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रीना रानी पलंग पे टांगे चौड़ी करके, पैर फर्श पे टिका के बैठ गई। मैं नीचे घुटनों के बल बैठ गया और रीना रानी की चूत के होंठों से अपने होंठ चिपका दिये। कुछ ही देर में रीना रानी के स्वर्णामृत की पहले चंद बूंदें और फिर तेज़ धार मेरे मुंह में आने लगी।
सच में बहुत ही गर्म और गाढ़ा रस था। एकदम स्वर्ण के रंग का दिख रहा था मोमबत्ती की रौशनी में। अति स्वादिष्ट ! अति संतुष्टिदायक !! मैं लपालप पीता चला गया। उस समय मेरी सिर्फ एक ही ख्वाहिश थी कि उस योनि-अमृत की एक भी बूंद नीचे न गिरने पाये, सो मैं उसी रफ़्तार से पीने की चेष्टा कर रहा था, जिस रफ़्तार से वो प्यारी सी अमृतधारा मेरे मुंह में आ रही थी। सच में बहुत देर से रूका हुआ रस था क्योंकि खाली करने में रीना रानी को काफी वक़्त लगा।
जब सारा का सारा रस निकल चुका तो मैंने अपने मुंह हटाया और जीभ से चारों तरफ का बदन चाट चाट के साफ सुथरा कर दिया।
मैं और रीना रानी फिर एक दूसरे की बाहों में लिपट कर लेट गये और बहुत देर तक प्यार से भरी हुई बातें करते रहे।
हर थोड़ी देर के बाद हम एक गहरा और लम्बा चुम्बन भी ले लेते थे। कभी रीना रानी लौड़े की चुम्मी ले लेती तो कभी मैं उसकी झांटें चूस लेता, मेरे हाथ लगातार उसके चूचों को निचोड़ने में लगे थे, जब ज़्यादा ज़ोर से मैं दबा देता तो एक आह आह की आवाज़ रीना रानी के मुंह से निकल पड़ती। कभी कभार वो मेरे अण्डों को थोड़ा ज़्यादा दबा देती तो आह आह मुझ को करनी पड़ती।
मोमबत्ती ख़त्म होने को थी, मैंने बैग से दूसरी निकाल के जलाई और फिर मैंने रीना रानी का सुनहरा बदन चाटना शुरू किया, गीली जीभ से मैंने उसे सारे शरीर पर चाट के रख दिया… मदमस्त चिकना मलाई जैसा नौजवान बदन!
बहनचोद हरामज़ादी को पूरा मुंह में लेकर चूसने का मन होता था। उसे इतना अधिक मज़ा आ रहा था कि अब वो राजे राजे की गुहार लगाने लगी थी, दमकता हुआ शरीर कसमसा रहा था, बार बार चिहुंक उठती थी, मुंह से सीत्कारें भर रही थी।
मैंने चूत पर हाथ रखा तो पाया कि उस में दबादब रस बहने लगा था, उसका बदन गर्म हो चला था और सांसें तेज़!
अब वो बार बार लौड़े को छू रही थी मानो उसको अपने में समा लेना चाहती हो। साथ साथ गालियाँ भी बके जा रही थी चुदास के नशे में चूर होकर। ‘राजे माँ के लौड़े… कमीने भोसड़ी के अब चोद दे न राजा..’
कभी मेरा हाथ उठाकर अपने चूचे पर रखती… ‘देख राजा कितना सख्त हो रहे हैं ये दोनों दुश्मन… क्या सोच रहा है कर इनका काम तमाम… साले तेरी माँ की चूत… देख बहनचोद तेरी चूत में कितना रस आ रहा है… देख राजे अब और तंग न कर… देख न तेरा लण्ड भी खड़ा है…बस अब घुसा दे यार…’
यकायक बहुत ही तेज़ चुदास से बेकाबू होकर रीना रानी ने लौड़े को बेसाख्ता चूमना शुरू कर दिया। उसने दीवानावार बीसियों चुम्मियाँ लौडे पर मारीं। ज़ोरों से तन्नाया हुआ लण्ड अब पूरे तनाव में आ चुका था एकदम एक सख्त डंडे की भांति। मैंने झट से रीना रानी को चुचूक से पकड़ के खींचा और चूचों से ही उसको उठाकर उसे लौड़े पर टिका दिया और फिर बड़ी ताक़त से उसके चूचों को नीचे को घसीटा तो धमाक से लण्ड रीना रानी की रास से लबालब भरी हुई बुर में पूरा का पूरा जड़ तक जा घुसा। चूचों से पूरा शरीर खींचने से हुए मस्ती भरे दर्द ने रीना रानी को और भी ज़्यादा उत्तेजित कर दिया और वो फ़ौरन झड़ गई।
लौड़े पर चूत रस की एक धारा एक फुहार के रूप में पड़ी जिससे मेरा मज़ा दो गुना हो गया। रीना रानी झड़ के मेरे सीने के ऊपर ढेर हो गई, लण्ड चूत में घुसा हुआ था और गर्म गर्म रस का लुत्फ़ लूट रहा था जबकि चूत लप लप लप लप करती हुई रस छोड़ रही थी। रीना रानी का सिर मेरे सीने से टिका हुआ था, उसके तितर बितर बाल इधर उधर बिखरे पड़े थे, उसने अपने लम्बे लम्बे सुन्दर नाख़ून मेरी बाँहों के ऊपरी मांसपेशियों में कस के गड़ा रखे थे।
मैंने रीना रानी के कंधे पकड़ के उसको सीधा बिठाया और उसको उछाल उछाल के चोदना शुरू किया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
थोड़ी ही देर में रीना रानी भी नार्मल हो गई और लगी सीत्कार भर भर के चुदवाने। मैंने उसके मम्मों को इतने ज़ोर से भींच रखा था कि वो कभी कराहती थी तो कभी मस्ता के सी सी सी सी करके चूतड़ उछाल उछाल के लौड़ा तेजी से अंदर बाहर करती थी, बोले भी जा रही थी भर्राई हुई आवाज़ में- राजा…माँ के यार.. और ज़ोर से निचोड़ मेरे मम्मे… चटनी बना दे कमीने… हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ… आअह आअह आअह… हाय मैं क्या करूँ…बता न बहन चोद…साले माँ चोद दे आज अपनी रीना रानी की….आआह आआह… हाय मज़े दे दे कर मार ही डालेगा क्या कुत्ते… हाय मैं फिर से झड़ी… ओ ओ ओ ओ ओ ओ… हाय मैं मर जाऊं…तेरी माँ की चूत साले कुत्ते!
काफी देर तक ऐसे ही चुदाई चली फिर मैंने एक गुलाटी मारते हुए रीना रानी को नीचे और खुद को ऊपर कर लिया। अब उसका नाज़ुक सा बदन मेरे नीचे दबा हुआ था और मैंने घुटनों के बल खुद को टिका लिया और बहुत हौले हौले धक्के मारते हुए उसको चोदना शुरू किया। मेरे हाथ लगातार उसकी मस्त चूचियाँ दबा दबा के निचोड़ रहे थे। मैंने रीना रानी के पैर उठाकर अपने कन्धों पर जमा दिए और फिर कभी हल्के, कभी तगड़े और बीच बीच में कभी बहुत तगड़े धक्के ठोक के चोदने लगा। मैं घुटनों के बल रीना रानी की चुदाई किये जा रहा था कि उसने मस्ता कर अपने पैर मेरे गालों के इधर उधर जमा दिए।
मलाई जैसे मुलायम चिकने और बेहद हसीन पैरों के स्पर्श से मेरी चुदास कई गुना बढ़ गई और मैंने दीवानावार रीना रानी के पैरों को चाटना शुरू कर दिया। एक कुत्ते की माफिक जीभ से जो मैंने रीना रानी के पैर चाटे हैं तो हरामज़ादी ने मस्ती में बौखला कर नीचे से चूतड़ उछालने शुरू कर दिए। मैंने रीना रानी के पैरों के तलवे चाट चाट के तर कर दिए और फिर मैंने एक एक करके उसके पैरों की सुन्दर सुडौल ऊँगलियाँ अंगूठे मुंह में लेकर खूब चूसे।
बहुत सुन्दर !!! मज़ा आ गया!!!
नीचे लौड़ा चूत के रस में डूब कर आनन्दमय था जबकि ऊपर मेरा मुंह रीना रानी के पैरों को चाट चूस के मेरी आत्मा को तृप्त किये जा रहा था, बुर से रस निकले जा रहा था जिसके कारण लण्ड के अंदर बाहर आने जाने से ज़ोर ज़ोर से फिच्च… फिच्च… फिच्च… फिच्च की आवाज़ें कमरे में गूंज उठीं।
भयंकर रूप से चढ़ी हुई और बढ़ी हुई चुदास में रीना रानी बहकने लगी थी, उसने अपनी टाँगें क्रॉस की और मेरा सिर बड़ी ज़ोर से अपने प्यारे प्यारे टखनों के बीच दबोच लिया। फिर उसने धमाधम धमाधम गांड उछाल उछाल के जो धक्के लगाये हैं तो यारों क्या कहना !!!
मेरा दिल अब उसके चूचों को चाटने के लिए ललचाने लगा था। मैंने उसके पैर कन्धों पर से हटाये और टाँगें चौड़ा दीं। फिर मैंने लौड़ा चूत में घुसाये घुसाये ही अपने घुटने सीधे किये और रीना रानी के ऊपर लेट गया। अपना मुँह उसके मस्त स्वादिष्ट चूचियों पर लगा के बेसाख्ता चूसने लगा और साथ साथ हौले हौले धक्के लगाने लगा। मेरा एक हाथ उसकी दूसरी चूची को कभी निचोड्ता तो कभी सहलाता। मैं बारीबारी से रीना रानी की चूचियाँ चूसे जा रहा था और धीरे धीरे धक्के ठोके जा रहा था।
रीना रानी चुदाई के आनंद में भरी हुई बिदक गई थी। उसने अपनी टाँगें लेरी टांगों में कस के लपेट लीं थीं और अपने पंजे ज़ोरों से कभी मेरी बाँहों में कभी मेरी छाती में तो कभी मेरी पीठ में गड़ा के सीत्कारें भर रही थी। वो सर इधर उधर हिला रही थी जिस से उसके केश कभी दायें लहराते तो कभी बाएँ। सारे बाल तितर बितर हो चुके थे, उसके मुंह से घुटी घुटी सी अजीब अजीब आवाज़ें आ रही थीं.. आह आह आह… हाय हाय हाय…राजे ज़ोर से ठोक कमीने…उई उई.. माँ… बना दे हरामी रीना रानी को रीना रंडी… तेरी रखैल बनी रहूंगी… अब ज़ोर से चोद ना मादरचोद।
मैंने थोड़ी सी धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी लेकिन पूरे ज़ोर से नहीं, मैं चूत के रस में दुबे हुए लौड़े को बेतहाशा मज़ा देना चाहता था… फिच्च फिच्च फिच्च… धम धम धम… लौड़ा भीतर लौड़ा बाहर… और तेज़… और तेज़…और तेज़..
मैं कभी रीना रानी के चूचे चूसता, कभी ऊपर को होकर उसके गुलाब जैसे रसीले होंठों का स्वाद लेता। वो जीभ निकाल देती तो मैं उसकी जीभ मुंह में लेकर उसको चूसता। नीचे धक्के पे धक्का… धक्के पे धक्का… धक्के पे धक्का… …फिच्च फिच्च फिच्च… फिच्च फिच्च फिच्च.. रीना रानी अब तक कई बार झड़ चुकी थी, शायद दस बारह बार तो चरम सीमा के पार पहुँचने का आनन्द उठा चुकी थी।
इधर मेरे टट्टों में भी दबाब बढ़ने लगा था। यूँ लगता था कि मेरी गोलियाँ किसी फ़ूले हुए गुब्बारे जैसे फ़ट न जाएँ। मेरा लौड़ा अब झड़ जाना चाहता था।
उधर रीना रानी चुदाई के नशे में मतवाली हो चली थी। वो तेज़ तेज़ चोदने की गुहार लगाने लगी थी। हरामज़ादी ने मेरे बाल पकड़ के खींचना शुरू कर दिया था जबकि मेरी पीठ पर अपने लम्बे नाखूनों से बहुत साडी खरोंचें वो पहले ही मार चुकी थी।
रीना रानी ने अपनी टाँगें मेरी टांगों से पूरी ताक़त से लिपटा लीं और मुझे बाँहों में जकड के मुझ से बड़े ज़ोर से चिपक गई, उसका मुंह मेरी छाती में घुस गया और उसके मस्त मम्मे मेरे पैर को दबाने लगे। पसीने से तर उसके चेहरा मेरे सीने को भी गीला कर रहा था। अब हमारी साँस फूल गई थी और बदन थरथराने लगे थे। रीना रानी ने फिर से मुझे तेज़ चुदाई करने को कहा- राजे… राजे… हाय मैं मार जाऊँगी… इतना मज़ा देता है तू मादरचोद… अब नहीं रुका जा रहा.. अब बस जल्दी से चूत को भोसड़ा बना दे… चोद चोद बहन के लोडे पूरी ताक़त लगा दे धक्के में… जब तक चूत का कचूमर नहीं निकलता मुझे न तसल्ली होने वाली हरामी इ पिल्ले… हाय हाय हाय… प्लीज राजे प्लीज… आ आ ऊँ ऊँ…हाय मेरी माँ देख कुतिया क्या हाल हुआ है तेरी बेटी का…
मैंने अपने को कोहनियों के बल टिकाया और धमाधम इतने ज़ोर से पंद्रह बीस धक्के मारे कि पलंग की चूलें हिल गईं। रीना रानी बड़े ऊँची आवाज़ में आहें भरते हुई ज़ोर से झड़ी। उसका झड़ना था कि चूत रस की बौछार से मैं भी धड़ाम से स्खलित हुआ। वीर्य की मोटी मोटी भारी भारी बूंदों से रीना रानी की चूत भर गई। चूत के रस और लौड़े के लावा का मिला जुला एक तरल चूत से निकल निकल कर उसकी जांघों और मेरी झांटों को भिगोने लगा।
गहरी सांसें लेता हुआ मैं रीना रानी के ऊपर ढह गया। वो भी चुदाई की मस्त क्रिया से मग्न होकर ढीली सी पड़ी थी। एक मंद मंद मुस्कान उसके सुन्दर मुखड़े पर छाई हुई थी और वो बहुत ही संतुष्ट लग रही थी। उसने अपने बदन को दबाते हुए मेरे अस्सी किलो के भार से एक चूं तक न की थी। मैंने बार बार रीना रानी के होंठ चूमे। मुझे उस पर बेइंतिहा प्यार आ रहा था। वो भी आनन्दमयी होकर मेरा मुखड़ा बारम्बार चूम रही थी। तब तक रात के साढ़े तीन बज चुके थे, मैंने रीना रानी को जबरन उठक कपड़े पहनने को विवश किया, वो तो यूँ ही नंगी ही सो जाती और सुबह समस्या हो जाती। उसको चुदाई के नशे में यह बात दिखाई नहीं पड़ रही थी। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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