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मुझे फ़ेसबुक पर चैट करने का बड़ा शौक है..
दोस्तो, मेरा नाम संचित है.. मैं तलवाड़ा (पंजाब) का रहने वाला हूँ.. मेरी हाइट 5’10” है.. और मैं दिखने में एकदम हीरो जैसा हूँ। मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है.. मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं और आज मैं अपनी पहली कहानी लिखने जा रहा हूँ.. मुझे आशा है आप सभी को पसंद आएगी।
मुझे फ़ेसबुक पर चैट करने का बड़ा शौक है.. एक दिन मैंने ऐसे ही एक लड़की.. जिसका नाम प्रिया था.. उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट सेंड की। कुछ दिनों के बाद उसने मुझे अपनी फ़ेसबुक फ्रेण्ड लिस्ट में एड कर लिया। फिर हम दोनों की चैट शुरू हो गई। हम दोनों ने एक-दूसरे से सारी जानकारी साझा की.. जैसे हम क्या करते हैं.. और कहाँ रहते हैं आदि..
फिर एक दिन बातों ही बातों में उसने कहा- वो मुझे जानती है। मैंने पूछा- कैसे? तो उसने बताया- मेरे ही घर के थोड़ी दूरी पर उसकी बुआ का घर है और उसने मुझे कई बार देखा है। उस वक्त मैंने उससे पूछा- तुम्हारी बुआ का घर कहाँ है.. और तुमने मुझे कहाँ देखा? तो उसने नहीं बताया और वो ऑफलाइन हो गई।
उसके अगले दिन हम फिर से फ़ेसबुक पर ऑनलाइन हुए.. तो मैंने उससे फिर से पूछा- कहाँ है उसकी बुआ का घर? तो उसने सीधा ना बताते हुए बात घुमानी शुरू कर दी.. पर मैं सही जगह पहुँच गया। फिर उसने भी बता दिया.. पर उसने कहा- मेरे बुआ के लड़के को मत बताना.. कि मैं आपसे चैट करती हूँ.. क्योंकि वो मुझे फ़ेसबुक चलाने से मना करता है। तो मैंने कहा- ठीक है नहीं बताऊँगा।
कुछ दिनों तक हमारी बात ऐसे ही होती रही.. अब हम दोनों दोस्त बन गए और हमने एक-दूजे के मोबाइल नम्बर भी ले लिए थे। चूंकि मैं तो उसे चोदना चाहता था.. तो बातों में ही मैंने उससे सेक्स टॉपिक पर बात शुरू की.. पर वो मुझसे भी होशियार थी.. उसने चुदाई की बातों में रस लेना शुरू कर दिया, मैं तो पहले ही यही चाहता था।
फिर एक दिन वो बोली- मैं बुआ के घर आ रही हूँ.. आप मार्केट आ जाना.. मुझे आपसे मिलना है। मैं बड़ा खुश हुआ और अपनी बाइक लेकर मार्केट निकल गया। फिर मैंने उसे फोन किया और एक जगह के बारे में बता कर बोला कि वहाँ आ जाओ। वो बोली- रूको.. थोड़ी देर में आती हूँ। फिर 10-15 मिनट के बाद वो उधर आ गई। उस दिन उसने हरे रंग की पजामी और सफ़ेद कुर्ती पहनी हुई थी। उसकी फिगर भी 34-28-36 की रही होगी तो उस दिन वो उस चुस्त सूट में बहुत मस्त लग रही थी।
मैंने उसे अपनी बाइक पर बिठाया और एक सुनसान जगह पर ले गया। वो थी तो चालू ही.. पर फिर भी अंजान बन रही थी।
‘हम कहाँ जा रहे हैं?’ तो मैंने बोल दिया- बड़ा तड़पाया है जान तुमने.. वो सब समझ गई थी.. अब वो मुझसे चिपक कर बैठ गई। फिर एक सुनसान जगह देख कर मैंने बाइक खड़ी कर दी।
वो इठला कर बोली- क्या इरादा है आपका? मैंने उसे अपनी ओर खींचा और उसके होंठों में होंठों को डाल दिया। शुरुआत में तो उसने छुड़ाना चाहा.. पर फिर वो मेरा साथ देने लगी। इसी दौरान मैंने एक हाथ उसकी पजामी में डाल दिया। उसने पैंटी नहीं पहनी थी.. पर उस समय उसने मुझे रोक दिया। मैंने फिर भी उसके मम्मे बहुत मसले। खुली रोड होने के कारण हम कोई चान्स नहीं लेना चाहते थे.. सो हम वापस चले आए। वो अपने घर चली गई..पर हमारी फोन पर और फ़ेसबुक पर बात होती रहती थी।
एक दिन मम्मी-पापा को कहीं जाना था.. सो सारा दिन मैं घर पर अकेला था। मैंने प्रिया को फोन किया और बोला- आज मैं घर पर अकेला हूँ.. तुम आ जाओ। पहले उसने मना कर दिया.. पर फिर चुदास के चलते वो मान गई।
मेरे मम्मी-पापा सुबह 9 बजे चले गए.. फिर 11 बजे दरवाजे पर घन्टी बजी.. तो मैंने दरवाजा खोला, देखा.. प्रिया ही थी। उस दिन वो जीन्स-टॉप में क्या मस्त माल लग रही थी। उसके अन्दर आते ही मैंने दरवाजा बन्द किया और उसको पकड़ लिया, हम दोनों एक-दूसरे को मुँह में मुँह डाल कर चुम्बन करने लगे।
इतनी देर में मेरा लवड़ा खड़ा हो गया था.. मैंने उसे गोद में उठाया और अपने बेडरूम में ले गया। मैंने उसे बिस्तर पर गिरा दिया और उसके ऊपर खुद गिर गया.. 10-15 मिनट तक होंठों का चुम्बन लेने के बाद हम अलग हुए। अब मैं उसके कपड़े उतारने लगा। आज भी उसने सिर्फ़ ब्रा ही पहनी थी.. पैंटी नहीं.. शायद उसे चुदने की जल्दी थी। पर भाई क्या क्या गजब की फुद्दी थी उसकी.. मैं उसकी सफाचट नंगी फुद्दी को चूम रहा था। तो वो मेरे भी कपड़े उतारने लगी।
अब हम दोनों एकदम नंगे थे.. मेरा लंड बिल्कुल लोहे की रॉड की तरह तन गया था.. वो उसे हाथ में लेकर सहलाने लगी। मैंने बोला- मुँह में लेकर चूसो इसे.. उसने मना कर दिया।
फिर हम दोनों बेड पर नंगे लेट कर एक-दूसरे को चूमने लगे.. इस बार मैं अपना एक हाथ उसकी फुद्दी पर ले गया और एक उंगली उसके अन्दर-बाहर करने लगा, उसे मजा आने लगा वो भी मुझे पागलों की तरह चूमने लगी।
मैं अब दो उंगली से चूत को कुरेदने लगा.. उसकी साँसें लगातार तेज हो रही थीं और उसका जिस्म भी अकड़ रहा था, तभी उसने पानी छोड़ दिया।
फिर मैंने उसको मेरा लंड चूसने को बोला.. इस बार उसने मना नहीं किया और मैंने भी सीधा उसके मुँह में लौड़ा पेल दिया, वो बड़े जोश से मेरा लंड चूस रही थी। कुछ देर लण्ड चूसने के बाद वो बोली- अब करो ना.. और मत तड़पाओ.. तो मैंने भी उसे चित्त लेट जाने को बोला.. वो लेट गई और मैंने अपने खड़े लंड पर कन्डोम चढ़ाया और उसकी टांगें खोल कर लंड उसकी फुद्दी की फांक पर लगा दिया।
थोड़ी देर तक सुपारे को चूत पर रगड़ने के बाद एक झटका मारा तो लंड आधा उसकी फुद्दी (चूत) में चला गया। लवड़ा अन्दर जाते ही उसकी चीख निकल पड़ी- ऑहहहहाए.. मर गई.. ऊह्ह.. मम्मी.. मत करो.. पर मैंने फिर एक झटका मारा तो पूरा लंड फुद्दी में समा गया।
वो दर्द से चिल्ला रही थी- साले.. बाहर निकालो.. मुझे नहीं करना। पर मैंने उसके मुँह में अपना मुँह लगा दिया और धीरे-धीरे उसकी चूत चोदने लगा। थोड़ी देर में उसे दर्द का अहसास जाता रहा और अब उसे भी मजा आने लगा, वो भी नीचे से अपने चूतड़ों को उछाल कर मेरा साथ देने लगी।
इसी तरह 30 मिनट के बाद मेरा छूटने वाला था सो मैंने रफ्तार बढ़ा दी। इस दौरान वो 2 बार झड़ चुकी थी.. मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाला और कन्डोम उतार कर उसके मुँह में दे दिया। मैंने अपना माल उसके मुँह में छोड़ दिया.. वो सारा पी गई और फिर उसके बाद मैंने 4 बार और उसे चोदा। वो 3 बजे अपने घर चली गई.. इसके बाद वो मुझसे मौका पाकर कई बार चुदी। फिर दोबारा मैंने उसे कैसे और कहा चोदा अगली कहानी में लिखूंगा।
आपको मेरी कहानी कैसे लगी.. मुझे मेल अवश्य कीजिएगा.. पर प्रिया की चूत न मांगिएगा.. अपने लौड़े के लिए खुद चूत ढूँढो और चोदो.. फिर हम सबको उसका किस्सा सुनाओ।
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