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Achanak Ho Gai Bhabhi Ki Chudai-2 हम लोग लगातार एक दूसरे का जिस्म सहला रहे थे। भाभी के हाथ सिर्फ मेरी पीठ और सर पे चल रहे थे पर मैं उनकी पीठ और नितम्ब को सहला रहा था और थोड़ी थोड़ी देर में उनके चूतड़ों को दबा भी देता था जिससे भाभी की एक हलकी सी सिसकारी निकल जाती थी।
मैंने अपनी उंगली उनके चूतड़ों की दरार में भी चला दी थी।
उनके हाथ बीच से हट जाने के कारण मैं अपने सीने पे उनके मम्मों का आकार और दबाव महसूस कर सकता था।बहुत कसे और उभरे हुए मम्मे थे मेरी प्यारी भाभी के जिनको अब तक मैं एक आध बार सहला भी चुका था।
तभी मुझको ध्यान आया कि भईया आने वाले थे और अब वो कभी भी आ सकते हैं तो मैंने भाभी से कहा- भईया आने वाले होंगे? आपको छोड़ने का मन नहीं कर रहा… क्या करूँ?
तो वो हलके से मुस्कुराई और बोली- वे तो अब शाम को आयेंगे। वो कह कर गए थे कि जाते वक़्त तुमको रास्ते में बोलते जायेंगे शाम को आने को इसलिए मुझको उम्मीद नहीं थी कि तुम अभी घर में बैठे होंगे।
मैंने कहा- भईया तो मुझको कुछ बोल कर नहीं गए, शायद वो मुझको बताना भूल गए और उनकी इस भूल का इतना अच्छा तोहफा मुझको मिल गया है।
अम्मा का मुझको पता था कि वो मंदिर में एक पाठ में गई हैं और कम से कम 3 घंटे से पहले नहीं आने वाली।
मतलब हम लोगों के पास अब 3 घंटे तो थे ही।
मैं मुस्कुराया और भाभी को फिर से अपनी बाहों में भर लिया। भाभी भी मेरी बाहों में समाती चली गई।
मेरे हाथ अब भाभी के कुर्ते के कट से उनकी नंगी जांघों को छू रहे थे पर मैं उनको अच्छे से नहीं सहला पा रहा था।
मैं भाभी को पकड़ कर पलंग के पास ले आया और पलंग पर बैठ कर मैंने उनको अपनी गोद में बैठा लिया और दुबारा से उनके होंठों को चूसने लगा।
वो मेरे बालों को सहला रही थी और मेरे होंठों को चूस रही थी। उन्होंने अभी तक पजामा नहीं पहना था और गोद में बैठने के कारण मैं अब उनकी जांघें आसानी से छू पा रहा था।
मैंने कुर्ते के कट से अपना हाथ अन्दर डाला और उनकी जाँघों को सहलाने लगा।
मेरे हाथ उनके नंगे घुटनों से उनके नितम्बों तक आसानी से जा रहे थे। मैं अपने हाथ उनके चूतरों तक ले के जाता और उनकी पेंटी के किनारों तक उनको सहलाता।
जब जब मेरे हाथ उनकी पेंटी तक जाते, वो मेरे से और चिपक जाती। उन्होंने मेरा सर पकड़ कर उसको अपने सीने पर रख दिया जहाँ से मैंने उनके उभारों के ऊपर नीचे होने का अहसास ले सकता था।
मैंने कुर्ते के ऊपर से उनके मम्मों को चूम लिया और अपने होंठों से उनको दबाने लग।
भाभी से धीरे धीरे अपनी टाँगें थोड़ी चौड़ी कर दी। अब मैं आसानी से उनकी टांगों के अन्दर की तरफ भी सहला पा रहा था।
मैंने उनकी टांगों को सहलाना जारी रखा और बार बार उनकी पेंटी के पास हाथ ले जाकर छोड़ देता था।
मेरी यह हरकत उनको बहुत उत्तेजित कर रही थी क्योंकि शायद वो बार बार यही सोच रही थी कि अबकी बार मेरा हाथ उनके गुप्तांगों को छुएगा पर हर बार उनका यह सोचना गलत हो जाता था।
मुझको इसमें बड़ा मज़ा आ रहा था पर जब जब मेरा हाथ उनकी चूत के पास जाता तो उसकी गर्मी मुझको महसूस हो रही थी।
भाभी ने मेरी टी शर्ट उतार दी। मैंने अंदर बनियान भी नहीं पहनी थी।
वो टीशर्ट उतारते ही मुझसे चिपक गई और मेरे कंधों और मुँह पर चुम्बन करने लगी।
मैं भी उनके चुम्बन का जवाब चुम्बन से दे रहा था और उनके गले, कानों, गालों, होंठों को चूम रहा था। मेरी साँसों में उनके जिस्म की महक आ रही थी जो मुझको और पागल बनाये जा रही थी।
मैंने अपना हाथ उनके पीछे से कुर्ते में डाल दिया और उनको नंगी पीठ में हाथ चलने लगा।
कुर्ते के अन्दर ही मेरे हाथ उनके पेट पे आ गया और धीरे धीरे उनके मम्मों की तरफ बढ़ने लगा।
मैंने ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्मे पकड़ लिए और उनको दबाने लगा। थोड़ी देर उनके मम्मे दबाने के बाद मैं अपना हाथ दुबारा से उनकी पीठ पर ले गया और उसको सहलाने लगा, पर अबकी बार मेरे इरादा कुछ और था। थोड़ी देर ऐसे ही उनकी पीठ सहलाते हुए मैं अचानक अपना हाथ उनके पीठ पर ऊपर से नीचे लाया और अपना हाथ सीधे उनकी पेंटी में पीछे डाल दिया।
भाभी इसके लिए तैयार नहीं थी तो वो एक म मुझसे अलग हो गई, पर अब तक मेरा काम हो चुका था और मेरा हाथ उनके चूतड़ों की दरार के ठीक बीच में वहाँ था जिसको हम गांड भी कहते हैं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! उनके अलग होने से उनका दबाव अपने चूतड़ों पर बढ़ गया और मेरा हाथ उनकी दरार में सेट हो गया।
मैंने अपनी उंगली उनकी दरार में चलनी शुरू कर कर दी और उसको सहलाने लगा।
अब हम लोगों की उत्तेजना इतनी हो गई थी कि बता नहीं सकता।
मैंने भाभी को इशारा किया और भाभी के कुर्ते को उनके जिस्म से अलग करने लगा।
अन्दर बहुत गठा जिस्म था।
भाभी ने अपने हाथ ऊपर कर दिए ताकि मैं कुर्ता सही से उतार सकूँ। और जब कुरता उनके जिस्म से अलग हुआ तो वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में मेरी गोद में थी। वो मुझसे शरमा कर चिपक गई। मैंने उनके कंधों और सीने पर चुम्बन कर रहा था और उनके पूरे जिस्म को सहला रहा था।
अब मैंने अपना हाथ उनकी पुसी (चूत) पर रख दिया और उसको दबाने लगा। उनकी चूत इतनी उभरी हुई थी जैसे पावरोटी हो। मैं उसको मसल रहा था और भाभी सिसकारियाँ भर रही थी।
मैंने पेंटी बिना उतारे उसकी साइड से अपनी एक ऊँगली अन्दर डाल दी और उनकी चूत को सहलाने लगा।
दोस्तो, एक बात यहाँ मैं बताना चाहूँगा कि औरत की उत्तेजना एकदम से चोदने से नहीं बल्कि उसको सहलाने से बढ़ती है। औरत मर्द के मुकाबले देर से उत्तेजित होती है और एक बार पूर्ण रूप से उत्तेजित होने के बाद ही सम्भोग का मज़ा ले पाती है।
यह बात शायद आप लोगों को अच्छे से पता होगी और यही चीज़ मैं भाभी के साथ भी कर रहा था।
मैंने उनको वहीं पलंग पर लिटा दिया और सीने को चाटते हुए उनके कंधों से उनके ब्रा के स्ट्रेप उतारने लगा।
जल्दी ही उनका सीना नंगा हो चुका था और उनके उभार आधे चाँद की तरह ब्रा से बाहर झाँक रहे थे। पता नहीं आप लोग मुझसे सहमत है या नहीं पर मेरे अनुसार औरत का खुला हुआ भाग उतना उत्तेजित नहीं करता जितना कि छुपा हुआ करता है।
मैं उनके सीने और बाहर निकले हुए मम्मों को चाट रहा था और वो मुझको अपनी और दबाये पड़ी थी। अबकी बार भाभी ने पहल करते हुए अपना एक मम्मा अपने ब्रा से पूरा बाहर निकाला और मेरे मुँह के आगे कर दिया।
34 के आकार का गोल मम्मा अपने भूरे से उभरे हुए निप्पल के साथ मेरे सामने था तो मैं अपने को कैसे रोकता, मैंने झट से उसको मुँह में ले लिया और एक बच्चे की तरह उसको चूसने लगा।
मैंने उसी वक़्त पीठ पर हाथ ले जाकर उनकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को हम दोनों के बीच से निकाल कर बाहर का रास्ता दिखा दिया।
अब भाभी के दोनों बूब्स मेरे सामने नग्न थे, एक को मैंने दबाता और दूसरे को चूसता।
भाभी अपनी आँखें बंद किये हुए अपने मम्मों को चुसवा रही थी।
थोड़ी देर ऐसे ही उनके मम्मे चूसने के बाद मैं उनके नीचे की ओर बढ़ने लगा और उनके पेट और नाभि को चूमते हुए उनकी चूत तक आ गया।
पेंटी के ऊपर से ही मुझको अहसास हो गया थी कि भाभी की चूत पर बाल नहीं होंगे, एकदम चिकनी चूत मिलने वाली है मुझको आज चुदाई के लिए।
मेरा लंड तो यही सोच सोच कर काबू के बाहर हो रहा था कि आज मेरी बाहों में ऐसी जवान और चिकनी औरत है और मेरा पप्पू जल्दी ही अपनी नई सहेली से मिलने वाला है।
मैंने पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को अपने मुँह में ले लिया और उसको चूसने लगा। मैंने उनकी टांगों को भी खूब चाटा। भाभी भी अपनी दोनों टाँगें पूरी खोल कर मुझको अपनी चूत की ओर बुला रही थी। उनकी दोनों टाँगें पूरी खुली हुई थी और अभी तक शर्माने वाली भाभी अब चुदाई के पूरे मूड में आ चुकी थी।
अब बारी उनकी पेंटी उतार कर उनको पूरा नंगा करने की थी। मैंने उनको उल्टा करके पेट के बल लिटा दिया और उनकी पीठ पर जीभ फेरने लगा।
उनकी पूरी पीठ को चाटते हुए मैं उनके चूतड़ों पर आ गया और उनकी पेंटी उतारने लगा। जल्दी ही मैंने उनकी पेंटी को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। भाभी मेरे सामने पेट के बल बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी और उनके उभरे हुए नितम्ब मुझको अपनी ओर बुला रहे थे। मैंने उनके दोनों नितम्बों को चूमा और अपने हाथों से उन दोनों को एक दूसरे से दूर किया।
मेरे सामने अब उनकी हल्की भूरी से छोटे से छेद वाली गांड थी। मैंने अपनी जीभ उनकी दरार में डाल दी और उसको चाटने लगा। मैंने उनकी एक टांग को 90 के कोण पे मोड़ दिया ताकि मैं उनकी गांड के छेद को अच्छे से चूम सकूँ पर टांग मोड़ते ही मुझको उनकी चूत की झलक भी मिलने लगी जो गांड के साथ से शुरु हो जाती है।
जैसा मैंने सोचा था उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, मानो आज ही चूत साफ़ की हो। एकदम मस्त चिकनी चूत थी उनकी। मैंने भाभी को सीधा किया, मेरे सामने मेरी पाव रोटी थी जिसको खाने से रोकने की हिम्मत अब मेरे में नहीं थी। मैंने उसकी चूत अपने मुँह में ले लिया और उसको चूसने लगा। उनकी चूत के दोनों होंठ मेरे मुँह में थे।
फिर मैंने उनके चूत के दोनों होंठों को अलग किया और उसमें अपनी जीभ डाल के उसको चाटने लगा। मैंने अपने ही काम में मस्त था और मैं भाभी को देखा भी नहीं था अभी।
जब मैंने देखा तो भाभी आँखें बंद किए हुए अपने मम्मे दबा रही थी, वो अपने होंठों को उत्तेजना से काट रही थी। मैंने उनकी मदद करने के लिए उनके मम्मे अपने हाथो में ले लिए और उनको दबाने लगा।
उन्होंने अपने हाथ मेरे सर पे रख दिए और मेरे मुँह को अपनी चूत में और अन्दर की तरफ दबाने लगी।
उनको मेरा इस तरह चूत चाटना अच्छा लग रहा था और वो कहने लगी- और जोर से चाटो, मेरी पूरी चूत खा जाओ।
उनकी चूत से पानी निकलने लगा था और मैं उसको चाट रहा था।
थोड़ी देर बाद मैं सीधा होकर उनकी बगल में लेट गया।
अब उनकी बारी थी एक्शन में आने की। वो उठी और मेरे सीने पे चुम्बन करते हुए मेरी ही तरह मेरे नीचे की ओर बढ़ने लगी।
उन्होंने मेरी जीन्स का बटन और जिप खोल कर मेरी जीन्स उतार दी। मेरा लौड़ा अभी तक बहुत टाइट हो चुका था और जीन्स के उतरने से मुझको बहुत अच्छा लगा।
उन्होंने मेरे लंड को चड्डी के ऊपर से ही पकड़ लिया और मसलने लगी।
मुझको ऐसा लग रहा था मनो वो मेरे किये का बदला ले रही हों।
फिर उन्होंने बिना वक़्त लगाये मेरी चड्डी भी उतार दी। चड्डी उतरते ही मेरे लंड कुतुबमीनार की तरह सीधा खड़ा हो गया और उसको देखते ही भाभी की आँखों में एक चमक और होंठों पर मुस्कान आ गई।
वो मेरे लौड़े को अपने नाजुक हाथों में लेकर मुठ मारने लगी।
मैं उनकी तरफ आशा भरी नजरों से देख रहा था क्योंकि मुझको लड़की से लंड चुसवाना बहुत पसंद है।
शायद वो भी यह बात समझ गई थी तो उन्होंने मेरे लंड के टोपे को अपनी जीभ से चाटना शुरु कर दिया।
धीरे धीरे वो मेरे लंड को नीचे से ऊपर टोपे तक ऐसे चाटने लगी जैसे कोई आइसक्रीम चाट रहा हो।
फिर उन्होंने मेरे टोपे को अपने मुँह में ले लिया और उसको लोलीपोप की तरह चूसने लगी।
मैं मानो आसमान में उड़ रहा था।
थोड़ी देर में ही मेरा पूरा लंड उनके मुँह में गले तक जा रहा था। वो मेरे लंड को अपने मुँह में अन्दर बाहर कर रही थी और मैं उत्तेजना की चरम सीमा तक पहुँच गया था। मुझको लग रहा था मैं किसी भी वक़्त इनके मुँह में अपनी धार छोड़ दूँगा पर भाभी थी बहुत उस्ताद… जैसे ही मैं उस हालत तक पहुँचता, वो लंड चूसना बंद कर देती मानो उनको पता चल गया हो कि मेरा निकलने वाला है।
अब हम लोग 69 की पोजीशन में आ गये। वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उनकी चूत का रसपान कर रहा था।
अब हम लोगों को कण्ट्रोल करना मुश्किल हो रहा था तो मैं सीधा होकर भाभी की टांगों के बीच बैठ गया और उनके घुटने मोड़ कर टाँगें चौड़ी कर दी। मैंने उनको थोड़ा सा उठा के अपनी टांगों पे लिया, अपना लंड उनकी चूत के मुँह पे लगाया और हल्का सा धक्का देकर टोपे को चूत में थोड़ा सा घुसा दिया ताकि मेरे अगले धक्का देने पे वो चूत में घुस पाए।
फिर मैंने अपने हाथ भाभी के बगल में रखे और अपनी कमर हिला कर धक्का मारा तो मेरे लंड का टोप भाभी की चूत में घुस गया। भाभी के मुँह से हल्की से सिसकारी निकली।
मेरे अगले झटके से मेरा लंड भाभी की चूत में समा चुका था।
अब मैं कमर हिला के अपना लंड उनकी चूत में पेल रहा था और वो भी चूतड़ उचका उचका कर लंड अपने अन्दर ले रही थी।
मेरा आनन्द चरम सीमा पर था, झटकों की तेज़ी बढ़ती जा रही थी, वो अपनी टाँगें हवा में उठाये हुए मेरे लंड को अपने अन्दर और अन्दर समाने की पूरी कोशिश कर रही थी। मेरे टट्टे उनके चूतड़ों से टकरा टकरा कर बहुत ही मधुर आवाज कर रहे थे।
थोड़ी देर में मैं भाभी के ऊपर ही लेट गया और अपने दोनों हाथ भाभी के बगल से नीचे ले जाकर उनके कंधों पर रख कर उनको अपने से चिपका लिया।
उन्होंने भी अपने हाथ मेरी पीठ पर रख लिया। टाँगें उठा कर वो थक गई थी, उन्होंने अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट दी और अब अपनी कमर और टांगों से मुझको झट कर मार रही थी।
हम लोगों के होंठ एक बार फिर मिल गए थे और हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमे जा रहे थे। बीच बीच में मैं उनके मम्मों को भी दबा और मसल रहा था, मम्मे दबाता और निप्पल को कस के मसल देता जिससे वो हल्की सी चीख देती।
मैंने अपनी उंगली उनकी गांड छेद में डाल दी पर वो बहुत टाइट थी, मुझको उनकी गांड ऊपर से सहला कर ही संतोष करना पड़ा।
हमारी चुदाई चरम पर थी और जल्द ही मेरा पानी निकल गया।
मैंने अपना सारा पानी उनकी चूत में ही डाल दिया।
और मुझको थोड़ा अजीब सा लगा क्योंकि मैं सोच रहा था कि मैं जल्दी ही झड़ गया पर तभी मुझको ऐसा फील हो रहा था मानो उनकी चूत में मेरे लण्ड पे कोई पानी की धार धीरे धीरे मार रहा हो।
भाभी भी झड़ रही थी… जैसा कि आप जानते हैं कि कई औरतें जब झरती हैं तो वो भी मर्दों की तरह से ही धार मारती हैं।
उसका पानी भी वैसे ही निकलता है जैसे मर्दों का… अंतर सिर्फ इतना होता है कि हमारे नल की टोटी बाहर होती है और उनकी पाइप अन्दर।
भाभी के चेहरे पर भी चुदाई की ख़ुशी थी। मैं झड़ कर भाभी के बगल में ही लेट गया। भाभी करवट लेकर मेरे से चिपक गई।
मैं अभी भी भाभी की जिस्म को सहला रहा था, क्योंकि हम झड़ जरूर गए थे पर न मेरा, न ही भाभी का मन अभी भरा था। कहानी तो अब शुरु हुई थी जो बहुत लम्बे टाइम तक चलनी थी, हम दोनों की चुदाई की कहानी।
आज तो सिर्फ पहले पन्ना लिखा गया था।
वो नंगी मेरे बगल में लेटी हुई किसी हीरोइन से कम नहीं लग रही थी, उनका भर पूरा चिकना बदन बदन मुझको अभी भी उत्तेजित कर रहा था कि अभी उनको ओर चोदूँ।
थोड़ी देर रुक कर उन्होंने मेरे लंड को फिर से सहलाना शुरु कर दिया और उसको मुँह से चूस चूस के खड़ा कर दिया।
अबकी बार बारी थी उनको कुतिया बना के चोदने की।
मैंने उनको घुटनों और हाथों के बल बैठा दिया पलंग पर और खुद नीचे खड़ा हो गया और पीछे से उनकी चूत में एक बार फिर लंड पेल दिया।
मेरे दोनों हाथ उनके कमर पर थे और मैं बार बार उनको अपनी और धक्का दे देकर लंड पेल रहा था।
फिर मैंने उनको वैसे ही अपनी गोद में बैठा लिया, अब वो मेरे लंड पे बैठ के उचक उचक के मेरा लंड अपनी चूत में डाल रही थी।
मेरे दोनों हाथ उनके मम्मे मसलने में लगे थे। वो अपनी गर्दन घुमा कर मेरे होंठों को चूम रही थी।
इस बार हम लोग जल्दी ही झड़ गए और एक बार फिर मेरे लंड ने अपना सारा पानी उनकी चूत में ही डाल दिया।
मेरी टाँगें उनकी चूत से निकलने वाले हम दोनों के पानी से भीग गई और पूरे कमरे में एक मादक कर देने वाली खुशबू भर गई थी। हम दोनों ही पसीने से लथपथ थे। हम दोनों वैसे ही सीधे बाथरूम में गए और जल्दी जल्दी एक दूसरे को साफ़ करके नहा कर बाहर आ गये।
मैं अपने कपड़े पहन कर बाहर आकर बैठ गया।
थोड़ी देर में भाभी भी साड़ी पहन कर आ गई।
वो बहुत खुश लग रही थी।
वो मेरे लिए चाय बना कर लाई और तब उन्होंने बताया कि वो शुरू में एकदम से डर गई थी क्योंकि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके साथ कभी ऐसा होगा। वैसे वो भईया के साथ बहुत खुश थी और उन लोगों की सेक्स लाइफ भी अच्छी थी पर आज एक गैर मर्द के बाहों में आकर उनको एक अजीब सी ख़ुशी मिली है।
मैं भी खुश था कि मैंने भाभी के साथ उनकी सहमति से सम्भोग किया और उनको भी यह करके ख़ुशी मिली। अगर कहीं ऐसा नहीं होता तो मुझको बहुत बुरा लगता।
मैंने चाय पी और चलने के लिए उठा। जाते जाते भी मैंने उनकी साड़ी ऊपर की और उनकी चूत को बहुत चाटा।
आप लोग सोच रहे होगे कि क्या आदमी है, छोड़ ही नहीं रहा… पर क्या करू दोस्तो, यह दिल है कि मानता नहीं। लण्ड की ख़ुशी के आगे यह दिल भी मजबूर हो जाता है, मेरी इसमें कोई गलती नहीं है।
आपको भी अगर बिना मांगे ऐसे कोई लड़की मिल जाएगी तो आप भी वही करोगे जो मैंने किया।
मैं आशा करता हूँ कि आपको भी ऐसी कोई लड़की मिले ताकि आप भी समझ सको कि मैं जो कह रहा हूँ वो सही है।
इसके बाद भी मेरे भाभी के साथ बहुत बार सेक्स सम्बन्ध हुए और हम लोग एक दूसरे की जवानी की आग को बुझाते रहे अलग अलग पोजीशन में।
हम लोग बहुत खुश से एक दूसरे की चुदाई करके।
चुदाई नहीं भी होती पर जब भी मौका मिलता मैं भाभी के अंगों और गुप्तांगो को मसल देता चूम लेता था।
सच में बड़ी मस्त थी मेरी यह अचानक हुई भाभी की चुदाई…
दोस्तो, एक बात जरूर कहना चाहूँगा कि कहानी किसी की भी हो पर उसका पूरा मज़ा लेने के लिए अगर आप उसको महसूस भी करेंगे तो आपका मज़ा दुगुना हो जायेगा… मेरा वादा है आपसे, कोशिश करके देखिएगा…
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताइयेगा।
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