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अगली सुबह रविवार था रात की मस्त चुदाई के बाद मैं सपने में अंकिता की मस्त चुदाई कर रहा था कि सुबह-सुबह 6 बजे अचानक बजी फ़ोन की घंटी ने खड़े लण्ड पर धोख़ा कर दिया। फ़ोन उठाते ही मैं नींद में ही गरजा।
‘कौन है मादरचोद जिसको गांड फड़वानी है सुबह-सुबह?’
उधर से एक खनकती आवाज़ आई- मैं अंकिता.. समर सॉरी.. सॉरी.. तुम्हें इतनी सुबह जगाया।’
मैं एकदम से जागा और बोला- ओह अंकिता.. सॉरी यार.. तुम्हें मेरा नंबर कहाँ से मिला डियर?
अंकिता- रूचि ने दिया.. सुनो मॉर्निंग-वाक पर चलोगे.. कुछ बात करनी है।
मेरा दिल ‘धक’ से धड़का कि लगता है.. आज सुबह का सपना सच होने वाला है।
कुछ ही देर में हम थक कर चूर कम्पनी बाग़ की चाय की दुकान में बैठे थे।
मैंने पूछा- तुम्हें कुछ कहना था ना?
अंकिता- देखो समर कल जो कुछ भी हुआ.. प्लीज़ किसी को मत बताना.. वरना बहुत मुश्किल होगी। अगर नावेद को पता लगा तो पता नहीं क्या होगा।
मैं बोला- ठीक है.. ठीक है.. नहीं बताता.. लेकिन मुझे क्या मिलेगा? पर ये नावेद कौन?
दोस्तो.. आप सही सोच रहे हैं मैं चूत ही मांग रहा हूँ.. और अब ये नावेद कौन हैं.. आइए मालूम करते हैं।
अंकिता- नावेद.. ओह्ह मेरा मंगेतर है और समर मैं वैसी लड़की नहीं हूँ और रही बात मैंने तुम्हें किस क्यों किया क्योंकि तुम मुझे पहले दिन से अच्छे लगते हो.. प्लीज़ इसे गलत मत लो।
अंकिता की आँखों में मुझे सच्चाई लगी और वो आंसू की बूँदें मुझे झकझोर गईं।
मैंने अंकिता को पकड़ कर मजाक में कहा- अरे.. रोते नहीं यार.. मैं तो ट्रीट मांग रहा था.. तुम भी ना गन्दी लड़की।
मैंने प्यार से उसे गले लगा कर चुप कराया और फिर सभा समाप्त हो गई.. हम अपने-अपने घर चल दिए।
अगला हफ्ता कुछ खास नहीं था। हाँ.. इस बीच मैंने रूचि की चूत की दो बार प्यास जरूर बुझाई। रूचि ने भी खूब मजे ले-लेकर चुदवाया।
इसी बीच मेघा ने भी मेरे लण्ड को चूस-चूस कर उसका पानी खूब मजे से पिया। लेकिन इसी बीच एक दु:खद घटना हो गई.. मेरे कॉलेज के सामने एक छात्र दुर्घटनाग्रस्त हो गया और कॉलेज वालों ने उसे अपने कॉलेज का छात्र मानने से ही इन्कार कर दिया।
सारे लड़के भड़क गए.. जिसकी वजह से कॉलेज में जबरदस्त तोड़-फोड़ हो गई.. सारा कॉलेज ईंट-पत्थरों से पट गया.. जगह-जगह गमले टूटे हुए थे दरवाज़े और शीशे इस तरह से पड़े थे जैसे भूकंप आया हो।
इस पत्थरबाजी के बीच.. मैं, साक्षी और उसकी कुछ दोस्तों को बचाते हुए दूसरे कोने पर बने गर्ल्स-हॉस्टल तक छोड़ने ले जा रहा था। उधर मेरे ही दोस्तों ने कॉलेज की बस में आग लगा दी थी और पुलिस बुलानी पड़ी। बाहर जैसे ही पुलिस ने लाठीचार्ज करना चालू किया.. बाहर की भीड़ भी कॉलेज के अन्दर भागी।
ये देख कर मैंने साक्षी और उसकी दोस्तों से कहा- भागो…
लेकिन भागते हुए मेरी एक जूनियर प्रीति ठोकर खा कर गिर गई और उठ नहीं पाई।
प्रीति साक्षी की बेस्ट-फ्रेंड थी.. उसकी वो हल्की सांवली रंगत.. प्यारी सी मुस्कराहट.. लगभग 34-30-36 का भरा हुआ गदराया बदन और ठीक-ठाक ऊँचाई.. कहने की जरुरत नहीं कि प्रीति साक्षी की दोस्त थी.. तो कमीनापन और रंडीपना तो कूट-कूट कर भरा होगा।
साक्षी ने प्रीति के साथ कई बार ब्लाइंड डबल डेट की थी, मतलब दो लडकियां और दो लड़के.. कोई किसी को ना जानता हो।
सिर्फ उसे ही हम दोनों के बारे में पता था कि हम फ्रेंड्स विथ बेनिफिट्स हैं…
जब तक प्रीति उठती.. भीड़ काफी नजदीक आ गई थी.. मैंने दौड़ कर प्रीति को उठाया और पास की क्लास में ले गया।
दर्द और डर की वजह से प्रीति मुझसे चिपकी पड़ी थी.. मैं भी प्रीति को कस कर पकड़े हुए था। इसका असर यह हुआ कि धौंकनी की तरह चल रही हमारी साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं और मेरे लण्ड ने बगावत के लिए खड़े होना चालू कर दिया।
बाहर लड़कों के दौड़ने और लड़कियों के चिल्लाने की आवाज़ों के बीच टूटते शीशों और गमलों से दूर.. मैं प्रीति के गरम बदन के कटाव के सांचों से चिपका हुआ.. उसके जिस्म की गर्मी महसूस कर रहा था।
मेरे हाथ धीरे-धीरे प्रीति की गाण्ड तक पहुँच गए और मैंने उन उभारों को दबा दिया।
अब तक प्रीति भी सामान्य हो चुकी थी.. अपनी गाण्ड पर मेरा हाथ महसूस करके उसने ऊपर देखा और हमारे होंठ मिल गए।
लगभग दस मिनट तक हम एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहे।
तभी मैंने उसे दीवार से सटाया और अपने हाथ उसकी चूचियों पर रख दिए..
प्रीति ने भी अपने हाथ मेरे हाथों पर रख कर अपनी चूचियाँ जोर से दवबाईं और उसके बाद मैं प्रीति पर टूट पड़ा।
‘आआह्ह्ह.. इतनी जोल से मत दबाओ ना.. आअह्ह्ह..नहीं सुनील.. आह्ह्ह’
इस आवाज़ ने मेरा और प्रीति का ध्यान उस आवाज़ की तरफ मोड़ दिया।
क्लास बड़ी थी और हमारे मुँह से अब तक कोई आवाज़ नहीं निकली थी लेकिन ये आवाज़ कुछ जानी-पहचानी सी थी।
मैं क्लास की पीछे वाली सीट पर धीरे से गया तो देखा कि इलेक्ट्रॉनिक्स के सीनियर सुनील सर.. अपनी जूनियर सोनम की चूचियाँ चूसने में जुटे हुए हैं।
वे दोनों पिछली सीट के पीछे एक-दूसरे के ऊपर चुदाई में लिप्त थे। सोनम की चूचियाँ एकदम नंगी और नीचे चूत में सुनील सर अपना मोटा लण्ड डालने की कोशिश कर रहे थे।
मैं प्रीति को लेकर एक सीट के पीछे छुप गया कि उन दोनों की चुदाई आराम से देख पाऊँ।
सोनम जमीन पर लेटी थी जबकि सुनील उसके ऊपर चढ़ा हुआ.. उसे बेतहाशा चूम रहा था। सोनम की 36 साइज़ की चूचियों को जबरदस्त तरीके से नोंच रहा था।
सोनम एक हॉट लड़की थी जो इस लल्लू के नीचे चुद रही थी.. लेकिन थोड़ा तुतलाती थी।
सुनील ने अपने होंठ सोनम के होंठों पर रखे और अपना मोटा लण्ड सोनम की चूत की नाजुक गलियों में उतार दिया। सोनम की सिसकारी निकल गई और उसने सुनील को जोर से भींच लिया।
सुनील अब अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा और सोनम के मुँह से सिसकारियाँ निकलना चालू हो गई थीं।
‘आह्ह सुनील.. आह्ह्ह.. औल जोल से आह्ह्ह…’
इधर मेरा लण्ड भी मेरी पैंट में तन चुका था और प्रीति भी गरम हो गई थी.. जब तक मैं कुछ कहूँ प्रीति ने मेरा लण्ड थाम लिया।
उधर सोनम चुद रही थी.. इधर प्रीति मेरा लण्ड बाहर निकाल कर मसल रही थी।
आगे क्या हुआ.. अगले भाग में.. पढ़िएगा।
आपके विचार आमंत्रित हैं। दोस्ती में फुद्दी चुदाई-12
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