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Mai Chud Gai Rishte Naate Bhul Kar-7 वो भी जब तैयार हो गए तो मैंने उनको कहा- बाकी रिश्तेदारों को खबर कर दीजिए कि उनकी बीवी की तबियत ख़राब है।
उन्होंने कहा- जरुरत क्या है, हम दोनों संभाल लेंगे।
मुझे यह उनकी चाल सी लगी पर मैंने कुछ नहीं कहा।
हम अस्पताल करीब 8 बजे गए, पर उनकी बीवी से मुझे नज़र मिलाने में बहुत शर्म सी आ रही थी।
मैं दिन भर अस्पताल में रही, रात को वापस गेस्ट-हाउस चली आई।
खाना खाने के बाद जो हल्की-फुल्की काम की बातें ही हमारे बीच हुईं, ऐसा लगने लगा कि जैसे हमारे बीच कभी कुछ हुआ ही नहीं था। मैं सोने चली गई। मुझे पहले तो लगा था कि वो मुझे फिर से सम्भोग के लिए कहेंगे पर आज मुझे उनके व्यवहार से ऐसा कुछ भी नहीं लगा। हम दोनों ही सो गए मगर आज उसी बिस्तर पर दोनों साथ थे।
करीब दो बजे मेरी नींद खुली और मैं पेशाब करने को गई तो मैंने देखा कि वो सो चुके हैं सो मैं भी सोने की कोशिश करने लगी और मेरे दिमाग में पिछले रात की तस्वीरें घूमने लगीं।
कुछ देर तो मैंने उसे अपने दिमाग से निकालने की कोशिश की, पर पता नहीं वो फिर मेरे दिमाग में घूमने लगा और मुझे अपने अन्दर फिर से वासना की आग लहकती हुई महसूस होने लगी।
मैं धीरे-धीरे पिछली रात की बातें याद करने लगी और अकस्मात् मेरे हाथ खुद बा खुद मेरी योनि को सहलाने लगे।
काफी देर सहलाने के बाद मेरी योनि पूरी तरह गीली हो चुकी थी सो मैंने उनको उठाया।
वो उठने के बाद मुझसे बोले- क्या हुआ?
मैंने उनसे बस इतना कहा- क्या आपको करना है?
वो दो पल रुके और कहा- ठीक है।
उनके कहते ही मैंने अपनी साड़ी, पेटीकोट, ब्लाउज, पैंटी और ब्रा निकाल कर नंगी हो गई। उन्होंने भी अपना पजामा और बनियान निकाल दी और नंगे हो गए।
इस समय अँधेरा था, पर बाहर से रोशनी आ रही थी, सो ज्यादातर चीजें दिख रही थीं। हम दोनों एक-दूसरे के तरफ चेहरे किये हुए बैठे थे।
मैंने हाथ बढ़ा कर उनके लिंग को पकड़ा वो अभी खड़ा नहीं था तो मुझे उसे खड़ा करना था।
मैं उनके लिंग को हाथ से पकड़ कर हिलाने लगी, कुछ देर में वो थोड़ा सख्त हुआ, पर यह योनि में घुसने के लिए काफी नहीं था।
तब मैंने उनको घुटनों के बल खड़े होने को कहा और फिर उनका लिंग अपने मुँह में भर कर चूसने लगी।
मैं एक हाथ से पकड़ कर उनके लिंग को हिलाती कभी और चूसती तो कभी उनके अन्डकोषों को सहलाती और दबाती जिससे कुछ ही देर में उनका लिंग पूरी तरह सख्त हो गया।
जब उनका लिंग पूरी तरह खड़ा हो गया तब मैंने उन्हें छोड़ दिया और लेट गई, पर उन्होंने मुझसे कहा- कुछ देर और चूसो.. मुझे अच्छा लग रहा है।
मैंने उनसे कहा- नहीं.. अब जल्दी से सम्भोग करें।
वो मुझे विनती करने लगे, तब मैंने फिर से उनके लिंग को चूसना शुरू कर दिया।
मैं एक हाथ से उनके लिंग को हिलाती और चूसती रही, दूसरे हाथ से अपनी योनि को रगड़ती रही। मेरे इस तरह के व्यवहार को देख उन्होंने भी मेरी योनि में हाथ डाल दिया और उसे रगड़ने लगे, साथ ही मेरे स्तनों को दबाने और सहलाने लगे।
मैं कुछ ही देर में गीली हो गई।
तभी उन्होंने मुझे लेटने को कहा और मेरे ऊपर चढ़ गए। मैंने भी उनको पकड़ लिया और अपनी टाँगें फैला कर उनको बीच में कर लिया। वो मेरे ऊपर पूरी तरह से झुक गए, मुझे उनका लिंग अपनी योनि के ऊपर रगड़ता हुआ महसूस होने लगा।
वो अपनी कमर को ऐसे घुमाने लगे जैसे कि वो मेरे अन्दर आने को तड़प रहे हों। मैंने भी उनको पकड़ा और अपनी ओर खींच कर अपने चूतड़ उठा दिए और घुमाने लगी।
वो मेरा इशारा समझ गए, उन्होंने मेरे होंठों से होंठों को लगाया और मुझे चूमने लगे। फिर एक हाथ से मेरे एक स्तन को दबाया और दूसरे से मेरे चूतड़ों को नीचे से पकड़ा और अपनी कमर को घुमा कर मेरी योनि के छेद को लिंग से ढूँढने लगे।
योनि का छेद मिलते ही उन्होंने कमर से दबाव दिया, लिंग थोड़ा सरक कर मेरी योनि में आधा घुस गया।
उनके लिंग को अपनी योनि में पाते ही मैंने भी अपनी कमर को नचाया और चूतड़ उठा कर लिंग को पूरा लेने का इशारा किया।
मेरा इशारा पाते ही उन्होंने जोर से धक्का दिया मैं सिसक कर कराह उठी और अपने जिस्म को ऐंठते हुए उनको कस कर पकड़ लिया। अब उनका लिंग पूरी तरह मेरी योनि के अन्दर था।
उन्होंने भी मेरे स्तनों को मसलते हुए मुझे चूमा, कुछ देर लिंग को योनि के अन्दर घुमाया, अपनी कमर को नचा कर और फिर धीरे-धीरे लिंग को अन्दर-बाहर करने लगे।
मैं भी अब उनके झटके को भूल गई और मस्ती के सागर में डूबने लगी। मैं भी उनके धक्कों के साथ अपनी कमर को हिला कर उनका साथ देने लगी।
मुझे बहुत मजा आने लगा था और मैं उनके हर हरकत का चुनौतीपूर्ण साथ देने लगी थी।
उनके धक्के लगातार जारी थे और हम दोनों एक-दूसरे की जीभ को जीभ से रगड़ रहे थे, वहीं दूसरी ओर वो कभी मेरे स्तनों को मसलते तो कभी चूतड़ों को दबाते।
मैंने भी कभी उनके पीठ को पकड़ खींचती तो कभी चूतड़ को, कभी टाँगें पूरी फैला कर हवा में उठा देती, तो कभी उनको टांगों से जकड़ लेती।
करीब 15 मिनट तक वो ऐसे ही सम्भोग करते रहे और मैं मजे लेती रही, पर कुछ देर बाद वो रुक-रुक कर धक्के देने लगे अब वो थक चुके थे।
तब उन्होंने मुझे अपने ऊपर आने को कहा और खुद पीठ के बल लेट गए। मैं भी तुरंत उठ कर उनके ऊपर चढ़ गई और लिंग को सीधा करके योनि से लगा दिया कमर से जोर दिया।
उनका मूसलनुमा लिंग मेरी योनि में समा गया। अब मैं झुक गई और अपने स्तन को उनके मुँह में दिया और उनके सर को पकड़ कर धक्के लगाने लगी।
उन्होंने भी मेरे चूतड़ों को पकड़ कर मेरे धक्कों का स्वागत शुरू कर दिया और मेरा साथ देने लगे।
वो मेरे स्तनों को किसी बेदर्द कसाई की तरह चूसने लगे और काटने लगे, मेरे चूतड़ों को मसलते हुए बीच-बीच में नीचे से एक-दो झटके दे देते। मैं उनके ऐसे व्यवहार से तड़प सी गई और मैं पूरे जोश में धक्के देने लगी, मेरी योनि बुरी तरह से रसीली और चिपचिपी होने लगी थी।
करीब 20 मिनट मैं ऐसे ही धक्के लगाती रही और मेरे जांघें अब जवाब देने लगी थी कि अचानक मेरी सांस एक पल के लिए जैसे रुक गई हो।
मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं ये नहीं चाहती हूँ पर मैं उसे रोक भी नहीं सकती, मेरे नितम्ब आपस में जुड़ से गए थे। मेरी योनि सिकुड़ कर आपस में चिपकने को होने लगी।
मैं ना चाहते हुए भी झटके देने लगी और मैंने पानी छोड़ दिया।
मैं आखरी बूंद गिरने तक झटके देती रही, जब तक मैंने पूरा पानी नहीं छोड़ दिया, तब तक शुरू में थोड़े जोरदार, फिर धीरे-धीरे उनकी गति भी धीमी होती चली गई। मैं पूरी तरह स्खलित होने के बाद उनके ऊपर लेट गई और खामोश सी लेट गई, मेरे इस तरह के व्यवहार को देख कर उन्होंने मुझे पकड़ कर पलट दिया।
अब मैं उनके नीचे थी और वो मेरे ऊपर चढ़ गए थे और लिंग अभी भी मेरी योनि के अन्दर था।
उन्होंने पहले मुझे और खुद को हिला-डुला कर एक सही स्थान पर टिकाया और फिर उनके धक्के शुरू हो गए।
मैं पहले ही झड़ चुकी थी सो मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था, पर मैं ख़ामोशी से उनके धक्के बर्दास्त कर रही थी क्योंकि मेरा अब ये फ़र्ज़ था कि उनको चरम सीमा तक पहुँचने में मदद करूँ।
सो चुपचाप यूँ ही लेटी हुई उनका साथ दे रही थी।
करीब 5-7 मिनट के सम्भोग के बाद उनके धक्के तीव्र हो गए और उन धक्कों में काफी ताकत थी। जिसे मैं हर धक्के पर एक मादक कराह निकालने पर मजबूर हो जाती थी।
फिर अंत में 10-12 नाकाबिले-बर्दाश्त धक्कों के साथ वो झड़ गए।
मैं उनका गर्म वीर्य अपनी योनि की गहराईयों में महसूस किया जो मेरे लिए आनन्द दायक था। उनका लिंग पूरा रस छोड़ने तक वो मेरे ऊपर ही लेटे हुए मेरे गालों और गले को चूमते रहे और जब पूरा स्खलन समाप्त हुआ तो मेरे सीने पर सर रख सुस्ताने लगे।
जब हम दोनों थोड़े सामान्य हुए तो मैंने उन्हें हल्के से धक्का दिया और वो मेरे ऊपर से हट कर बगल में लेट गए और हम दोनों सो गए।
अगली सुबह उनकी पत्नी को आराम करने को कहा गया और हम दोनों फिर से उसी गेस्ट हाउस में ठहरे और इस रात भी मैंने ही न जाने क्यों उनको सम्भोग के लिए कहा, ये आज तक मेरे लिए रहस्य ही है।
उसके ठीक अगले दिन हम उनकी पत्नी को अस्पताल से घर ले आए।
मैं उनके आने के बाद भी 3-4 बार मैंने उनके साथ सम्भोग किया, इस बीच मैंने उन्हें अपनी योनि चाटने के लिए भी एक दिन उत्तेजित कर दिया था।
हालांकि उन्हें इस कला में कोई तजुर्बा नहीं था, पर मुझे फिर भी अच्छा लगा क्योंकि मेरी योनि इतने में गीली हो गई थी फिर हमने सम्भोग भी किया।
उनकी पत्नी की तबियत कुछ सामान्य होने के बाद मैं वापस अपने घर चली आई।
आपको मेरा यह अनुभव कैसा लगा मुझे जरूर बताइए।
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