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हैलो दोस्तो, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया कि आप लोगों ने मेरी पहली कहानी को पसंद किया और आपने ढेर सारे मेल भी किए.. ऐसे ही प्यार बांटते रहिए.. मैं आगे और भी अपने नए-नए अनुभवों को आपके सामने लाता रहूँगा.. तो चलिए आगे बढ़ते हैं मेरी दूसरे कहानी की ओर..
यह बात उस बुधवार की थी.. जिस दिन मैं थोड़ा लेट उठा था। बिस्तर से उठने का मन ही नहीं कर रहा था.. बिस्तर पर लेटे-लेटे ही अपने लण्ड को सहला रहा था। पता नहीं कब मेरे अन्दर सुबह ही ठरकपन चढ़ गई और गाण्ड में अजीब सी हलचल होने लगी। लेकिन मन में सोच रहा था कि बुलाऊँ तो किसको बुलाऊँ.. क्योंकि हर कोई इस टाइम ऑफिस जा चुके होंगे। वैसे भी मुझे नए लण्ड की तलाश होती रहती है..
अभी में ऐसा सोच ही रहा था कि दरवाज़े के पास किसी के सामान समेटने की आवाज़ आई। मैं अंडरवियर में था, मैंने धीरे-धीरे दरवाज़े की ओर कदम बढ़ाए और कुण्डी खोल दी.. तो देखा एक 22-23 साल का कूड़े वाला झुक-झुक कर कूड़ा उठा रहा था।
उसने मुझे देखा और फिर मेरे नीचे देखा और काम में लगा रहा।
अब मैं उसका हुलिया बताता हूँ.. वो देखने में ठीक-ठाक था.. पतला शरीर.. कपड़े काम की वजह से पूरा गंदे थे। उसकी ऊँचाई करीब 5’8″ और उसके जिस्म से पसीने की बू आ रही थी। वो ज़्यादा गोरा भी नहीं था और बहुत काला भी नहीं था। उसको मैंने पहले भी देखा था.. लेकिन मन में उसके लिए कभी ऐसे ख़याल नहीं आया। आज ना जाने क्यों.. उसको देखकर मेरे अन्दर कुछ अजीब सी ठरकपन होने लगी। अब मैं बात तो ज़्यादा करता नहीं हूँ.. तो मैं उसको घूर कर देखने लगा।
उसने फिर मेरी तरफ देखा और हाथ में जो प्लास्टिक का थैला था.. उसको उठा कर कूड़ा उठाने दूसरे दरवाज़े पर चला गया।
मैं फिर भी उसे देखे जा रहा था.. मैंने सोचा मैं ही बात आगे बढ़ाऊँ। मैंने पूछा- कहाँ रहता है? उसने जवाब दिया- पास ही के गाँव में.. क्यों क्या हुआ?
मैं- बस.. ऐसे ही पूछा.. तेरी कोई गर्लफ्रेंड है कि नहीं? उसने मेरी तरफ घूर कर देखा और बोला- यहाँ नहीं है.. गाँव में रहती है।
मैं उसको घूरती नजरों से देखते हुए पूछा- तब तो बहुत बुरा हुआ.. फिर ‘मुन्ने’ को कैसे मनाते हो? वो मेरा इशारा समझ गया.. उसने हल्की सी स्माइल दी और बोला- बस.. निकाल लेता हूँ.. कोई ना कोई रास्ता..
मुझे बात को आगे बढ़ाने का थोड़ा साहस हुआ। तो मैंने पूछा- अच्छा.. कोई भी..? यानि जो मिल जाए..? लड़का या लड़की.. दोनों? वो थोड़ा और खुल गया और मेरी तरफ देख कर बोला- हाँ.. क्यों.. क्या हुआ..?
मैंने राहत की साँस ली और अपनी गाण्ड को आगे करके दिखाया और पूछा- यह अगर मिल जाए.. तो इसकी भी ले लोगे क्या? उसने इधर-उधर देखा और बोला- अगर मौका मिल जाए तो क्यों नहीं..!
मैंने बोला- सही है बेटा.. तू भी क्या याद करेगा.. आएगा अन्दर अभी? वो डगमगा गया और अचंभित होकर पूछा- क्या आप सच में.. मेरे से? मैंने बोला- क्यों.. सोचा नहीं था क्या?
उसने तिरछी नज़र से मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और बोला- मैं अभी ड्यूटी पर हूँ.. कल आ जाऊँ क्या..? दोस्त भी होंगे.. ले लोगे एक साथ? मैंने बोला- यार.. अभी क्या दिक्कत है.. अभी आ जा.. परेशान मत कर.. उसने आगे वाले दरवाज़े का कूड़ा उठाते हुए बोला- समझा करो.. अभी टाइम नहीं है.. मेरा ठेला आगे है.. अन्दर आऊँगा तो देर हो जाएगी.. बाद में पक्का आऊँगा..
मैं उदास हो गया और अन्दर आकर सोचा कि यह गोली दे गया और मुझे बेवकूफ़ बना गया.. ऊपर से मैंने अपने बारे में भी बता दिया.. अब तो वो मोहल्ले वाले को भी बोल देगा.. मुझे यही सोच कर डर लगने लगा।
मैं फिर बिस्तर में आकर उसकी यादों में अपनी गाण्ड के छेद को धीरे-धीरे सहलाने लगा।
मैंने टाइम देखा तो सुबह के 10 बज गए थे। मुझे भी काम पर जाना था.. तो मैं ना चाहते हुए भी धीरे-धीरे बाथरूम की तरफ कदम बढ़ने लगा।
कूड़े वाले ने आज मेरी हालत खराब कर दी थी, ना मैं उसका लण्ड देख पाया और ना ही गाण्ड मरवा पाया.. ऊपर से अपने आपको और बदनाम कर दिया। मैं बाथरूम के अन्दर आया.. फुव्वारा चला कर नहाने लगा.. गाण्ड के छेद को साफ किया और नंगा ही कमरे में आ गया, थोड़ा डियो लगाया और कपड़े पहन कर ऑफिस के लिए निकलने लगा.. तभी दरवाज़े पर नॉक हुआ। मैंने सोचा- अब कौन आ गया?
दरवाज़ा खोला तो मैं हैरान हो गया.. कूड़े वाले के साथ और तीन बंदे 24-25 साल के थे.. टोटल 4 बंदे मेरे दरवाज़े के सामने खड़े थे।
मैंने हैरानी के साथ थोड़ी खुशी जताते हुए पूछा- क्या हुआ.. कौन है यह सब? कूड़े वाले ने सबकी तरफ देख कर सबको अपना नाम बताने के लिए बोला।
“मैं आसिफ़..” “मैं मुन्ना..” “मैं इक़बाल..”
कूड़े वाले ने पूछा- क्यों.. अभी तो बुला रहे थे और जब आ गया हूँ.. तो अन्दर आने नहीं दे रहे हो। मैंने चहकते हुए बोला- अरे सॉरी.. मैं सबको देख कर भूल ही गया.. आ जाओ सब अन्दर।
अन्दर आते ही मुन्ना ने दरवाज़ा बंद कर दिया और इक़बाल ने पूछा- तेरे पास कुछ दारू-शारू रखी है क्या?
जब उसने ‘तू’ करके मेरे से बात की.. तो मेरा दिल उसके ऊपर आ गया और मैंने जवाब दिया- हाँ.. थोड़ी रखी है.. पीनी है क्या अभी? वो भी दिन में?
उसके जवाब ने मुझे उसकी ओर और अधिक आकर्षित किया- जब तुझे चोदने आए हैं.. तो शबाव के साथ शराब हो.. तो मज़ा आ जाए..
मैंने उनको बिठाया और सबको एक-एक पैग पिलाया। फिर सबने दो-दो पैग पीने के बाद मुझसे पूछा- तू क्या शर्मा कर बैठी है.. अपने कपड़े क्यों नहीं खोलती? मैंने बोला- जी थोड़ी देर में.. मुझे शरम आ रही है..
तो कूड़े वाले ने कहा- अबे साली.. उस वक़्त तो बहुत गौर से देख रही थी मेरे लण्ड की ओर.. अब शरमाने का नाटक क्यों कर रही है.. चल इधर आ.. मेरी जान.. हम तुझे आज सैर कराते हैं..
मैं अन्दर ही अन्दर ठरक की दुनिया में कई बार डुबकी लगा चुका था.. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी ख़ुशी कैसे जताऊँ.. मैं बस ऊपर वाले का शुक्रिया किया और उनके पास जाकर बैठ गया।
आसिफ़ ने मेरी शर्ट के ऊपर से ही मेरे छोटे-छोटे दूधों को दबाने लगा.. मैं मदहोश होने लगा। मैंने अपनी शर्ट के बटन खोल दिए और मेरे चूचे उनके सामने आ गए। आसिफ़ मेरे गोरे-गोरे मम्मों को देख कर पागल हो गया और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। फिर मुँह पास लाकर उसने अपनी जीभ से पहले गोल-गोल घुमाया और फिर एक घुण्डी को चूसने लगा।
मैं पागल होने लगा और अपने आपको उनके हवाले कर दिया। अब इक़बाल उठा और उसने मुझे बिस्तर पर पटक दिया और बोला- चल साली.. नंगी हो जा पूरी.. मैंने बिना एक मिनट गंवाए.. उसकी बात को स्वीकार करते हुए.. अपने सारे कपड़े खोल दिए और साइड में फेंक दिए।
अब कूड़े वाला मेरे ऊपर चढ़ा और पैन्ट को खोलकर पॉटी करने की स्टाइल में अपनी गाण्ड को मेरे मुँह के ऊपर रखा और बोला- चाट इसे.. जल्दी.. साफ़ कर दियो अन्दर तक..।
मैं उसके पसीने और थोड़ी टट्टी की खुश्बू में पागल हो गया और ज़ोर-ज़ोर से उसको जीभ से चाटने लगा। मेरी जीभ अन्दर तक चली गई और कूड़े वाले को बहुत मज़ा आने लगा।
वो- आह्ह.. मजा आ गया.. क्या बात है साले.. वो ऐसा बोल कर अपनी गाण्ड मुझसे चटवाता रहा।
अब मुन्ना मेरी ओर बढ़ा और मेरी टाँगें ऊपर उठा कर खोल दीं। मैंने कुछ हरकत किए बिना उसे उसको अपनी मर्ज़ी का मालिक बना दिया और उसकी आज्ञा मानने लगा।
अब उसने मेरा लण्ड पकड़ा और बोला- इसको क्यों लेकर घूम रहा है गान्डू.. इसके बदले चूत लगा ले.. क्या सेक्सी बॉडी है तेरी.. मज़ा आ जाएगा जब मेरा लौड़ा तेरे अन्दर जाकर हल्ला बोल करेगा..
अब इक़बाल की बारी थी.. उसने अपने सारे कपड़े मेरे से खुलवाए और पैर चाटने को कहा। मैंने बिना रुके उसके पैर चाटना शुरू किए और धीरे-धीरे उसके लण्ड की तरफ बढ़ा।
उसका 7″ का लण्ड पूरा तना हुआ था और उसने मेरे बाल पकड़ कर बिना सोचे कि मैं ले पाऊँगा या नहीं.. पूरा लण्ड मेरे मुँह के अन्दर पेल दिया..। मेरी साँस बंद होने लगी और मैं खांसने लगा। उसको लगा कि कुछ ज़्यादा हो गया.. तो उसने लण्ड बाहर निकाल लिया और मेरे आँसू को देखते हुए बोला- चल.. इसे अपना लॉलीपॉप सोच कर चूसना शुरू कर..
मैंने धीरे-धीरे लवड़ा चूसना शुरू किया और उसका बिना साफ़ किए हुआ लण्ड मेरे मुँह में अन्दर-बाहर होने लगा। अब मुझे मज़ा आने लगा.. यह करते-करते करीब 45 मिनट हो चुके थे और मेरी गाण्ड के अन्दर खुजली और बढ़ने लगी। मेरे से रहा नहीं गया और मैं अपने आप उंगली करने लगा.. तो मुन्ना और कूड़ा वाले ने देख लिया और कहा- अबे इसको देख.. साली अपने आपको रोक नहीं पा रही है रंडी.. इतनी खुजली.. चल.. अब असली काम पर आते हैं और दोनों की खुजली मिटाते हैं।
मुझे उनकी बातें सुन कर बहुत मज़ा आ रहा था। मैं उनको अपनी गाण्ड और थोड़ी उठा कर दिखाने लगा.. तो मुन्ना के मुँह में पानी आ गया और वो घुटनों के बल बैठ कर मेरी गाण्ड का छेद चाटने लगा। उसकी जुबान की सनसनी से मेरे तो होश ही उड़ गए.. इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बोलूँ।
तभी इक़बाल ने बोला- यार.. मुझे ज़ोर की सू-सू आ रही है.. क्या करूँ?
कूड़ा वाले ने झटके से कहा- अबे.. इसने तो मेरी टट्टी भी चाट ली.. तो इसका मुँह कब काम आएगा.. दे डाल इसके मुँह में.. साली सब पी जाएगी.. बल्कि इसको पीना ही पड़ेगा.. दारू का नशा उन पर चढ़ कर उनसे ज़ोर-ज़ोर से कुछ भी बुलवा रहा था। वो मुझे उस नशे में ही अपनी गोटियां लगवा रहा था।
मैं अपना मुँह खोलने ही वाला था कि इक़बाल ने सारा मूत.. धार बना कर मेरे मुँह पर मार दिया। मुन्ना ने मेरा मुँह पकड़ा और खोल दिया ताकि पूरा मूत मेरे अन्दर चला जाए..
मैंने बिना कुछ सोचे समझे पूरा पी लिया.. अब मेरी गाण्ड की बारी थी.. जो ज़ोर-ज़ोर से लण्ड.. लण्ड.. पुकार रही थी.. इक़बाल ने मेरा पैर ऊपर किया और मुझे पूरा गोल बना दिया.. ताकि मेरी गाण्ड का छेद साफ़ नज़र आए..
उसने थोड़ा थूक मेरे छेद पर मारा और थोड़ा अपनी टोपे पर मला और उसको रसीला बना दिया। फिर उसने अपना टोपा मेरी गाण्ड के फूल में रखा और धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा। मैंने मन ही मन सोचा कि यह तो पूरा ब्लू-फिल्म की तरह कर रहा है और इसको चोदने के तरीके भी आते हैं।
तब तक मुन्ना आया और मेरे मम्मों को चूसने लगा। फिर इक़बाल ने लण्ड को छेद पर सटाया और धीरे-धीरे अन्दर करने लगा। मेरे से रहा नहीं गया और मैं बोल पड़ा- इतना मत तड़पाओ.. चोदो न जल्दी से..
वो और उत्तेजित हो गया और टोपा अन्दर करने लगा.. क्योंकि पहले से मेरी गाण्ड गीली थी और उसका लण्ड गीला था.. तो वो आसानी से अपना रास्ते बनाने लगा और धीरे-धीरे पता ही नहीं चला कि कब पूरा का पूरा अन्दर चला गया। अब इधर इक़बाल धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाने लगा। उधर मुन्ना मेरी चूचियां ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा और आसिफ़ ने मेरे मुँह में लण्ड डाल कर चुसवाना शुरू किया।
मुझे लगा कि कूड़ा वाले को क्यों वैसे ही रखा जाए.. तो उसको मैंने उंगली से इशारा किया कि वो कोशिश करे कि उसका लण्ड भी मेरी गाण्ड में आ जाए। मुझे थोड़ा डर भी लगने लगा कि पता नहीं यह हो पाएगा या नहीं.. क्योंकि मैंने पहले कभी दो लण्ड साथ में नहीं लिए थे.. लेकिन बिना नशे का नशा और ऊपर से चार लण्ड को.. कैसे जाने देता..
कूड़ा वाला समझ गया और वो थोड़ा रसोई से तेल लाया जिसे उसने अपने लण्ड पर लगाया.. और क्यों कि इक़बाल के लण्ड से पहले से मेरी गाण्ड खुल चुकी थी.. तो वो भी अपना लण्ड सटकाने लगा। इक़बाल रुक गया और धीरे-धीरे कूड़े वाले का लण्ड मेरी गाण्ड के छेद में घुसेड़ने लगा। मुझे अजीब सा दर्द होने लगा.. मेरे से बर्दास्त नहीं हो पा रहा था.. मैंने अपने पंजे चादर पर रगड़ना शुरू कर दिए।
इधर धीरे-धीरे करके कूड़े वाले का लण्ड मेरी गाण्ड को चीरता हुआ आगे बढ़ने लगा। फिर दोनों एक ही पोजीशन में रुक गए.. करीब दो मिनट तक.. अब मेरा दर्द थोड़ा कम होने लगा.. लेकिन इस बार खुजली थोड़ी ज़्यादा बढ़ गई थी।
अब धीरे-धीरे दोनों अपना लण्ड आगे पीछे करने लगे और मेरी गाण्ड को खूब चोदने लगे। मैंने सेक्स की दुनिया में डुबकी लगाना शुरू कर दिया।
“आअहह… उफफ्फ़…और माआरूऊ गांड.. मेरीइइ…”
यह सुनते ही दोनों की स्पीड बढ़ गई और करीब दस मिनट बाद दोनों ही झड़ गए। उन्होंने झड़ने से पहले अपना-अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था।
अब बारी मुन्ना और आसिफ़ की थी। आसिफ़ मेरे मुँह में डाल-डाल कर चुसवाने लगा और मुन्ना ने मुझे घोड़ी बना कर मेरी गांड खूब बजाई।
करीब दस मिनट तक बजाने के बाद मेरे मुँह पर ही झड़ गया। यह खेल करीब 2 घंटे तक चला और मेरी गाण्ड का भुर्ता बन चुका था। लेकिन जो मैंने सोचा था.. वही हुआ.. मुझे एक साथ 4 लण्ड से चुदवाना था और मैं कामयाब रहा। उन्होंने अपने कपड़े पहने और दोबारा मिलने का वायदा करते हुए चले गए।
दोस्तो, आपके सामने.. यही थी मेरी सच्ची कहानी.. आपको कैसी लगी.. ज़रूर बताईएगा। मुझे ईमेल करना ना भूलिएगा। [email protected]
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