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Choot-Chudai me Lambi Race Ka Ghoda
हैलो दोस्तो.. मेरा नाम अरुण है.. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरा लण्ड 6 इंच लंबा और 4 इंच मोटा है.. जिससे मैं आसानी से किसी भी लड़की या आंटी को पूरी तरह संतुष्ट कर सकता हूँ।
अब मैं सीधे मुख्य घटना पर आता हूँ, यह बात आज से 2 साल पहले की है।
मेरे एक चाचा हैं.. जो हमसे कुछ दूर रहते हैं, उनकी शादी को 5 साल हो चुके हैं.. लेकिन उनके घर पर सास और बहू में बिल्कुल भी नहीं बनती है.. आए दिन झगड़ा होता रहता है।
जिसके चलते पापा ने चाचा को गर्मियों की छुट्टियों में चाची के साथ घर पर बुलाया और कहा कि छुट्टी में तुम दोनों यहीं रुकोगे।
उस समय चाची के लिए मेरे मन में कुछ भी ग़लत नहीं था। उन दोनों के हमारे घर पर आने के कुछ दिन बाद चाची ने मुझे अपना रंग दिखाना शुरू किया।
चूंकि गर्मियों का मौसम था.. सभी घरवाले दोपहर को सो जाया करते थे।
एक दिन में अपने कमरे में सो रहा था और गहरी नींद में था.. अचानक से मुझे मेरे हाथ पर कुछ ऐसा महसूस हुआ कि जैसे मुझे किसी मच्छर ने काट खाया हो। मैंने हाथ से खुजा कर खुद को शान्त कर लिया.. लेकिन दूसरी बार में ऐसा फिर से होने पर मेरी आँख खुल गई।
तब मैंने देखा की मेरी चाची मेरे पास लेटी हैं.. और उन्होंने अपने दूध से गोरे जिस्म पर काले रंग का सलवार सूट पहना हुआ था।
क्या गजब की माल लग रही थी यार.. मेरी आँखें खुलने पर मैं समझ गया कि वो मच्छर ये चाची ही थीं। मैंने भी जवाब में चाची को नोंच दिया और फिर से अपनी आँखें बंद कर लीं।
कुछ देर बाद दुबारा कुछ महसूस होने पर मेरी आँखें खुलीं.. तो मैंने देखा कि मेरा एक हाथ चाची की सलवार के अन्दर था।
अब तो मैं एकदम से तो चौंक गया था।
दोस्तो, चाची ने उस दिन सलवार के नीचे कुछ नहीं पहना था.. मैं आँखें बंद करके लेटा रहा ताकि चाची को लगे कि मैं अभी भी नींद में ही हूँ। चाची धीरे-धीरे मेरे हाथ को पकड़ते हुए उसे अपनी चूत तक ले गईं..
आह्ह.. क्या गर्मी थी यार.. उसकी चूत में हाथ लगाते ही मेरा लंड तो फुंफकारें मारने लगा।
अब मैंने आँखें खोल लीं.. चाची मुझे देख कर मुस्कुरा रही थीं। उनकी आँखों में एक वासना भरी दिख रही थी.. जैसे वो कब से लंड के लिए प्यासी हों.. ऐसा लगता था कि चाचा ने भी बहुत दिनों से उनकी प्यास नहीं बुझाई हो।
शाम के 4 बज चुके थे.. यह सबके जागने का वक्त था। मेरे मन में तो था कि चाची को नंगा कर दूँ और चाची की चुदासी चूत को अच्छी तरह से रगड़ दूँ.. लेकिन चाची को उठना पड़ा और वो उठते समय मेरे होंठों पर चुम्बन करके हँस कर चली गईं।
उस रात मुझे नींद नहीं आई और मैं उन्हें चोदने की योजना बनाने लगा था, इसी के साथ-साथ चुदाई के बारे में सोचते हुए उस रात को मैंने 2 बार मुठ्ठ भी मारी।
अब अगले दिन सभी दोपहर में सो रहे थे तो मैं भी अपने कमरे में चाची का इन्तजार कर रहा था।
तभी चाची ने कमरे में एंट्री की और नीचे फर्श पर ही लेट गईं। चाची को नीचे लेटा देख मैंने अपना हाथ बिस्तर से नीचे लटकाया और चाची की चूत पर रख दिया। चाची उस दिन साड़ी में थीं।
कुछ देर तक मेरे सहलाने के बाद चाची ने अपनी टाँगों को घुटनों से मोड़ लिया और मुझसे कहा- पहले दरवाजे की कुण्डी तो लगा लो।
मैंने जल्दी से उठ क़र दरवाजे की कुण्डी लगाई और अपनी पैन्ट उतार दी।
कुछ देर तो मैं चाची की चूत में ऊँगली डालकर उन्हें ऊँगली से ही चोदे जा रहा था। अब तक मेरा लंड एक लोहे को रॉड बन चुका था।
चाची को सहलाते हुए मैंने अपना लंड अपने कच्छे से बाहर निकाला और चाची के मुँह की तरफ कर दिया।
चाची ने मेरा लौड़ा चूसने से मना कर दिया.. लेकिन कुछ देर बाद वो मान गईं। अब वो लण्ड को इस तरह चूसने लगीं जैसे बचपन से ही लंड चूस कर बड़ी हुई हों। मैं तो अपनी लण्ड चुसाई से पागल हो चुका था।
अब हम दोनों से रहा नहीं जा रहा था। तभी चाची ने कहा- बस.. अब रहा नहीं जा रहा है.. मिटा दो मेरी चूत की प्यास.. डाल दो इस सरिए को मेरी गरमा-गरम भट्टी में..
मैंने भी देर ना करते हुए चाची की टाँगों को खोल कर.. उनके ऊपर आ गया और लंड को चूत के छेद पर रखकर एक ज़ोर का झटका दिया.. जिससे मेरा लंड एक ही झटके में पूरा अन्दर फिसल गया।
चाची के मुँह से एक जोरदार चीख निकल गई और वो मुझसे कहने लगीं- आराम से नहीं डाल सकते थे क्या.. एकदम से डाल कर ज़्यादा मर्दानगी दिखा रहे हो क्या?
मैंने चाची से कहा- मर्दानगी दिखानी तो अभी बाकी है चाची..
अब मैं चाची को तेज़-तेज़ झटके दे रहा था और चाची ‘आहा… उहू.. आहा..’ करके चुदे जा रही थीं।
अब मैंने चाची का ब्लाउज भी खोल दिया और उनकी ठोस चूचियों को बुरी तरह मसलने लगा।
चाची की सिसकारियाँ और भी तेज़ हो गई थीं और वो कह रही थीं- आह्ह.. चोदो मेरे राज़ा.. चोदो.. और तेज़.. जिससे मैं भूल जाऊँ कि मेरी शादी हो चुकी है और तुम्हारे चाचा ने मुझे कभी चोदा भी था.. इस तरह से चोदो मुझे.. आह्ह..
मेरे धक्कों की गति बढ़ चुकी थी, इस बीच चाची 4 बार झड़ चुकी थीं और ढीली पड़ गई थीं.. लेकिन मैं अभी तक नहीं झड़ा था।
करीब बीस मिनट की इस चुदाई के बाद में भी झड़ने वाला था।
मैंने चाची से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
तो उन्होने कहा- तेरी चाची शादीशुदा है.. चिंता मत कर.. अन्दर ही निकाल दे..
तभी मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी सी निकल पड़ी और मैं भी शान्त हो कर चाची से अलग लेट गया।
मैंने देखा कि 4 बज गए हैं और चाची से कहा- अब आप बाहर चली जाओ और सुबह 4 बजे मेरे कमरे में आ जाना.. क्योंकि मैं 5 बजे खेलने के लिए बाहर चला जाता हूँ।
चाची मान गईं और ठीक सुबह 4 बजे मेरे कमरे में आ गईं और हमारी चुदाई का प्रोग्राम फिर से शुरू हो गया।
दोपहर की तरह इस बार भी चाची के 3 बार झड़ने के साथ ही लम्बी चुदाई के बाद मैं जब चाची से अलग हुआ.. तो उन्होंने कहा- इस तरह से तो तुम्हारे चाचा भी मुझे कभी संतुष्ट नहीं कर पाए थे, जितनी संतुष्टि तुम्हारी इस चुदाई से हुई है।
उन्होंने मेरा नाम अब अरुण से लंबी रेस का घोड़ा रख दिया है।
हम दोनों ने करीब 15 दिनों तक खूब चुदाई की..
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