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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम नेहा है। मैं पंजाब के अमृतसर जिले में रहती हूँ। मैं बीटेक कर रही हूँ.. मेरी उम्र 22 साल है। मेरी फिगर 34-28-35 है। मेरा अपने घर के पास ही एक अंकल से अफेयर है, उसकी बीवी की मुझसे बहुत बनती है, अक्सर हमारा एक-दूसरे के घर आना-जाना लगा रहता है।
यह बात तब की है.. जब आंटी अपने बुआ के लड़के की शादी पर चली गईं और मेरी माँ से कह गईं कि नेहा को खाना बनाने के लिए भेज देना।
शनिवार को कॉलेज से मेरी छुट्टी रहती है। मेरी माँ और पिता जी दोनों ही जॉब पर जाते हैं। मैं सुबह ही 9 बजे के करीब अपने घर को ताला लगा कर उनके घर चली गई। मुझे देख कर अंकल बहुत खुश हुए। वो आंटी को सुबह ही बस-स्टैंड पर छोड़ आए थे और आते-आते खाने के लिए आलू-पूरी ले आए थे।
मुझ में और अंकल की उमर में 6-7 साल का ही अंतर है। मैं अंकल से पहले भी चुद चुकी हूँ.. लेकिन तब डर-छुप कर चुदाई हुई थी। आज हमारे पास पूरा मौका था।
मुझे देखते ही अंकल ने मुझे बाँहों में ले लिया और मेरे गाल पर एक चुम्बन कर दिया।
मैंने कहा- आज काम पर नहीं जाना?
अंकल ने कहा- आज छुट्टी ले ली है।
मैंने कहा- ठीक है.. पर चलो पहले खाना खा लेते हैं।
अंकल ने कहा- ठीक है।
अंकल ने अपने कपड़े उतारने शुरू किए।
मैंने कहा- क्यों उतार रहे हो?
तो अंकल ने कहा- आज नंगे हो कर ही खाना खाएंगे।
उन्होंने मुझे भी कपड़े उतारने के लिए कहा।
मैंने मना किया तो वे खुद ही मेरे कपड़े उतारने लगे, उन्होंने पहले मेरा टॉप उतार दिया, फिर मेरी पजामी भी उतार दी.. पर मैंने ब्रा नहीं उतरने दी और पैन्टी मैंने खुद उतार दी।
अब हमने खाना खाना शुरू किया.. लेकिन अंकल ने मुझे अपनी जाँघ पर बिठाया और फिर हमने खाना खाना शुरू किया।
एक कौर वो मेरे मुँह में डालते और एक अपने मुँह में खाते।
फिर अंकल ने मेरे मम्मों पर आलू डाल दिए और मम्मों पर से ही सब्जी खाने लगे।
वो अपनी जीभ मेरे मम्मों पर फेर-फेर कर खा रहे थे.. नीचे से उनका लण्ड मेरी चूत से टकरा रहा था।
अभी खाना खत्म भी नहीं हुआ था कि अंकल ने मुझे अपनी ओर खींचा और लण्ड को नीचे से चूत में घुसेड़ दिया।
उनका 7 इन्च का मोटा लण्ड मेरी चूत के अन्दर था। मेरी एक ‘आह’ निकल गई.. अंकल ने मेरे मम्मों को सहलाया और कुछ ही पलों में उनका लौड़ा मेरी चूत में सैट हो गया।
फिर हमने बचा हुआ खाना ऐसे ही खाया और फिर अंकल ने ऐसे ही मुझे उठाया और अन्दर ले गए। लण्ड अभी भी मेरी चूत में ही फंसा था। ऐसे ही हम बिस्तर पर लेट गए और अंकल ने मुझे चोदना चालू कर दिया।
कुछ समय बाद उन्होंने लण्ड बाहर निकाला और मेरी ब्रा खोलने लगे, फिर मेरे मम्मे चूसने लगे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
अंकल से चुदने का मुझे यह फायदा था कि वो मुझे कुछ ना कुछ गिफ्ट देते थे।
अब वो मेरी दोनों टाँगें अपने हाथों में ले कर मुझे चोद रहे थे, वे वास्तव में बहुत जोर-जोर से चोद रहे थे।
फिर उन्होंने मुझे घोड़ी स्टाइल में भी चोदा। लगभग 30 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गए, उन्होंने अपना सारा वीर्य मेरे मम्मों पर छोड़ दिया।
फिर हम दोनों एक साथ नहाए, यहाँ भी अंकल ने फिर से मेरी चुदाई की। उधर मुझे बहुत मजा आ रहा था.. कभी मैं उनका लण्ड चूस रही थी.. कभी वो मेरे मम्मे चूस रहे थे।
अंकल ने साबुन से अच्छी तरह से मेरे मम्मे भी साफ़ किए और नीचे चूत की भी सफाई की।
मैंने बाहर आ कर जब समय देखा तो 11 बज गए थे। इसके बाद नंगे ही हमने टीवी देखा। फिर 12:30 बजे मैंने खाना बनाना शुरू किया.. वो भी नंगे ही बनाया।
अब अंकल ने रसोई में ही मुझसे सम्भोग किया। अंकल ने मुझे चोदने के चक्कर में पकड़ा हुआ था.. मैंने बस मैग्गी बनाई अंकल ने और कुछ बनाने का मुझ मौका ही नहीं दिया।
करीब 2 बजे हमने फिर खाना खाना शुरू किया, अब उन्होंने मुझे टेबल पर लिटाया और फिर मेरे मम्मों पर मैग्गी डाल दी और बड़े प्यार से चाट-चाट कर नूडल्स खाने लगे।
मुझ भी मज़ा आ रहा था.. जब मेरे मम्मों पर वो अपनी जीभ फेरते थे। अब मेरी बारी थी खाने की.. मैंने सोचा भी नहीं था कि वो ऐसा करेंगे। आज मैं अंकल का एक नया रूप देख रही थी। उन्होंने अपने लण्ड पर मैग्गी लटका कर खाने के लिये कहा, मैंने ऐसे ही खाई। मैग्गी खाने के बाद मैंने अच्छी तरह से चाट कर लण्ड साफ़ कर दिया. ऐसा करने से अंकल का लवड़ा फिर से खड़ा हो गया था।
मतलब फिर चुदाई.. अब अंकल ने मेरी पीछे से ली.. इससे दर्द तो हुआ.. मगर मज़ा बहुत आया।
हम शाम के 5 बजे तक ऐसे ही रहे और अंकल मेरे मम्मों से खेलते रहे। मैं 5:30 अंकल को एक लंबी सी चुम्मी दे कर अपने घर को चली गई।
जैसे ही मैं घर पहुँची मुझे माँ का फ़ोन आया कि आज हम घर नहीं आ रहे। तुम्हारे डैड के दोस्त का एक्सीडेंट हो गया है.. हम सीधे वहीं जा रहे हैं और तुम अंकल के घर सो जाना। हमने उन्हें भी फ़ोन कर दिया है।
मेरी समझ में नहीं आ रहा था.. अब क्या होगा मतलब आज सारी रात मेरी चुदाई होगी। यही सोच कर मैं डर रही थी और मेरी चूत भी बहुत मचल रही थी.. क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।
कुछ समय घर रुकने के बाद मैं अंकल के घर चली गई.. वो मुस्करा रहे थे। उनको मुस्कराना तो था ही.. जो पूरी रात के लिए मैं उन्हें चोदने के लिए मिल गई थी।
हम बैठ कर बातें करने लगे और टीवी देखने लगे। इसी बीच अंकल ने फ़ोन करके होटल से खाना मंगवा लिया।
लगभग 8 बजे खाना आ गया। अंकल ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और मेरे भी उतार दिए।
फिर हमने नंगे ही खाना खाया। खाना खाने के बाद हम कमरे में चले गए और अंकल मेरे ऊपर चढ़ गए।
फिर चूमा-चाटी शुरू हुई। उन्होंने मेरे पूरे जिस्म पर लंबी-लंबी चुम्मियां कीं और मेरे मम्मों को भी जी भरके चूसा।
उन्होंने मेरे जिस्म को चूस-चूस कर लाल कर दिया। वो बीच-बीच में मेरे मम्मों को भी काट भी लेते थे। अब उन्होंने मुझे लण्ड चूसने के लिए कहा.. मैंने भी जी भर के उनका लण्ड चूसा।
अंकल ने अपना वीर्य मेरे मुँह में ही निकाल दिया.. मैं सारे का सारा माल पी गई।
फिर अंकल ने मेरी चूत पर अपना सर रख कर जीभ से चूसना शुरू किया.. दस मिनट तक वो मेरी चूत चूसते रहे और मेरा पानी भी निकाल दिया।
अब दस बज गए थे और अंकल फिर से मेरी चूत मारने को तैयार थे।
उन्होंने मेरी दोनों टाँगें जितनी फैला सकते थे.. फैलाईं और अपना लण्ड मेरी चूत के अन्दर पेल दिया। वे पहले तो लौड़े को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करते रहे फिर तेज़ी से करने लगे।
करीब 15 मिनट के बाद अंकल ने लण्ड बाहर निकाला और मुझे बाईं ओर लिटाया और मेरी एक टांग अपने कंधे पर रखी.. और फिर से मेरी चूत मारने लगे।
मुझे ऐसा लग रहा था कि अंकल ने जैसे कसम खाई थी कि सारी चुदाई आज ही कर लेंगे।
इसी बीच अंकल का काम हो गया और अंकल ने अपना वीर्य मेरी चूत में ही निकाल दिया।
फिर हमने कुछ चॉकलेट खाईं और फिर से ताकत हासिल की.. अंकल ने एक सिगरेट भी सुलगाई और कश लगा कर मेरी तरफ बढ़ा दी.. मैंने भी सुट्टा मारे और चूत पर हाथ फेर कर फिर से अंकल को उकसाया।
अंकल ने अपने लौड़े को सहलाया और कुछ ही समय बाद अंकल का फिर से खड़ा हो गया। अब उन्होंने मुझे फिर से ठोकना चालू कर दिया.. कभी घोड़ी बना कर.. कभी दीवार से लगा कर.. कभी मेरी टाँगें मेरे हाथों में पकड़ा कर मेरे ऊपर आ कर.. तो कभी फर्श पर लेटा कर मेरी चूत भी मारी और गांड भी मारी।
चुदाई करते-करते हमें सुबह के 5 बज गए थे। हम वैसे ही नंगे ही सो गए थे.. पूरे जिस्म पर थूक और वीर्य लगा हुआ था।
सुबह उठी.. आज रविवार था तो लेट ही हम दोनों देर से उठे… 11 बज गए थे। सारे जिस्म में दर्द हो रहा था। मैं नहाने के लिए चली गई और जैसे नहा कर आई तो अंकल भी उठ चुके थे।
मुझे देख कर उन्होंने मुस्कान देकर पूछा- मज़ा आया..
मैंने कहा- बहुत.. लेकिन दर्द हो रहा है।
मैं नंगी थी और अंकल भी नंगे थे। मैं अपनी ब्रा उठाने लगी तो अंकल ने मुझे फिर से पकड़ लिया और कहा- आजा रानी.. एक बार और..
मैंने मना किया लेकिन मुस्करा कर.. अंकल कहाँ मानने वाले थे, मुझे बिस्तर पर ढकेला और मेरे ऊपर आ गए, फिर से अपना लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया और मेरी चूत मारने लगे, फिर घोड़ी बना कर गांड भी मारी, अपना वीर्य मेरे मम्मों पर निकाला और लण्ड को मैंने चूस कर साफ़ कर दिया।
मैंने वीर्य को अपने हाथों से मम्मों पर मल लिया और ब्रा पहनने लगी। पैंटी अंकल ने पहनने नहीं दी। मैंने टी-शर्ट पहनी और निक्कर पहनी।
एक लंबी सी चुम्मी की और अपने घर आ गई।
एक घंटे बाद माँ-पिताजी भी आ गए।
माँ ने पूछा- रात कैसी रही?
मैंने कहा- अच्छी रही।
मैं हँसते हुए अपने कमरे में आ गई।
अगर कहानी अच्छी लगी तो मेल कीजिएगा.. मुझे इन्तजार रहेगा।
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