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नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम रोहित शर्मा है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक नहीं हूँ पर अब कुछ दिनों से नियमित पढ़ रहा हूँ।
मुझे इस साईट के बारे में कुछ ही दिन पहले पता चला जब मैंने अपने दोस्त को कहानी पढ़ते हुए देखा था।
तब से लेकर मैं आज तक यही सोचता रहा कि मैं भी अपनी एक पर्सनल बात आप लोगों के साथ शेयर कर लूँ, पर मैं यह बात शेयर करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।
लेकिन मैंने भी अब अपनी बात को आपके साथ शेयर करने का मन बना लिया है। अगर मेरी सच्ची कहानी क़ो लिखने में कोई त्रुटि आपको लगे तो मुझे अपना दोस्त समझकर उस त्रुटि को नज़रअंदाज़ कर देना।
अब कहानी पर आता हूँ। हमारा गाँव मेरठ के पास है। पर मैं दिल्ली में रहता हूँ, मेरे घर में माँ पिताजी ओर मेरे दो छोटे भाई हैं। मेरी उम्र 22 वर्ष है, मैं दिखने में आकर्षक और गोरे रंग का हूँ, मेरा कद 5’6″ है। मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा नहीं है, साईज लगभग 6″ है।
बात आज से चार साल पहले की है जब मैं मेरठ में ग्याहरवीं क्लास में पढ़ता था तो मुझे अपने पड़ोस की एक लड़की नेहा से प्यार हो गया।
नेहा दिखने में बेहद आकर्षक थी। जिसका बदन 32-28-34 का और रंग गोरा था।
पूरी गली के लड़के उस पर लाइन मारते थे, उसका घर बिल्कुल मेरे घर के बराबर में था।
जब यह बात उसे पता चली कि मैं उससे प्यार करता हूँ तो पहले तो उसने मुझे कुछ जवाब नहीं दिया, लेकिन एक दिन जब मैं शाम को अपने घर की छत पर टहलने गया था तो उसी समय नेहा भी अपने घर की छत पर टहलने के लिए आ गई।
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उसने मौका पाते ही एक कागज मोड़ कर मेरे घर की छत पर फेंका, जब मैंने उस कागज को उठा कर खोल कर देखा तो मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा, उसमें लिखा था- ..आई लव यू टू !
फिर हमारी बातें शुरु होने लग गई और एक महीने तक कुछ कुछ बातें होती रही। नेहा किसी के घर नहीं जाती थी पर वो मुझसे छत पर से बात कर लिया करती थी और कभी कभी घर पर भी आ जाती थी।
फिर एक दिन मैंने नेहा को बाहर मिलने को बोला और वो मुझ से मिलने आ गई।
हमने खूब बातें की और एक दूसरे को किस भी किया और फिर हम दोनों घर वापस आ गये।
अब नेहा से बात करने के लिए उसके घर में कैसे जाया जाये, मैंने यह सोचा पर कुछ हल न निकला। तीन दिन बाद नेहा की मम्मी और छोटी बहन ॠतु मेरे घर आई, मैं तब सो रहा था और घर पर अकेला था।
नेहा की मम्मी ने मुझे जगाया और ॠतु को पढ़ाने के लिए जैसे ही बोला, मेरी तो नींद ही उड़ गई। मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा।
इससे पहले कि आंटी मुझे कुछ और बोलती, मैंने तुरंत ही बोल दिया- ..ठीक है आंटी, रात को 8 से 10 तक पढ़ा दिया करूँगा।
आंटी बोली- ठीक है।
फिर वो दोनों चली गई।
मेरा तो काम बन गया था और मैं खुशी से पागल हो रहा था।
मैं 8 बजे से पहले खाना खाकर मम्मी से बोल कर नेहा के घर आ गया।
मुझे देख कर आंटी बोली- नेहा और ॠतु ऊपर के कमरे में हैं।
मैं बोला- अच्छा आंटी जी।
मैं ऊपर कमरे में चला गया, मुझे देख कर नेहा और ॠतु बड़ी खुश हुई। फिर मैं भी उनके साथ बेड पर बैठ गया और मैंने ॠतु को इंग्लिश पढ़ने को बोला।
मैंने उसे सेंटेंस बनाने सिखाये और बनाने को दिये, वो उस में लग गई।
मैंने अपना हाथ ॠतु के पीछे से ले जाकर नेहा की कमर पर फेरने लगा ही था कि नेहा एकदम ऐसे उछली जैसे उसे करंट लग गया हो। मैंने भी अपना हाथ बिजली की रफ़्तार से वापस खींचा।
तभी ॠतु बोली- क्या हुआ दीदी?
नेहा बोली- कुछ नहीं, ऐसे लगा जैसे कुछ चुभ गया हो।
मैं मन ही मन मुस्करा रहा था और नेहा भी, मैंने फिर से हाथ लगाया।
इस बार नेहा ने कुछ नहीं किया पर वो मन ही मन मुस्कुरा रही थी। उसके शरीर पर रोंगटे खड़े हो गए थे, जिन्हें मैं साफ़ महसूस कर रहा था, नेहा के शरीर में हल्की सी कंपकपी भी हो रही थी।
कुछ ही देर में ॠतु ने सेंटेंस बना दिए, मैं ॠतु को बोला- वाह क्या बात है ॠतु, तू तो बड़ी समझदार है।
फिर मैंने उसे कुछ ओर सेन्टेन्स दिये और बोला- बस आज के लिए इतना ही काफी है।
इतना कहकर में छत के ऊपर से ही अपनी छत पर आ गया क्योंकि गाँव में बिजली रात में कम ही आती थी इसलिए जल्दी ही घना अन्धेरा छा जाता है।
मैं अपने कमरे में चला गया, तभी मुझे नेहा की हल्की सी आवाज सुनी।
मैंने बाहर आकर देखा तो वो नेहा ही थी, उसने मुझे एक किस की और वापस अपने कमरे में चली गई!
अब तक तो मैं उसे प्यार की नज़र से ही देखता था, पर नेहा के रिस्पांस की वजह से मुझमें और हिम्मत आ गई थी और मैं भी अब उसे वासना की नज़र से देखने लग गया था।
मुझे भी अब उसके साथ सेक्स करने को मन करने लगा था।
उस रात मैं काफी देर तक यही सोचता रहा, और फिर मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
उसी रात मुझे एक हसीं सपना आया जिसमें नेहा ओर मैं एक दूसरे को किस कर रहे थे।
मैं उसे पलट कर उसके गाल पर चुम्बन करने लगा और उसके होंठ चूसने लग गया।
जैसे ही मैंने उसके होंठ अपने होंठों में लिए, उसे करंट सा लगा।
मैंने टॉप के ऊपर से ही उसके मम्मे दबाना जारी रखा। फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और हम एक-दूसरे को चूसने लगे।
उसे अजीब लगा क्योंकि यह उसका पहली बार था.. काफ़ी समय बाद मैंने उसको मुक्त किया।
फिर में नेहा के ऊपर लेट कर उसे चुम्बन करने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैंने उसके टॉप में हाथ डाल कर उसके मम्मे दबाना चालू कर दिया। मैं बहुत सख्ती से उसके मम्मे दबा रहा था। उसे बहुत दर्द हो रहा था..
फिर मैंने कहा- नेहा डार्लिंग.. प्लीज़ टॉप उतारो।
उसने मना कर दिया.. लेकिन में नहीं माना, मैंने उसके हाथ ऊपर करके उसका टॉप निकाल दिया।
नेहा अब ब्रा और पैन्टी में मेरे नीचे दबी थी।
मैंने ब्रा में हाथ डाल कर उसके चूचे दबाना चालू कर दिए।
मैंने थोड़ी देर बाद ब्रा भी निकाल दी। अब उसके नंगे मम्मे मेरे हाथों में थे। मैंने उन्हें बहुत ज़ोर से दबा रहा था। उसके चूचे एकदम लाल हो गए।
फिर मैंने अपनी जीभ नेहा की चूचियों पर लगाई.. उसे बहुत ज़ोर का झटका लगा।
मैं उसके मम्मों को चूसने लगा। उसकी आँखें बंद हो गईं और सिसकारी निकलने लगी। उसकी पैन्टी भी गीली होने लगी.. मैंने उसके मम्मे बहुत देर तक चूसे।
फिर मैंने उसे चुदाई के लिए बोला लेकिन उसने मना कर दिया।
मैं उसे चुदाई के लिए तैयार ही कर रहा था कि तभी मेरे पिताजी ने मुझे आकर जगा दिया।
मेरा वो हसीं सपना वहीं टूट गया।
मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर कुछ बोला नहीं।
मैं उठने के बाद फ्रेश होकर नहाने के लिये बाथरूम में गया। मैंने आज पहली बार उसके नाम की मुट्ठ मारी थी और मुझे असीम आनन्द की प्राप्ति हुई।
फिर में नाश्ता करके कॉलेज में चला गया। कहानी जारी रहेगी।
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