.. मैंने कहा- इसमें बहुत टाइम लगेगा। वो बोली- लगेगा तो लगने दो। मैंने कहा- ठीक है.. फिर लेट जाओ..
वो बिस्तर पर लेट गई.. मैंने उसके पैरों पर तेल लगाया और फिर मालिश करने लगा। वो बोली- हल्के-हल्के हाथों से कर न.. मैं हल्के-हल्के हाथों से करने लगा।
मैं उसके घुटनों तक ही कर रहा था कि वो बोली- थोड़ी और ऊपर तक करो। मैं उसकी जाँघों के पास तक पहुँच गया और वहाँ तक मालिश करने लगा। वो फिर बोली- थोड़ा सा और ऊपर तक करो।
मैंने कहा- मुझसे नहीं हो पाएगा और वैसे भी फिर तुम्हारी स्कर्ट भी गंदी हो जाएगी.. मैं नहीं कर सकता और ऊपर.. अब और कहीं करवा लो।
वो बोली- मेरा यही टास्क है और तुझे करना पड़ेगा। मैंने फिर कुछ नहीं बोला और जाँघों पर भी करने लगा। वो बोली- रुक जा.. मैं स्कर्ट उतार देती हूँ.. नहीं तो तेल लग जाएगा और ना ही और ऊपर टाँगों तक ठीक से मालिश हो पाएगी। मैंने कहा- क्या.. तुम मेरे सामने अपनी स्कर्ट उतारोगी? वो बोली- तो क्या हुआ.. वैसे भी आज मौसम में गर्मी बहुत है।
उसने अपनी स्कर्ट को लेटे-लेटे ही हुक खोल कर उतार दी और मुझसे कहा- जरा नीचे तो खींच दे मेरी स्कर्ट को।
मैंने स्कर्ट को पकड़कर नीचे खींच दिया तो उसकी पैन्टी भी थोड़ी सी सरक गई। वो तो यार सच में एकदम पटाखा लग रही थी। उसने पिंक कलर की पैन्टी पहन रखी थी.. जो इतनी सेक्सी लग रही थी कि क्या बताऊँ। ऐसा लग रहा था जैसे मैं मियामी के बीच पर पहुँच गया हूँ।
फिर उसने टाँगें फैला कर कहा- अब आराम से मालिश करो।
मैं उसको इस हालत में देखकर पूरा गरम हो गया था। मेरा लण्ड टाइट होने लगा था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा था.. पर जो भी हो रहा था.. उसमें मज़ा आ रहा था।
फिर वो सीधी होकर लेट गई और बोली- आगे से भी पैरों की अच्छी तरह मालिश करो।
उसने मेरे हाथ को पकड़ा और अपनी पैन्टी के ऊपर रख कर मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़ कर रगड़ने लगी और अपनी आँखें बंद करके मनमोहक सी आवाजें निकालने लगी। मैंने कुछ भी नहीं कहा.. मुझे कुछ कहा ही नहीं जा रहा था।
अब मेरे अन्दर भी आग जलने लगी.. मैं ऐसे ही उसके ऊपर लेट गया… जैसे कि वो लेटी हुई थी और फिर मैंने अपने लिप्स उसके लिप्स के ऊपर रख दिए और स्मूच करने लगा। काफ़ी देर तक हम एक-दूसरे के मुँह में जीभ डालकर किस करते रहे।
वो गरम साँसें छोड़ रही थी और मैं भी… हमारा चेहरा पूरी तरह से लाल हो गया था.. वो बैठ गई और मेरे कपड़े उतारने लगी और मैं उसके.. मैं सिर्फ़ अंडरवियर में रह गया और वो ब्रा-पैन्टी में… वो मेरी गोद में आकर टाँगें फैला कर मुझसे लग लगकर बैठ गई।
मैं ब्रा में से ही उसके मम्मों के बीच में मुँह घुसा कर किस करने लगा और अपनी उंगलियों को उसकी पैन्टी के नीचे से बिना उतारे ही उंगली डाल कर उसकी चूत के होंठों को मसलने लगा। वो एकदम सी मदहोश होने लगी.. अब हम दोनों को होश नहीं था कि हम क्या कर रहे हैं।
मैंने उसकी ब्रा उतार कर फेंक दी और वहाँ मुझे उसके गोल-गोल गोरी चूचियों के दर्शन हुए.. जो कि किसी ताजे-ताजे एकदम मुलायम फल की तरह लग रहे थे। हम दोनों खड़े हुए.. वो घुटनों के बल बैठ गई और मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लण्ड से खेलने लगी। फिर उसने खींच कर मेरे अंडरवियर को एकदम से नीचे कर दिया और मेरा लण्ड उछल कर उसके मुँह पर जाकर लगा।
जैसे ही वो उसके मुँह पर टच हुआ.. मुझे करेंट सा लगा.. ऐसा लग रहा था मैं जन्नत में जाने लगा।
मेरा लण्ड पूरी 8 इंच का हो चुका था और नसें उभरने लगी थीं। उसने मेरे गरम गरम लण्ड को पकड़ा और पहले किस किया.. फिर उसे अपने मुँह में डालकर चूसने लगी।
हाए रे.. मैं तो मानो जैसे जन्नत की किसी हूर की चूत के अन्दर घुस गया था.. इतना मज़ा आ रहा था जैसे कि लण्ड को चूत की जगह मुँह के अन्दर भर जा रहा हूँ। मैं इतनी अधिक उत्तेजना महसूस कर रहा था कि कुछ ही देर में मैं उसके मुँह में झड़ गया और वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
पर मेरा लण्ड इतनी जल्दी शांत होने वाला कहाँ था.. अभी तो पार्टी शुरू ही हुई थी।
वो मेरे लण्ड को पकड़ कर अपने मम्मों पर रगड़ने लगी और फिर अपने मम्मों के बीच में दबाकर मम्मों हिलाने लगी। अब मुझसे रहा ना गया.. मैंने उसको घुटनों से पकड़ा और उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और पैन्टी को पकड़ कर घुटनों तक उतार दिया, उसकी दोनों टाँगें ऊपर करके उसकी चूत को चाटने लगा.. वो पूरी गीली और चिपचिपी हो चुकी थी, उसमें से एक अजीब सी ही खूशबू आ रही थी.. जैसे मुठ्ठ मारने के बाद आती है।
वो अपने हाथों से बिस्तर की चादर को नोंचने लगी.. तेज-तेज सिसकारियाँ लेने लगी और एकदम से मेरे मुँह पर ही झड़ गई। मैं उसकी चूत का सारा पानी पी गया और फिर वो अपनी चूत के अन्दर उंगली डालकर तेज-तेज हिलाने लगी।
फिर मैंने उसकी पैंटी को फाड़ दिया और उसकी एक टाँग ऊपर उठाकर अपना लण्ड उसके चूत के मुहाने पर रखा और रगड़ने लगा। मानो जैसे वो पागल हो गई हो.. वो अपने हाथों से मेरे लण्ड को अपनी चूत के मुँह पर लगाकर उसे घुसवाने लगी।
मेरे लण्ड को तो मानो बुखार सा चढ़ गया हो.. वो एकदम से बहुत गरम होने लगा और जब मैं अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ रहा था.. एक जादुई सा मज़ा आ रहा था।
अब वो चूत चुदवाने को तैयार थी और मैंने उसकी चूत के मुँह पर अपना लण्ड रखा और हल्का सा धक्का मारा.. पर मेरा लण्ड काफ़ी मोटा हो चुका था.. वो फंस रहा था। मैंने दूसरी टांग भी पकड़ी और तेज धक्का मारा.. वो चिल्ला पड़ी- आऐईयईई माआ.. उउईएई.. वो दर्द से कराहने लगी.. लेकिन मैं रुकने वाला कहाँ था.. मैंने 2-3 करारे झटके मारे.. फिर मेरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर आधा घुस गया।
वो शायद पहली बार चुदवा रही थी.. फिर मैंने धीरे-धीरे से झटकों की रफ़्तार बढ़ाई और फिर पूरा का पूरा 8 इंच उसकी चूत में अन्दर घुसा दिया। वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लग रही थी।
फिर मैंने उसकी चूत में अपने लण्ड की रफ्तार और बढ़ा दी.. पूरे कमरे में ऐसी आवाजें आ रही थीं.. जैसे कि चाबुक चल रहे हों। मैं अपनी पूरी रफ़्तार से उसकी चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसे भी अब मज़ा आने लगा था.. वो ‘तेज-तेज’ की चिल्लाने लगी- अया.. आहह.. अहहा.. आअहहा.. आह.. चोद मादरचोद.. वो मुझे गालियाँ देने लगी।
लगभग 15-20 मिनट बाद वो मेरे ऊपर ही झड़ गई.. थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ गया। फिर आधे घंटे बाद हमने दोबारा चुदाई शुरू की। अब उसकी गाँड मारने की बारी थी। वो मना करने लगी.. तो मैंने ज़बरदस्ती उसके हाथ पकड़ कर उसे लिटा कर.. उसके हाथ अपने हाथों में फंसा लिए और उसकी गान्ड में लण्ड घुसड़ेने की कोशिश करने लगा। वो मना करने लगी कि गान्ड ना मारूँ.. पर मुझे तो मारनी थी।
मैंने उसकी गान्ड पर अपना लण्ड लगाया और धक्का मारने लगा.. पहले तो वो फिसल गया.. और जब बार-बार फिसलने लगा तो मैंने उसे नीचे लिटाया और खुद उसके ऊपर आ गया। अब मैंने उसकी दोनों टाँगों को उठा कर अपने कंधों पर रखा और फिर अपना लण्ड पकड़ कर उसकी गान्ड पर रख कर तेज धक्का मारने लगा।
उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे.. वो चिल्लाने लगी। तो मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया और फिर लण्ड घुसड़ेने की कोशिश करने लगा। ज़ोर लगा कर लण्ड तो आधा घुस गया.. पर उसकी गान्ड में से खून निकलने लगा। मैंने उसे नहीं बताया और पूरा लण्ड धीरे-धीरे घुसा दिया.. उसे बहुत दर्द हो रहा था वो तड़पने लगी थी।
फिर 10 मिनट तक मैंने उसे ऐसे ही रखा और हम चूमा-चाटी करते रहे। फिर मैंने उसे खड़ा किया.. वो टाँगें बंद नहीं कर पा रही थी। मुझे पता था.. यह तो होना ही था.. फिर मैंने उसे कुतिया बनाया और फिर डॉगी स्टाइल में उसकी गान्ड मारी।
अब उसे भी मज़ा आने लग रहा था। उससे कंट्रोल नहीं हुआ और उसने बीच में ही मेरे ऊपर सुसू कर दिया, पर मुझे मज़ा आया। फिर हमने अलग-अलग कई तरह से उस दिन चुदाई की और आखिर में मैंने उसके मुँह पर अपना वीर्य निकाल दिया।
उस दिन की चुदाई से हम दोनों को काफ़ी थकान हो गई थी। उस रात में घोड़े बेच कर सोया था। अब हमें जब भी मौका मिलता है.. हम खूब जमकर चुदाई करते हैं
तो दोस्तो.. आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी.. प्लीज़ ईमेल ज़रूर करना.. ताकि मैं आने वाले समय में अपने और भी किस्से आप लोगों से शेयर कर सकूँ। मेरी कहानी पढ़ने का धन्यवाद। [email protected]
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