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Tagde Lund Aur Paise Ki Chahat Me Neha Chud Gai
दोस्तो नमस्कार.. यह मेरी दूसरी कहानी है। पहली कहानी प्रकाशित नहीं हुई थी.. लगता है उसमें कुछ कमी थी।
मैंने इस बार सही कहानी लिखने की बहुत कोशिश की है। फिर भी यदि कोई त्रुटि हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ।
मेरा नाम अमन है और मैं एक कंपनी में काम करता हूँ। मेरे साथ में एक लड़की भी काम करती है.. उसका नाम नेहा है, वो लड़की दिखने में बहुत सुंदर है, मेरा दिल करता है कि कच्चा ही खा जाऊँ साली को.. लेकिन वो है कि साली भाव ही नहीं देती। वैसे उसका फिगर बहुत मस्त है.. 34 इंच की चूचियाँ और चूतड़ 36 इंच के हैं। उसका गोरा रंग देख कर ऐसा लगता है.. जैसे अभी दूध में नहा कर आई हो। नेहा की शादी हो चुकी है और उसका एक बेटा भी है।
उन दिनों वो परेशान सी रहती थी.. तो मैंने उससे पूछ ही लिया- बड़ी परेशान हो.. क्या हुआ नेहा?
लेकिन वो मेरी बात को टाल गई और उसने बोला- कुछ नहीं हुआ.. बस थोड़ी सी फैमिली-प्रॉब्लम है..
तो मैंने भी ज़्यादा कुछ नहीं कहा.. लेकिन मैं उसकी चूत मारना चाहता था।
घर जाने के वक्त मैंने उसको लिफ्ट देने की बात कही.. तो वो भी तैयार हो गई।
हम दोनों बाइक पर साथ-साथ चल दिए। रास्ते में उसका फोन आया.. पता नहीं किस से बात कर रही थी।
इतने में बात करते-करते वो रोने लगी.. तो मैंने एक सुनसान जगह पर बाइक को रोक कर उससे पूछा- क्या हुआ?
वो रोती ही रही, मैंने उसको दिलासा दिया और इसी बहाने उसके कंधे पर हाथ रख दिया।
तो उसने भी रोना बंद करके मुझे बताया- मेरे पति की जॉब छूट गई है और हम लोगों ने 2 महीने से मकान का किराया भी नहीं दिया है। अब मकान-मलिक हमको मकान खाली करने के लिए बोल रहा है। मकान मालिक ने कहा है कि आज अगर पैसे नहीं दोगे.. तो ज़बरदस्ती मकान खाली करवा लेगा।
मैं उसको दिलासा दे रहा था.. पर मैं अन्दर से हंस भी रहा था कि चलो मुर्गी जाल में फँस ही जाएगी तो मैंने उससे पूछा- आपको कितना पैसा देना है.. मकान मलिक को..?
उसने कहा- दो महीने का 20 हज़ार रुपए..
मैंने कहा- यार आपके मकान-मलिक को ऐसा नहीं करना चाहिए.. और मेरे पास पैसे तो हैं.. लेकिन वो किसी और काम के लिए हैं.. नहीं तो मैं ही आपकी मदद कर देता।
इस पर वो रोने लगी और बोली- कहीं से उधार दिलवा दो.. पति की नौकरी लगने के बाद वापस कर दूँगी।
मैंने कहा- उधार तो कोई नहीं देगा.. हाँ ब्याज पर मिल सकता है।
तो उसने कहा- नहीं.. ब्याज तो नहीं दे सकती हूँ.. आपको तो पता ही है मेरे घर के हालात कैसे हैं।
मैं चुप रहा।
फिर उसने मुझसे ही कहा- आप ही मुझको पैसे दे दो।
लेकिन मैंने कहा- यह पैसे मैंने किसी दूसरे काम के लिए जमा किए हैं।
इतना सुन कर वो फिर रोने लगी।
तो मैंने उससे कहा- ठीक है.. आप पैसे ले लो और रो मत!
इतना सुन कर वो चुप हो गई और मेरे सीने से लग गई।
यारों मेरी तो मुँह माँगी मुराद पूरी हो गई मैं बड़ा उत्साहित था.. मैंने उसको बाँहों मैं भर लिया ओर वो भी मुझसे लिपट गई।
मैं उसको अपनी बाहों में लिए हुए उसकी पीठ पर हाथ फेरता रहा और मन ही मन सोचने लगा कि इसको कैसे और कहाँ चोदा जाए। लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया.. तो मैंने उसको वहीं सड़क के किनारे जंगल में ही ठोकने का प्लान बनाया।
अब मैं उसकी गर्दन पर चूमने लगा था.. वो अचानक पीछे हटी और बोली- आप यह क्या कर रहे हो?
तो मैंने बेशर्मी से बोला- जानेमन.. तुम ब्याज में पैसे नहीं दे सकती और मैं आपको पैसे दे रहा हूँ.. तो उसके ब्याज के बदले चूत तो दोगी मुझे..
वो बोली- मैंने ऐसा कभी नहीं किया।
तो मैंने कहा- आज कर लो.. आख़िर आपको पैसे की ज़रूरत है और मुझे चूत की.. एक मेरे लौड़े को खाने से कोई तुम्हारी चूत घिस थोड़े ही जाएगी।
वो चुप हो गई।
उसकी चुप्पी को मैंने ‘हाँ’ समझ कर उसको गले से लगा लिया और उसको होंठों और गर्दन पर चूमने लगा। अब मैंने एक हाथ उसकी चूची पर रख दिया। उसने कुछ नहीं बोला.. उस वक़्त वो सलवार ओर कमीज़ में थी।
मैं उससे अलग हुआ और उसको फिर से बाइक पर बिठा कर एक कच्चे रास्ते पर चल दिया। एक चुदाई के मतलब से सुरक्षित जगह देख कर वहीं पर बाइक रोक कर उसको कुछ अन्दर एक पेड़ के पीछे ले गया। वहाँ ले जा कर मैंने उसको चूमना शुरू किया और उसकी चूचियों को भी दबाने लगा।
वो भी गरम होने लगी और बोली- कस कर भींचो.. मेरी चूचियों को.. बहुत मज़ा आ रहा है..
मैंने उसकी कमीज़ को निकाल दिया और ब्रा को ऊपर की तरफ करके मैं उसकी चूचियों को चूसने लगा। उसके निप्पल सख्त हो गए थे।
मैंने उसको पेड़ के साथ चिपका कर खड़ा किया और उसकी गाण्ड पर हाथ फिराया। फिर मैंने उसकी सलवार में हाथ डाल कर उसकी नंगी गाण्ड पर हाथ फिराया, मैंने एक ऊँगली उसकी गाण्ड में डाल दी.. वो चिहुंक गई और फिर धीरे-धीरे पूरी तरह गरम हो गई थी। अब वो कपड़ों के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ने लगी थी।
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फिर मैंने अपना लंड निकाल कर उसके हाथ में पकड़ा दिया.. वो हाथ को पीछे करने लगी। लेकिन मैंने उसका हाथ पकड़ कर दोबारा अपने लंड पर रखा तो वो मेरे लवड़े को आगे-पीछे करके हिलाने लगी।
अब मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी पैन्टी में हाथ डाला तो यारों मज़ा आ गया.. बिना बालों वाली फूली हुई मस्त चूत मेरे हाथ में थी। मैंने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया। उसकी चूत गीली हो रही थी। मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाली तो वो ‘आह.. उफ़..’ करने लगी।
अब दोस्तों सड़क का किनारा था तो मुझे भी डर लग रहा था कि कोई आ ना जाए.. सो मैंने उसको नीचे बैठने को बोला और कहा- मेरा लंड चूस..
वो बोली- ये सब मुझे अच्छा नहीं लगता..
तो दोस्तो, अब मैंने भी ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया.. सोचा अब तो माल हाथ आ ही गया है.. फिर किसी दिन लंड चुसवा देंगे साली को।
मैंने उसकी पैन्टी को नीचे खिसकाया और उसको वहीं ज़मीन पर घोड़ी बना दिया। मैंने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और थोड़ा थूक उसकी चूत पर भी लगाया।
अब मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर लगा कर.. कस कर धक्का लगाया।
लंड एक ही झटके में चूत में आधा घुस गया.. ओर वो ज़ोर से चीखी- आहह.. फट गई.. मेरी चूत.. निकाल लो साले अपना लंड… वो मुझे गाली देने लगी.. लेकिन मैंने उसको कस कर पकड़ा हुआ था.. तो वो मुझसे छूट तो नहीं पाई.. लेकिन साली छटपटा बहुत रही थी।
उसके घोड़ी जैसे बने होने के कारण मैंने उसके लटकते हुए संतरे जैसे मम्मों को दबाया और सहलाया.. तो वो थोड़ी शान्त हुई। फिर मैंने फिर मौका पाकर एक और जबरदस्त झटका लगाया और इस बार मेरा पूरा 7 इंच लंबा लंड उसकी चूत में उतर गया।
वो फिर से चीखी… लेकिन मैंने उसको सहलाया और हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूत के दाने को मसला.. तो वो फिर से सामान्य हो गई।
अब मैंने समय खराब ना करते हुए धक्के लगाना शुरू कर दिए। कुछ ही झटकों में उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था.. तो लंड भी बड़ी आसानी से ‘फ़च.. फ़च..’ की आवाज़ करते हुए उसकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।
वो मस्त हो उठी और बोले जा रही थी- करते रहो.. ज़ोर से करो… चोदो मुझे.. फाड़ दो मेरी चूत..
मैं भी उसको जबरदस्त तरीके से चोद रहा था। करीब दस मिनट के बाद मुझे महसूस हुआ कि मेरा लवड़ा छूटने वाला है तो मैंने उससे कहा- मेरा माल निकलने वाला है.. बोल कहाँ निकालूँ?
तो वो बोली- मेरा भी होने वाला है.. और तुम मेरी चूत के अन्दर ही अपना मॉल निकाल दो।
मैंने और ज़ोर से धक्के मारना शुरू कर दिए। कुछ 10-12 धक्के और लगा कर मैंने सारा माल उसकी चूत में निकाल दिया इसके साथ ही वो भी छूट चुकी थी।
फिर उसने और मैंने कपड़े पहने और मैंने उसको पैसे उधार दिए। उसने मुझे गले लगा कर चुम्बन किया और कहा- जब भी मौका मिलेगा.. तेरा लंड ज़रूर लूँगी.. बहुत मज़ा दिया तूने..
तो दोस्तों ये थी पैसे की जरूरत से हुई चुदाई पर इसमें मुझे लगता है कि मैंने उसकी मजबूरी का फायदा नहीं उठाया है.. क्योंकि जब मेरा लौड़ा उसकी चूत में गया तो वो चीखी थी और इसका मतलब ये भी था कि उसको भी एक तगड़े लवड़े की जरूरत थी। तभी तो उसने मुझसे कहा था कि वो मेरे लंड से फिर से चुदना चाहेगी और कहीं न कहीं उसने मैं मेरे वीर्य को भी अपने में समा लिया था।
मैं अगली कहानी में लिखूंगा.. कैसे मैंने उसके घर में ही उसकी मस्त चुदाई की और उसकी गाण्ड भी मारी।
तो मित्रो, प्लीज़ इस कहानी को ज़रूर पढ़ना और अपने विचार मुझ तक जरूर भेजना.. इससे मेरा हौसला बढ़ेगा। आपके पसन्द के अनुरूप मैं आगे भी अपनी कहानी भेजता रहूँगा।
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