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कहानी का पिछला भाग: चुदासी भाभी ने चोदना सिखाया-4
भाभी ने मेरे लंड को पकड़ कर कहा- यह तो ऐसे रहेगा ही.. चूत की खुश्बू जो मिल गई है.. पर देखो रात के तीन बज गए है.. अगर सुबह टाइम से नहीं उठे.. तो पड़ोसियों को शक हो जाएगा.. अभी तो सारा दिन सामने है और आगे के इतने दिन हमारे हैं जी भर कर मस्ती लेना। मेरा कहा मानोगे तो रोज नया स्वाद चखोगे..
भाभी का कहना मान कर मैंने भी जिद छोड़ दी और भाभी करवट लेकर लेट गईं और मुझे अपने से सटा लिया।
मैंने भी उनकी गाण्ड की दरार में लंड फँसा कर चूचियों को दोनों हाथों में पकड़ लिया और भाभी के कंधे को चूमता हुआ लेट गया।
नींद कब आई इसका पता ही नहीं चला।
सुबह जब अलार्म बजा तो मैंने समय देखा.. सुबह के सात बज रहे थे… भाभी ने मुस्कुरा कर देखा और एक गरमा-गरम चुंबन मेरे होंठों पर जड़ दिया।
मैंने भी भाभी को जकड़ कर उनके चुंबन का जोरदार का जवाब दिया।
फिर भाभी उठ कर अपने रोज के काम-काज में लग गईं।
वो बहुत खुश थीं और उनके गुनगुनाने की आवाज़ मेरे कानों में शहद घोल रही थी।
तभी घंटी बजी और हमारी नौकरानी आशा आ गई।
उस दिन मैं कॉलेज नहीं गया। नाश्ता करने के बाद मैं पढ़ने बैठ गया।
जब आशा कमरे में झाड़ू लगाने आई.. तब भी मैं टेबल पर बैठ कर पढ़ाई करता रहा।
अब पढ़ाई क्या खाक होती.. बस रात का ड्रामा ही आँखों के सामने चलता रहा। सामने खुली किताब में भी भाभी का संगमरमरी बदन और उनकी प्यारी सी रसीली चूत नज़र आ रही थी। ‘बाबू ज़रा पैर हटा लो.. झाड़ू लगानी है..’
मैं चौंक कर हकीकत की दुनिया में वापस आया.. देखा आशा कमर पर हाथ रखे मेरे पास खड़ी है.. मैं खड़ा हो गया और वो झाड़ू लगाने लगी।
मैं उसे देखने लगा.. गेंहुआ रंग.. भरा-भरा बदन… तीखे नाक-नक्शे.. बड़े ही साफ-सुथरे ढंग से सज-संवर कर आई थी। आज से पहले मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया था।
वो आती और अपना काम करके वापस चली जाती थी.. पर आज की बात ही कुछ और ही थी।
भाभी से चुदाई की ट्रेनिंग लेकर एक ही रात में मेरा नज़रिया बदल गया था। अब मैं हर औरत को चुदाई के नज़रिए से देखना चाहता था।
आशा लाल हरी रंग की साड़ी पहने हुए थी.. जिसका पल्लू छाती पर से लाकर कमर में दबा लिया था। छोटा सा पर गहरे रंग का चोलीनुमा ढीला ब्लाउज… जिसमें से उसकी चूचियों साफ दिखाई दे रही थीं।
मेरा लंड फनफ़ना गया… रात वाली भाभी की चूचियों मेरे दिमाग में कौंध गईं।
तभी आशा की नज़र मुझ पर पड़ी… मुझे एकटक घूरता पकड़ उसने एक दबी से मुस्कान दी और अपना आँचल संभाल कर अपने पपीतों को छुपा लिया।
अब वो मेरी तरफ पीठ करके टेबल के नीचे झाड़ू लगा रही थी। उसके उठे हुए चूतड़ तो और भी मस्त थे, मस्त फैले-फैले और गद्देदार…अहह..
मैं मन ही मन सोचने लगा कि इसकी गाण्ड में लंड फंसा कर चूचियों को मसलते हुए चोदने में कितना मज़ा आएगा…
बस बेख्याली में मेरा हाथ मेरे तन्नाए हुए लंड पर पहुँच गया और मैं पायजामा के ऊपर से ही सुपारे को मसलने लगा।
तभी आशा अपना काम पूरा करके पलटी और मेरी हरकत देख कर मुँह पर हाथ रख कर हँसती हुई बाहर चली गई।
मैं झेंप कर कुर्सी पर बैठ कर पढ़ाई करने की कोशिश करने लगा।
जब आशा काम कर के चली गई तब भाभी ने मुझे खाने के लिए आवाज़ दी।
मैं डाइनिंग टेबल पर आ गया.. भाभी ने खाना देते हुए पूछा- क्यों लाला.. आशा के साथ कोई हरकत तो नहीं की?
मैंने अचकचा कर पूछा- नहीं तो.. कुछ कह रही थी क्या?
‘नहीं कुछ खास नहीं.. बस कह रही थी कि आपका देवर अब जवान हो गया है.. ज़रा ठीक से ख्याल रखना…’
मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप खाना खाकर अपनी स्टडी टेबल पर आकर पढ़ने बैठ गया।
भाभी रसोई का काम निबटा कर कमरे में आईं और मेरे पास पलंग पर बैठ गईं।
उन्होंने मेरे हाथ से किताब ले ली और बोलीं- ज्यादा पढ़ाई मत किया करो.. सेहत पर असर पड़ेगा.. और आँख मार दी…
मैंने उन्हें अपनी गोद में खींच लिया और उनके होंठों को कस कर चूम लिया।
भाभी ने भी अपना मुँह खोल कर मेरे ऊपरी होंठ को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।
मैं भी भाभी के रसीले निचले होंठ को बड़ी देर तक चूसता रहा।
मैं बोला- तुम कितनी अच्छी भाभी हो.. मुझे अपनी चूत दी.. मुझे चोदना सिखाया.. सच बताओ.. क्या भैया तुम्हें ऐसे ही चोदते हैं?
‘चोदते तो पूरे जोश से हैं पर वो तुम्हारे जितने ताक़तवर नहीं हैं, उनका लंड भी तुम्हारे लंड से छोटा है और तुम्हारे लौड़े जैसा मोटा नहीं है.. बहुत जल्दी पानी छोड़ देते हैं और तुरंत सो जाते हैं मगर मैं प्यासी रह जाती हूँ और रात भर जलती हुई बुर में ऊँगली डाले जागती रहती हूँ।’
भाभी ने मुझे कस कर जकड़ लिया और मेरा मुँह अपने सीने से चिपका लिया।
मैंने भी अपने हाथ भाभी की पीठ पर कस कर उनकी चूचियों को चूम लिया।
मैंने उनकी चोली ढीली कर दी और अपना एक हाथ सामने लाकर चोली के अन्दर करके चूचियों को कस कर पकड़ लिया और मसलने लगा। मेरा दूसरा हाथ नीचे का सफ़र कर रहा था और उनके लहंगा के ऊपर से उनके चूतड़ों को पकड़ लिया।
आज भाभी नीचे कुछ नहीं पहने हुई थीं और मेरा हाथ उनके मुलायम चिकने बदन को मसल रहा था।
भाभी भी चुप नहीं बैठी थीं और मेरे नाड़े को ढीला करके ऊपर से ही हाथ घुसा कर मेरे लंड को मसलने लगीं।
‘लाला तुम्हारा लंड बहुत ही जोरदार है… कितना कड़क.. कितना मोटा और लम्बा है… रात को जब तुमने पहली बार मेरी चूत में घुसाया.. तो ऐसा लगा कि यह तो मेरी बुर को फाड़ ही डालेगा। सच कितना अच्छा होता.. अगर मेरी शादी तुम्हारे साथ होती.. फिर तो दुनिया की कोई परवाह ही नहीं होती और रात-दिन तुम्हारा लंड अपनी चूत में लिए हुए मज़े लेती।’
कुछ देर तक मेरे लंड और झाँटों से खेलने के बाद भाभी ने हाथ निकाल कर मेरे पायजामे का नाड़ा खोल दिया.. फिर खड़े होकर अपनी चोली और लहंगा भी उतार दिया और पूरी तरह से नंगी हो गईं।
फिर मुझे कुर्सी से उठा कर पलंग पर बैठने को कहा… मैं खड़ा हुआ तो मेरा पायजामा अपने आप उतर गया।
जब मैं पलंग पर बैठ कर भाभी की मस्त उठी हुईं चूचियों को देख रहा था.. तो मारे मस्ती के.. मेरा कड़क लंड छत छूने की कोशिश कर रहा था।
भाभी मेरी टांगों के बीच बैठ कर दोनों हाथों से मेरे लौड़े को सहलाने लगीं।
कुछ देर लौड़ा सहलाने के बाद अचानक भाभी ने अपना सर नीचे झुकाया और अपने रसीले होंठों से मेरे सुपारे को चूम कर उसको मुँह में भर लिया।
मैं एकदम चौंक गया… मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा…
‘भाभी यह क्या कर रही हो… मेरा लंड तुमने मुँह में क्यों ले लिया है?’
‘चूसने के लिए और किस लिए? तुम आराम से बैठे रहो और बस लंड चुसाई का मज़ा लो… एक बार चुसवा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे..’
भाभी मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मैं बता नहीं सकता हूँ कि लंड चुसवाने में मुझे कितना मज़ा आ रहा था।
भाभी के रसीले होंठ मेरे लंड को रगड़ रहे थे।
फिर भाभी ने अपने होंठों को गोल करके मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और मेरे अन्डकोषों को हथेली से सहलाते हुए सिर ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया.. मानो वो मुँह से ही मेरा लंड को चोद रही हों।
धीरे-धीरे मैंने भी अपनी कमर हिला कर भाभी के मुँह को चोदना शुरू कर दिया। मैं तो मानो सातवें आसमान पर था। बेताबी तो सुबह से ही हो रही थी। थोड़ी ही देर में लगा कि मेरा लंड अब पानी छोड़ देगा।
मैं किसी तरह अपने ऊपर काबू करके बोला- भाभीईईईईईई.. मेरा पानी छूटने वाला है…
भाभी ने मेरी बातों का कुछ ध्यान नहीं दिया बल्कि अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को जकड़ कर और तेज़ी से सिर ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया।
मैं भी भाभी के सिर को कस कर पकड़ कर और तेज़ी से लंड भाभी के मुँह में पेलने लगा… कुछ ही देर बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और भाभी ने गटागट करके पूरे पानी पी गईं।
सुबह से काबू में रखा हुआ मेरा वीर्य इतना तेज़ी से निकला कि उनके मुँह से बाहर निकल कर उनकी ठोड़ी पर फैल गया.. कुछ बूँदें तो टपक कर उनकी चूचियों पर भी जा गिरीं।
पूरा झड़ने के बाद मैंने अपना लंड निकाल कर भाभी के गालों पर रगड़ दिया।
हय…क्या खूबसूरत नज़ारा था.. मेरा वीर्य भाभी के मुँह.. गाल.. होंठों और रसीली चूचियों पर चमक रहा था…
भाभी पूरी बिल्ली जैसी लग रही थीं जो मलाई चाटने के बाद अपनी जीभ से बची हुई मलाई को चाटती है।
भाभी ने अपनी गुलाबी जीभ अपने होंठों पर फिरा कर वहाँ लगा वीर्य चाटा और फिर अपनी हथेली से अपनी चूचियों को मसलते हुए पूछा- क्यों देवर राजा.. मज़ा आया लंड चुसवाने में?
‘बहुत मज़ा आया भाभी.. तुमने तो एक दूसरी जन्नत की सैर करवा दी… मेरी जान… आज तो मैं तुम्हारा सात जन्मों के लिए गुलाम हो गया… कहो क्या हुक्म है…?’
‘हुक्म क्या.. बस अब तुम्हारी बारी है।’
‘क्या मतलब.. मैं कुछ समझा नहीं?’
‘मतलब यह मेरे भोले राजा.. कि अब तुम मेरी चूत चाटो…’
यह कह कर भाभी खड़ी हो गईं और अपनी चूत मेरे चेहरे के पास ले आईं। मेरे होंठ उनकी चूत के होंठों को छूने लगे।
मेरे प्यारे पाठकों मेरी भाभी का यह मदमस्त चुदाई ज्ञान की अविरल धारा अभी बह रही है। आप इसमें डुबकी लगाते रहिए.. और मुझे अपने पत्र जरूर लिखते रहिए।
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कहानी का अगका भाग: चुदासी भाभी ने चोदना सिखाया-6
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