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मेरे शरीर में तरावट आने लगी, सारा जिस्म मीठे जोश से भर गया, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं कभी ना झड़ूँ.. बस जिन्दगी भर चुदाती ही रहूँ.. यह मजा किसी और चुदाई से अलग था, कुछ जवानी का जोश और मीठी-मीठी गालियों की मीठी चुभन थी।
मैं भी आज जी खोल कर सारी गन्दी से गन्दी गाली सुनते हुए चुद रही थी।
अब मेरा जिस्म ऐंठने लगा और आनन्द को मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकी… मेरी चूत जोर से झड़ने लगी।
मेरी चूत में लहरें उठने लगीं, तभी सुरेश ने मेरे ऊपर अपने आपको बिछा लिया और लण्ड को चूत में भीतर तक दबा लिया।
उसके कड़कते लण्ड ने मेरी बच्चेदानी को रगड़ मारा और चूत में उसका वीर्य छूट पड़ा। वो अपने लण्ड को बार-बार वीर्य निकालने के लिए दबाने लगा।
वीर्य से मेरी चूत लबालब भर चुकी थी।
वो निढाल हो कर एक तरफ़ लुढ़क पड़ा। मैंने भी मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली थीं। सारा सुख और आनन्द और दिन भर की तड़प, चूत की प्यास शान्त हो गई थी।
मैं लम्बी-लम्बी साँसें लेते हुए पड़ी रही.. मेरी चूत से वीर्य निकलते हुए मेरी गाण्ड तक पहुँच रहा था।
मैं लम्बी-लम्बी साँसें लेते हुए पड़ी रही। चूत से वीर्य निकलते हुए मेरी गाण्ड तक पहुँच रहा था। मैं तो इतनी थक गई थी कि सोफे पर ही पड़ी रही।
मुझे होश तब आया, जब सुरेश जी ने मुझे हिला कर बोला- नेहा.. क्या हुआ?
मैं बोली- जानू.. इतना मजा आया कि उठने का मन नहीं कर रहा है.. जी कर रहा है ऐसे ही लेटी रहूँ.. पर ऑफिस में थी इसलिए बाथरूम में अपने जिस्म को साफ़ करने के लिए चूतड़ मटकाते हुए चली गई।
जब बाहर आई तो सुरेश ने कहा- नेहा जी.. आज तो आप ने बहुत मजा दिया.. ये लो 5000/- रुपए रख लो।
मैं लेने से मना करने लगी लेकिन सुरेश जी ने जबरदस्ती दे दिए तो मैंने रूपए पर्स में रख लिए।
सुरेश बोले- रानी, मैंने आप को आगरा भेजने का इन्तजाम कर दिया है, आप लोगों को मेरी कार से ड्राइवर छोड़ देगा।
मैंने ‘थैंक्स’ कहा।
तभी चपरासी नाश्ता लेकर आया, मैंने और सुरेश जी ने नाश्ता करके कॉफ़ी पी।
तब तक सुनील जी आ गए, मेरे चेहरे पर मुस्कान देख सुनील सारी बात समझ मुस्कुराने लगे और सुरेश से बात करने लगे कि जमीन ठीक है.. पसंद आ गई।
और बोले- अब आप इजाजत दीजिए.. नहीं तो बहुत लेट हो जायेंगे, वैसे भी 6:35 हो रहा है।
सुरेश बोले- आप लोग मेरी कार से जा रहे हो।
फिर हम लोग एक साथ उठ कर बाहर हाल में आए और ड्राइवर को बुला कर बोले- ये लोग मेरे मेहमान हैं, इनको आगरा छोड़ कर आओ।
मैंने नमस्ते की और कार की पिछली सीट पर बैठ गई, सुनील भी मेरे साथ पीछे ही बैठ गए। कार आगरा के लिए चल दी। रास्ते में सुनील मेरी चुदाई के विषय में पूछने लगे। मैंने सब बात बताई कि कैसे सुरेश ने चोदा और कैसे मैं चुदी।
तभी सुनील ने कहा- रानी तुम्हारी चुदाई सुन कर मेरा भी पानी निकालने का मन करने लगा है। क्या तुम मेरा साथ नहीं दोगी?
मैं बोली- क्यों नहीं.. जो मेरे लिए इतना कर सकता है.. मैं तो घूमने आई थी, पर आपने चुदाई और पैसा दोनों दिला दिया। इस समय कैसे चुदाई करें? ड्राइवर क्या कहेगा?
सुनील बोले- तुम हाथ और मुँह के सहारे पानी निकाल दो।
मैं बोली- ठीक है.. पर आप आगे ड्राइवर पर निगाह रखना, कहीं वो देख ना ले।
सुनील बोले- ओके..
मैंने सुनील की जांघ को सहलाते हुए पैंट के ऊपर से ही लन्ड को सहलाते हुए जिप को आहिस्ता-आहिस्ता नीचे करते हुए खोल दिया। अब उनके अंडरवियर में हाथ डाल कर लंड बाहर निकाल कर देखने लगी। सुनील का लंड बड़ा प्यारा था, एक बार फिर मुझे चुदने का मन करने लगा। मैंने सुनील के लंड को पकड़ कर ऊपर-नीचे करना शुरू किया।
कुछ समय बाद मैंने अपना सिर नीचे करके उस के तनतनाते हुए लंड को अपने मुँह में लिया। मैंने अपनी जीभ को उसके लंड के शिश्न-मुंड पर घुमा कर उसके पानी का स्वाद लिया।
फिर उसका लंड चूसते हुए, हाथों से लौड़े को मेरा मुठ मारना लगातार चालू था। सुनील का एक हाथ मेरे पीठ से होते हुए मेरी लैगिंग्स और पैन्टी के अन्दर हाथ डाल मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए मेरी चूत की तरफ बढ़ा, तो मैंने धीरे से अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए ताकि वो मेरी सफाचट, चिकनी चूत पर आराम से हाथ फिरा सके।
हाथ फिराते-फिराते उस की बीच की उंगली मेरी गीली फुद्दी के बीच की दरार में घुस गई।
वो अपनी उंगली मेरी चूत के बीच में ऊपर-नीचे मेरी चूत के दाने को मसलता हुआ घुमा रहा था और चूत में ऊँगली करवाने से मेरे मुँह से कामुक आवाजें निकल जातीं, पर मैं ड्राइवर की वजह से खुल कर आवाज नहीं कर सकती थी।
उसके मुँह में मेरा एक चूचुक और मेरे हाथ में उसका लंड था। हम दोनों और कड़क हो गए। मैं भी उस का लंड चूसते हुए लौड़े को आगे-पीछे करती जा रही थी और एक बार तो मैंने सोची कि चुद ही लूँ मगर कार में यह संभव नहीं था।
मेरी चूत में सुनील की ऊँगली लगातार घूम रही थी और मैं संतुष्टि के गंतव्य की तरफ बढ़ने लगी। उसकी उंगली अब मेरी चूत में घुस कर चुदाई कर रही थी, मेरी फुद्दी को उसकी उंगली चोद रही थी।
मैं भी उसके लंड को चूस रही थी और एक हाथ से उसके अंडकोष को सहला रही थी।
हम दोनों दबी जुबान से कार में चुदाई का मजा ले रहे थे।
जैसे ही उसको पता चला कि मैं झड़ने के मुकाम पर पहुँचने वाली हूँ, उसने अपनी उंगली से जोर-जोर से मेरी चूत की चुदाई करनी शुरू कर दी।
वो मेरी चूत को अपनी उंगली से इतनी अच्छी तरह से कामुक अंदाज़ में चोद रहा था कि मैं झड़ने वाली थी और मेरी नंगी गांड अपने आप ही हिलने लगी।
मेरे मुँह से जोर से संतुष्टि की आवाज निकली और मैं झड़ गई। मैंने उसकी उंगली को अपने पैर, गांड और चूत को भींच कर अपनी चूत में ही जकड़ लिया और झड़ने का मज़ा लेने लगी।
मैं झड़ने का मज़ा लेते हुए सुनील के लन्ड का सुपारा गले तक लेकर चाटते हुए लंड को आगे-पीछे किए जा रही थी।
अभी भी सुनील का हाथ मेरी चूत और गाण्ड की दरार में घूम रहे थे और मैं सुनील का लंड तेज-तेज मुठियाते हुए आगे-पीछे किए जा रही थी।
सुनील भी मस्ती की तरफ बढ़ रहा था, तभी सुनील का लौड़ा मेरे मुँह में ढेर हो गया और उसने पानी छोड़ दिया।
सुनील के वीर्य से मेरा मुँह भर गया और मैंने तुरंत माल को गुटकते हुए मुँह हटा कर कहा- यार ये क्या किया.. अब मुँह कैसे धोऊँगी? पर सुनील आँखें बंद किए झड़ने का मजा ले रहा था.. क्योंकि अभी भी मेरा हाथ सुनील के लौड़े पर चल रहा था।
सुनील ने अपने रुमाल से मेरा मुँह साफ किया और फिर अपना लंड साफ़ किया।
अब हम लोग अपने कपड़े ठीक कर आराम से बैठ गए।
सुनील बोला- थैंक्स नेहा..
मैं बोली- इसमे थैंक्स की क्या बात है.. यह तो मेरा फर्ज था।
हम लोग आगरा के करीब पहुँच गए थे कुछ ही देर में कार एक मकान के सामने रुकी।
मेरे प्यारे दोस्तो, आप लोगों ने मेरी कहानी को पढ़ा और पसंद किया है। जो आप लोगों ने प्यार दिया है, इसके लिए मैं आप सबका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करती हूँ। आप की नेहा रानी फिर मिलूँगी.. अगले भाग में तब तक के लिए अलविदा। मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताना।
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