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Abhi Choot Chudai ki umr nahi मेरा नाम देव है, मैं इंदौर में रहता हूँ, मेरी उम्र 21 वर्ष है।
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मैंने अन्तर्वासना की सभी कहानियाँ पढ़ी हैं। मुझे ये कहानियाँ बहुत पसंद आती हैं।
मैंने सोचा मुझे भी अपना अनुभव आप लोगों के साथ बांटना चाहिए।
मैं कोई लेखक नहीं हूँ तो लिखने में कोई ग़लती हो तो मुझे माफ़ कर दीजिएगा।
मुझे उम्मीद है आप सभी को मेरी इस कहानी को पढ़ कर आनन्द आएगा।
तो चलिए मैं आपको अपना अनुभव सुनाता हूँ।
यह बात आज से 2 साल पहले की है, जब मेरी बुआ की लड़की जो मेरे से 5 साल बड़ी हैं, मेरे घर आई थीं और एक महीने तक मेरे घर पर ही रही थीं। उनका रंग सांवला था लेकिन फिगर गजब का था। चूचियाँ 34.. कमर 30 और गांड 32 इंच की रही होगी।
उन्हें देखते ही मेरा लंड आसमान की तरफ सर उठा कर नाचने लगता था। मेरा मन करता था कि उन्हें पकड़ कर चोद दूँ.. लेकिन मुझे डर लगता था। उस समय मेरे घर में 3 लोग रहते थे.. मैं, मेरी मम्मी और वो दीदी।
मेरे पापा घर से बाहर ही रहते हैं।
रात में मैं, मम्मी और दीदी एक ही बिस्तर पर सोते थे।
काफ़ी बड़ा बिस्तर था, दीदी बीच में सोती थीं, उनके बदन की खुशबू मेरे नथुनों में जाती तो वासना मेरे सर पर चढ़ने लगती।
मैं आँखें बंद करे हुए ही उनके पेट पर हाथ फेरने लगता ताकि उनको लगे कि मैं ये सब नींद में कर रहा हूँ।
धीरे-धीरे मैं अपने हाथ उनकी चूचियों पर ले जाता और उनकी चूचियाँ सहलाता, पर इससे ज्यादा मेरी हिम्मत नहीं होती।
शुरुआत में 3-4 दिन ऐसे ही निकल गए.. मैं कुछ भी नहीं कर पाया।
एक रात मैंने हिम्मत करके उनके कुर्ते को ऊपर किया और उनके चिकने पेट पर हाथ फेरते हुए धीरे से अपना हाथ उनकी सलवार में डाल दिया।
अब मेरा हाथ उनकी पैन्टी के ऊपर था।
अभी भी वो वैसे ही लेटी थीं।
मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ी, अब मैंने अपना हाथ उनकी पैन्टी के अन्दर डालने की कोशिश की.. जैसे ही मेरा हाथ उनकी झांटों से छुआ.. मुझे ऐसा मजा आया और लगा कि बस इसी में अपनी उँगलियाँ घुमाते रहो। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
लेकिन तभी वो हुआ जिसकी मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी।
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर बाहर निकाल दिया।
मैं बहुत डर गया.. मुझे पसीना आने लगा.. मैंने सोचा कि अब तो गया।
मैं चुपचाप लेटा रहा।
थोड़ी देर बाद दीदी मेरी ओर पलटीं और प्यार से डांटते हुए बोलीं- क्या अभी तुम्हारी ये सब करने की उम्र है?
मेरे मुँह से कुछ नहीं निकला। मैं बहुत शर्म महसूस कर रहा था, मुझे अपने आप से घिन होने लगी।
तभी दीदी ने मुझे अपने गले से लगा लिया, वो बोली- कोई गर्लफ्रेंड है तुम्हारी?
मैंने कहा- नहीं।
वो मुझे अपने गले से चिपकाए रहीं।
फिर भी मेरी कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई। सुबह हुई तो मैं उनसे नजरें नहीं मिला पा रहा था। लेकिन वो अब मुझसे ज्यादा ही खुल गई थीं, वो अब मुझसे हंसी-मजाक ज्यादा करने लगी थीं। वो अब जानबूझ कर खुद को मेरे जिस्म से रगड़ देती थीं जिसमें मुझे मजा तो आता था लेकिन मैं अब भी कुछ भी करने से डरता था।
फिर 4-5 दिन ऐसे ही निकल गए।
फिर मम्मी दो दिन के लिए मामा के घर चली गईं। अब घर पर बस मैं और दीदी ही रह गए थे।
शाम को दीदी ने जल्दी खाना बनाया, हम दोनों ने मिल कर खाना खाया। उसके बाद हम दोनों बिस्तर पर लेट गए।
आज दीदी ने एकदम झीनी सी नाइटी पहनी थी, जिसमें से उनका पूरा चिकना सा बदन एकदम साफ-साफ दिख रहा था। वो बहुत ही मादक लग रही थीं।
वो बिस्तर पर बड़ी ही लापरवाही से लेट गईं जिससे उनकी नाइटी उनकी जांघों से भी ऊपर तक सरक गई थी और उनकी चिकनी नंगी जांघें साफ दिख रही थीं।
उनकी आँखें बंद थीं।
आज मुझे उनके इरादे ठीक नहीं लग रहे थे।
मैंने भी थोड़ा हिम्मत दिखाते हुए उनकी नंगी जाँघों पर अपना हाथ रखा और सहलाने लगा।
वो अभी भी वैसे ही लेटी थीं तो मेरी हिम्मत और बढ़ी, मैंने अपना हाथ थोड़ा और ऊपर सरकाया तो पता चला कि आज उन्होंने पैन्टी नहीं पहनी थी।
अब तो मुझे पक्का यकीन हो गया था कि वो भी वही चाहती हैं जो मैं चाहता हूँ।
अब मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था।
मैंने अब उनकी नाइटी उतारने की कोशिश की तो उन्होंने भी अपने बदन को उठा कर मेरी सहायता की।
लेकिन उनकी आँखें अभी भी बंद थीं, शायद ये भाई-बहन के रिश्ते की वजह से लज्जा भाव था.. जिसे वो भुला नहीं पा रही थीं।
जैसे ही उनकी नाइटी उनके बदन से अलग हुई.. मैं तो दंग रह गया। आज उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी थी उनका पूरा नंगा चिकना बदन मेरे सामने था, मैं तो देखते ही पागल हो गया।
मेरा लंड टनटनाने लगा।
मैं सीधे ही उनकी बड़ी-बड़ी रसीली चूचियों पर टूट पड़ा। मैंने उनका एक कबूतर मुँह में भर लिया और दूसरे को अपने हाथ से मसलने लगा।
अब तक दीदी भी गर्म हो गई थी। वो मादक सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।
उनका एक मेरे बालों में और दूसरा हाथ मेरे लंड पर था.. जिसे वो मसल रही थी।
हम दोनों ही आनन्द के सागर में गोते लगा रहे थे।
अब वो एकदम से उठीं और मेरे लंड को चूसने लगीं। कुछ ही देर में हम दोनों ही 69 की दशा में आ गए थे।
मेरा लंड उनके मुँह में था और उनकी चूत मेरे मुँह में थी।
मैं बीच-बीच में उनके दाने को काट लेता तो वो तड़प उठतीं। हम दोनों ही एक बार तो इसी स्थिति में झड़ गए।
फिर भी मैं उनकी चूत चाटे जा रहा था। उनके मुँह से अजीब सी आवाजें निकलने लगी थीं- अब और मत तड़पाओ मुझे जान.. डाल दो अपना लंड… फाड़ दो मेरी चूत… बना दो अपनी बहन क़ी चूत का भोसड़ा… बन जा बहनचोद…
मैंने भी अब ज्यादा देर करना उचित नहीं समझा और पेल दिया अपना मूसल अपनी ही बहन क़ी ओखली में..
फिर जो धक्कों का दौर चालू हुआ वो 40-50 से पहले नहीं थमा।
इस बीच मेरी दीदी 3 बार झड़ चुकी थीं। अंत में मेरे लंड से जो वीर्य क़ी धार निकली.. उससे उनकी चूत लबालब भर गई। उनके चेहरे पर अब संतुष्टि के भाव थे।
बाद में उन्होंने मुझे बताया कि वो पहले भी अपने ब्वॉय-फ्रेंड से 2 बार चुद चुकी हैं। लेकिन जो मजा उन्हें मेरे साथ आया वो पहले नहीं आया क्योंकि उनके ब्वॉय-फ्रेंड का लंड छोटा और पतला है।
उसके बाद जब तक मम्मी घर नहीं आईं.. तब तक हमने जम कर चुदाई की धूम मचाई।
आज भी हमें जब मौका मिलता है तो हम कभी नहीं चूकते।
दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है जो एकदम सत्य है।
इसे मैंने दीदी के कहने पर ही लिखा है, उम्मीद है आपको पसंद आएगी।
कहानी पढ़ने के बाद मुझे अपने विचार जरूर मेल करें।
मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा।
पुरुष पाठकों से निवेदन है कृपया वो मेरी दीदी का नंबर या पता ना मागें।
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