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दोस्तो, मैं बचपन से ही अन्तर्वासना का पाठक रहा हूँ। मैंने बहुत सी कहानियां पढी हैं, मुझे इनमें कुछ सच्ची और कुछ झूठी लगीं, पर मैं अब आपको अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
ये एक लड़की और एक भाभी (मोहिनी) की चुदाई की एकदम सच्ची घटना है। ये दोनों मेरे अलग-अलग प्रवास के दौरान बगल के कमरों में रहने वाली थीं।
मेरा नाम विवेक है, मैं एक छोटे शहर का रहने वाला हूँ। मेरे बगल के घर में एक बहुत ही खूबसूरत लड़की रहती थी उसका नाम चाँदनी था।
उसका कद 5’3” था। उसके घर में एक लड़की आती थी उसका नाम भारती था। उसकी बड़ी बहन चाँदनी के घर में किराए पर रहती थी और उसका भी कद 5’4” था और जिस्म करीब 32-28-34 था। मैं 10 वीं पास करके दिल्ली पढ़ने चला गया। मैं करीब चार महीने बाद लौटा तो मेरी बुआ के लड़के यानि मेरे फुफेरे भैया मेरे घर आए हुए थे। उनका नाम राजीव है। शाम को उनसे बात हो रही थी। उन्होंने मुझे बताया कि बगल में एक लड़की आई है वो मुझे बहुत परेशान कर रही है, वो चाँदनी से कहती है कि राजीव को मुझे दे दो या फिर एक बार मजा दिला दो।
उन्होंने मुझसे बोला- उसका नम्बर ले लो और तुम ही उसे पेल लो।
मैं झट से तैयार हो गया क्योंकि मैंने उससे पहले कभी चूत नहीं मारी थे। सिर्फ ब्लू-फ़िल्म में देख कर हाथ से काम चलाता था, मुठ मार लिया करता था।
दोस्तों.. मैं एक बात आपको बता दूँ कि मेरे राजीव भैया उस बगल वाली लड़की को बहुत पेलते थे, जिसका नाम चाँदनी है। भैया फार्मा में हैं उस समय वो चेन्नई में पढ़ते थे और वो जब भी आते तो रात में अपनी छत से उसके छत पर चले जाते और उसे चोदते। फ़िर सुबह होने से पहले चले आते। वो आकर मुझे सब बताते कि किस तरह वो अपना लन्ड चाँदनी को पेलते हैं… किस तरह उसे चोदते हैं।
तो जब मैंने भैया से उस लड़की की नम्बर लिया और उससे बात की, तो वो पहले तो मुझे नहीं पहचान पाई। फ़िर भैया ने अपनी गर्ल-फ्रेंड को फ़ोन करके बताया कि भारती के साथ छत पर आओ और विवेक उससे बात करना चाहता है। तब भारती सब समझ गई और फ़िर चाँदनी और भारती दोनों छत पर आ गईं।
फ़िर मैंने उससे प्यार से बात की और पूछा- हम लोग भी वैसे मिल सकते हैं, जैसे राजीव भैया, चाँदनी से मिलते हैं? तो उसने ‘हाँ’ कह दी।
चूंकि हम लोग खाना खा कर टहलने गए थे और भैया का चूत मारने का समय हो गया था। इसलिए भारती ने कह दिया, “वो कल से इस बारे में सोचेगी।”
फिर मैं अपने कमरे में आ गया और भारती भी नीचे अपने कमरे में चली गई। फिर हमने फोन पर बातें कीं, करीब एक घंटे तक गर्मा-गर्म बातें करने के बाद.. वो तैयार हुई। फिर मैंने झट से राजीव भैया को फोन किया और चूत छोड़ कर आने को कहा, पर वो नहीं माने, वो बोलते समय जोर लगा रहे थे शायद वो झड़ने वाले थे।
मैंने भारती से कहा- तुम ऊपर का दरवाजा खोलो।
फिर मैं भी भैया की तरह अपनी छत से उसकी छत पर चला गया।
दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि मेरी छत और चाँदनी की छत लगभग सटी हुई है। कोई भी आ-जा सकता था।
फिर मैंने उसे गोद में उठाया और नीचे उसके कमरे में ले गया। फिर हमने दरवाजा बंद किया और कपड़े निकाले मुझे तो लड़का होकर भी बहुत शर्म आ रही थी और वो तुरन्त पैंटी और ब्रा में हो गई। उसने तो मेरी चड्डी भी उतार कर रख दी। उसने मेरा लन्ड अपने मुँह में ले लिया। मुझे अजीब सा अहसास होने लगा मैंने सोचा कि ये लड़की बहुत बड़ी चुदक्कड़ लगती है.. खैर मुझे क्या… मैं तो खुद चूत के लिए तड़फ रहा था। सो मुझे छेद आसानी से मिल रहा था। मैंने कभी चूत नहीं मारी थी इस लिए घबराहट सी हो रही थी। फिर भारती ने अपने भी पैंटी और ब्रा बगल में रख दिए। मैं लेट गया और मैंने उसे अपने लन्ड पर बैठने को कहा।
वो मेरे लवड़े पर चढ़ कर बैठ गई और उसने मेरे लन्ड का मुँह अपनी चूत में लगाया। फिर मैंने उसकी कमर पकड़ कर नीचे से धक्का लगाया.. वो चीख पड़ी। वो तो भला हो ऊपर वाले का.. कि किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी.. बगल के कमरे में उसकी बड़ी बहन और जीजा सोए थे। फिर मैंने देखा कि मेरे लन्ड पर खून लगा हुआ था, खून देख कर वो तो रोने लगी। फिर मैंने किसी तरह पुचकारते हुए उसे चुप कराया और उसे लिटा कर मैंने उसकी चूत को तौलिए से पौंछा। फ़िर थूक लगा कर अपना लन्ड डाल दिया। इस बार भी वो चिल्लाई, पर शांत हो गई। मैंने 10- 12 झटके ही लगाए होंगे कि मेरा बीज उसकी चूत में गिर गया। मैं थका-थका सा महसूस कर रहा था शायद डर के मारे। फिर मैंने कपड़े पहने और अपने घर चला गया। बाद में मैंने भैया से पूछा- अगर कोई चूत में ही झड़ जाए.. तो कुछ होगा तो नहीं..?
तो उन्होंने मुझसे आँख मार कर पूछा- कोई.. या फिर तुम…?
मैं उनसे आँख चुराने लगा।
उन्होंने मुझे बताया, “मैं उसी समय ही इधर आ गया था, जब तुमने फोन किया था, पर यहाँ से तो तुम गायब थे… तब मेरी समझ में आया कि तुम इसी चूत के लिए मुझे अधूरे में छोड़ कर आने पर मजबूर कर रहे थे।”
मतलब जब मैंने फ़ोन किया था उसके बाद ही राजीव भैया आ गए थे। फ़िर मैंने उनसे पूछा- कल रात मैं भारती की चूत में ही झड़ गया था.. कुछ होगा तो नहीं?
तो उन्होंने मुझे डराना शुरू कर दिया, “अब तो बच्चा हो जाएगा ।”
फिर मैंने चाँदनी से पूछा- उसने बताया, “नहीं उम्मीद तो कम है फिर भी अभी कुछ दिन मजा लेने के बाद एक गर्भनिरोधक दवा खिला देना..।”
फ़िर अगले दिन मैं भारती के कमरे में गया। वो ब्रा और पैन्टी में ही लेटी थी। उसने मुझसे बताया कि वो ऐसे ही सोती है। फिर हम दोनों ही नंगे हुए।
दोस्तों क्या बताऊँ.. वो क्या गजब की माल लग रही थी। उसकी चूत में हल्के हल्के रोयें से बाल थे.. मानो 1-2 दिन पहले ही झांटें साफ़ की हों। मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू की.. वो अकुलाने लगी अपनी टाँगें दबाने लगी, मेरा सिर उसकी टाँगों के बीच में था। मैंने अपनी जीभ चूत के अन्दर ठेली और उसकी चूत के मुँह को चौड़ा किया और पूरे जोश के साथ उसकी चूत को चाटने लगा। वो पूरी तरह तड़फने लगी। वो मुँह से “इस्स्स्स” की आवाज निकाल रही थी। फिर मैंने अपना लन्ड उसके मुँह में डाल दिया। वो मेरा लवड़ा लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। उसके बाद मैंने अपना लन्ड उसकी चूत में डाल दिया, वो मजे लेने लगी और मैं जल्दी-जल्दी उसकी चूत में लौड़ा पेल कर उसे धुकर-पुकर चोदने लगा।
वो बोल रही थी, “मुझे छोड़ दो…।”
और मैं बोल रहा था, “मुझे चोद दो..।” वो हँसने लगती.. पर दर्द के मारे पूरी तरह नहीं हँस पाती। मैं उसे पेलता ही जा रहा था.. ना जाने कहाँ से मुझमें ताकत आ गई थी.. मेरा लन्ड एकदम कड़ा हो गया था और मैं धक्का-पे-धक्का लगाए जा रहा था। पूरा कमरा “पच-पच” की आवाज से गूंज रहा था। उसकी चूत गीली हो गई थी। मैंने अपना लन्ड उसकी चूत से बाहर किया और उसका सारा रस पी गया। कुछ अजीब सा स्वाद था पर मीठा भी था। फिर मैंने लन्ड को वापस चूत में डाला… चूत इतनी गरम थी कि मेरा लन्ड भी घिसते-घिसते गर्म हो गया था और आखिर आधे घंटे बाद मैं झड़ गया। वो भी थक कर चूर हो चुकी थी, फ़िर हमने थोड़ी देर आराम किया और फिर काम पर लग गए। अब मैंने उससे घोड़ी बनने को कहा.. वो झट से बन गई। फिर मैंने उसके चूतड़ों को थोड़ा पीछे किया और अपना लन्ड उसकी गान्ड में पेल दिया। वो चिल्ला उठी.. मैंने जल्दी से उसका मुँह अपने हाथों से दबा दिया। वो डर गई कि कहीं उसकी गान्ड तो नहीं फट गई और उसने मुझे चले जाने को कहा, फिर मैंने उसे समझाया और फिर से चुदाई शुरू हुई। उस रात हमने चार बार चुदाई की।
दोस्तों उस रात मैंने भारती की बुर को भोसड़ा बना दिया। सुबह उसकी चूत सूजी हुई थी।
मैं जब अगले दिन उसके पास गया, तो उसे दवा लाकर दी। फ़िर मैं रोज जाता और उसे पेल कर चला आता। कुछ दिन बाद वो अपने गाँव चली गई और भारती जब भी आती तो मैं उसे चोदता और राजीव भैया जब भी आते तो वो चाँदनी को चोदते थे।
अब इसके बाद मेरे लवड़े को चूत का स्वाद लग गया था। अब जब भी भारती की चूत नहीं मिलती तो मेरा लण्ड किसी और चूत के लिए बेचैन हो उठता। फिर मुझे मोहिनी भाभी मिलीं उनकी चुदाई का किस्सा मैं अगले भाग में आपको सुनाऊँगा।
मेरे साथ बने रहिए और मुझे अपने प्यारे प्यारे ईमेल जरूर कीजिए।
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