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शायद यही मेरा सरप्राइज था.. उन्होंने अपनी कमर पर एक बड़ा सा डिल्डो बाँध रखा था.. मैं आँखें फाड़ कर डिल्डो की तरफ.. तो कभी शीतल की तरफ.. तो कभी दीदी की आँखों में देखने लगा।
शीतल- क्या हुआ आशीष.. ऐसे क्यों देख रहे हो? मैं- शीतल.. ये क्या है.. तुमने मुझे बताया क्यों नहीं.. मैं तो सरप्राइज कुछ और ही समझ रहा था.. मुझे लगा था तुम्हें मुझसे हमदर्दी हुई है और इसलिए तुमने मुझे यहाँ बुलाया है।
शीतल- अरे गुस्सा मत हो जाओ आशीष.. तुम जैसा सोच रहे हो.. वैसा ही सरप्राइज तुम्हें मिलेगा.. पर उसके साथ तुम्हारे लिए.. ये भी एक सरप्राइज ही है.. तुम अगर दीदी का कहा मानोगे.. तो मैं तुम्हें अपने आपको सौंप दूँगी.. मैं तुम्हें सच-सच बता देती हूँ.. देखो मेरी दीदी को मर्दों से बहुत नफ़रत है। उसके पीछे उनकी कुछ निजी वजह है.. और उन्हें femdom मतलब महिलाओं का दबदबा होना.. बहुत पसंद है.. जब मैंने उस दिन तुम्हें पहली बार तुम्हारे घर नंगा देखा था.. तब ही मेरे मन में ख्याल आया कि तुम जैसे बंदे को मैं दीदी को सौंप सकती हूँ.. पर ये तुम्हें कैसे बताया जाए.. यह मैं सोच रही थी.. जैसे ही तुमने मुझे अपनी आपबीती की कहानी भेजी.. मेरा मन खुशी से उछल पड़ा.. कि अब तो इसे जाल में फंसाना और भी आसान हो गया है.. मैंने तुरंत दीदी से फोन पर बात की और उन्हें बुला लिया और हम लोगों ने आज का प्लान बनाया.. पर जैसे कि तुम जानते हो.. मुझे तुमसे हमदर्दी भी थी.. तो मैंने दीदी से कहा कि इस बार हम सिर्फ़ उसे सजा ही नहीं देंगे.. बल्कि उसे भी उसका हिस्सा भी मिलेगा.. एंजाय करने के लिए.. मैंने उसकी आँखों में मेरे जिस्म को पाने के लिए भूख देखी है।
तभी शीतल की दीदी बोली- तब ही मैंने इससे कह दिया.. कि ठीक है तुझे इसे खुद को सौंपना है.. तो सौंप दे.. पर उसे एक तरफ से मुझे भी संतुष्ट करना होगा..
अब मुझे पूरी बात समझ में आ गई थी.. यह भी एक तरह की सजा ही थी.. बस फ़र्क इतना है कि यहाँ मुझे एक मनचाही औरत चोदने के लिए मिलने वाली थी.. पर मुआवजे में मुझे अपनी गाण्ड भी मरवानी होगी!
मैं सोच में डूबा था.. मेरा मन ‘ना’ कहने का था.. पर शीतल का मादक बदन मेरे आँखों के सामने घूमने लगा.. उसकी नंगी जाँघों का मस्त अहसास.. शेव्ड आर्म्पाइट्स मुझे जरूर चाहिए थीं।
मैंने ठान लिया कि जो कुछ भी हो जाए.. मैं आज शीतल को चोद कर ही जाऊँगा।
डिल्डो देखने के बाद और ये सब सुनने के बाद मेरे लंड की जान निकल गई थी.. उधर कॉफी ठंडी हो गई थी और इधर मेरी नुन्नी..
शीतल- क्या सोच रहे हो आशीष? मैं- कुछ नहीं शीतल.. मैं जरा घबरा गया हूँ.. इतना बड़ा डिल्डो देखकर..
शीतल- हाँ.. वो तो हम लोग तुम्हारी नुन्नी की हालत देख कर ही समझ गए हैं कि तुम्हारी फट गई है.. हा हा हा… हा हा हा.. पर मैं यह भी जानती हूँ कि मुझे पाने के लिए तुम दीदी से अपने आपको चुदवा ही लोगे.. बोलो सच कहा ना मैंने?
मैं- हाँ.. शीतल बिल्कुल सच कहा.. अगर आज मुझे तुम मिलने वाली हो.. तो मैं जो कुछ भी तुम दोनों कहोगी.. वो सब कुछ करूँगा। शीतल- वॉववव.. चलो हम कुछ हल्का-फुल्का ब्रेकफास्ट कर लेंगे.. जिससे थोड़ी ताक़त मिलेगी.. मैं बनाकर लाती हूँ.. तब तक.. तुम दीदी जो कहे वो करना.. ओके..
मैं- ठीक है.. दीदी- उठो और मेरे पैरों में बैठ जाओ.. मैंने वैसा ही किया.. फिर दीदी ने अपना पैर उठाया और मुझसे कहा।
दीदी- चल मेरे पैर चटाना शुरू कर दे..
मैंने दोनों हाथों से दीदी का पैर अपने हाथ में लिया और उंगलियों से घुटनों तक मेरी जीभ से.. मैं उनके पैर चाटने लगा। जब वो एक पैर को चटवा कर संतुष्ट हो चुकीं.. तो उन्होंने मुझे रुकने को कहा और दूसरा पैर आगे बढ़ाया। मैंने ठीक उसी तरह दूसरे पैर को भी चाटा।
जब वो पूरी तरह से इससे संतुष्ट हुईं तब उन्होंने मुझे रुकने के लिए कहा.. और अचानक से एक करारा चाँटा मेरे गालों पर खींच दिया। मैं झुंझला गया- यह क्यों मारा.. मैंने तो वही किया.. जो आप ने करने को कहा..
दीदी- यह सज़ा नहीं.. शाबाशी थी.. मैं इसी तरह से शाबाशी देती हूँ।
मैं भौचक्का सा रह गया.. अजीब पागलपन था। अब उन्होंने मुझे उनके सामने झुक कर मेरी गाण्ड उनकी तरफ करके खड़े होने को कहा। मैं सामने वाले तिपाई पर हाथ रख कर झुका और उनकी तरफ अपनी गाण्ड कर दी और झुक कर खड़ा हो गया।
उन्होंने शीतल को आवाज़ लगाकर तेल की बोतल मँगवाई.. जैसे ही शीतल आई और मुझे वैसे देखा.. वो समझ गई कि अब क्या होने वाला है.. वो बोतल दीदी को देकर.. मेरे कान में बोलने लगी- सॉरी डियर.. बट प्लीज़ कोऑपरेट विद हर..
इतना कहकर उसने मेरे गाल पर एक हल्का सा चुम्बन कर दिया.. मुझे बहुत अच्छा लगा.. पर उसी वक़्त उनकी दीदी ने अपना हाथ मेरे नितम्बों की दरार पर घुमाना शुरू कर दिया.. ये बिल्कुल वैसा ही स्पर्श था.. जैसा शीतल ने थोड़ी देर पहले दिया था, आखिर दोनों बहनें जो थीं।
फिर उन्होंने तेल की बोतल खोली और थोड़ा तेल बीच वाली उंगली में लिया और वो उंगली मेरी गाण्ड के छेद पर टिका दी।
अभी मैं कुछ समझ पाता.. तब तक उन्होंने ज़ोर से वो उंगली मेरे छेद में अन्दर तक घुसा दी.. तेल लगाने के कारण उंगली फट से अन्दर चली गई और एक दर्द भरी चीख मेरे मुँह से निकल पड़ी.. वो सुनकर दीदी बोलने लगीं- हा हा.. उंगली से ही ये आवाज़ निकली तेरी.. ये 10 इंच का डिल्डो जब अन्दर जाएगा.. तब क्या होगा तेरा.. हा हा आहा हा हा हा..
मुझे वो किसी राक्षसी सी लगने लगी थी.. पर मुझे शीतल की चूत का मोह था सो सब झेल रहा था। शीतल तब तक खाने का सामान लेकर आ चुकी थी।
दीदी- शीतल.. तुम इससे आगे से फीड करो.. मैं पीछे से करती हूँ.. आज इसे दोनों तरफ से खिलाते हैं.. हा हा हा हा हा हा..
शीतल ने एक सैंडविच लिया और मेरे मुँह पर रख दिया.. उधर दीदी ने उंगली निकाल दी और डिल्डो मेरी गाण्ड के छेद पर रख दिया।
दीदी- शीतल जल्दी से वो सैंडविच इसके मुँह में ठूंस दे.. ताकि जब डिल्डो इसके पिछवाड़े में घुसे.. तो इसकी चीख ना निकले.. शीतल- और निकली भी तो क्या हुआ दीदी.. हम लोग 22 वें फ्लोर पर हैं.. सारे पड़ोसी वीकेंड होने के कारण बाहर गए हुए हैं.. इसकी चीख हवा में ही दब जाएगी.. .हा हा हा हा हा हा..
मैंने मुँह खोला और शीतल मुझे सैंडविच खिलाने लगी.. जैसे ही मेरा मुँह सैंडविच से भर गया.. दीदी ने कस कर मेरी कमर को पकड़ कर एक ज़ोर का झटका दे दिया, मेरी तो आँखों के सामने जैसे अंधेरा छा गया और मुझे दिन में तारे नज़र आने लगे। मेरी चीख सैंडविच के कारण दब चुकी थी.. और शीतल मेरे बालों में और सिर पर अपना दूसरा हाथ फेर रही थी।
अब दीदी ने पीछे से हल्के-हल्के धक्के देने लगी.. पर पता नहीं क्यों.. वो आधे से ज़्यादा डिल्डो अन्दर नहीं डाल पा रही थीं.. इससे उन्हें गुस्सा आ रहा था और वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे चूतड़ों को हाथों से मार रही थीं।
इधर मैं सैंडविच खत्म कर चुका था.. दीदी ने डिल्डो बाहर निकालते हुए कहा- शीतल.. बस कर.. वो बाजू में रख.. और इससे पानी पिला.. और यहाँ कारपेट पर सीधा लिटा दे.. इस अवस्था में तो ये डिल्डो 5-6 इंच से ज़्यादा अन्दर नहीं जा रहा है.. तू अपनी शॉर्ट और पैन्टी उतार दे.. और इसके मुँह पर बैठ जा.. जिसे ‘फेस सीटिंग’ बोलते हैं.. पूरा 10 इंच अन्दर जाएगा.. तो इसे बहुत दर्द होगा और ये भाग भी सकता है.. तू बैठी रहेगी तो ये मादरचोद हिल भी नहीं पाएगा.. तू अपनी चूत इसके होंठों पर रख दे.. इससे इसकी आवाज़ नहीं निकलेगी और तेरी चूत भी चट जाएगी..
प्रिय साथियों कहानी को विराम दे रहा हूँ.. कल फिर मिलते हैं। आप से गुजारिश है कि मेरा प्रोत्साहन करने के लिए मुझे ईमेल अवश्य लिखें। कहानी जारी है। [email protected]
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