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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को शीलू का प्रणाम! दोस्तो, कुछ दिन पूर्व मेरी कहानी अदला-बदली परमानन्दम् प्रकाशित हुई थी जिसे आप सबने बहुत सराहा, आपके बहुत सारे मेल आये, मेरे लिए सबका जवाब देना संभव नहीं हो सका क्षमा करियेगा। आप सबने अपनी प्रतिक्रिया दी और मुझे आगे की घटना लिखने हेतु प्रेरित किया, आपकी प्रेरणा से मैं एक बार फिर हाजिर हूँ उसके आगे की घटना लेकर!
रात में हमें बहुत मस्त एवं संतोषजनक नींद आई, सुबह से नेहा भाभी एकदम बदली हुई नजर आ रही थीं, उनके चेहरे पर अभूतपूर्व ख़ुशी दिख रही थी, वे पूर्णरूपेण बदल चुकी थीं, रात की चुदाई का प्रभाव उनके अंग प्रत्यंग से छलक रहा था, नेहा भाभी किसी मदमस्त हिरनी की तरह कुलांचें भर रही थीं, अब वे खुल कर हर तरह की चुदाई का आनन्द लेने को तैयार थीं।
कमल और राजन ऑफिस जा चुके थे, घर पर हम दोनों ही थीं कि अचानक नेहा भाभी ने पीछे से आकर मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और जकड़ कर मुझे चूमने लगीं।
मैं अचानक हुए इस हमले के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी और अचकचा गई।
नेहा भाभी मुझे चूमते हुए बोलीं- हाय शीलू मेरी जान ! तुम कितनी अच्छी हो तुमने मुझे जन्नत से भी अच्छा मजा दिलाया। मैं तुमसे बहुत खुश हूँ, बोलो तुम्हें मैं क्या गिफ्ट दूँ?
मैं- भाभी, बस आप खुश रहें और ऐसे ही मजे लेती रहें और मुझे कुछ नहीं चाहिए!
नेहा भाभी- सच मेरी जान ! तुम वाकयी बहुत अच्छी हो ! और उन्होंने जोर से मेरे स्तन दबा दिए.
मैं- बस भाभी, ज्यादा मक्खन मत लगाइए, अपनी बताइए आपको और क्या चाहिए? इतना बोलते हुए मैं भी उनके स्तन दबाने लगी।
नेहा भाभी- शीलू जान, तुम तो ऐसा मजा लेती ही रहती हो, आज मुझे कुछ ऐसा मजा दिलाओ जो कभी मैंने सपने में भी न सोचा हो।
मैं- ठीक है भाभी, रात को तैयार रहना आज मैं आपको ऐसा मजा दिलाऊँगी कि आप मजे में पागल होने लगेंगी। और मैंने उनकी गाण्ड की दरार में ऊँगली घुसेड़ दी। वो मजे से चिहुंक उठीं और मेरी चूत दबाने सहलाने लगीं।
हम दोनों बहुत देर तक एक दूसरे से लिपट कर मस्ती करती रहीं, फिर घर के काम निपटाए और रात का इंतजार करने लगी।
मैंने मन ही मन रात की योजना बनाई और कमल व राजन को भी बता दिया, वे दोनों भी ख़ुशी-ख़ुशी तैयार हो गए।
कमल ने मुझे बताया था कि उनके बॉस बहुत कामुक प्रवृत्ति के इन्सान हैं और उनको पार्टी देने व घर बुलाने के लिए बोलते रहते हैं, मैंने कमल से उनके बॉस को बुलाने का आग्रह किया, उन्होंने अपने बॉस से मोबाइल पर बात की किन्तु शहर से बाहर होने के कारण वो नहीं आ सके।
रात हुई तो सभी गेस्ट रूम पहुँचे, कमल व राजन टीवी देखने लगे, मैं व नेहा भाभी बिस्तर पर लेटे हुए आराम करने लगी।
कुछ देर में टीवी में ब्लू फिल्म लगा कर वे दोनों भी बिस्तर पर आ गए।
अब वातावरण में गर्मी आने लगी थी, टीवी में सामूहिक चुदाई की फिल्म चल रही थी और बिस्तर पर हम चारों एक दूजे को स्पर्श, चुम्बन, आलिंगन एवं मसाज का सुख प्रदान कर रहे थे।
अब हमारे बीच कोई पर्दा नहीं था, मैं राजन के साथ मजे ले रही थी तो नेहा भाभी मेरे पतिदेव के साथ आनन्द प्राप्त कर रही थीं।
फिर मैंने नेहा भाभी के कपड़े उतार कर उन्हें नंगी कर दिया तो उन्होंने मेरे कपड़े भी उतार फेंके। फिर हम दोनों ने मिलकर राजन और कमल को नग्न कर दिया। पूरा कमरा बेहद कामुक हो गया था.
मैंने बोला कि आज नेहा भाभी को कुछ अलग मजा देना है तो आज सभी मेरे कहे अनुसार चलेंगे।
कमल व राजन दोनों ने हामी भर दी। अब हम तीनों नेहा भाभी पर टूट पड़े, कमल उनका दाहिना मम्मा दोनों हाथों से पकड़ कर दबाने और मुंह में भरकर चूसने लगे तो राजन उनका बांयां मम्मा दबाने और चूसने लगे।
नेहा भाभी आँखें बंद कर जन्नत का मजा लूट रही थीं।
उनका मजा बढ़ाने के लिये मैं उनकी रस भरी चूत चाटने लगी और साथ ही ऊँगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगी।
मेरे लिए किसी की चूत चाटने का यह पहला अवसर था और इसमें मुझे बहुत मजा आ रहा था।
उनकी रसीली चूत बहुत ही स्वादिष्ट और नशीली थी, चूत का रस चाटने से मुझ पर शराब सा नशा छाने लगा, साथ ही उनकी नशीली गाण्ड की मादक खुशबू भी आमंत्रित कर रही थी तो मैं बीच-बीच में उनकी गांड भी चाटने लगी और उसमें भी उंगली डालकर मजा लेने लगी।
अचानक नेहा भाभी बोलीं- हाय शीलू जान ! मैंने आज तक किसी की चूत नहीं चाटी मैं भी चूत चाटने का मजा लेना चाहती हूँ!
तो वे मेरी रसभरी चूत चाटने लगीं, कमल उनकी रसीली चूत चाट रहे थे और राजन अपना मस्त नुकीले सुपाड़ा वाला मोटा हलब्बी लंड मुझे चटवाने लगे।
उस मादक वातावरण में हम काफ़ी देर तक इसी तरह अदल-बदल कर तरह-तरह का मजा लेते रहे, कभी राजन अपना मस्त लंड मेरी रसीली चूत में डालते तो कमल अपना फौलादी लंड नेहा भाभी की नशीली चूत घुसेड़ कर चोदते।
मैं और नेहा भाभी कई बार झड़ चुकी थीं किन्तु कमल व राजन ने तो जैसे सारी रात न झड़ने की कसम खा रखी थी।
मैं इस ताबड़तोड़ चुदाई से थक गई तो मैंने पूरा ध्यान नेहा भाभी की ओर करने का निश्चय किया। अब मैंने अपने प्यारे पतिदेव को सीधा लिटाया और उनके मतवाले लंड पर नेहा भाभी की गीली चूत सेट कर ऊपर से बैठा दिया, फिर राजन को इशारा किया तो वे पीछे से आकर अपना मस्त नोकदार लंड धीरे-धीरे नेहा भाभी की कसी हुई गांड में डालने लगे।
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अब नेहा भाभी एक साथ दो लंडों का मजा ले रही थीं।
उन दोनों ने धीरे धीरे चुदाई शुरू की और ताल से ताल मिलाते हुए धक्के लगाने लगे।
मुझे इस सामूहिक चुदाई के अनोखे दृश्य को देखकर परमसुख मिल रहा था।
अब नेहा भाभी की चूत और गाण्ड की एक साथ पूरी गति से ताबड़तोड़ चुदाई चल रही थी।
मुझे भी चूत में सुरसुरी सी होने लगी तो मैंने अपनी चूत नेहा भाभी के मुख पर सेट कर दी। ऐसा लगा कि वे इसी अवसर की तलाश में थीं, उन्होंने अपनी पूरी जीभ मेरी चूत में डाल दी और मस्ती के साथ मेरी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगीं।
कमरे में बहुत मादक वातावरण हो गया, एक ओर हमारी सजीव चुदाई का मधुर संगीत गूँज रहा था तो दूसरी तरफ टीवी पर चल रही ब्लू फिल्म की कामुक आवाजें और भी उत्तेजना बढ़ा रही थीं।
कुछ ही देर में हम सब एक साथ चरमोत्कर्ष पर पहुँचने लगे, कमल ने नेहा भाभी की रसभरी चूत में जबरदस्त धक्के के साथ पिचकारी छोड़ दी तो राजन भी उनकी कसी हुई गांड में जोरदार धक्कों के साथ झड़ने लगे।
मैंने भी अपना अमृत रस नेहा भाभी के मुँह में छोड़ दिया।
फिर सभी निढाल होकर लेट गए और अपनी सांसों को नियंत्रित करने करने लगे।
फिर हम सबने एक साथ दूध पिया और एक दूसरे से लिपट कर आराम करने लगे और नींद की आगोश में चले गए। दोस्तो, आपको यह कहानी कैसी लगी जरूर बताइयेगा, मुझे आप सबकी प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहेगा!
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