This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
Rubi ki Seal Tod di-2 मुझसे सहा नहीं जा रहा था, मैंने कहा- अब और बर्दाश्त नहीं होता… तू सीधी होकर अपनी टाँगें फैला कर लेट जा.. अब मैं तुम्हारी चूत में लण्ड घुसा कर तुम्हें प्यार करना चाहता हूँ।
मेरी इस बात को सुन कर रूबी डर गई, उसने अपनी टाँगें सिकोड़ कर अपनी बुर को छुपा लिया।
वो घबरा कर बोली- नहीं, प्लीज़ ऐसा मत कीजिए… मेरी चूत अभी बहुत छोटी है और आपका ‘वो’ बहुत लंबा और मोटा है.. मेरी फट जाएगी… प्लीज़ इस ख्याल को अपने दिमाग़ से निकाल दीजिए और ऐसे ही प्यार कर लीजिए।
मैंने उसके चेहरे को हाथों में लेकर उसके होंठों पर एक प्यार भरा चुन जड़ते हुए कहा- डरने की कोई बात नहीं है.. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ.. मेरा विश्वास करो, मैं बड़े ही प्यार से धीरे-धीरे करूँगा और तुम्हें कोई तकलीफ़ नहीं होने दूँगा।
‘लेकिन आपका ये इतना मोटा मेरी इतनी छोटी सी इसमें घुसेगा कैसे..? इसमें तो ऊँगली भी नहीं घुस पाती है।’ रूबी ने घबराए हुए स्वर में कहा।
‘इसकी चिंता तुम छोड़ दो रूबी और मुझ पर भरोसा रखो… तुम्हें कोई तकलीफ़ नहीं होने दूँगा।’ मैंने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए भरोसा दिलाया।
‘मुझे आप पर पूरा भरोसा है फिर भी बहुत डर लग रहा है… पता नहीं क्या होने वाला है।’ रूबी का डर कम नहीं हो पा रहा था।
मैंने कहा- मेरी प्यारी जानू.. अपने मन से सारा डर निकाल दो और आराम से पीठ के बल लेट जाओ… मैं तुम्हें बहुत प्यार से ‘प्यार’ करूँगा… तुम्हें बहुत मज़ा आएगा।
‘ठीक है.. अब मेरी जान आपके हाथों में है।’ रूबी इतना कहकर पलंग पर सीधी होकर लेट गई।
लेकिन उसके चेहरे से भय साफ़ झलक रहा था।
मैंने पास की ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन की शीशी उठाई, फिर उसकी दोनों टाँगों को खींच कर पलंग से बाहर लटका दिया।
रूबी ने डर के मारे अपनी बुर को जाँघों के बीच दबा ली वो ऐसा करके चूत को छुपाने की कोशिश कर रही थी।
मैंने टांगों को फैला कर चौड़ा कर दिया और उसकी टाँगों के बीच खड़ा हो गया। अब मेरा तना हुआ लण्ड रूबी की छोटी सी नाज़ुक सी चूत के करीब हिचकोले मार रहा था।
मैंने धीरे से वैसलीन हाथ में लेकर उसकी चूत में और अपने लण्ड पर लगा ली, ताकि लण्ड घुसाने में आसानी हो। सारा मामला सैट हो चुका था, रूबी की मक्खन जैसी नाज़ुक बुर को चोदने का मेरा सपना पूरा होने वाला था, मैं अपने लण्ड को हाथ से पकड़ कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा, कठोर लण्ड की रगड़ खाकर थोड़ी ही देर में रूबी का भगनासा कड़ा होकर तन गया, वो मस्ती में काँपने लगी और अपने चूतड़ को ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगी।
‘बहुत अच्छा लग रहा है… ओ..ऊ…ओ..ऊओह.. आ बहुत मज़ा आआअ रहा है… और… तेज-तेज रगड़िए…’
वो मस्ती से पागल होने लगी थी और अपने ही हाथों से अपनी चूचियों को मसलने लगी थी।
मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था, मैं बोला- मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है…. बस ऐसे ही साथ देती रहो… आज मैं तुम्हें पूरी औरत बना दूँगा…
मैं अपना लण्ड वैसे ही लगातार उसकी चूत पर रगड़ रहा था।
वो फिर बोलने लगी- हाय… आआआअहाहह.. जानू ….ये आपने क्या कर दिया… ऊऊओ ..मेरे पूरे बदन मे करंट दौड़ रहा है…मेरे पूरे शरीर के अन्दर आग लगी हुई है जानू… अब सहा नहीं आता… जानू … मेरे अच्छे जानू… कुछ कीजिए ना… मेरी चूत की आग बुझा दीजिए… अपना लण्ड मेरी चूत में पेल दो…प्लीज़ जानू…
‘लेकिन रूबी, तुम तो कह रही थी कि मेरा लण्ड बहुत मोटा है.. अन्दर कैसे जाएगा… अब क्या हो गया?’ मैंने यूँ ही पूछ लिया।
‘ओह जानू… मुझे क्या मालूम था कि इसमें इतना मज़ा आता है… आआह्ह्ह.. अब और बर्दाश्त नहीं होता।’ रूबी अपनी कमर को उठा-उठा कर पटक रही थी।
‘हाय…. ऊऊहह.. उफफ्फ़ आहहाआहह.. अब देर मत कीजिए .. अब लण्ड घुसा कर अपनी जानू को प्यार करो।’
मैं समझ गया, लोहा गरम है इसी समय लंड पेलना ठीक रहेगा, मैंने अपने फनफनाए हुए कठोर लण्ड को उसकी चूत के छोटे से छेद पर अच्छी तरह सैट किया, उसकी टाँगों को अपने पेट से सटा कर अच्छी तरह जकड़ लिया और एक ज़ोरदार धक्का मारा।
अचानक रूबी के गले से एक तेज चीख निकली, ‘आआह… आआआः… बाप रे… ईईई… मार गई … निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है… बस करो… मुझे नहीं करवाना है…मेरी फट गई… छोड़ दीजिए मुझे अब… मेरी जान निकल रही है।’
रूबी दर्द से बेहाल होकर रोने लगी थी।
मैंने देखा मेरे लण्ड का टोपा उसकी चूत को फाड़ कर अन्दर घुस गया था और अन्दर से खून भी निकल रहा था।
रूबी को दर्द से बिलबिलाते देख कर मुझे दया तो बहुत आई, लेकिन मैंने सोचा अगर इस हालत में उसे छोड़ दूँगा तो वो दुबारा फिर कभी इसके लिए राज़ी नहीं होगी।
मैंने उसे हौसला देते हुए कहा- बस जानू.. थोड़ा और दर्द सह लो… पहली बार में थोड़ा सा दर्द तो सहना ही पड़ता है.. एक बार रास्ता खुल गया तो फिर मज़ा ही मज़ा है।
मैं रूबी को धीरज देने की कोशिश कर रहा था, मगर वो दर्द से छटपटा रही थी।
‘मैं मर जाऊँगी… प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए… बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है…प्लीज़ समीर ….निकाल लीजिए अपना लण्ड।’ रूबी ने गिड़गिड़ाते हुए अनुरोध किया लेकिन मेरे लिए ऐसा करना मुमकिन नहीं था।
रूबी दर्द से रोती बिलखती रही और मैं उसकी टाँगों को कस कर पकड़े हुए अपने लण्ड को धीरे-धीरे आगे-पीछे करता रहा।
थोड़ी-थोड़ी देर पर मैं लण्ड का दबाव थोडा बढ़ा देता था ताकि वो थोड़ा और अन्दर चला जाए।
इस तरह से रूबी तकरीबन 10 मिनट तक तड़पती रही और मैं लगातार धक्के लगाता रहा, कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि रूबी का दर्द कुछ कम हो रहा था। दर्द के साथ साथ अब उसे मज़ा भी आने लगा था क्योंकि अब वो अपने चूतड़ को बड़े ही लय-ताल में ऊपर-नीचे करने लगी थी। उसके मुँह से अब ‘कराह’ के साथ साथ ‘सिसकारी’ भी निकलने लगी थी।
मैंने पूछा- क्यों जानू… अब कैसा लग रहा है..? क्या दर्द कुछ कम हुआ..?
‘हाँ जानू.. अब थोड़ा-थोड़ा अच्छा लग रहा है.. बस धीरे-धीरे धक्के लगाते रहिए.. ज़्यादा अन्दर मत करना… बहुत दु:खता है।’ रूबी ने हाँफते हुए स्वर में कहा। वह बहुत ज़्यादा पस्त हो चुकी थी।
‘ठीक है.. तुम अब घबराना छोड़ दो.. अब चुदाई का मज़ा आएगा।’ मैं हौले-हौले धक्के लगाता रहा।
कुछ ही देर बाद रूबी की चूत गीली होकर पानी छोड़ने लगी। मेरा लण्ड भी अब कुछ आराम से अन्दर बाहर होने लगा, हर धक्के के साथ ‘फक-फक’ की आवाज़ आनी शुरू हो गई।
मुझे भी अब ज़्यादा मज़ा मिलने लगा था। रूबी भी मस्त हो कर मेरा सहयोग देने लगी थी।
अब वो बोल रही थी- अब अच्छा लग रहा है जानू.. अब मज़ा आ रहा है…ऊऊ.. ऊवू जानू… ऐसे ही करते रहिए और अन्दर… करो.. आआहह आपका लण्ड बहुत मस्त है जानू ईई…बहुत सुख दे रहा है…’ रूबी मस्ती में बड़बड़ा रही थी।
मुझे भी बहुत आराम मिल रहा था। मैंने भी रफ्तार बढ़ा दी, तेज़ी से धक्के लगाने लगा।
अब मेरा लगभग पूरा लण्ड रूबी की चूत में जा रहा था। मैं भी मस्ती के सातवें आसमान पर पहुँच गया और मेरे मुँह से मस्ती के शब्द फूटने लगे।
‘हाई … मेरी प्यारी रूबी….मेरी जान.. आज तुमने मुझ से चुदवा कर बहुत बड़ा उपकार किया है.. हाय जानू आआहह उुउऊहह.. तुम्हारी चूत बहुत तंग है… बहुत मस्त है… तुम्हारी चूचियां भी बहुत कसी-कसी हैं.. आह्ह …बहुत मज़ा आ रहा है…।’
रूबी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर मेरी मदद कर रही थी, हम दोनों मस्ती की बुलंदियों को छू रहे थे।
तभी रूबी चिल्लाई- जानू…मुझे कुछ हो रहा है…आआहह जानू.. मेरे अन्दर से कुछ निकल रहा है… ऊ ऊओह… जानू… मज़ा आ गया… ऊऊहह… उूऊउईईई… माआअँ…
रूबी अपनी कमर उठा कर मेरे पूरे लण्ड को अपनी चूत के अन्दर समा लेने की कोशिश करने लगी।
मैं समझ गया कि रूबी का चरम आ गया है, वह झड़ रही है।
मुझ से भी अब और सहना मुश्किल हो रहा था, मैं खूब तेज-तेज धक्के मार कर उसे चोदने लगा और थोड़ी ही देर में हम एक साथ स्खलित हो गए। कई दिनों से मेरा इकट्ठा ढेर सारा वीर्य रूबी की चूत में पिचकारी की तरह निकल कर भर गया। मैं उसके ऊपर लेट कर चिपक गया।
रूबी ने मुझे अपनी बाँहों में कस कर जकड़ लिया। कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही एक-दूसरे के नंगे बदन से चिपके हाँफते रहे।
जब साँसें कुछ काबू में हुईं तो रूबी ने मेरे होंठों पर एक प्यार भरा चुम्बन लेकर कहा- जानू आज आपने मुझको वो सुख दिया है.. जिसके बारे में मैं बिल्कुल अंजान थी.. अब मुझे इसी तरह रोज प्यार करना.. ठीक है ना जानू?
मैंने उसकी चूचियों को चूमते हुए जबाब दिया- आज तुम्हें चोद कर जो सुख मिला है, वो पहले कभी नहीं मिला।
बहुत देर तक हम एक-दूसरे को चूमते-चाटते और बातें करते रहे और कब नींद के आगोश में चले गए पता ही नहीं चला।
लगभग एक घंटे के बाद मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि रूबी के हाथ में मेरा लंड पूरा खड़ा है और रूबी बड़े सुकून से सो रही है।
मेरे मन में रूबी को एक बार और चोदने का ख्याल आया और मैं रूबी के सीने को सहलाने और दबाने लगा। जिससे रूबी की आँख खुल गई और मुझे देख कर हँसने लगी।
फिर रूबी ने उठ कर मेरे होंठों पर चुम्बन किया और बोली- दीदी आने वाली होंगी, अब तुम अपने बिस्तर पर जाओ।
मैंने कहा- एक बार और करने दो बहुत मन हो रहा है।
मैं रूबी के चूचुक को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और चूचुक के चारों तरफ ज़ुबान घुमा कर सहलाने लगा।
रूबी की साँसें फिर से तेज़ हो गईं और उसने मेरा लंड सहलाना शुरू कर दिया। फिर रूबी मेरे ऊपर आकर मेरे चेहरे को चूमने लगी और अपनी क़मर को मेरे लंड पर रगड़ने लगी, मैं समझ गया कि लौंडिया गरम हो चुकी है।
मैंने अपने लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और नीचे से धक्का लगाया।
एक बार में ही लंड आधा उसकी चूत में घुस गया और रूबी एकदम से चिहुंक गई और बोली- थोड़ा रूको जानू… बहुत दर्द हो रहा है।
मैं रुक गया और रूबी के मम्मों को चूसने लगा।
जब रूबी को थोड़ा आराम मिला तब मैंने ज़ोर का एक धक्का और लगाया।
मेरा पूरा लंड रूबी की चूत में घुस गया और फिर हम दोनों मस्ती में डूब गए। अबकी बार हम दोनों ने रुक-रुक कर बहुत देर तक चुदाई की, रूबी के झड़ते ही मेरा भी पानी निकल गया।
फिर हमने बिस्तर की चादर पर जहाँ रूबी की चूत से खून निकल कर गिरा था, वहाँ पर थोड़ी सी सब्ज़ी गिराई और फिर चादर बदल दी।
फिर मैं अपने बिस्तर पर जाकर सो गया और रूबी वहीं भाभी के बिस्तर पर सो गई।
यह थी मेरी सच्ची घटना, आप सभी के मेल का इंतज़ार रहेगा।
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000