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ज्योति को जॉब ज्वाइन किए एक हफ्ता हो गया था और वो और सास बहुत खुश थे। एक दिन सास ने मुझसे कहा- आप हमारा कितना ख्याल रखते हैं कि ज्योति को अच्छी सी जॉब दिला दी।
मैंने कहा- ये तो मेरा फ़र्ज़ है और आप भी मेरा कितना ख्याल रखती हैं।
एक दिन मैं अचानक ऑफिस से 2 बजे आ गया.. मैंने घर पर आके देखा तो सास ने ज्योति की नाईटी पहनी हुई थी और वो बहुत अच्छी और सेक्सी लग रही थीं। मैं अचानक से आया था.. इसलिए वो थोड़ी हड़बड़ाई और शर्मा कर अन्दर के कमरे में साड़ी पहनने चली गईं। जब वो वापिस आईं तो मैंने कहा- आप क्यों चली गई थीं?
तो उन्होंने कहा- आपके सामने नाईटी में थोड़ी हया तो रखनी पड़ेगी ना..
तब मैंने भी मौका देख कर बोला- सच कहूँ तो आप नाईटी में बहुत अच्छी लग रही थीं..
वो बोलीं- क्या आप भी मुझे चने के झाड़ पर चढ़ा रहे हो.. इस उम्र में थोड़ी अच्छी लगूँगी मैं..
मैंने कहा- आप ग़लत सोच रही हो.. अगर आप ज्योति के साथ खड़ी रहोगी तो आप उनकी बड़ी बहन ही लगोगी और ये कोई उम्र है आपके विधवा जैसे रहने की.. अगर आप साज-श्रृंगार करेंगी तो कोई नहीं कह पाएगा कि आप इतने बड़े बच्चों की माँ हैं।
मेरे मुँह से खुद की तारीफ सुनते ही उनके चेहरे पर चमक आ गई थी, धीरे-धीरे वो मुझसे खुल रही थीं, वो बोलीं- ऊपर वाले के आगे किसकी चलती है.. उसे जो मंजूर होता है वो ही होता है.. आपकी ही बात ले लो ना.. आपकी बीवी यानि की रेशमा है.. फिर भी आपको यहाँ अकेले रहना पड़ता है।
‘हम्म..’ मेरे मुँह से भी निकला।
फिर वे थोड़ा मुस्कुराते हुए बोलीं- क्या आपको रेशमा की याद नहीं आती?
मैंने कहा- आती है.. पर क्या करूँ? मैंने जान-बूझकर मेरी आँखें उनकी रसीली चूचियों पर लगा दीं।
मैं बात उनसे कर रहा था.. लेकिन मेरी हरामी नज़रें.. उनकी चूचियों पर थीं, मैं देखना चाहता था कि वो कुछ प्रतिक्रिया करती हैं या नहीं।
फिर मैं थोड़ी हिम्मत जुटा कर बोला- आपकी और मेरी हालत एक जैसी ही है।
तब उनके चेहरे पर एक अजीब सी चमक दिखी और वो बोलीं- ठीक कह रहे हो आप। हम दोनों बात का मर्म समझ कर हँसने लगे।
फिर ये सिलसिला कुछ दिन चला.. उनके चेहरे की रौनक बता रही थी कि वो भी मेरे पास आना चाह रही थीं.. लेकिन बदनामी के डर से कुछ बोल नहीं पा रही थीं।
उन्हें देख कर ऐसा लगता था कि आग दोनों तरफ लगी हुई है.. लेकिन दोनों में से कोई पहले कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। मुझे सासू को पाने की कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी.. तब मैंने अन्तर्वासना के इस फोरम पर मेरे जैसे ही एक लेखक की कहानी पढ़ी और मेरा मन खुशी से झूम उठा।
एक दिन शाम को मैं ऑफिस से आया और फ्रेश होकर मैं और सासूजी बातें करने लगे। तब बातों-बातों में मैंने सासूजी से कहा- ज्योति के बारे में आपने क्या सोचा है.. ज्योति को ससुराल भेजना है या नहीं..? कब तक वो आपके साथ रहेगी.. सारी जिंदगी अकेले नहीं गुजारी जा सकती.. वो अभी जवान है.. आपको ज्योति को समझा कर उसकी ससुराल भेज देना चाहिए।
तब सासूजी ने कहा- दामाद जी.. आप हमारे लिए कितना सोचते हैं.. इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
तो मैंने कहा- आपने धन्यवाद कह कर मुझे पराया कर दिया.. मैं तो आपको ‘अपना’ समझता हूँ।
तब उन्होंने कहा- कौन माँ ये चाहेगी कि उनकी बेटी मायके में पड़ी रहे.. लेकिन वहाँ ज्योति की उनकी सास और ननद के साथ नहीं बनती है.. इसलिए आप ही कुछ उपाय सुझाइए कि वो लोग ज्योति को खुशी-खुशी घर ले जाएं..
मैंने उनकी तरफ देखा तो फिर वो हँसते-हँसते कहने लगीं- आप तो थोड़ा-बहुत जादू-टोना भी जानते हैं.. तो क्यों न आप ही कुछ करें?
यह एक अच्छा मौका था और मैंने फट से कह दिया- सासूजी.. इसके लिए बहुत कठिन विधि करनी पड़ेगी और शायद आप वो ना कर पाएं..।
सासूजी ने कहा- अगर ज्योति का घर बस जाए.. तो मैं ‘कुछ भी’ करने को तैयार हूँ। मैंने नोटिस किया कि सासूजी ने ‘कुछ भी’ शब्दों पर ज़्यादा ज़ोर दिया था। मैं उनको अभी देख ही रहा था तभी सासूजी ने आगे कहा- आप मुझे विधि तो बताइए..
मैंने कहा- जब विधि शुरू हो तब तक आपको मेरी दासी बनना होगा और मेरी हर बात को मानना पड़ेगा और विधि कैसे करनी है.. ये बताने में मुझे थोड़ी शर्म महसूस हो रही है।
तब वो बोलीं- अगर ऐसी बात है.. तो आप लिख कर मुझे दे दीजिए.. मैं पढ़ लूँगी।
तब मैंने पूरी विधि लिख कर सासूजी को दे दी और मैं जान-बूझकर ‘अभी आता हूँ..’ कह कर बाहर चला गया।
करीब 7 बजे मैं लौटा तो वो शर्म से लाल हुई पड़ी थीं और मुझसे नजरें चुरा रही थीं।
तब ज्योति भी घर वापिस आ गई इसलिए सासूजी हमारे लिए चाय बनाने चली गईं।
तभी ज्योति खुश होते हुए मुझे बताने लगी- जीजू कल सुबह मुझे बॉस के साथ 1 हफ्ते के लिए बेंगलोर जाना है.. लेकिन मैंने कहा कि मैं घर जाकर माँ और जीजाजी से बात करूँगी.. अगर उनकी आज्ञा होगी तो मैं आपको फोन करूँगी।
सासूजी हमारी बातें सुन रही थीं.. तब मैंने कहा- अगर आपका मन जाने के लिए कहता है.. तो जरूर जाओ और इस बहाने आपको बेंगलोर भी देखने को मिलेगा। फिर भी आप अपनी मम्मी से पूछ लो।
तब तुरंत ही सास ने कहा- तुम्हारे जीजा ठीक कह रहे हैं.. तुम्हें जाना चाहिए.. इस बहाने तुम्हें नई जगह और कुछ नया सीखने को भी मिलेगा।
ज्योति ने अपने बॉस को फोन कर दिया और दूसरे दिन सुबह वो बैंगलोर चली गई..
मैं ऑफिस जाने लगा.. लेकिन सासूजी ने मुझसे बात नहीं की.. तब मुझे लगा कि शायद सासूजी मुझसे नाराज़ हो गई हैं।
मुझे इस बात से थोड़ा डर भी लगा कि कहीं वो विधि वाली बात मेरी पत्नी या मेरी सास को ना बता दें।
मैं ऑफिस चला गया उधर भी मैं ये ही सोचता रहा.. करीब 12 बज गए.. तब अचानक मेरे मोबाइल पर कॉल आई।
यह कॉल सासूजी ने की थी और उन्होंने मुझसे कहा- अगर हो सके तो आप छुट्टी ले लेना।
मेरी खुशी का मानो ठिकाना ना रहा और सोचने लगा कि कब 5 बजे और मैं घर जाऊँ। मैंने अपने लिए 3 दिन की छुट्टी ले ली और घर आया.. तब सासूजी मुझसे नज़रें चुरा कर बोलीं- क्या ऐसी विधि ज़रूरी है?
मैंने कहा- अगर ना होती तो शायद मैं आपसे कभी नहीं कहता।
तब उन्होंने कहा- अच्छा है कि ज्योति घर पर नहीं है और आपने कहीं उसे ये सब बताया तो नहीं है?
तब मैंने कहा- मुझे क्या पागल कुत्ते ने काटा है.. जो ऐसी बात बताऊँगा.. बल्कि मैं तो चाहता हूँ कि आप भी कभी किसी को मत बताइएगा.. क्योंकि इसमें हमारी बदनामी हो सकती है।
तब सासूजी बोलीं- मैं आपकी दासी बनने के लिए तैयार हूँ।
उस वक्त उनके चेहरे पर थोड़ी चमक आई.. क्योंकि वो भी मन से तो यही चाहती थीं.. लेकिन यह सब मेरे मुँह से सुनना चाहती थीं।
इस तरह मैंने चाची सास को दासी बनाने के लिए तैयार किया और मन ही मन खुश हुआ कि अब तो सासूजी मेरी दासी हैं तो मैं उनसे कुछ भी करवा सकता हूँ।
लेकिन फिर भी मैं दिल से तो यही चाहता था कि सासूजी अपने मुँह से मुझे चुदाई का न्यौता दें.. इसलिए मैं अपनी ओर से कोई पहल करना नहीं चाहता था।
फिर वो अन्दर गईं और 5000 रूपए लाईं और मुझे देने लगीं और कहा- विधि का जो भी सामान है.. आप ले लेना।
तब मैंने उनको 5000 रूपए वापिस दिए और बोला- ये तो मेरा फ़र्ज़ है.. अगर आप ज्योति की माँ हैं तो क्या ज्योति मेरी कुछ नहीं है? आप इन्हें वापिस ले लीजिए.. मैं सामान ले आऊँगा।
मेरे बहुत कहने पर उन्होंने उसमें से सिर्फ़ 3000 रूपए ही वापस लिए और मुझे कसम दी कि अब इतने तो आपको रखना ही पड़ेंगे।
मैंने कहा- ठीक है और मैं बाज़ार विधि का सामान लेने चला गया और जब वापिस आ रहा था कि मैंने ज्योति के पति को एक कॉलगर्ल के साथ देख लिया।
वो दोनों होटल में जा रहे थे.. मैं भी उनके पीछे-पीछे वहाँ गया और सीधे उनके कमरे में जाकर उन दोनों को रंगे हाथ पकड़ लिया और ज्योति के पति को दो झापड़ मारे।
तब ज्योति का पति मेरे पाँव पड़ने लगा और कहने लगा- प्लीज़ आप किसी को कुछ बताइएगा नहीं.. वरना हमारी बहुत बदनामी होगी।
तब मैंने उसके सामने एक शर्त रखी कि मैं जो भी कहूँगा.. वो तुम्हें करना पड़ेगा।
उसने राजी होते हुए कहा- आप जो भी कहोंगे.. मैं करूँगा और दोबारा ये ग़लती कभी नहीं करूँगा।
वो तो साला ऐसे गिड़गिड़ा रहा था कि मेरा पालतू कुत्ता हो..।
तब मैंने कहा- ठीक है.. मैं किसी को नहीं कहूँगा.. लेकिन जब मैं बोलूँ तब तुम ज्योति को अपने घर ले जाना और उसे कोई तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए।
तो उसने कहा- आप जो भी कहोंगे.. मैं करूँगा।
फिर मैं उधर से बाजार गया और जो भी ज़रूरी सामान था.. वो सब सामान ले आया और सासूजी से कहा- अपनी विधि सुबह 6 बजे आरम्भ करनी है..।
सुबह सासूजी रेडी हो गई थीं.. उन्होंने सफ़ेद रंग की साड़ी और मैचिंग का ब्लाउज पहना हुआ था.. और अन्दर सफ़ेद रंग की ही ब्रा पहनी हुई थी।
मैंने सासूजी से कहा- विधि शुरू करें?
तो उन्होंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
फिर मैंने उन्हें एक चौकी पर बिठा दिया.. मैं उनके पाँव के करीब नीचे ज़मीन पर तेल लेकर बैठ गया और उनका एक पाँव अपने पाँव पर रखा और उनके पाँव के तलवों पर तेल लगाने लगा। फिर मैं उनके पाँव की ऊँगलियों पर तेल लगाने लगा।
सासूजी को बहुत शर्म सी लग रही थी.. पर मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। फिर मैं पाँव के ऊपरी हिस्से में घुटने तक तेल लगाने लगा। अब मैं अपने हाथ उनके पूरे पैर पर घुमा रहा था.. सासूजी ने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। वो ये सब बर्दाश्त कर रही थीं और मुझे अपने मन मर्ज़ी करने का मौका मिल रहा था।
आज कहानी को इधर ही विराम दे रहा हूँ। आपकी मदभरी टिप्पणियों के लिए उत्सुक हूँ। मेरी ईमेल पर आपके विचारों का स्वागत है।
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