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अगले दिन दोपहर को देखा कि मौसी तो पंजाबी सूट पहने हुये थी। मतलब अब मैं उनका ब्लाउज़ नहीं खोल सकता था, तो क्या मौसी को सब पता चल गया, मुझे बहुत ग्लानि हुई।
अगले 3-4 रोज़ मैंने देखा कि मौसी हमेशा पंजाबी सूट ही पहनती थी और इसी वजह से मैं कुछ नहीं देख पाता था। हाँ कभी कभी उनके झुकने से उनकी वक्ष रेखा ज़रूर दिख जाती थी पर मैं उनके साथ उस दिन की वारदात भूल नहीं पा रहा था।
रात को मौसा जी ने मौसी के साथ सेक्स किया। दोनों की खुसुर पुसुर और कराहटें मैं सुन रहा था। मेरा भी लण्ड पूरा तना हुआ था, पर मैं क्या कर सकता था।
अगले दिन सुबह उठा और तैयार हो कर कॉलेज चला गया। जब दोपहर को वापिस आया तो देखा के मौसी नाइटी पहने घूम रही थी। मैंने चलते फिरते उन्हें ध्यान से देखा तो पाया के नाइटी के नीचे उन्होंने न तो कोई ब्रा पहनी थी और न ही कोई पेटीकोट या सलवार। मतलब नाइटी के नीचे वो बिल्कुल नंगी थी।
मेरा मन तो खुशी से भर गया। खाना खाते खाते मैं सोच रहा था के अगर आज मौका मिल गया तो मौसी की नाइटी उठा कर उसकी चूत के भी दर्शन करूंगा।
खाना खाकर मैं अपने कमरे में लेट गया और मौसी अपने कमरे में टीवी देखने लगी। करीब सवा तीन बजे मैं पानी पीने के बहाने मौसी के कमरे में गया तो देखा मौसी बिस्तर पे फैली पड़ी थी और खर्राटे मार रही थी। मैं पानी पी कर वही खड़ा हो गया और मौसी को घूरने लगा। मौसी की नाइटी पंखे की हवा से थोड़ी थोड़ी उड़ रही थी। नाइटी के अंदर दोनों स्तन अगल बगल को बिखरे पड़े थे। मैं चुपचाप से जाकर मौसी के पांव के पास जा कर बैठ गया। मैंने अपना सर झुका कर उनकी नाइटी के अंदर देखने की कोशिश की। नाइटी के अंदर मुझे दो गोरी गोरी और मोटी, गुदाज टांगें दिखीं, टाँगों पे थोड़े से बाल थे पर फिर भी चिकनी लग रही थी।
उसके ऊपर दो विशाल जांघें, पर जांघें आपस में जुड़ी पड़ी थी, तो चूत नहीं दिख पा रही थी, मैंने मौसी की टांग के नीचे दबी उनकी नाइटी निकालनी शुरू की, धीरे धीरे जितनी नाइटी मैं निकाल सकता था, मैंने निकाल दी।
अब जब मैंने मौसी की नाइटी तम्बू की तरह ऊपर उठाई तो वाह क्या नज़ारा था। दो खूबसूरत मोटी मोटी टांगें, उसके ऊपर ताज़ी शेव की हुई चूत, चूत के ऊपर गोरा गोरा गोल पेट, और पेट के ऊपर दो विशाल छातियाँ।
यह मेरी ज़िंदगी का पहला अनुभव था जब मैंने कोई औरत पूरी नंगी देखी थी। मैंने मौसी की नाइटी उनके पेट तक ऊपर उठा कर रख दी क्योंकि इससे ऊपर नाइटी जा नहीं रही थी। मैंने अपना चेहरा पास ले जा कर बड़े करीब से चूत के दर्शन किए। शायद मौसी ने कल ही चूत शेव की होगी, क्योंकि रात मौसी मौसा ने अपना प्रोग्राम जो किया था, चूत के आस पास पाउडर लगा था।
मैं इस चूत को चूमना चाहता था पर डर रहा था, फिर भी मैंने हिम्मत करके धीरे से अपने होंठों से चूत की दरार को छुआ।
मौसी थोड़ी सी हिली, मतलब चूत को छू नहीं सकता था। मगर अब हिम्मत बढ़ती जा रही थी, मैंने अपना पायजामा खोल कर अपना तना हुआ लण्ड बाहर निकाला और मौसी के सामने हिला के धीरे से अपने मुँह में फुसफुसाया- उठो संतोष, तुम्हारा यार अपना लण्ड निकाल के तुम्हारे सिरहाने खड़ा है, इसका अभिवादन करो, अपने मुँह में लेकर इसे प्यार करो, अपनी टांगें फैला कर इस अपनी चूत में लो, उठो डार्लिंग, उठो।
पर मेरी आवाज़ इतनी धीमी थी कि सिर्फ मैं ही सुन सकता था।
कितनी देर मैं मौसी की चूत देख कर अपना लण्ड हिलाता रहा, जोश बढ़ता गया और मैं और ज़ोर से लण्ड हिलाता गया, पता तब चला जब मैं वहाँ खड़ा खड़ा ही झड़ गया। मेरा जो वीर्य छूटा, उसके छींटे बहुत जगह पर फैल गए, मैंने जल्दी जल्दी सारी जगह से साफ किया, मगर एक बूंद मौसी की चूत के पास उनके पेडू पे गिरी जो बह कर चूत की दरार में समा गई, अब उसे तो मैं साफ नहीं कर सकता था, तो सारी तरफ देख कर के सब साफ हो गया, मैं जाकर अपने कमरे में लेट गया।
अब तो यह रोज़ का ही रूटीन हो गया, शायद गर्मी के कारण पर मौसी रोज़ नाइटी पहनती और रोज़ मैं उसकी नंगी देखता और लण्ड हिलाता और झड़ जाता… मतलब मौसी के चक्कर में मैं मुट्ठल बन रहा था। जिस दिन मौसी किसी वजह से न सोती उस दिन मैं बहुत बेकरार महसूस करता। अब तो मैं मौसी के कमरे में और बाथरूम में भी सुराख कर लिए थे और जब भी मौका मिलता तो मौसी को कपड़े बदलते, नहाते और मौसा से चुदते हुये देखता पर मेरी अपनी इच्छा थी मौसी को चोदने की वो पूरी नहीं हो रही थी।
फिर एक दिन भगवान मेरे पे मेहरबान हो गया, जब मैं मौसी की नाइटी ऊपर उठा कर उसकी चूत देखते हुये लण्ड हिला रहा था तो मौसी की नींद खुल गई। मुझे तो यह लगता था कि मौसी बहुत गहरी नींद सोती है, सो मैं भी आराम से पूरा नंगा होकर मौसी के बेड के पास खड़ा होता था, पर आज अचानक मौसी जाग गई, मुझे देख कर बोली- यह क्या कर रहे हो?
मुझे काटो तो खून नहीं, मैं जल्दी से अपने कमरे के तरफ दौड़ने लगा गिर गया और मौसी ने उठ कर झट से मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं नंग धड़ंग वहीं फर्श पे ही बैठ गया- मौसीजी गलती हो गई, प्लीज़ माफ कर दो। मैंने विनती की।
‘पहले यह बता, कर क्या रहा था?’ मौसी गरजी।
‘बस गलती हो गई, मौसी, आगे से नहीं करूंगा।’ मैं गिड़गिड़ाया।
‘कब से चल रहा है ये सब?’ मौसी ने थोड़ा नरमी से पूछा।
‘पिछले 20 एक दिन से, पर मौसी अब नहीं करूंगा।’ मेरी रोने वाली हालत हो रही थी।
‘चल उठ कर ऊपर बैठ और मुझे सब बता!’ मौसी ने मेरा पकड़ा हुआ हाथ खींच के बोली।
‘मौसी पहले कपड़े पहन लूँ?’ मैं फिर विनती की।
‘क्यों जब मेरे कपड़े उठा कर देख रहा था तब, मुझे बिना कपड़ों के देखता है और खुद नंगा शर्म महसूस करता है, चल बैठ…’ मौसी ने थोड़ा रोआब से कहा तो मैं मौसी के पास बेड पे बैठ गया और अपने लण्ड को अपने हाथ से ढकने के कोशिश कर रहा था।
मौसी क्योंकि बेड पे बैठी थी तो उनकी नाइटी अभी भी उनके घुटनों तक उठी हुई थी और घुटनों से नीचे उनके टांगें नंगी दिख रही थी। मगर मैं अब उन्हे नहीं देख रहा था।
‘किसने सिखाया तुम्हें ये सब?’ मौसी ने पूछा। ‘किसी ने नहीं।’ मैंने जवाब दिया। ‘तो, क्या देखते थे?’ ‘जी कुछ नहीं!’ ‘कुछ नहीं तो फिर देखते क्यों थे, अच्छा लगता है?’
मैं चुप रहा।
‘इधर देख और बात कर मुझसे, क्या देखते थे?’ मौसी ने ज़ोर देकर पूछा। ‘जी वो…’ मैंने हकलाते हुए कहा। ‘वो क्या?’ मौसी ने फिर पूछा।
मैं फिर चुप रहा। मौसी उठ कर खड़ी हुयी और बिल्कुल मेरे सामने आ कर खड़ी हो गई- देख अगर सच बताएगा तो ठीक है, नहीं तो गाँव में तेरे घर में दीदी को बता दूँगी, कि तूने क्या बदतमीजी की है।’ मैं और डर गया- प्लीज़ मौसी किसी को मत बताना।’ मैं कहा।
‘ठीक हैं नहीं बताऊँगी, अगर तू यह बताएगा कि तो मेरी नाइटी उठा कर क्या देखता था।’ मैंने मौसी से नज़रें मिलाई और बोला- जी वो, आपकी…’ मेरे मुँह से हल्का सा निकला। ‘मेरी वो क्या?’ यह कह कर मौसी ने मेरा हाथ छोड़ा अपनी नाइटी उठाई और उतार के परे फेंक दी, मेरी ठुड्डी को पकड़ के मेरा मुँह ऊपर उठाया और बोली- ले अब देख और बता क्या कहते हैं इसे?
मैं मौसी के इस कारनामे से तो हैरान ही रह गया। मौसी ने मेरे कंधों से पकड़ के मुझे बेड पे गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर आ लेटी। ‘अब बता हरामखोर, क्या चाहता है मुझसे?’
मैं क्या कहता। मौसी की चूत मेरे लण्ड पे छू रही थी और उसके दोनों विशाल स्तन मेरी छाती से सटे थे। मैं तो जैसे हैरानी और आनंद के समंदर में गोते लगा रहा था। मुझे तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था।
‘चोदना चाहता है मुझे?’ मौसी ने पूछा, तो मैंने हाँ में सर हिलाया।
‘तो ऐसे हाथ से करके क्या होता है, तू कहता तो सही मुझे!’ ‘मैं क्या कहता?’ ‘यही कि मौसी, तुझे चोदना है।’
‘मौसी आपको चोदना है।’ अब जब सब बात खुल गई थी तो मैंने भी खुल के बोल दिया। मौसी ने करवट ली अब वो खुद नीचे हो गई और मुझे अपने ऊपर ले लिया- तो चल चोद न, किसने रोका है।
अब तो सब कुछ खुल्लम खुल्ला हो गया था, मौसी ने मेरा लण्ड पकड़ा और अपनी चूत पे रखा, मैंने अंदर डालना चाहा तो अंदर गया नहीं, मुझे तकलीफ हो रही थी।
‘क्या हुआ, डालता क्यों नहीं?’ मौसी ने कहा। ‘मौसी दर्द हो रहा है’ मैंने कहा।
‘दर्द, चल दिखा मुझे’ मौसी ने मेरा लण्ड पकड़ा और अपने हाथ में लेकर देखा- अरे तेरे तो अभी टांके भी नहीं टूटे हैं। तू तो बिल्कुल कुँवारा है, कच्ची कली!और मौसी हंस पड़ी।
मैंने हैरानी से मौसी की तरफ देखा तो वो बोली- डर मत, तेरी सील तोड़नी पड़ेगी। ‘वो कैसे?’ मैंने पूछा। ‘वो मेरा काम है, कल रात को तेरा उदघाटन करना है, यह समझ कल तेरी सुहागरात है।’ ‘कल क्यों?’ ‘कल तेरे मौसा समान लाने बाहर जा रहे हैं, 2 दिन बाद लौटेंगे।’ वो बोली। ‘तो दो दिन अपनी मौज है फिर तो?’ ‘बिल्कुल, खुल्ला खाओ नंगे नहाओ।’ मौसी ने मुझे आँख मार के कहा।
मैं मन ही मन बड़ा खुश हुआ कि ‘चलो ये काम तो सेट हुआ।’
‘तो अब क्या करें?’ मैंने पूछा। ‘अब चुस्का चुस्की करें?’ वो बोली। ‘वो क्या होता है?’ मैंने बेधड़क पूछा। ‘तू मेरी चूत चाटेगा और मैं तेरा लण्ड चूसूंगी, ठीक है?’ मुझे भला क्या ऐतराज हो सकता था। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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