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हमारी चाय खत्म हो चुकी थी, स्क्रीन पर चल रही चुदाई भी अपने चरम पर पहुँच चुकी थी। बहुत ही साधारण सी बात है कि हम दोनों को ही चुदाई की सख्त जरुरत थी.. लेकिन शायद कोई बंदिश सी थी जो हमें आगे बढ़ने से रोक रही थी।
मेघा मेरी गोद से उठ कर चाय के कप रखने चली गई।
मैं भी तब तक सम्भल चुका था।
मेघा- और चाय चाहिए तो गरम करूँ?
मैं बोला- तू इतनी गरम है जानेमन.. कि चाय को गरम करने की जरुरत कहाँ है.. हाहाहा…
मैं हँसने लगा।
मेघा- अच्छा… रुको तुम.. बहुत जुबान चलने लगी है लड़के की.. तुम्हारी तो आज बम(गाण्ड) बजाती हूँ मैं..
मेघा दौड़ते हुए बेलन लेकर आई और मेरे ऊपर कूदी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
माहौल फिर से हल्का हो गया था.. मैं पीछे हुआ और मेघा की बड़ी बड़ी चूचियाँ मेरे सीने से टकराईं।
मेरा खड़ा लण्ड मेघा की कमर पर ठोकर मार रहा था..शरारत-शरारत में मैंने मेघा की गाण्ड को जोर से दबा दी।
मेघा चिहुँक उठी, ‘आऊच..’ और इस बात का बदला लेने के लिए मेरे गले में अपने दाँत गड़ा दिए।
ये सजा मेरे लिए तो मजा बन गई और मैंने और जोर से मेघा की गाण्ड दबा दी।
मेघा जब तक सम्भलती.. मेरे और उसके होंठ एक-दूसरे में समा चुके थे।
हम एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे और मैं मेघा की गाण्ड दबाता रहा।
मेघा भी अब जोश में आ चुकी थी और अपने नाख़ून मेरे सीने में गड़ाने लगी, जिस पर मैं भी उसके नरम और चिकनी गर्दन को प्यार से अपने दांतों से काटने लगा और धीरे-धीरे उसकी चूचियों की तरफ बढ़ने लगा। मैं अपने दांत उसके उरोजों पर धंसाने लगा।
मेघा गर्म हो चुकी थी और उसका टॉप उतारने में कोई मेहनत नहीं करनी पड़ी।
उसकी चूचियाँ अब सिर्फ उसकी सफ़ेद ब्रा में कैद थीं। इससे पहले कि मैं अपने जीवन की पहली चूची के सबसे करीब से दर्शन करूँ.. मेघा ने मेरी टी-शर्ट खींच कर निकाल दी और उठ कर मेरे खड़े लण्ड पर बैठ गई।
इस वक़्त मेघा की आँखों में लाल डोरे मुझे साफ़ दिख रहे थे।
उसकी हवस उसकी मुस्कराहट से जाहिर हो रही थी।
मेघा- हाय… तेरा लण्ड तो सलामी दे रहा है.. मेरे चिकने.. खा जाऊँ क्या?
मैं बोला- जानेमन तेरा ही हूँ मैं.. तू मुझे खाएगी.. लेकिन मैं तुझे पूरा चूस डालूँगा आज।
मेघा- हाय… तो चूस डाल ना.. मेरी जान कब से तैयार बैठी हूँ।
अब हम लोग एक-दूसरे पर टूट पड़े.. अगले कुछ ही पलों में मेघा और मेरे कपड़े चिथड़ों जैसे इधर-उधर पड़े थे।
लैपटॉप पर अब भी वो लड़की लौंडे का लण्ड अपनी चूत में लिए इतरा रही थी।
इधर जैसे ही मैंने मेघा के उरोजों को छुआ तो लगा कि उसकी चूचियाँ बिल्कुल तन चुकी हैं और मेघा ने खुद उठ कर मेरे मुँह में अपनी चूची डाल दी।
मैं जोर-जोर से चूसने लगा.. दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को दबाने लगा।
मेघा के मुँह से ‘आह… ऊह.. आह..’ की आवाजें आने लगी थीं।
करीब दस मिनट तक उसकी चूचियों का पूरा रस निचोड़ने के बाद मेरा हाथ मेघा की गीली चूत पर गया और मैंने अपनी पूरी उंगली उसकी चूत में घुसा दी।
इसके साथ ही अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिए..
अब धीरे-धीरे मेरी ऊँगली भी मेघा की चूत में अन्दर-बाहर होने लगी।
हम एक-दूसरे के होंठों को जोर-जोर से चूसते जा रहे थे।
मेरा लण्ड पिछले आधे घंटे से तना हुआ.. दर्द करने लगा था, सो मैंने मेघा का हाथ उठा कर अपने लण्ड पर रख कर हल्का सा दबा दिया।
मेघा इशारा समझ गई.. वो आखिर खेली-खाई लड़की थी..
वो मेरा लण्ड कस कर पकड़ कर ऊपर-नीचे करने लगी।
इधर मैंने चूत में ऊँगली करने की रफ़्तार भी बढ़ा दी थी।
मेघा की चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी और लैप पर हो रही चुदाई और उसकी आवाजें माहौल को और ज्यादा उत्तेजक बना रही थीं। मेघा की चूत पानी छोड़ चुकी थी।
एक गहरी मुस्कराहट उसके होंठों पर तैर रही थी, वो पूरी तरह से मेरा कौमार्य लेने को तैयार थी।
अब मैं उसके नीचे था.. एक जबरदस्त चुम्बन के साथ मेघा ने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और मेरी सिसकारी निकल गई।
मेघा मेरे लण्ड को जोर-जोर से चूस रही थी।
मैं भी अपनी गाण्ड उठा-उठा कर उसके मुँह को चोद रहा था।
थोड़ी देर में ही मुझे लगने लगा मेरा पानी निकल जाएगा और तभी मेघा उठी और अपनी पानी से सराबोर चूत मेरे लण्ड के टोपे पर रख कर रगड़ने लगी।
उसके मुँह से ‘आआअह्ह्ह… आह्ह्ह्ह ह्ह्ह सैम… आअह्हह्हह… डाल दो अपना लण्ड.. चोद दो मुझे कमीने..’ जैसी आवाजें आने लगी थीं।
मैंने भी मेघा की कमर को पकड़ा और उसे अपने लण्ड पर धीरे-धीरे पूरा बिठा दिया..
मुझे एक तेज मीठे दर्द का अहसास हुआ उसकी भी सीत्कारें उसके मुँह से निकल गई और मेघा मेरे लण्ड पर ऊपर-नीचे होने लगी। उसकी महीने भर पहले चुदी चूत कसी हुई थी लेकिन चूत इतनी गीली थी कि मेरा लण्ड आराम से उसकी चूत को अन्दर तक भेद रहा था..
मेघा भी पूरी मस्ती में अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर चुद रही थी।
पूरे कमरे में ‘फच..फच..’ की आवाज़ गूँज रही थी हमारी सिसकारियाँ इसमें और इज़ाफ़ा कर रही थीं।
तभी मेरे लण्ड पर मेघा की चूत से होता हुआ खून जैसा दिखाई दिया.. एक पल के लिए हम रुके हुए एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। अगले ही पल मेघा हँसने लगी।
मेघा- हा हा हा.. मैंने ले ली तेरी जवानी.. तेरे लौड़े का धागा आज टूट गया.. मेरी जान।
वो मुझे जोर से चूमते हुए मेरे कान में बोली- आज से तेरा लण्ड मेरा गुलाम है जान.. तुझे लड़के से मर्द बनाया है मैंने.. ही ही ही।
मैं भी जोश में आकर बोला- अच्छा कमीनी.. बड़ी इठला रही है तू…
मैंने मेघा को खुद के ऊपर से उतार कर बिस्तर पर पटका और उसके दोनों पैर उठा कर एक ही झटके में पूरा लण्ड उसकी चूत में उतार दिया।
मेघा की ‘आह..’ निकल गई और हम फिर से चुदाई में मशगूल हो गए।
करीबन आधे घंटे बाद मैंने अपने लण्ड को महसूस किया क्योंकि लण्ड का धागा टूटने या टोपा खुलने से मेरा लण्ड कुछ देर के लिए जैसे सुन्न हो गया था।
मुझे पता चल गया था मैं आने वाला हूँ.. मेघा की चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी।
मैंने धक्कों की रफ़्तार तेज कर दी। मेघा की चूत भी तीसरी बार पानी छोड़ने को तैयार थी।
मेघा भी गाण्ड उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी..
मेरे लण्ड ने मेघा की चूत में पानी की बौछार कर दी और साथ ही मेघा का भी पानी छूट गया। मैं मेघा के ऊपर ही निढाल हो गया.. हमारे होंठ एक-दूसरे से मिल गए और मेरा लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल आया।
कुछ देर तक एक-दूसरे की बाँहों में पड़े रहने के बाद मेघा का हाथ मेरे लण्ड पर आया।
यह इशारा था एक और राउंड का ! हम फिर से एक-दूसरे के साथ गुंथ गए।
करीबन एक घंटे बाद हम सामान्य हुए और अपने-अपने कपड़े पहन कर पास के एक रेस्टोरेंट में जाकर लंच किया।
शाम को हम सारे दोस्त मिले, हमने मूवी देखी पार्टी की फोटोज खींची.. मस्ती भी की।
लेकिन मैं और मेघा बिल्कुल सामान्य थे। हाँ.. हम दोनों के चेहरे पे संतुष्टि के भाव जरूर थे बीच-बीच में हमारी रहस्यमयी मुस्कान का मतलब सिर्फ हम लोग ही जानते थे।
दोस्तो, मेघा के साथ चालू हुआ यह सिलसिला थमा नहीं बल्कि मुझे पता था ये तो बस शुरुआत है, अभी तो एक सेमेस्टर भी नहीं बीता था.. और मेरा चुदाई कार्यकम चालू हो चुका था।
अब मुझे यह भी पता चल चुका था कि चुदाई करने के लिए इधर-उधर मुँह मारने की जरुरत नहीं.. क्योंकि एक अंग्रेजी कहावत है ना ‘ए फ्रेंड इन नीड इज़ ए फ्रेंड इन डीड।’ अगली कहानी मेरी एक दोस्त साक्षी के ऊपर आधारित होगी। साक्षी के साथ क्या हुआ और कैसे हुआ। एक और सच्ची घटना के साथ मिलते हैं।
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