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पापा ने मम्मी के शरीर को अपनी मजबूत बाहों में जकड़ लिया, मम्मी की तो चीख निकल पड़ी, मम्मी गुस्से से बोली- अरे छोड़ो भी अंकित के पापा, पूरा शरीर दब रहा है, जो करना है जल्दी करो, मुझे नींद आ रही है। उस पर पापा बोले- अरे यार! आज न तुम कुछ कर रही हो, न करने दे रही हो, थोड़ा मज़ा तो दो बेमन से मत करो। यही जल्दी जल्दी के चक्कर में मज़ा नहीं आता।
पापा के इतना कहने पर मम्मी जो इतनी देर से न नुकर कर रही थी, वे भी पापा का पूरा साथ देने लगी, उनके हाथ पापा की पीठ पर चलने लगे, मम्मी ने अपनी जीभ पापा की होंठों पर घुमाई और फिर जीभ उनके मुँह में जल्दी से डाल दी जैसे मम्मी की जीभ पापा के मुँह का मुआइना कर रही हो। मम्मी की यह हरकत पापा को स्तब्ध कर गई और वो मुस्कुरा दिए, जवाब में मम्मी भी मुस्कुराई, जैसे उनकी मुस्कराहट सम्भोग करने हेतु प्रथम स्वीकृति हो।
पापा मम्मी फिर एक चूमने लगे वो एक दूसरे को ऐसे चूम रहे थे जैसे किसी उत्तेजक बॉलीवुड फ़िल्म के हीरो हीरोइन सेक्स करते वक़्त चूमते है, बीच बीच में उनके मुँह से सिसकारियाँ भी निकल जाती थी। पापा, मम्मी के कान और गर्दन पर चूम रहे थे और बीच बीच में दाँतों से काट भी रहे थे। उधर मम्मी ने भी पापा के चेहरे पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी थी और उनके हाथ पापा की पीठ और बालों पर लगातार चल रहे थे जिससे उन दोनों का शरीर धीरे धीरे गर्म होने लगा था और मज़ा भी बहुत आ रहा था।
उसी बीच पापा को पता नहीं क्या सूझा, उन्होंने मम्मी के कान में धीरे से फुसफुसाया- मेरा चूहा तो तैयार है तुम्हारी सुरंग में घुसने के लिए ! क्या तुम्हारी सुरंग गीली हुई पवित्र जल से ! मम्मी बोली- अरे, अभी कहाँ इतनी जल्दी गीली हो जाऊँगी। मम्मी मुस्कराई और धीरे से पापा के कान में बोली- ऐ जी, थोड़ा ढंग से प्यार करो, नहीं तो तुम्हारा पप्पू घुस नहीं पाएगा मेरी सुरंग में। पापा हँसे और बोले- आज बहुत दिन बाद मौका मिला है मेरे पप्पू को, आज यह चीर डालेगा तुम्हारी मुनिया को ! इतना कहकर दोनों हँसने लगे।
पापा ने मम्मी को एक गहरा चुम्मा लिया उनकी आँखों में बहुत प्यार नज़र आ रहा था, पापा के हाथ अब मम्मी के सीने पर आ गए मैंने देखा की मम्मी की चूचियाँ कसे ब्लाउज और पापा के सीने के दबाव से दब रही हैं। पापा ने अब उन पर भी शिकंजा कास लिया और मम्मी के ब्लाउज के ऊपर से ही उन पर अपने हाथ फेर रहे थे और मस्ती में उन्हें मसल रहे थे जिससे मम्मी के ऊपर वासना का नशा चढ़ रहा था। अब पापा मम्मी के सीने से होते हुए उनकी कमर और नाभि पर भी खूब चुम्बन कर रहे थे।
वासना के कारण उन दोनों का चेहरा कुछ लाल पड़ गया था, वो दोनों अब पूरी तरह गर्म हो चुके थे और सम्भोग करने के लिए पूरी तरह तैयार थे पर पापा का मन अभी भरा नहीं था वो अब मम्मी की कमर से होते होते हुए उनकी जांघों की ओर बढ़ रहे थे पर मम्मी का पेटीकोट उनके काम में बाधा डाल रहा था।
पापा ने इस समस्या का हल तुरंत खोज निकाला वो उठे और अपना जाँघिया बनियान उतार कर फेंक दिया। उन्हें देख कर मम्मी बोली- क्या अब पूरा मादरजात हो कर करोगे? मम्मी फिर भुनभुनाई- इतना बड़ा लड़का सो रहा है बगल में… और तुम्हें तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता?
पापा उनकी बात अनसुनी करते हुये मम्मी के ऊपर आ गए और उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और मम्मी से बोले- थोड़ा चूतड़ ऊपर करो! मम्मी ने अपने चूतड़ कुछ उठाये और पापा ने पेटिकोट नीचे सरका दिया और अब उनके हाथ मम्मी के ब्लाउज पर थे। मैं समझ गया कि ब्लाउज का भी काम तमाम होने वाला है, उन्होंने धीरे से ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए और मम्मी के ऊपरी शरीर को हाथों से सहारा देकर, ब्लाउज मम्मी के शरीर से अलग कर दिया।
मम्मी बोली- कुछ तो शर्म कर लो… अगर अंकित उठ गया तो बहुत बेइज्जती हो जायेगी।
पापा बोले- अगर तुम इतनी तेज़ तेज़ बोलोगी तो जरूर जग जाएगा अंकित! उन्हें क्या पता कि अंकित इतनी देर से उन्हें चुदाई करते देख रहा है।
मम्मी अब केवल एक काले रंग की ब्रा और पैंटी में थी, उनकी पैंटी इतनी टाइट थी कि उनके नितम्ब उस पैंटी की गिरफ्त से आजाद होने को मचल रहे थे, चूत वाला भाग उभरा हुआ था और उनकी चूचियाँ जो बिल्कुल टाइट हो चुकी थी और ये संकेत दे रही थी कि मम्मी चुदने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उनकी टाइट चूचियों को देख कर ऐसा लग रहा था की ये मम्मी की टाइट ब्रा को अभी फाड़ डालेंगी।
मम्मी बोली- ए जी, अच्छा दुपट्टा तो ओढ़ लो, फिर करो। पापा ने वो दुपट्टा ओढ़ लिया पर उन दोनों का नंगा शरीर उसमें से साफ़ झलक रहा था। फिर मैंने देखा कि पापा का सिर मम्मी की टांगों के बीच में था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
तब मुझे कुछ समझ नहीं आया पर बड़े होने पर पता चला कि उस रात पापा मम्मी की चूत चाटने की तैयारी में थे। पापा बोले- शेव नहीं किया क्या बालों को ! मम्मी बोली- नहीं, टाइम ही नहीं मिला मुझे क्या पता था कि तुम्हारा मूड बन जायेगा! पापा बोले- मेरे तो रोज़ ही मूड बन जाये पर तुम करने कहाँ देती हो।
उस समय बिस्तर पर जोर की हलचल हुई, मैंने देखा कि पापा मम्मी की चूत अपने होंठों से चाट रहे हैं, वे चूत के छेद में अपनी जीभ डाल कर उसके रस का पान करना चाह रहे है।
उसी बीच मम्मी बोली- अब यह कच्छी क्यों उतार रहे हो मेरी… साइड पे करके चाट लो ना ! पापा बोले- यार, अच्छी तरह से गीली नहीं हो पायेगी !
मम्मी बोली- यह काम करना ज़रूरी हैं अभी… रात के 2 बज रहे है और तुम्हें सब कुछ धीरे धीरे मज़े लेकर करना है जैसे की नए जोड़े अपनी शादी के शुरूआती दिनों, सुहागरात या फिर हनीमून में करते हैं। पापा बोले- अरे जानेमन, सुहागरात कल और हनीमून परसों मना लेंगे। मम्मी बोली- तुम कभी नहीं सुधरोगे !
मम्मी ने कहा- आज जो करना हो, कर लो, जितने मज़े लूटने हों, लूट लो, अब मैं तुम्हेंम एक हफ्ते तक हाथ भी नहीं लगाने दूँगी।
और मैंने महसूस किया कि पापा ने अपने हाथों से मम्मी की कच्छी जाँघों से होते हुए नीचे सरका दी यानि उतार दी और फिर मम्मी ने अपनी टांगों को पूरा खोल कर फैला दिया क्योंकि मैं उनके बगल में ही लेटा था इसलिए टांगों को पूरा फैलाने के कारण वो मेरे शरीर से बार बार टच हो रही थी ऐसा इस लिए हो रहा था क्योंकि पापा बहुत जोर जोर से उनकी फुद्दी को चाट और चूस रहे थे और मम्मी का पूरा शरीर तेज़ी से हिल रहा था।
मुझे बहुत मजा आ रहा था, मेरा लंड पूरा अकड़ गया था, पापा के हाथ मम्मी की नंगी कोमल जांघों को सहला रहे थे। मम्मी के मुँह से अब सिसकारियाँ भी निकल रही थी जो कुछ तेज थी और कमरे में गूंज रही थी। मम्मी- आह… अम्म… थोड़ा धीरे करो ह्ह्ह्ह… उफ्फ्फ्फ़… थोड़ा और नीचे… यहाँ… सुनो… एक बार दाना भी रगड़ दो।
उस समय मुझे नहीं पता था कि दाना क्या होता है लेकिन शायद पापा ने रगड़ा और मॉम ने अपनी टाँगें इकठ्ठी कर ली और शायद पापा का मुँह अपनी जांघों में दबा लिया। मॉम- ऊऊओ… आह्ह्ह… म्मम्म… हो गई मैं तो… आह्ह ह… निकल गया…!!!
और ऐसा लगा कि मम्मी कांप रही हैं… मम्मी का जो हाथ मेरी तरफ था उससे उन्होंने दुपट्टे रुपी चादर को भी शायद कस के पकड़ रखा था। ये शब्द आज भी ताज़ा हैं मेरे दिमाग में ‘आह… अम्म… थोड़ा धीरे करो ह्ह्ह्ह… उफ्फ्फ्फ़… थोड़ा और नीचे… यहाँ… सुनो… एक बार दाना भी रगड़ दो। ऊऊओ…आह्ह्ह्ह… म्मम्म… हो गई मैं तो… आह्ह ह… निकल गया…!!!’
और फिर बिस्तर पर हलचल हुई और पापा मम्मी के ऊपर फिर आ गए पर शायद जगह कम होने की वजह से ही वो कह रहे थे- यह अंकित भी तुम्हारे बगल में ही सोयेगा! एक तो तुम करने नहीं देती और करने देती हो तो इसकी वजह से मज़ा नहीं आता… जल्दी जल्दी करना पड़ता है। कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। [email protected]
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