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नमस्कार दोस्तो…
मैं पिछले सात सालों से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैंने इनमें लगभग सारी कहानियाँ पढ़ी हैं।
इन कहानियों में मुझे कुछ कहानियाँ बिल्कुल सत्य नहीं लगीं और कुछ कहानियों ने सत्यता दिखाने के साथ साथ मुझे प्रभावित भी किया।
मेरा नाम मोहित है, लखनऊ का रहने वाला हूँ। मैं पिछले साल से अपने एक अजीज दोस्त राहुल (बदला हुआ नाम) के साथ एक ही कमरे में रहता हूँ।
वैसे तो मेरा घर भी यहीं है लेकिन मेरे घरवालों की तरफ से राहुल के साथ रहने की खुली छूट है क्योंकि राहुल बहुत ही सीधा सा और अपने काम से काम रखने वाला लड़का है।
यह कहानी पिछले वर्ष की ही है जो मेरे जीवन में घटित हुई थी।
जहाँ पर मैं और राहुल रहते थे वहाँ से कुछ ही दूरी पर एक कोचिंग क्लास थी।
उस मोहल्ले में हम दोनों नये थे तो सोचा कि चलो यहीं कहीं पास में ही कोचिंग कर लेंगे और पढ़ाई कर लेंगे।
जब ह्म कोचिंग गए तो वहाँ लगभग दस बारह लड़के लड़कियाँ पढ़ने आते थे।
वो कोचिंग तीसरी मंजिल पर है।
पहली मंजिल पे कुछ एक दुकानें हैं और उन दुकानों में एक दुकान तो चाय समोसे की थी और एक दूसरी दुकान थी कास्मेटिक की जो कि उस पहली वाली दुकान से सटी हुई थी और उस कास्मेटिक की दुकान पर एक सुंदर सी लड़की बैठती थी जिसका नाम था पूजा (बदला हुआ नाम)
किसी कोचिंग के आस पास दुकान होने का मतलब यह था कि कोचिंग में पढ़ने वाली लड़कियाँ उस दुकान पर हमेशा बनी रहती थीं। पूजा अपनी दुकान पे शाम को लगभग 3 घंटे बैठती थी और बाकी के वक़्त उसके पापा जी।
मैंने कोचिंग जाना शुरु किया तो राहुल के साथ हमेशा कोचिंग के बाद उस चाय की दुकान पे जाते थे।
कोचिंग जाते जाते धीरे धीरे तीन महीने हो गए थे, एक दो बार पूजा पे नजर भी पड़ती लेकिन फिर यह सोच कर भुला देता था कि अबे कौन सा वो सिंगल होगी, कोई ना कोई तो होगा जिसके साथ मजे करती होगी।
दोस्तो, एक बात जो है वो यह कि शुरूआत के दिनों में पढ़ने में ज्यादा मन लगता है और बाद में सब पहले जैसा साधारण।
कोचिंग जाते जाते कुछ लड़कियों से दोस्ती भी हो गई।
एक दिन यूं ही मैं और राहुल चाय की दुकान पे बैठे थे कि तभी कोचिंग में पढ़ने वाली कुछ लड़कियों ने देख लिया और पास आकर हाय हलो भी किया।
और जब मैंने पूछा तो वो लोग बोली कि कस्मेटिक की दुकान पे जा रहे हैं, तुम भी आ जाना, फिर साथ में ही कोचिंग चलेंगे।
इतना सुनते ही मैंने और राहुल ने जल्दी से अपनी अपनी चाय खत्म की और पहुँच गये उस दुकान पे।
उस वक़्त मेरे साथ 4 लड़कियाँ थी और मेरा दोस्त था, दो लड़कियाँ कुछ लेने में व्यस्त थीं और बाकी की लड़कियाँ अपनी आदत के अनुसार सिर्फ चीज़ों को देख रहीं थी और उनके दाम पूछ रही थी।
उस दिन पहली बार मैंने गौर से पूजा को देखा था। आँखों पे हल्का सा काजल और गुलाबी सलवार सूट में एकदम कातिल लग रही थी।
मेरा मन किया कि क्यूं ना बात करके देखा जाये, वैसे भी मेरे एक खास दोस्त का कहना है कि बात करने से ही बात बनती है।
उसके कास्मेटिक के दुकान के पास ही या यह कह लीजिये कि बिल्कुल लगा हुआ उसी का एक छोटा सा पी.सी.ओ. है।
मैंने पहला सवाल पूजा से यही किया- यह पी.सी.ओ. आपका ही है क्या?
पूजा ने एक अजीब सी आँख बनाते हुए कहा- हाँ!
फिर मैंने दोबारा पूछा- आप भी इसी कोचिंग में पढ़ती हो क्या?
उसने हल्का सा मुस्कुराते हुए जवाब दिया- नहीं!
मैं इससे पहले कि उससे कोई दूसरा सवाल पूछूं कि तब तक मेरे साथ की सारी लड़कियों की खरीददारी हो चुकी थी।
मैंने भी जाते जाते उसे सिर्फ बाय बोला और उसने भी पलट कर हल्के शब्दों में मेरे बाय का जवाब दिया।
मैं वहाँ से चला तो आया लेकिन अब मैंने भी सोच लिया कि कुछ भी हो जाये इसको फंसाना है।
उस दिन के बाद मैं हमेशा उसे मुस्कराकर देखता और हाय कर देता था। हम दोनों लोग अब अक्सर कुछ सामान्य सी बातें कर लेते थे लेकिन मेरा दिमाग आगे कुछ काम ही नहीं कर रहा था।
वो लड़की साथ में पढ़ती भी नहीं थी जो मैं उससे कोई किताब ही मांग लेता और ना ही अभी इतना जाना था उसके बारे में कि उसे कुछ भी सीधा बोलता।
एक दिन यूं ही मेरे दिमाग में एक आइडिया सा आया। मैं अगली शाम को कोचिंग के समय से थोड़ा जल्दी उसकी दुकान पे गया और उसे एक चोकलेट देते हुए बोला- पूजा जी, यह आपके लिये!
मेरे हाथ में चोकलेट देखकर उसने प्रश्नवाचक नजरों से मुझे देखा।
मैंने उसकी आँखों को तुरंत पढ़ लिया और बोला- आज मेरा जन्मदिन है, आप विश तो करोगी नहीं तो मैंने सोचा कि मैं ही कर दूँ।
उसने मुझे Happy Birthday बोला और कहा- आपका जन्मदिन तो मुझे पता भी नहीं था और आपने बताया भी नहीं तो कैसे विश करती?
मैंने मौके का फ़ायदा उठाकर उससे उसकी फेसबुक आईडी ले ली।
अब हम दोनों रोज शाम को बात किया करते थे।
उसने यह भी बताया कि उसकी मां का किसी बीमारी के चलते देहांत हो गया था इसलिये वो अपने पापा की दुकान पर शाम को बैठती है।
मैंने भी उसे सांत्वना दी और कहा- अरे यार कोई बात नहीं, मैं हूँ ना।
एक रात को बात करते करते मैंने उससे कहीं घूमने चलने के बारे में पूछा तो पहले तो उसने मना किया और काम का बहाना किया लेकिन मेरे बार बार कहने से उसने हाँ कर दी।
हम दोनों ने दो दिन बाद का प्लान बनाया।
दो दिन बाद आखिर वो दिन आ ही गया जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था।
मैं सुबह थोड़ा जल्दी उठ गया था उस दिन और जल्दी से नहा धोकर तैयार हो गया और उसकी काल का वेट करने लगा।
लगभग आधा घंटे के बाद पूजा का फोन आया और उसने 10 बजे रेलवे स्टेशन के पास मिलने को कहा।
मेरे अंदर उस दिन एक गजब का उत्साह था और मैं बिल्कुल सही समय से स्टेशन पहुँच गया।
लगभग 10 मिनट के इंतजार के बाद पूजा मुझे आती दिखाई दी।
मुझे आज भी याद है कि उस दिन उसने गहरे नीले रंग का सलवार सूट पहना हुआ था और बिल्कुल पंजाबी लड़कियों की तरह सेक्सी लग रही थी।
हम दोनों ने पास के एक पार्क में घूमने का फैसला किया। पार्क के अंदर हम दोनों ने लगभग दो घंटे बिताये और फिर बाहर आ गये।
मैंने पूजा से मूवी देखने के बारे में पूछा तो उसने हंसते हंसते हाँ कर दी।
मूवी देखते हुए मैंने उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ रखा था और अपना सर उसके कंधे पे रख लिया।
शायद मेरा उसका इस तरह हाथ पकड़ना और सर रखना अच्छा लगा था इसलिये उसने मुझे रोका नहीं था।
मैंने उसकी आँखों में आँखें डालकर देखा तो एक अजीब सी कशिश दिखाई दे रही थी।
मैंने उसके कान के नजदीक अपना होंठ ले जाकर पूछा- पूजा मुझे तुम अच्छी लगती हो।
उसने मुंह से कुछ जवाब ना दिया, बस गाल पर एक किस कर ली और मुझसे चिपक के बैठ गई।
मैं उसके इस तरह से जवाब देने की अपेक्षा नहीं कर रहा था।
मैंने उसके कान के नीचे और गालों पे किस किया और उसी तरह उसके पास बैठा रहा।
मूवी खत्म होने के बाद दोनों अपने अपने घर चले गये।
उस दिन के बाद से पूजा मुझे हमेशा फोन करती और मैं उसके साथ घंटों बात करता रहता था।
फोन पे किस करना और सेक्सी बातें अब नोर्मल सा हो गया था हम दोनों में।
कुछ दिनों बाद राहुल के घर से फोन आया और वो अपने घर चला गया।
मौके की नजाकत को देखते हुए मैंने पूजा को फोन लगाया और उसे अपने रूम पर बुलाया पर उसे यह नहीं बताया कि मैं अकेला हूँ। अगले ही दिन वो सुबह 9 बजे मेरे रूम पर आ गई।
उसने नीले रंग का सलवार सूट पहन रखा था, मुझे ऊपर से ही उसकी खूबसूरती और फिगर का अन्दाजा लग रहा था और मैं बिल्कुल भी अपने बस में नहीं था।
लगभग दो घंटे तक वो मेरे रूम पे मेरे साथ बात करती रही फ़िर मैं खाना लेने बाहर चला गया।
खाना लेकर आने के बाद हम दोनों ने साथ में ही खाना खाया फिर आराम से बिस्तर पे लेट गये।
मैंने उसे अपने नीचे लिटाया और उसके होंठ पे चूमना शुरु कर दिया।
उसने भी बिना कुछ कहे मेरा साथ देना शुरु कर दिया।
हम दोनों एक-दूसरे को ‘आई लव यू’ कह रहे थे और पागलों की तरह एक-दूसरे को चूमने लगे।
उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चूत पर सलवार के ऊपर अपना लण्ड जमा दिया और ऊपर से ही उसे चोदने जैसे धक्के देने लगा।
मेरी इस हरकत पर वो थोड़ा डर गई और बोली- यह सब गलत है, तुम सिर्फ मुझे किस कर सकते हो।
मैंने उसे समझाया कि कुछ नहीं करुँगा, सिर्फ प्यार करुंगा।
वो बिना किसी विरोध के मेरे सामने पड़ी थी और मुझे मालूम था कि यह मखमली बदन मजे करने के लिए सिर्फ मेरा है।
मैंने उसके बदन के हर हिस्से से मस्ती करने का फैसला किया। मैं उनकी आँखों, नाक और गालों को चूमने लगा।
वो अपने हाथ से मेरे बालों को सहला रही थी, कंघी सी कर रही थी। मैं पूरे आनन्द से उसको गर्दन और गालों को चूम रहा था।
इसके बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और और एक दूसरे को अपने रस का आदान प्रदान करने लगे।
मैं यह सारा कुछ बड़ा आहिस्ता आहिस्ता कर रहा था, मैं चाहता था कि आज का दिन उनके लिये यादगार बन जाये।
मैं उसके हाथ की उंगलियों को अपने होंठ से चूम रहा था और उन्हें अपने मुंह में डालकर धीरे-धीरे चूस रहा था।
मेरा लन्ड अब पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और बिल्कुल भी रुकने के मूड में नहीं था।
मैंने उसका कमीज उतारने के लिये कहा तो उसने अपनी पीठ उठा कर मेरा काम आसान कर दिया।
कमीज के नीचे उसने नीले रंग की ब्रा पहन रखी थी।
मैंने अब पोजीशन बदली और उसे अपने ऊपर ले लिया, उसकी चूचियों के ऊपर से ही मैंने चूमना शुरू कर दिया। मेरी सांसों की गर्मी से उसकी आह निकल रही थी और वो भी पूरी तन्मयता से मेरा साथ दे रही थी।
इतनी गर्म होने के बाद उसने भी नीचे से कमर उठाकर अपनी चूत मेरे लन्ड पर घिसना शुरू कर दिया।
इसके बाद मैंने उसकी ब्रा को खोला, ब्रा खोलने के बाद मैंने उसकी पीठ पे अपना हाथ सहलाना शुरू कर दिया।
मैंने उसकी पीठ पर अपने नाखूनों से सर्कल बनाने चालू कर दिए, उसके मुख से आनन्द भरी सीत्कारें निकलने लगीं।
फिर मैंने उसकी सलवार उतार दी और जैसे ही उसकी पैंटी उतारने की कोशिश की तो उसने थोड़ा सा विरोध किया।
उस वक्त मैं बिल्कुल भी रुकने के मूड में नहीं था और खींच के उसकी पैंटी अलग कर दी।
उसके बाद मैंने उसकी जांघों और पैर पे चूमना शुरू कर दिया और कस के उससे चिपक गया।
उसे अपनी बाहों में लगभग 5 मिनट रगड़ने के बाद मैंने उसके पैरों को चौड़ा कर दिया और पहली बार उसकी प्यारी सी बिना बालों वाली चूत के दर्शन किये।
मैंने अपना मुंह पास ले जाकर उसकी चूत को पूरा मुंह में भर लिया।
पूजा मेरे इस हमले को बर्दाश्त ना कर सकी और उसकी चीख निकल गई।
उसकी गीली हो चुकी चूत बिल्कुल लाल हो गई थी।
मैं उसकी चूत को लगातार चाटे जा रहा था और वो मेरे बालों में अपने हाँथो से उंगलियाँ फिरा रही थी।
थोड़ी देर तक चूत चूसने के बाद मैं उसकी चूचियों को अपने मुंह में लेकर फ़िर से चूसने लगा।
जब मैं उनके स्तनों को चाट रहा था तब मेरा लिंग उसकी चूत पर मालिश कर रहा था।
आप लोगों को मैं बताना ही भूल गया था कि उस समय मैं इतने जोश में था कि मुझे यह तक पता नहीं चला कि मैं भी साथ साथ अपने कपड़े उतार चुका था।
अब मुझसे भी रहा नहीं गया और मैं उसके दोनों पैरों के बीच आ गया।
उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी लेकिन फिर भी डर था कि कहीं उसको ज्यादा ब्लीडिंग हुई तो?
मैंने अपना लण्ड चूत को चौड़ा करके उस पर रखा और रगड़ने लगा। पूजा का चेहरा देखने लायक था।
मैं बोला- पूजा, दर्द होगा। ‘पता है पर तुम बस डालो अब!’ ‘ठीक है !’
लण्ड चूत पर रखकर उसके कन्धे पकड़ लिये और जोर से झटका मारा।
एक बार में ही लण्ड चूत को फाड़ता हुआ आधे से ज्यादा अन्दर चला गया।
पूजा के मुँह से चीख निकली- ऊई ई ई माँ आ अ.. मर गई ई अ..आँ ! रुको ! बाहर निकालो !
मैंने उसके होंट अपने होंटों में लेकर एक और झटका मारा और पूरा लण्ड चूत में डाल दिया।
पूजा की आँखों से आँसू निकल आये।
मैं जीभ से उसके आँसू चाटने लगा और चूचियाँ दबाने लगा, गर्दन पर चूमते हुए धीरे धीरे धक्के मारने लगा।
पूजा का दर्द कम होने लगा तो वो मेरा साथ देने लगी।
मैंने लण्ड बाहर खींचा तो वो खून से लाल था, मैंने उसे दुबारा अन्दर ठोक दिया।
आह ओह ! पूजा के मुँह से निकला। वो गाण्ड उठा कर मेरा साथ देने लगी।
मैंने उसकी चूचियाँ पकड़ी और जोर-जोर से झटके मारने लगा। पूजा भी पूरा साथ दे रही थी।
हम दोनों पसीने से बिल्कुल नहा गये और कमरे में पूजा और मेरी सिसकारियाँ गूँज रही थी।
पूजा बोल रही थी- आह जानू ! कम ऑन फास्ट ! आ आ आह ओर तेज..
मैं भी पूरे जोर से झटके मार रहा था। पूजा ने मुझे कसकर पकड़ लिया उसके नाखून मेरी कमर में गड़ गये- हाँ जानू ! बस आह ! कहते हुए चिपक गई।
मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। पूजा अब आहे भर रही थी- आह आ अ !
मेरी नसें खिंचने लगी और 5-6 झटकों में उसकी चूत अपने वीर्य से भर दी।
मैं पूजा के ऊपर ही लेट गया। थोड़ी देर बाद मैं उठा और लण्ड पूजा की पैंटी से पौंछा।
पूजा चुप ही लेटी थी, शायद उसे दर्द हो रहा था।
मैं उसके सिर के पास बैठा और बोला- जानू क्या हुआ?
पूजा ने मेरी तरफ मुँह किया और बोली- मोहित, बहुत दर्द हो रहा है ! मैंने मना किया था ना?
‘दर्द अभी दूर किये देता हूँ !’ और मैं उसके होंटों पर चुम्बन करने लगा।
मैंने तौलिया उठाकर पसीना पौंछा और पूजा के शरीर को पौंछने लगा।
पूजा उठकर अपनी चूत देखने लगी, चूत सूज रही थी और खून से लाल थी। पूजा ने पैंटी उठाई और धीरे धीरे चूत साफ करने लगी।
उसके बाद मैंने उसे बहुत बार चोदा।
कुछ लोग मेल के जरिये मुझसे लड़कियों के नंबर मांगते हैं उनको बता दूँ कि मैं भी उन्ही की तरह एक इंसान हूँ, और ऐसे काम अनुचित हैं।
आप लोगों की प्रतिक्रिआओ का इंतजार रहेगा मुझे। आप लोग मुझे फेसबुक पे भी जोड़ सकते हैं या मेल कर सकते हैं।
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