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दोस्तों नए साल की हार्दिक बधाइयाँ, हालाँकि मुझे यकीन है की मेरी पिछली कहानियाँ पढ़कर साल के आखिरी दिन आपने मस्ती करते हुए बिताए होंगे।
आइये साल की पहली कहानी पढ़ते हैं।
साक्षी भी मुस्कराते हुए मेरी बाइक पर मुझसे चिपक कर बैठ गई।
मेरी पीठ पर साक्षी के भारी चूचे चिपके हुए थे, हर झटके पर पड़ने वाली रगड़ मेरे शरीर में सनसनी पैदा कर रही थी.. ऊपर से बारिश उसमे जैसे आग लगा रही थी।
हम पूरे भीग गए थे और रास्ते में साक्षी के झीने कपड़ों से झांकते हुए उसके जिस्म को हर राहगीर देख रहा था।
कुछ लड़के मेरी बाइक के पीछे ही चला रहे थे और मैं जानबूझ कर धीरे चला रहा था।
बाइक की पतली सीट पर साक्षी की मोटी गाण्ड नहीं समां पा रही थी..
जिसे देख कर एक कार में बैठा लड़का अपना लण्ड निकाल कर साक्षी को दिखाने लगा।
यह सब देख कर मेरा लण्ड भी तन चुका था.. मैं जल्दी से जल्दी रूम में पहुँच कर साक्षी को चोदना चाहता था।
लेकिन उस बरसते बादल की वजह से सड़को पर जाम लगने लगा.. पीछे चल रहे दो बाइक वाले लगातार हमारा पीछा कर रहे थे.. साक्षी की काली चड्डी भी अब दिख रही थी.. और शायद काली ब्रा भी क्योंकि सलवार सूट था ही बहुत झीना सा… एक तरह से साक्षी नंगी ही बैठी थी… साक्षी का गदराया बदन सबके लौड़े खड़े कर रहा था। आस पास के लोग उसे अपनी आँखों से चोद रहे थे। शायद साक्षी को भी मजा आ रहा था, वो भी इशारों से उनका जवाब दे रही थी।
तभी साक्षी का हाथ मुझे मेरे लण्ड पर महसूस हुआ और उसने मेरा लण्ड जोर से पकड़ कर साथ चल रही कार वाले लड़कों को दिखाया। वो लड़का कार चलाते हुए मुठ मारने लगा और साक्षी मेरा लण्ड मसलने लगी.. बिल्कुल रण्डी बन चुकी थी वो… मुझे तो मजा दे ही रही थी, आस पास चल रहे लोगों को भी मजा करा रही थी।
तभी पीछे चल रहे दोनों लड़कों ने अपनी बाइक मेरे बराबर लगा दी और साक्षी के पीठ पर हाथ मारने के बाद उसकी चूचियों को मसल दिया।
साक्षी की सिसकारी निकल गई लेकिन यह होता देख कर मैं थोड़ा डर गया.. अगर थोड़ी और देर हुई तो ये लोग साक्षी को सड़क पर ही पटक कर चोद देंगे और शायद छिनाल बन चुकी यह रन्डी चुदा भी ले।
मैं किसी तरह उस जाम में से निकलने की जुगत करने लगा ताकि इन लोगों से पीछा भी छूटे..
भगवान् की दया से एक ट्रेक्टर खेतों से निकल कर सड़क पर आ गया और किसी तरह मैंने बाइक उससे पहले निकाल ली और निकल गया।
मेरी जान में जान आई और गुस्सा भी बहुत ज्यादा… मन कर रहा था साक्षी को वहीं छोड़ कर चला जाऊँ।
तभी साक्षी बोली- अच्छा हुआ हम बच गए ना, वरना पता नहीं आज वो लोग क्या कर देते।
मैं गुस्से से फट पड़ा- साली छिनाल, तुझे ही रंडीपना सवार हुआ था.. अभी तुझे उतार कर ले भी जाते तो भी तू चुदाने उनके साथ चली जाती।
साक्षी- अरे मैंने क्या किया, तुम हो ही इतने गर्म मैं खुद को रोक ही नहीं पाई।
साक्षी हँसते हुए बोली।
मैं बोला- अबे मैं जो भी हूँ कुतिया, तू लण्ड देख के खुद को रोक नही पाती, लंडबाज हो चुकी है तू, सच बता मेरी सती सावित्री कितनों से चुदी है तू?
साक्षी- अरे.. छी गंदे… रूम पहुँचो, बताती हूँ तुम्हें आज, सेक्स करने ले जा रहे हो तो क्या मैं रंडी हो गई? सारे लड़के एक जैसे ही होते हैं, लड़की को चोद लो तो जैसे लड़की रण्डी बन जाती है।
मैं कुछ नही बोला, बात तो सही ही थी, मेघा का भी बॉयफ्रेंड था लेकिन उसके बारे में ऐसा नहीं सोचा मैंने.. दीपाली भी थी, उसका भी बॉयफ्रेंड था, तब भी वी मेरे साथ सोई। दीपाली की कहानी कभी और, साक्षी का भी बॉयफ्रेंड है, वो भी मुझसे चुदने जा रही है.. शायद प्यार की किताबों में गलत लिखा है कि लड़की एक से खुश रहती है।
फिलहाल मुझे जितनी लड़कियाँ मिली वो मुझे तो नहीं, पर सबको मैं पसंद था, मुझे बिना किसी ताम झाम के वे सब मजा तो करा रही थी। एक दूसरे की जरूरतों को पूरा करने वाले दोस्त गलत कैसे कर सकते हैं.. दिमाग में इन विचारों के साथ ही हम रूम पर पहुँच गए। बिल्कुल भीगे हुए।
अंदर पहुँचते ही सबसे पहले मैंने साक्षी के कपड़े फाड़ कर उसे नंगा कर दियाम उसकी ब्रा की हुक खींचते ही उसके मम्मे बाहर आ गए। साक्षी के चूचे झूल गए थे, वे 38 इन्च के थे सांवले से, लेकिन देख कर ही लगता था कि उनमें चुदास रस भरा हुआ है..
साक्षी भी अपने मम्मे दबा दबा कर मुझे उकसाने लगी और अपनी गीली चड्डी उतार कर मेरे मुँह पर फेंक दी।
चड्डी से आ रही तीखी गन्ध यह चीख चीख कर बता रही थी कि साक्षी की चूत के पास लगा पानी बारिश का नहीं बल्कि उसका चूत रस है। जाहिर था साक्षी के अंदर हवस भर भर के थी, वो पूरे कमरे में उछलने लगी, उसकी भारी गाण्ड और चूचे हिल हिल कर मुझे उसे चोदने का न्योता दे रहे थे।
जैसे ही एक चक्कर लगाते हुए वो मेरे पास आई मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में पूरी घुसा दी।
साक्षी चिहुँक उठी.. और उसकी एक टीस भरी चीख निकल गई…
मैंने उसकी चूत पकड़ कर दबाई पर अंदर मेरी उंगली फंसी हुई थी जिसको और अंदर करने पर साक्षी की सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी।
दे तो मैं सजा रहा था उसे लेकिन चुदाई का एक रुल है, यहाँ हर सजा मजा बन जाती है। साक्षी जैसी चुदक्कड़ तो इस वक़्त जन्नत में थी, उसके मुँह से निकला- और जोर से जान… आह्ह्ह्ह…करते जाओ और अंदर आह्ह्ह्ह!
मैंने दूसरी उंगली भी घुसा दी और अंदर बाहर करने लगा..
साक्षी ने अपने बालों को पीछे झटका और मुझे चूमने आगे बढ़ी।
मैंने भी अपने होंठ साक्षी के नर्म गर्म होंठों से सटा दिये, नीचे मेरी उंगलियों का जादू बरक़रार था और ऊपर हम एक दूसरे के होंठों से अन्तर्वासना का रस पी रहे थे।
साक्षी की चूचियाँ हालाँकि झूली हुई थी लेकिन इस वक़्त उसके चुचूक बिल्कुल तन गए थे। मैंने खड़े खड़े ही उसकी चूचियों को मुँह में भर लिया और काटने लगा।
साक्षी पागल हुई जा रही थी, उसकी चूत से पानी झर रहा था और टिप टिप करती बूंदें नीचे जमीन पर गिर रही थी।
मेरा दूसरा हाथ अब भी साक्षी की चूत में था और अब थक भी रहा था।
साक्षी ने मुझ पर हमला बोल दिया, मुझे बिस्तर पर गिरा कर मेरे सारे कपड़े उतार दिये और गले, सीने, पेट, लण्ड, जाँघ शरीर का कोई हिस्सा ही बचा होगा जहाँ उसने काटा नही होगा।
मेरे गालों को चूमते हुए साक्षी मुझे उकसाने के लिए व्यंगात्मक लहजे में बोली- चुदाई करनी थी ना बाबू को.. क्या हुआ? तुम कर रहे हो या करवा रहे हो बेबी? मुझे तो लगा था कि आज मेरी टाँगें बन्द ही नही होंगी।
मैं बोला- कमीनी.. तेरी चुदास तो इतनी है कि चार लोग मिल कर ना बुझा पाएँ, लेकिन जो आते ही तेरी चीखें निकली थी ना… लगता है कम थी, रुक तू रण्डी.. अपना रंडीपना दिखा रही है ना… मैं दिखता हूँ कि रण्डी कैसे चोदते हैं।
साक्षी- अच्छा.. कितनी रण्डियाँ चोदी है तूने हरामी? दिखने में कितना क्यूट है लेकिन मुँह खोलते ही देखो, छोकरा जवान होगया.. हा हा हा। इससे पहले कि साक्षी कुछ और बोले, मैंने उसे नीचे धकेल कर उसके होंठ अपने होंठों से सी दिए और उसके चूचे भींच दिए।
शायद कुछ ज्यादा ही जोर से क्योंकि साक्षी चीख तो नहीं पाई लेकिन उसकी आँखों से आँसू निकल आये।
उधर उसके होंठों को भी काट कर मैंने उसे उल्टा किया और उसकी पीठ चूमने लगा।
साक्षी बुरी तरह उत्तेजित हो गई, उसने अपने हाथो से चादर भींच ली.. ‘आह्ह्ह्ह्ह्…’ कर के चिल्ला उठी- ..डाल दो ना.. प्लीज।
साक्षी की पीठ हमेशा ही उसका वो हिस्सा रहा है जहाँ छूने भर से उसकी चूत गीली हो जाती थी और उस हिस्से को मैं इस वक़्त बेदर्दी से चूम, चाट और काट रहा था।
उस हवस भरे समां में मैंने साक्षी की गीली चूत में अपना लण्ड छुआया.. मेरा लण्ड पूरा तन कर सलामी दे रहा था.. साक्षी की चूत कुछ खास कसी नहीं थी, ऊपर से पूरी गीली लण्ड का गुलाबी टोपा उसके कामरस से भीगा हुआ था।
चुदाई के लिए तैयार चूत को थोड़ा और इंतज़ार कराते हुए मैंने लण्ड गाण्ड के छेद पर टिका दिया..
साक्षी की गाण्ड इतनी मोटी और गोल मटोल थी कि अगर कसी हुई होती तो गाण्ड तक पहुँचने का रास्ता लम्बा कर देती।
जैसे ही लण्ड गाण्ड से लगा, साक्षी पलट कर बैठ गई और डरते हुए प्यार से बोली- बेबी, चूत चाहे जितनी बार मार लो, प्लीज मेरी बम्स छोड़ दो।
मैं बोला- तेरी चूत में दम कहाँ यार.. असली मजा तो गाण्ड में ही आएगा।
थोड़ी देर तक चली मिन्नतों के बाद मैंने साक्षी की गाण्ड बख्श तो दी लेकिन तभी जब साक्षी मेरा लण्ड मुँह में लेने को मान गई और.. चन्द मिनटों के बाद मेरा लण्ड पिचकारी छोड़ने वाला हुआ।
उसी वक़्त साक्षी को लिटा कर मैंने उसकी बहती चूत में अपना लौड़ा डाल दिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा।
साक्षी की बच्चेदानी से मेरा लण्ड टकराता तो साक्षी की आह्ह्ह निकल जाती.. साक्षी भी मस्ती में गाण्ड हिला हिला के चुद रही थी। मेरे हर दूसरे झटके पर साक्षी की चूत पूरा लण्ड खा जाती थी, साथ साथ सिसकारियों की आवाज़ मोहाल नशीला बना रही थी।
लगभग दस मिनट के बाद मैंने साक्षी को कुतिया बनाया और दुबारा झटके मारने लगा।
बाहर हो रही बारिश अंदर के महौल को चुदाई के लिए बिल्कुल परफेक्ट मौसम बना रही थी।
कुछ देर बाद मैंने साक्षी को अपने लण्ड पर बिठाया और साक्षी उछलने लगी। उसके उछलते हुए चूचे और फैली गाण्ड जब मेरी जांघों पर चोट करते तो थप थप की आवाज़ निकलती.. चूत में जा रहे लण्ड के अंदर बाहर होने से आती फच फच की आवाज़ उसमें मिल कर थप फच थप फच.. करते हुए और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी।
साक्षी- आह्ह.. सैम.. आआह्ह्ह… कमीने हरामी साले… चोद दे मुझे आह्ह्ह… थप फच थप फच… आह्ह्ह्ह्ह.. मेरा होने वाला है आअह्ह्ह… आह्ह्ह सै……म।
मैं भी काफी देर से चोद रहा था और किसी तरह अपने लण्ड से पानी निकलने से रोक रहा था लेकिन साक्षी के इस उतावलेपन की वजह से मेरा लण्ड भी उसकी चूत में झटके मारने लगा कुछ ही पलों में साक्षी की चूत से ढेर सारा कामरस मेरे लण्ड से होता हुआ मेरे आण्डों और जांघों पर फ़ैल गया और मेरा वीर्य भी साक्षी की मदमस्त चूत में फुहारा मार बैठा। साक्षी मेरे ऊपर ही लेट गई, मैंने उसे बाहों में कस लिया, कुछ देर बाद हम उठे और बाथरूम में जाकर खुद को साफ़ किया।
मैंने पहली बार देखा कि किसी लड़की की चूत से इतना कामरस निकला।
शायद यह बारिश और रास्ते में हुई घटनाओं का असर था।
अगले दो दिन छुट्टियाँ थी, साक्षी ने पहले ही होस्टल से छुट्टी ले ली थी, यह मुझे भी नहीं पता था। अगले दो दिन साक्षी को हर तरीके से चोदा, और हाँ गाण्ड भी मारी।
साक्षी चुदवा कर खुश थी, आखिर किसी लड़की को चाहिए ही क्या जब उसकी लगातार चार दिन मस्त चुदाई हो.. एक रात की चुदाई के साक्षी ने मुझे बताया कि उसके बॉयफ्रेंड का लण्ड मुझसे बड़ा जरूर है, लेकिन प्यार बस मुझसे ही मिला। वो चुदाई में जानवर है जिसका खामियाज़ा उसे ही भुगतना पड़ता हमेशा.. उसके साथ चुदाई कम और दर्द ज्यादा होता।
मैंने साक्षी को गले लगा लिया.. यह सिलसिला अगले तीन साल और चला लेकिन कभी साक्षी ने अपनी सहेलियों को मुझे नहीं चोदने दिया। शायद यह मेरे लिए उसका प्यार था, लेकिन मैं कमीना कहाँ मानने वाला.. हा हा…! दोस्तो, चुदाई में भी प्यार का होना बहुत जरूरी है क्योंकि आप किसी रण्डी को नहीं चोद रहे होते..
अंग्रेजी की एक कहावत है ना ‘परफेक्ट लव इस इक्वल टू द परफेक्ट फ़क; ‘Perfect Love is Equal to The Perfect Fuck’ मिलता हूँ जल्द ही एक और सत्य घटना पर आधारित कहानी लेकर… अपने विचार और सुझाव मुझे मेल जरूर करें।
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