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सम्पादक- इमरान तभी शमीम ने रानी का एक हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया।
मैंने देखा कि अब तक ना नुकुर कर रही रानी ने उसके लण्ड को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया।
मैं यह सोच रहा था कि अगर रानी एक बार भी बचाने को बोलती तो चाहे जो होता, मैं उसको इतने लण्डों से चुदने से बचा लेता।
मगर जब मैंने देखा कि वो इस खेल में मजा ले रही है तो मैंने उसके आनन्द में खलल नहीं डालने की सोची।
मैंने चुपचाप उस दरवाजे की ओर देखा और जैसे हम देख रहे थे, अब सलोनी और मामाजी भी वैसे ही देख रहे थे।
मुझे आश्चर्य हुआ कि मामाजी ने अपनी बहू को देखकर भी बचाने की नहीं सोची।
मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने, वैसे भी मुझे इस तरह के ग्रुप सेक्स में ज्यादा मजा नहीं आता है।
इतनी देर में ही उन दोनों ने रानी को पूरी तरह तैयार कर लिया था… और दोनों एक साथ ही रानी को चोदने का प्रोग्राम बना रहे थे।
शमीम नीचे लेट गया था और रानी उसके लण्ड पर बैठ कर ऊपर से खुद हिल रही थी, उसकी हिलती कमर बता रही थी कि यह उसका पसंदीदा स्टाइल है। वो बहुत तेजी से एक अनुभवी की तरह ही कमर चला रही थी।
तभी अफज़ल ने उसको पीछे से आगे को झुकाया।
ओह ! और उसने रानी की गांड के छेद को हल्का सा ही चिकना कर अपना लम्बा लण्ड उसके गांड के छेद में घुसेड़ दिया।
मैंने पहले फिल्मो में तो कई बार देखा था पर अपने सामने होते हुए पहली बार ही देख रहा था। जिस छोटे से सलमान को मैं सीधा और बच्चा समझ रहा था, वो तो पूरा कमीना निकला, उसने भी नंगे होकर अपना लण्ड रानी के मुँह में डाल दिया था।
वरना अभी इस समय तो वो चिल्ला रही होती!
उसकी ऐसी हालत मुझसे देखी नहीं जा रही थी, तीन तीन लण्ड एक साथ उसके तीनों छेदों में आ जा रहे थे।
उसको वैसे ही चुदते हुए छोड़कर मैं चुपके से कमरे से बाहर निकल कर आ गया।
बाहर रानी का पति मिला जो दरवाजा खटखटाने ही जा रहा था। मुझे उसने बड़ी ही हिकारत भरी नजरों से देखा, मैंने उसे कुछ नहीं कहा, मैं चुपचाप बाहर निकल कर अपने कमरे की ओर आ गया।
मैंने सोचा कि अब रानी का पति अपने आप संभाल लेगा।
वहाँ यह देखकर आश्चर्य हुआ कि मेरे कमरे का दरवाजा पूरा बंद नहीं था, सलोनी और मामाजी, दोनों में किसी को जरा भी डर नहीं था कि अगर कोई भी अंदर ऐसे ही आ गया तो?
मुझे तो सोचकर ही झुरझुरी सी चढ़ गई कि वो तीनों अगर यहाँ आ जाते तो क्या होता?
मैंने हल्का सा दरवाजा धकेल कर अंदर झाँका तो वो दोनों तो अभी भी वही… उसी कमरे में रानी की चुदाई देखने में लगे थे।
सलोनी ने यह भी नहीं सोचा कि मैं बाहर आकर यहाँ भी आ सकता हूँ।
मामाजी तो पीछे से नंगे दिख ही रहे थे, सलोनी भी नंगी ही होगी, वो मामाजी के आगे थी तो दिखाई नहीं दे रही थी। पर सामने सिमटा हुआ उसका पेटीकोट पड़ा था जो चीख चीख बता रहा था कि सलोनी के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं है और वो अपने नंगे बदन को मामाजी से चिपकाये मजे से रानी की चुदाई देख कर आनन्द ले रही है।
अब मैं ऐसी हालत में अंदर तो जा नहीं सकता था, और वापस रानी के कमरे में भी जाने का दिल नहीं किया तो मैंने वहीं खड़े खड़े जेब से सिगरेट निकाल कर सुलगा ली और सोचने लगा कि क्या ये सब सही हो रहा है?
जब साले लण्ड में उबाल आता है तो सब कुछ अच्छा ही लगता है पर आज जब रानी को चोदने के बाद लण्ड कुछ शांत हो गया था तो यथार्थ में भी सोचने लगा।
अभी जो रानी के साथ हो रहा है, क्या ये सब में सलोनी के साथ सहन कर पाऊँगा? हो सकता है कि सलोनी उस समय कुछ ना कहे, उसको अच्छा भी लगे पर बाद में तो ग्लानि होगी ना? यह तो एक तरह से देह शोषण ही है! क्या इस तरह के देह शोषण के बाद उसको साधारण सेक्स पसन्द आएगा?
ना जाने कैसे कैसे विचार मेरे मन में उमड़ घुमड़ कर आ जा रहे थे। फिर सोचा कि देखूँ तो वो लोग क्या कर रहे हैं?
मैंने खांसते हुए बाहर अपनी उपस्थिति का एहसास उनको करा दिया था।
दरवाजा खोलकर चुपके से ही देखने वाला था पर सामने ही सलोनी थी, जो मुझे देखते ही बोली- अरे कहाँ चले गए थे आप? मुझे उठाया भी नहीं?
सलोनी अपनी ब्लाउज पहन चुकी थी, अपने पेटीकोट को ठीक कर रही थी या हो सकता है अभी ही पहना हो। मामाजी बड़ी ही चालाकी से दूसरी और करवट लिए मुँह तक चादर ओढ़े सो रहे थे।
मैं- हाँ जान, जरा सिगरेट पीने चला गया था।
मैंने सुना कि इस कमरे में बराबर वाले कमरे की आवाजें बहुत तेज सुनाई दे रही थी, जहाँ रानी की चुदाई चल रही थी- पट पट… जांघों की आवाजें… आहें… और सिसकारियाँ, सभी काफी तेज सुनाई पड़ रही थी।
दिल में एक कसस सी उठी कि ‘क्या रानी का पति भी उनका साथ दे रहा है?’ पता नहीं वहाँ क्या क्या चल रहा होगा?
मैं- अरे… ये आवाजें कैसी आ रही हैं?
सलोनी- पता नहीं! मैं भी इनको सुनकर ही जागी थी।
मैं- और मामाजी जी अभी तक सो रहे हैं? इन पर शोर का कोई असर नहीं हुआ?
सलोनी- हाँ, शायद ज्यादा थक गए हैं, पता नहीं… लगता है कि उधर कोई अपनी सुहागरात मना रहा है। सलोनी बड़े ही सेक्सी अन्दाज़ में मुसकुराहट के साथ बोली।
मैं- आओ जान, देखें तो, कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा?
सलोनी- अरे नहीं… ना… क्या करते हो? ऐसे किसी को… वो सब करते देखना अच्छा होगा क्या?
मैं- अरे कुछ नहीं होता, कौन सा हम उनको परेशान कर रहे हैं? बस चुपके से देखेंगे।
और मैं मामाजी के उधर लांघ कर उस कमरे में देखने लगा।
एक बार मामाजी की ओर भी देखा, लगा जैसे वाकयी में सो रहे हों।
बार रे बाप… क्या नजारा था! रानी अपने पति की गोद में सर रखे लेटी थी, और तीन लण्ड उसको अपने पानी से भिगो रहे थे। रानी का पूरा जिस्म ही वीर्य से सराबोर था, लगता था तीनों ने ही उसको जमकर चोदा था।
केवल रानी के पति के जिस्म पर ही एक आध कपड़ा दिखाई दे रहा था। रानी और वो तीनों मुस्टंडे तो पूरे नंगे ही थे।
अब तो वो सलमान भी पूरा मर्द ही नजर आ रहा था। उसका लण्ड देखकर लग रहा था कि जैसे उसने भी रानी को जमकर चोदा है।
तभी सलोनी भी मेरे पास आकर बैठ गई। मैंने ध्यान दिया कि वो बिल्कुल मामाजी के चेहरे के पास आकर बैठी थी, उसके चूतड़ मामाजी के नाक से छू रहे थे।
पर? कहानी जारी रहेगी।
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