This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
तभी जानबूझ कर मैंने अपना बांया पैर ऊपर उठाया जिससे मेरा फनफनाया हुआ खड़ा लण्ड लुंगी के बाहर हो गया।
मेरे लण्ड पर नज़र पड़ते ही रिंकी सकपका गई।
कुछ देर तक वो मेरे लण्ड को कनखियों से मस्ती से देखती रही.. मेरा तन्नाया हुआ लौड़ा देख कर उसकी चूत में भी चींटियाँ तो निश्चित रेंगने लगी होंगी।
फिर वो उसे लुंगी से ढकने की कोशिश करने लगी लेकिन लुंगी मेरी टाँगों से दबी हुई थी इसलिए वो उसे ढक नहीं पाई।
मैंने मौका देख कर पूछा- क्या हुआ रिंकी?
‘जी जीजू… आपका अंग दिख रहा है..’ रिंकी ने सकुचाते हुए कहा।
‘अंग.. कौन सा अंग?’ मैंने अंजान बन कर पूछा।
जब रिंकी ने कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने अंदाज से अपने लण्ड पर हाथ रखते हुए कहा- अरे.. ये कैसे बाहर निकल गया…!
फिर मैंने कहा- साली जी.. जब तुमने देख ही लिया तो क्या शरमाना.. अब थोड़ा तेल लगा कर इसकी भी मालिश कर दो..
मेरी बात सुन कर रिंकी घबरा गई और शरमाते हुए बोली- जीजू.. कैसी बात करते हैं… जल्दी से ढकिए इसे..
‘देखो.. रिंकी ये भी तो शरीर का एक अंग ही है.. तो फिर इसकी भी कुछ सेवा होनी चाहिए ना… इसमें ही तो काफ़ी दम होता है.. इसकी भी मालिश कर दो…’ मैंने इतनी बात बड़े ही मासूमियत से कह डाली।
‘लेकिन जीजू.. मैं तो आपकी साली हूँ, मुझसे ऐसा काम करवाना तो पाप होगा।’
‘ठीक है रिंकी.. अगर तुम अपने जीजू का दर्द नहीं समझ सकती और पाप–पुण्य की बात करती हो.. तो जाने दो।’ मैंने उदासी भरे स्वर में कहा।
‘मैं आपको दुखी नहीं देख सकती जीजू… आप जो कहेंगे.. मैं करूँगी…’ मुझे उदास होते देख कर रिंकी भावुक हो गई थी… उसने अपने हाथों में तेल चिपुड़ कर मेरे खड़े लण्ड को पकड़ लिया।
अपने लण्ड पर रिंकी के नाज़ुक हाथों का स्पर्श पाकर.. वासना की आग में जलते हुए मेरे पूरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ गई। मैंने रिंकी की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने से सटा लिया।
‘बस मेरी साली.. ऐसे ही सहलाती रहो… बहुत आराम मिल रहा है…’ मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा।
थोड़ी ही देर में मेरा पूरा जिस्म वासना की आग में जलने लगा। मेरा मन बेकाबू हो गया.. मैंने रिंकी की बाँह पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींच लिया। उसकी दोनों चूचियाँ मेरी छाती से चिपक गईं।
मैं उसके चेहरे को अपनी हथेलियों में लेकर उसके होंठों को चूमने लगा।
रिंकी को मेरा यह प्यार शायद समझ में नहीं आया.. वो कसमसा कर मुझसे अलग होते हुए बोली- जीजू ये आप क्या कर रहे हैं?
‘रिंकी आज मुझे मत रोको… आज मुझे जी भर कर प्यार करने दो… देखो तुम भी प्यासी हो.. मैं यह जानता हूँ… तुम भी अपने पति से काफ़ी समय से दूर रह रही हो।’
‘लेकिन जीजू… क्या कोई जीजा अपनी साली को ऐसे प्यार करता है?’ रिंकी ने आश्चर्य से पूछा।
‘साली तो आधी घरवाली होती है और जब तुमने घर संभाल लिया है तो मुझे भी अपना बना लो… मैं औरों की बात नहीं जानता.. पर आज मैं तुमको हर तरह से प्यार करना चाहता हूँ.. तुम्हारे हर एक अंग को चूमना चाहता हूँ… प्लीज़ आज मुझे मत रोको रिंकी…’ मैंने अनुरोध भरे स्वर मे कहा।
‘मगर जीजू.. जीजा-साली के बीच ये सब तो पाप है..’ रिंकी ने कहा।
‘पाप-पुण्य सब बेकार की बातें हैं.. साली जी.. जिस काम से दोनों को सुख मिले और किसी का नुकसान ना हो.. वो पाप कैसे हो सकता है?’
वो बोली- पर जीजू, अगर किसी को पता चल गया तो गजब हो जाएगा…
मैंने कहा- यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो… मैं तुम्हें कोई तकलीफ़ नहीं होने दूँगा।
मैंने उसे भरोसा दिलाया।
रिंकी कुछ देर गुमसुम सी बैठी रही तो मैंने पूछा- बोलो साली.. क्या कहती हो?
‘ठीक है जीजू.. आप जो चाहे कीजिए… मैं सिर्फ़ आपकी खुशी चाहती हूँ।’
मेरी साली का चेहरा शर्म से और मस्ती से लाल हो रहा था। रिंकी की स्वीकृति मिलते ही मैंने उसके नाज़ुक बदन को अपनी बाँहों में भींच लिया और उसके पतले-पतले गुलाबी होंठों को चूसने लगा।
मैं अपने एक हाथ को उसके टी-शर्ट के अन्दर डाल कर उसकी छोटी-छोटी अमरूद जैसी चूचियों को हल्के-हल्के सहलाने लगा।
फिर उसके निप्पल को चुटकी में लेकर मसलने लगा।
थोड़ी ही देर में रिंकी को भी मज़ा आने लगा और वो ‘स्सशी… शी.. ई..’ करने लगी।
‘मज़ा आ रहा है जीजू… आहह… और कीजिए.. बहुत अच्छा लग रहा है..’
अपनी साली की मस्ती को देख कर मेरा हौसला और बढ़ गया।
हल्के विरोध के बावजूद मैंने रिंकी की टी-शर्ट उतार दी और उसकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा।
दूसरी चूची को मैं हाथों में लेकर धीरे-धीरे दबा रहा था।
रिंकी को अब पूरा मज़ा आने लगा था।
वह धीरे-धीरे बुदबुदाने लगी- ओह… आ… मज़ा आ रहा है जीजू.. और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूची को चूसिए.. उई… आपने ये क्या कर दिया.. ओह…जीजू…
अपनी साली को पूरी तरह से मस्त होते देख कर मेरा हौसला बढ़ गया।
मैंने कहा- रिंकी मज़ा आ रहा है ना?
‘हाँ जीजू.. बहुत मज़ा आ रहा है… आप बहुत अच्छी तरह से चूची चूस रहे हैं.. अईईईई हाय नीलम तो पागल है.. हाय बड़ा मज़ा आ रहा हाय…’ रिंकी ने मस्ती में कहा।
‘अब तुम मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसो और ज़्यादा मज़ा आएगा..’ मैंने रिंकी से कहा।
‘ठीक है जीजू…’
वो मेरे लण्ड को मुँह में लेने के लिए अपनी गर्दन को झुकाने लगी..
तो मैंने उसकी बाँह पकड़ कर उसे इस तरह लिटा दिया कि उसका चेहरा.. मेरे लण्ड के पास और उसके चूतड़ मेरे चेहरे की तरफ हो गए।
वो मेरे लण्ड को मुँह में लेकर आइसक्रीम की तरह मज़े से चूसने लगी।
उसने पहले ही अपनी सौतेली माँ को इस मूसल से चुदते हुए देखा था इस लिए उसे डर नहीं लग रहा था।
मेरे पूरे शरीर में हाय वॉल्टेज का करंट दौड़ने लगा, मैं मस्ती में बड़बड़ाने लगा।
‘हाँ रिंकी मेरी जान.. हाँ.. शाबाश.. बहुत अच्छा चूस रही हो.. और अन्दर लेकर चूसो…’
रिंकी और तेज़ी से लण्ड को मुँह के अन्दर-बाहर करने लगी।
मैं समझ गया कि वो कितनी प्यासी होगी.. मैं भी मस्ती में पागल होने लगा।
मैंने उसकी स्कर्ट और चड्डी दोनों को एक साथ खींच कर टाँगों से बाहर निकाल कर अपनी साली को पूरी तरह नंगी कर दिया और फिर उसकी टाँगों को फैला कर उसकी चूत को देखने लगा।
वाह.. क्या चूत थी.. बिल्कुल मक्खन की तरह चिकनी और मुलायम… उसकी चूत पर झांटों का नामो-निशान नहीं था।
लगता था कल की चुदाई देख कर वो मतवाली हो चुकी थी और अपनी चूत को आज नहाते वक्त ही साफ़ की होगी।
मैंने अपना चेहरा उसकी जाँघों के बीच घुसा दिया और उसकी नन्हीं सी बुर पर अपनी जीभ फेरने लगा। चूत पर मेरी जीभ की रगड़ से रिंकी का शरीर गनगना गया।
उसका जिस्म मस्ती में कांपने लगा.. वह बोल उठी- हाय जीजू… यह आप क्या कर रहे हैं.. मेरी चूत क्यों चाट रहे हैं… आहह… मैं पागल हो जाऊँगी… ओह… मेरे अच्छे जीजू… हाय… मुझे ये क्या होता जा रहा है..!
रिंकी मस्ती में अपनी कमर को ज़ोर-ज़ोर से आगे-पीछे करते हुए मेरे लण्ड को चूस रही थी।
उसके मुँह से थूक निकल कर मेरी जाँघों को गीला कर रहा था।
मैंने भी चाट-चाट कर उसकी चूत को थूक से तर कर दिया था। करीब दस मिनट तक हम जीजा-साली ऐसे ही एक-दूसरे को चूसते-चाटते रहे। हम लोगों का पूरा बदन पसीने से भीग चुका था…
अब मुझसे सहा नहीं जा रहा था, मैंने कहा- रिंकी मेरी साली.. मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं होता.. तू सीधी होकर अपनी टाँगें फैला कर लेट जा… अब मैं तुम्हारी चूत में लण्ड घुसा कर तुम्हें चोदना चाहता हूँ..
मेरी इस बात को सुन कर रिंकी डर गई.. उसने अपनी टाँगें सिकोड़ कर अपनी बुर को छुपा लिया और घबरा कर बोली- नहीं जीजू.. प्लीज़ ऐसा मत कीजिए.. मेरी चूत बहुत छोटी है और आपका लण्ड बहुत लंबा और मोटा है.. मेरी बुर फट जाएगी और मैं मर जाऊँगी…
मैंने कहा- डर क्यों रही हो.. तुम तो शादी-शुदा हो… अपने पति का लंड खा चुकी हो।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो डरते हुए बोली- जीजू उनका इतना बड़ा नहीं है जितना आप का है..
मैंने कहा- बड़ा-छोटा कुछ नहीं होता लंड अपनी जगह खुद बना लेता है। प्लीज़ तुम इस ख्याल को अपने दिमाग़ से निकाल दो.. डरने की कोई बात नहीं है रिंकी… मैं तुम्हारा जीजा हूँ और तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ, मेरा विश्वास करो.. मैं बड़े ही प्यार से धीरे-धीरे चोदूँगा और तुम्हें कोई तकलीफ़ नहीं होने दूँगा।
मैंने उसके चेहरे को हाथों में लेकर उसके होंठों पर एक प्यार भरा चुंबन जड़ते हुए कहा।
‘लेकिन जीजू.. आपका इतना मोटा मूसल जैसा लण्ड मेरी छोटी सी बुर में कैसे घुसेगा?’ रिंकी ने घबराए हुए स्वर में पूछा।
‘इसकी चिंता तुम छोड़ दो रिंकी और अपने जीजू पर भरोसा रखो… मैं तुम्हें कोई तकलीफ़ नहीं होने दूँगा…’ मैंने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए भरोसा दिलाया।
‘मुझे आप पर पूरा भरोसा है जीजू.. फिर भी बहुत डर लग रहा है… पता नहीं.. क्या होने वाला है..’ रिंकी का डर कम नहीं हो पा रहा था। मैंने उसे फिर से ढांढस बंधाया।
‘मेरी प्यारी साली.. अपने मन से सारा डर निकाल दो और आराम से पीठ के बल लेट जाओ… मैं तुम्हें बहुत प्यार से चोदूँगा.. बहुत मज़ा आएगा…’
‘ठीक है जीजू.. अब मेरी जान आपके हाथों में है।’ रिंकी इतना कह कर पलंग पर सीधी होकर लेट गई.. लेकिन उसके चेहरे से भय साफ़ झलक रहा था। अपने विचारों से अवगत कराने के लिए लिखें, साथ ही मेरे फेसबुक पेज से भी जुड़ें। सुहागरात की चुदाई कथा जारी है। https://www.facebook.com/pages/Zooza-ji/1487344908185448
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000