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मेरा नाम प्रैटी है और मैं एक स्टूडेंट हूँ। मेरी ऊँचाई 5’9″ है और मेरे लण्ड का नाप 8 इंच और 2.5 इंच मोटा है।
मैं आपको मेरी एक चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ यह कहानी आज से तीन साल पहले की है जब मैं 12वीं कक्षा में था।
मेरे पड़ोस में एक भाभी है जिसका नाम स्नेहा है।
वो बहुत ही मस्त माल है.. उसका फिगर तो आग लगाने वाला है।
उसकी लम्बाई 5’6″ इंच की है और उसके बाल उसकी गाण्ड तक लहराते हैं.. उसके चूतड़ बहुत ही उठे हुए हैं। उसका जिस्म 34-32-34 के कटाव लिए हुए है।
मैं तो उसके कूल्हे चूतड़ देख कर ही मर गया था और उसकी चूचियाँ तो और भी कमाल की हैं.. खूब तनी हुई और भरी व कसी हुई हैं।
मैं उसे रोज रात को सोच कर मूठ मारता था।
मैं उसके करीब जाने और बात करने के बहाने सोचता रहता। वो मुझसे बहुत हँसी-मजाक करती थी।
मैं उसके चूतड़ और चूचियाँ ही देखता रहता और उसको भी इस बात का पता लग गया था कि मैं उस पर लाइन मार रहा हूँ।
उनकी लव-मैरिज हुई थी तो एक दिन बात करते-करते मैंने पूछ लिया- आप और भैया पहली बार कब मिले थे?
तो उसने मुझे बताया- एक शादी में हम लोग पहली बार मिले थे और फिर लव हो गया।
अब हम थोड़ा खुल गए थे, उसने मुझसे मुस्कराते हुए पूछा- तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं है क्या?
मैं बोला- नहीं है..
मैंने झूट बोल दिया।
तो कहने लगी- तुम इतने स्मार्ट हो.. तुम्हारी तो गर्ल-फ्रेंड पक्की होगी.. तुम बता नहीं रहे।
मैंने उसके सिर पर हाथ रखा और बोला- सच में मेरी कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं है।
कुछ देर हम बातें करते रहे.. फिर भैया भी आ गए और फिर मैं उनसे बात करने लगा।
फिर मैं अपने घर आ गया और उसकी याद में मूठ मारी।
अगले दिन वो छत पर कपड़े सुखा रही थी.. तो मैं भी अपनी छत पर चढ़ गया और उसे निहारने लगा।
उसने मुझे देखा तो थोड़ा मुस्करा दी.. सर्दी के दिन थे उसने मुझे इशारा किया कि मेरे घर आकर चाय पी लो।
उसके पति टीचर थे और वो घर में कम स्कूल में ज्यादा रहते थे.. उनको कोई बच्चा नहीं था और उनके घर पर उसकी बूढ़ी माँ थी। उनके पिता तो पहले ही स्वर्ग सिधार चुके थे।
मैं उसके घर गया तो वो कंबल ओढ़ कर बैठी टीवी देख रही थी। मेरे आने पर वो उठी और चाय बनाने चली गई।
उसकी माँ दूसरे कमरे में थी।
मैं एक कुर्सी पर बैठ गया.. उसने मुझे चाय पकड़ा दी।
मैंने उसके हाथों को स्पर्श किया तो उसके हाथ एकदम मुलायम और गोरे थे। फिर वो भी चाय पीने लगी.. वो बिस्तर पर बैठ कर मुझसे बोली- ठंड लग रही होगी तुम्हें.. ऊपर आ जाओ.. कंबल ओढ़ लो।
मेरे मन में लड्डू फूटने लगे थे, मैं जल्दी से ऊपर जा बैठा।
फिर हम इधर-उधर की बातें करने लगे।
वो बोली- तुमने कभी किसी को प्रपोज नहीं किया।
मैंने बोला- जब कभी आप जैसी कोई खूबसूरत मिलेगी तभी करूँगा और उन्हें एक आँख मार दी।
वो थोड़ा मुस्करा दीं.. जो उसकी एक कातिल अदा थी।
फिर उसने कह ही दिया- तुम अपनी भाभी पर लाइन मारते हो.. शरारती कहीं के..
और वो हँसने लगी।
मेरे तो जैसे सारे रास्ते ही खुल गए थे।
मैं बोला- तुम बहुत खूबसूरत हो और मुझे अच्छी लगती हो..
वैसे चाहती तो वो भी थी मुझे… पर कभी मुझे महसूस नहीं होने दिया.. यह मुझे बाद में पता चला।
मैंने अपना एक पैर कंबल के अन्दर से उसकी ओर सरका दिया जो उसके एकदम चिकने पैर से जाकर टकरा गया.. उसने कुछ नहीं कहा।
फिर मैंने थोड़ा ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया तो उसने अपने पैर थोड़ा पीछे खींच लिए और हँसते हुए कहने लगी- मैं तेरी भाभी हूँ.. थोड़ी शर्म कर ले बेटा..
और उसने मेरे पैर पर थोड़ा प्यार से मारा।
तभी मैं उसके पास सरक गया और उसको ज़ोर से पकड़ लिया और चुम्बन करने लगा वो मुझसे दूर होने की कोशिश कर रही थी।
तभी उसकी सासू माँ ने बुला लिया और मुस्कराते हुए चली गई।
बूढ़ी की दवाई का वक्त हो गया था। इस वक्त मुझे उसकी माँ यमराज से कम नहीं लगी। मेरे सारे अरमानों का कंटाल कर दिया।
फिर वो वापिस आई तो मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया।
वो कहने लगी- छोड़ पागल.. कोई देख लेगा और तेरे भैया भी आने वाले हैं।
मैंने उसे चुम्बन किया ही था कि इतने में भैया भी आ गए।
अब मैं सभ्य हो गया फिर हम तीनों आपस में बैठ कर हँसी-मज़ाक की बातें करने लगे।
कुछ देर बाद मैं अपने घर आ गया।
अगले दिन वो बोली- मेरे नम्बर पर रीचार्ज करवा दो।
उसने मुझे 500 का नोट दिया और बोली- बड़ा वाला लेज़ चिप्स का पैकेट भी ला देना प्लीज़।
मैं मार्केट गया.. जब मैं वापिस आया तो वो नहा कर निकली थी। उसके खुले बाल, मोटे चूतड़ तो मुझे अपनी ओर खींच रहे थे। आह्ह.. क्या मस्त माल लग रही थी वो..
मैं उसकी तरफ ही देखता रहा तो मुझसे बोली- अन्दर आ जाओ या बाहर ही खड़े रहोगे?
मैं अन्दर गया और उसे पैकेट पकड़ाते हुए उसका हाथ पकड़ लिया।
वो बोलने लगी- आज नहीं.. माँ घर पर हैं, कल वो तेरे भैया के साथ दवाई लेने जाएगी।
मैंने कहा- अच्छा चाय भी नहीं पिलाओगी क्या?
वो चाय बनाकर लाई।
मैंने उसे पकड़ कर उसके होंठों पर होंठ और चूतड़ पर हाथ रख दिए।
मेरा लण्ड अब पूरा खड़ा हो चुका था। उसने मेरा लण्ड पैन्ट के ऊपर से पकड़ा तो बोली- यह हथियार तो बहुत बड़ा है।
इतने में उसकी माँ की बोली सुनाई दी- मुझे कीर्तन सुनना है टीवी चला दो।
हम दोनों एकदम से अलग हो गए.. वो आकर हमारे पास बैठ गई।
मुझे स्कूल से 4 दिन की छुट्टी मिली थी.. क्योंकि मौसम कुछ ज्यादा ही ठंडा था।
मैंने चाय खत्म की और आज उसने मेरा नम्बर माँगा- अगर कोई ज़रूरत पड़ी तो मैं तुम्हें बुला लूँगी..
मैंने दे दिया और कहा- नो प्राब्लम.. भाभी जी।
फिर वो मुस्कराने लगी।
अगले दिन उसका करीब 10 बजे फोन आया.. मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा.. मैंने फोन उठाया।
वो बोली- आ जाओ मेरे राजा.. घर पर कोई नहीं है..
मेरी धड़कनें तेज हो गईं और मैं भागता हुआ उसके घर चला गया।
मुझे मेरे घर वाले ज्यादा नहीं पूछते कि तू कहाँ जा रहा है.. या कहाँ से आ रहा है.. मुझे पूरी आजादी है।
जैसे ही उसने दरवाजा खोला.. मैंने देखा कि पंजाबी सूट में क्या माल लग रही थी। उसके बाल खुले थे और कमीज़ उसके जिस्म से पूरी तरह से चिपकी हुई थी.. जिससे उसके उभरे चूचे, उठे चूतड़ कमाल के लग रहे थे.. वो किसी परी से कम नहीं लग रही थी।
मैंने दरवाजा बंद करते ही उसे अपनी गोद में उठा लिया और उसके होंठ चूसने लगा।
वो भी पागलों की तरह मेरे होंठ और जीभ चूसने लगी।
मैं उसे कमरे में ले गया.. फिर मैंने उसे अपनी जाँघों पर बैठा लिया और चुम्बन करने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मैं एक हाथ से उसके चूतड़ सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूचियाँ मसल रहा था।
फिर मैंने दोनों हाथ कमीज़ और सलवार के अन्दर डाल दिए और फिर अपना काम करने लगा।
वो अभी भी मुझे चुम्बन कर रही थी और सिसकारियां लेने लगी। फिर मैंने उसकी कमीज़ उतार दी उसने नीचे सफ़ेद ब्रा पहनी हुई थी।
आह्ह.. क्या मस्त चूचे थे.. उसके.. उठे हुए और तने हुए…एकदम दूध की तरह बिल्कुल गोरे दूध..
फिर मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। दोनों चूचे मेरे सामने आज़ाद हो गए।
उसने मेरी शर्ट उतार दी और हम दोनों ने एक दूसरे को आलिंगन में भर लिया।
बाद में मैं उसकी चूचियाँ चूसने लगा.. वो गरम होने लगी और आवाजें निकालने लगी।
मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसे चूसने लगा।
उसका एक हाथ मेरे सिर को और दूसरा मेरी पीठ को सहला रहा था।
फिर मैंने उसकी सलवार उतार दी.. उसकी नरम मुलायम जांघें.. जिनको चूसने के लिए मैं खुद को रोक ना सका।
उसने सफ़ेद रंग की ही पैन्टी पहन रखी थी।
उसकी पैन्टी चूत के पानी से गीली हो चुकी थी।
मैंने उसकी जांघें चूसने के बाद पैन्टी को उतार दिया।
उसकी चिकनी चूत देखते ही मैं पागल सा हो गया और खुद की पैन्ट और अंडरवियर उतार कर फेंक दी।
फिर मैं बिल्कुल पागलों की तरह उसकी चूत चाटने लगा।
उसका भी खुद पर कोई कंट्रोल नहीं था.. वो मेरा सिर अपनी चूत पर दबा रही थी। कुछ देर बाद उसका पानी निकल गया।
फिर उसने मेरा 8 इंच का लण्ड पकड़ा और बोली- हाय.. इतना बड़ा है तेरा.. मुझे मारने की प्लानिंग है क्या?
फिर उसने मुँह में ले लिया.. मुझे मजा आने लगा।
उसके 10 मिनट तक चूसने के बाद मेरा पानी निकल गया। मैंने उसके मुँह में नहीं निकाला।
फिर थोड़ी देर एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे।
मेरी तोप फिर से खड़ी हो गई.. अब मैंने उसे सीधा बिस्तर पर लिटा दिया और दोनों टाँगों के बीच बैठ कर लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
वो बोली- प्लीज़ डाल दो यार.. अब रहा नहीं जा रहा..
फिर मैंने एक जोरदार धक्का लगाया.. जिससे मेरा लण्ड उसकी चूत में चला गया।
उसके मुँह से ‘आह’ निकल गई.. उसकी आँखें बंद थीं और उसने मेरे बड़े लौड़े की पीढ़ा को जज्ब करने के लिए हाथों में चादर को पकड़ा हुआ था.. अपने होंठों को दांतों में दबा रही थी।
फिर मैंने धक्के लगाने शुरू किए.. वो तो जैसे मेरे लण्ड की भूखी थी.. ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी।
लगभग 20 मिनट बाद उसका शरीर अकड़ गया.. मैंने धक्के लगाने तेज कर दिए और वो झड़ गई।
उसके कुछ पलों के बाद मैं भी उसकी चूत में झड़ गया। फिर हम कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे। एक बार और चुदाई करने के बाद मैं घर वापिस आ गया।
अब जब भी मौका मिलता है.. मैं और भाभी एक हो जाते हैं।
दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी.. अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है.. प्लीज़ मुझे ईमेल करे जरूर बताइएगा कि इसमें आपको क्या ख़ास लगा। यह एक सच्ची घटना है।
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