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सम्पादक : जूजा जी
प्यारे दोस्तो, मेरा नाम राजन है और मेरी उम्र 32 साल है।
वैसे तो मैं एक फाइनेंसियल कंपनी में पोर्टफोलियो मैंनेजर के पद पर काम करता हूँ।
हम मुंबई में रहते हैं और मेरी कंपनी का हेड ऑफिस दुबई में होने के कारण मुझे दुबई और दुनिया के कई बड़े शहरों में घूमने का मौका मिला है। किस्मत से मुझे एक बहुत ही अच्छी, सुन्दर और सेक्सी बीवी मिली है, उसका नाम विभा है। विभा और मेरी लव-मैरिज हुई है। हालांकि हम दोनों की शादी को ना मेरे घर वाले और न ही विभा के घर वाले पसंद करते थे, इसलिए हमारी शादी को लेकर पहले से ही सबका विरोध था। लेकिन फिर भी हम दोनों ने शादी कर ली।
विभा से मेरी पहली मुलाकात मेरे दोस्त की शादी में हुई थी। विभा को देखते ही मुझे उससे प्यार हुआ और कुछ दिनों बाद मैंने उसको प्रपोज़ किया।
आगे चल कर घर वालों के विरोध के बाद भी हम दोनों ने शादी कर ली और हम दोनों घर वालों से अलग रहने लगे।
हम मुंबई में एक 2 कमरे के फ्लैट में किराये पर रहते थे।
विभा 28 साल की एक सुन्दर महिला है। शायद हम पर हमारे माता-पिता की ही नाराज़गी का असर हो, लेकिन आज शादी के 4 साल बाद भी हमें कोई संतान नहीं हो सकी है।
हम दोनों ने हर मुमकिन इलाज कर लिया है। हमारे सारे टेस्ट कर लिए लेकिन हर टेस्ट का परिणाम बताता रहा था कि न तो विभा में कोई दोष है और न ही मुझ में, लेकिन पिछले 3 महीनों से हम दोनों की दर्द भरी ज़िंदगी बदल गई। मानो हमारी किस्मत कुछ ऐसा ही होने की राह देख रही थी।
इस दौरान मेरी मुलाकात रजनीश नाम के एक लड़के से हुई। रजनीश 22 साल का लड़का था, उसके माँ-बाप नाँदेड़ में रहते थे। रजनीश मुंबई में जॉब के लिए आया था।
एक दिन रात को मेरी गाड़ी बंद पड़ी थी और कुछ मदद मिलने की कोई गुंजायश नहीं थी, तब मुझे ये 22 साल का जवान लड़का रजनीश मिला।
रजनीश ने मेरी गाड़ी ठीक की, उसके बाद मेरी रजनीश से दोस्ती बढ़ी।
रजनीश एक स्मार्ट लड़का था वैसे तो वो रंग से सांवला था लेकिन रजनीश हर एक काम जानता था।
वैसे तो वो अकाउंट्स में स्नातक था, लेकिन वो प्लमबिंग, कार रिपेयरिंग, बिजली और इलेक्ट्रॉनिक सामान, लैपटॉप और कंप्यूटर आदि भी सुधारना जानता था।
मुझे वो दादा और विभा को भाभी कहता था। हम दोनों उसको रजनीश ही कहते थे।
मैं और रजनीश हफ्ते में एक बार, किसी बार में बैठ कर ड्रिंक्स लेते थे।
एक दिन रजनीश मेरे घर आया था, हम बातचीत कर रहे थे, वहीं विभा भी बैठी थी।
बातचीत खत्म होने के बाद रजनीश ने मुझसे कहा- अच्छा दादा अब चलता हूँ।
विभा ने उसको कहा- रजनीश खाना ख़ाकर जाओ।
वैसे तो रजनीश रुकने वाला नहीं था लेकिन विभा ने उससे बहुत आग्रह किया, इसलिए उसको रुकना पड़ा।
फिर मैंने कहा- क्यों ना खाने से पहले एक-एक पैग हो जाए…
रजनीश ने मना किया पर मैंने जोर दिया किया तो वो बोला- दादा.. विभा भाभी के सामने?
मैंने कहा- अबे तू दारू पीता है.. ये क्या विभा नहीं जानती?
विभा बोली- मुझे कोई दिक्कत नहीं है। उसके हम दोनों ने ड्रिंक्स ली और खाना खाने के बाद रजनीश चला गया।
दो-चार दिनों बाद एक दिन सुबह-सुबह किसी बात को लेकर विभा बहुत गुस्सा थी।
मैं नींद से जगा ही था तभी विभा मुझ पर चिल्लाने लगी।
मैंने कहा- क्या हुआ?
विभा बोली- कितनी बार बोला है बाथरूम में बिजली की फिटिंग में कुछ दिक्कत है.. आज मुझे कितनी ज़ोर से बिजली का झटका लगा।
मैंने कहा- मैं आज ही इलेक्ट्रीशियन को बुलाता हूँ।
मैंने मोबाइल उठा कर इलेक्ट्रीशियन को कॉल किया लेकिन इलेक्ट्रीशियन उपलब्ध नहीं हुआ।
मैंने कहा- देखो विभा डार्लिंग 2-4 दिन संभाल कर इस्तेमाल करो फिर वो आएगा।
विभा भी मान गई, मैं ऑफिस चला गया।
उसी दिन मेरी रजनीश से बात हुई और उसको मैंने बताया कि विभा को आज सुबह बिजली का झटका लग गया।
रजनीश ने चौंक कर पूछा- अरे कैसे?
मैंने पूरी बात बताई, रजनीश बोला- अरे दादा मेरे होते हुए इलेक्ट्रीशियन की क्या ज़रूरत है..
मैंने कहा- नहीं.. ठीक है.. हो जाएगा..तुम तकलीफ़ मत करो।
रजनीश बोला- दादा मेरे होते हुए भाभी इलेक्ट्रिक शॉक खाए.. ये नहीं हो सकता.. आप कुछ मत बोलिए, मैं अभी घर पहुँचता हूँ, आप भी पहुँच जाइए।
मैंने कहा- यार मैं नहीं आ सकता, तुम जाओ ना.. विभा है घर पर.. मेरी एक जरूरी मीटिंग है।
रजनीश बोला- ठीक है दादा.. मैं जाता हूँ, आप कब तक पहुँचोगे?
मैंने कहा- मुझे शायद रात के 10 बज़ेंगे।
रजनीश बोला- ओके दादा…
रजनीश ने मेरे घर आने की तैयारी की लेकिन एक अलग सी खुशी उसके चेहरे पर आ रही थी… पता नहीं ये क्या था..
तकरीबन 3 बजे रजनीश मेरे घर पहुँच गया।
विभा ने दरवाजा खोला। उसने गुलाबी रंग का चूड़ीदार सूट पहना हुआ था।
विभा बोली- अरे रजनीश तुम?
रजनीश बोला- हाँ भाभी.. आपको कल शॉक लग गया और आपने मुझे बताया तक नहीं…
विभा कुछ नहीं बोली, रजनीश ने कहा- भाभी उसके लिए ही मैं आया हूँ। चलिए दिखाईए कहाँ दिक्कत है?
विभा रजनीश को बाथरूम में ले गई।
रजनीश ने कहा- भाभी एक टेबल मिलेगा या कुर्सी.. आप बता दीजिए मैं ले आऊँगा।
विभा बोली- नहीं.. मैं लाती हूँ ना..
लेकिन उससे पहले ही रजनीश ले आया।
रजनीश टेबल पर खड़ा हो गया और विभा रसोई में चली गई।
रजनीश अपना काम कर रहा था लेकिन बाथरूम का फर्श गीला होने के कारण टेबल डगमगाने लगी।
तभी रजनीश ने विभा को आवाज़ दी- विभा भाभी.. ज़रा ये टेबल पकड़ेंगी क्या.. बहुत हिल रही है।
विभा तुरन्त ही टेबल पकड़ने के लिए बाथरूम में आ गई और उसने टेबल पकड़ ली। रजनीश अपना काम कर रहा था, तभी उसकी नज़र नीचे विभा पर पड़ी।
विभा के सूट के गहरे गले से उसके मम्मों की दरार नज़र आ रही थी।
रजनीश की नज़र बार-बार वहां जाने लगी और उसकी पैन्ट में उसका लंड खड़ा होने लगा।
पैन्ट का आगे का हिस्सा उसके लौड़े के उठने के कारण फूलने लगा।
ये बात नीचे टेबल पकड़ कर खड़ी हुई विभा को समझ में आ गई।
रजनीश के खड़े होते हुए लंड का उभार विभा को अपने चेहरे के सामने ही पैन्ट के बाहर से दिख रहा था।
थोड़ी देर बाद उसको समझ में आया कि उसके दुपट्टा ना लेने कारण उसकी चूचियां का सिनेमा रजनीश को नज़र आ रहा है जिसके कारण रजनीश का लौड़ा खड़ा हो रहा है।
लेकिन उसको भी इसमें मज़ा आने लगा। विभा भी जानना चाहती थी कि क्या रजनीश भी चूचियों से ही मस्त हो रहा है.. तो उसने यह बात जानने के लिए पूछा- रजनीश मैं अब जाऊँ क्या?
रजनीश बोला- अरे नहीं भाभी.. मैं गिर जाऊँगा।
विभा समझ गई कि लौंडा भी चूचियों से ही गरम हो गया है।
रजनीश का लंड और भी सख्त होने लगा और वो मंजर देख कर मेरी बीवी की चूत भी नीचे गीली होने लगी।
थोड़ी ही देर में रजनीश के पैन्ट पर लंड के ऊपर एक गीला धब्बा नज़र आने लगा।
विभा ये देख कर मन ही मन मुस्कुराने लगी।
रजनीश का लंड बहुत ही बड़ा था शायद 8″ लंबा और 2.5″ मोटा होगा। उसके मुक़ाबले मेरा लंड बहुत ही छोटा था।
विभा भी यही सोच रही थी और उसके मम्मों की घाटी को देख कर रजनीश का लंड सख्त हो रहा है… ये सोच कर तो उसको बहुत ही मज़ा आने लगा।
रजनीश भी विभा के मम्मों का ऊपरी हिस्सा देख कर बहुत मस्त हो रहा था। वो मन ही मन कहे रहा था- यार ये राजन मादरचोद बड़ा ही नसीब वाला है.. क्या आइटम पटाई है साले ने.. और ये भाभी भी बड़ा पटाखा है.. ऐसा लग रहा है साली की अभी इसी वक्त इसकी चुदाई करूँ।
अन्धेरा बढ़ने की वजह से अब काम करना मुश्किल हो गया था।
रजनीश बोला- भाभी पूरी लाइन बदलनी पड़ेगी.. आज मैं कामचलाऊ ठीक कर देता हूँ.. कल बदल दूँगा।
विभा बोली- ठीक है।
रजनीश नीचे आ गया और विभा ने रजनीश के लिए कटलेट्स बनाए थे। वो रसोई से एक प्लेट में कट्लेट लेकर आ गई।
रजनीश बोला- अरे भाभी इसकी क्या ज़रूरत थी।
विभा बोली- ख़ाकर तो देखो.. मेरे हाथों से बने हुए हैं।
रजनीश ने एक कट्लेट उठा कर चखा। विभा सचमुच बहुत ही बढ़िया कट्लेट्स बनाती थी।
रजनीश ने कहा- भाभी आज राजन दादा जल्दी आते तो मज़ा आ जाता।
विभा बोली- वो क्यूँ भला?
रजनीश बोला- इतने बढ़िया कटलेट्स के साथ और कुछ भी मिलता न..
विभा बोली- ओह्ह समझ गई… तो उस चीज़ के लिए राजन की क्या ज़रूरत है.. वो स्टॉक तो घर में ही रहता है, बोलिए क्या लेंगे आप?
रजनीश का मन तो कह रहा था कि विभा डार्लिंग तू ही इतनी नशीली है तू कपड़े उतार कर सामने खड़ी हो जा, पर प्रत्यक्ष में वो कहने लगा।
रजनीश बोला- भाभी आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं है न?
विभा बोली- नहीं.. मुझे बिल्कुल भी दिक्कत नहीं है।
रजनीश बोला- ठीक है भाभी विहस्की ले आओ।
विभा विहस्की की एक बोतल लेकर आई रजनीश ने खुद पैग बनाया और फटाफट ख़त्म करके थोड़ी देर विभा से बात करते-करते वो बोला- विभा भाभी आप बहुत सुन्दर दिखती हैं।
विभा बोली- दारू पीने के बाद ही भाभी खूबसूरत लगने लगी, पहले तो कभी नहीं कहा।
कहानी अगले भाग में समाप्य।
मेरी बीवी की बड़े लंड की चुदास-2
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