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Meri Chudakkad Padosane-2 मेरी कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि भारती की चूत चोदने के बाद मेरे लवड़े को चूत का स्वाद लग गया था। अब जब भी भारती की चूत नहीं मिलती तो मेरा लण्ड किसी और चूत के लिए बेचैन हो उठता। अब इसके आगे-
मेरी पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं लखनऊ के पास एक शहर में रहने लगा। वहाँ जिस घर में मैं रहता था, उसी घर में एक भाभी रहती थीं। उनका नाम मोहिनी था, उनके पति होम-गार्ड में थे। वो सुबह एक स्कूल में सुरक्षा का काम करते और रात में एक अपार्ट्मेंट में यही काम करते थे।
मोहिनी भाभी मुझसे कभी-कभी बातें किया करती थीं, पर अभी तक कोई उनसे मेरी कोई भी कामोत्तेजक बात नहीं हुई थी।
एक दिन मैंने उनसे बोला- आप अपना नम्बर दे दो।
तो उसने झट से बोल दिया- क्या करने वाले हो नम्बर लेकर?
तो मेरे मुँह से अचानक से निकल गया- पेलूँगा..
वो शर्मा गई या पता नहीं गुस्सा हो गई, मुझे नहीं पता और मैं बहुत डर भी गया था।
फिर शाम को मैं पेशाब करने गया। मेरा बाथरूम उसके कमरे के पास ही था। तब मैंने उसे देखा कि वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही हैं।
मेरी तो ख़ुशी का ठिकाना ही न था। मैंने उससे नम्बर माँगा.. उसने भी दे दिया।
फिर मैंने अपने कमरे में आकर उसे फ़ोन किया और उससे बातें कीं और बातों के दौरान ही उससे बोल दिया- रात में 12 बजे दरवाजा खोलना.. मैं आऊँगा।
दोस्तो, क्या बताऊँ.. आपको, वो क्या लग रही थी.. उसने जब अपने कपड़े उतारे मेरा लन्ड तो उसे देखते ही खड़ा हो गया।
फिर मैंने उसकी चूत में उंगली की.. पहले एक ऊँगली.. फिर दो ऊँगलियाँ डालीं, वो सिसकारियाँ लेने लगी थी।
फ़िर मैंने अपना लन्ड उसके मुँह में डाल दिया।
वो बोली- मुझे लन्ड पीना अच्छा नहीं लगता।
फ़िर मैंने उसकी चूत चाटी और अपना लन्ड उसकी चूत में पेल दिया। उसकी चूत ज्यादा कसी तो नहीं थी, पर ठीक थी।
मैं उसे धकाधक पेल रहा था और वो अपने चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी।
हमारी साँसें तेजी से चल रही थीं। मुझे डर लग रहा था कि उसके बच्चे न जग जाएँ.. उसके 3 बच्चे थे।
करीब 15 मिनट बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। फिर मैं 69 की अवस्था में लेट गया।
अब वो मेरा लन्ड चूसने लगी थी और मैं उसकी चूत चाट रहा था बहुत मजा आ रहा था।
फिर मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा, तो उसने गान्ड मरवाने से मना कर दिया।
फिर मैंने कहा- मैं आराम से धीरे-धीरे तुम्हारी गान्ड मारूँगा।
तो वो मान गई, फिर क्या था… मैंने अपना लन्ड उसकी गान्ड पर रखा थोड़ा थूक लगाया और पेल दिया..
वो दर्द से कराहने लगी- उईउऊ…
मेरे पूछने पर उसने बताया- तुम्हारे भैया ने कभी मेरी गान्ड नहीं मारी.. इसलिए बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने उससे कहा- थोड़ी देर में गुदगुदी होने लगेगी और बहुत मजा आएगा।
तो वो मान गई… फिर मैंने उसकी गान्ड में थोड़ा नारियल का तेल डाला और उसे ऊँगली से अन्दर करने लगा।
दोस्तों उसकी गान्ड इतनी कसी थी कि मेरी ऊँगली भी नहीं जा रही थी। फिर मैंने अपना लन्ड थोड़ा हिलाया और उसकी गान्ड में डाल दिया। पहले तो धीरे-धीरे किया, फिर जोर-जोर से गान्ड मारना शुरू कर दिया।
उसे मजा आने लगा, मैं और जोर से उसकी गान्ड मारने लगा। मेरी सांसें चलने लगीं, फिर भी मैं इतना उतावला हो गया कि उसे पेलता ही जा रहा था, मेरा बीज गिरने का नाम ही नहीं ले रहा था। करीब 35 मिनट बाद मेरा बीज निकला तो उसका पूरी गान्ड भर गई थी और माल बाहर निकल रहा था।
उस रात हमने बहुत मजे किए।
सुबह होने वाली थी सो मैं अपने कमरे में चला गया।उस दिन दोपहर को नींद खुली तो देखा भैया ड्यूटी जा रहे थे।
मुझे मोहिनी भाभी के पास जाने में शर्म आ रही थी, पर उसने ही आकर पूछ लिया- कल मजा आया था न?
मैंने शर्माते हुए बोल दिया- हाँ…
अगले दिन वो अपनी सहेली के पास मुझे ले गई, उसका नाम किरन था। उस दिन मैंने दो कामोत्तेजक कैप्सूल खा लिए थे क्योंकि उसी ने बोला था कि कल मेरी सहेली के पास चलना है.. वहीं मजा करेंगे।
अब मैं ठहरा लड़का जात, मैंने सोचा उसकी सहेली देखती थोड़े ही रहेगी वो भी तो चुदवाएगी.. सो मैंने कैप्सूल खा लिए थे।
जब हम वहाँ पहुँचे तो मैंने मोहिनी की सहेली को देखा.. क्या कमाल का माल लग रही थी.. वो एकदम सुडौल आर चिकनी चमेली थी। मेरा तो मन किया कि अभी पहले इसे चोद दूँ.. पर वहाँ मोहिनी भाभी थीं इसलिए मैं शांत होकर बैठ गया।
फिर हम एक कमरे में गए… मोहिनी ने अपने और मेरे कपड़े उतारे।
वो शर्मा रही थीं क्योंकि अभी तक हमने अँधेरे में चुदाई की थी, पर वहाँ दोपहर होने से खूब उजाला था।
वो कभी अपना चेहरा हाथों से ढकती तो कभी चूत।
फिर मैंने बोला- भाभी अब तुम शर्माओ मत.. मैंने तुम्हारा सब कुछ तो देख लिया है।
मैं कैप्सूल खा कर तैयार था। मेरा लन्ड खड़ा था, सो मैंने जरा सी भी देरी नहीं की और पेलना शुरू कर दिया।
उसकी चूत सूखी हुई थी इस लिए लन्ड डालते ही मेरी जान निकल गई।
मुझे बहुत दर्द हुआ। फिर 2-4 झटकों के बाद चूत गीली हुई.. अब मजा आने लगा।
वो अपनी चूत उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी और चुदाई के स्वर्ग का मजा लेने लगी।
वो बोल रही थी, “तुम्हारे भैया ने तो कभी ऐसा नहीं पेला.. तुम मुझे आज खुश कर दो.. मैं तुम्हारी हो जाऊँगी।
मैं धक्का लगाए जा रहा था.. हम दोनों की साँसें बहुत तेज हो गई थीं। मैं कभी उसकी चूचियां पीता… तो कभी उसके कंधों पर दांत गाढ़ता.. तो कभी होंठ चूसता.. तो कभी उसके गाल पर कट्टू करता।
दोस्तो, मानो जैसे मुझमें चुदाई का भूत सवार हो गया हो और वो तो पहले से ही बेहाल थी। करीब 45 मिनट बाद मेरा बीज उसकी चूत में ही गिर गया।
तब उसने मुझसे पूछा- तुमने कोई दवा खाई है क्या..? इतनी देर तक तो कोई नहीं चोदता है।
मैंने ‘हाँ’ कह दी.. क्योंकि मैं पकड़ा जा चुका था।
फिर उसने मेरा लन्ड अपने मुँह में लेकर चुभलाया और उसे साफ किया। फिर मैंने उससे कहा- अपनी सहेली को भेजो.. पर उसकी सहेली नहीं मानी।
दोस्तो, मैंने इस तरह उस दिन मोहिनी का भोसड़ा चोदा.. फ़िर हम दोनों घर चले आए।
फिर हम रोज चुदाई करते.. कभी उसके कमरे में तो कभी मेरे कमरे में।
दोस्तो, मुझे तो मोहिनी भाभी ने ही सिखाया कि असली चुदाई का मजा क्या होता है।
मेरी शादी हो गई है.. अब मैंने सब छोड़ दिया है, मैं अब किसी लड़की को पटाने के बारे में भी नहीं सोचता हूँ।
दोस्तों मैं अपनी अगली कहानी जल्द ही भेजूँगा… आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे अपने ईमेल जरूर भेजिएगा।
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