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अन्तर्वासना के प्रबुद्ध पाठको, यह मेरी पहली कहानी है। उम्मीद करता हूँ आप इसे पसंद करेंगे। आप इसे कहानी ही समझें पर मेरे लिए यह प्रेम गाथा है, मेरी ज़िंदगी की पहली लव-स्टोरी।
मेरा नाम शेखर है, उम्र 23 साल है। आज से चार साल पहले की बात है, उस वक़्त मैं 12वीं पास कर चुका था और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था यानि की एक साल का ‘ड्रॉप-आउट’ था।
मेरा एक दोस्त जो कि मेरा स्कूल का साथी था, उसने साल 2008 में ही पुणे के एक प्रसिद्ध कॉलेज में दाखिला ले लिया था।
मेरा पहला प्यार मुझे मेरे इसी दोस्त की वजह से ही मिला था। हुआ यूँ कि ये मेरा दोस्त पहले सेमेस्टर के बाद अपने घर ग्वालियर आया हुआ था, मैं भी उस वक़्त वहीं आया हुआ था।
हम शुरू से ही काफ़ी अच्छे दोस्त रहे हैं। उस दिन 31 दिसम्बर की रात थी और हम आपस में गप्पें लड़ा रहे थे।
मैं उससे उसके कॉलेज के बारे में पूछ रहा था। जाहिर है लड़कियों की बात तो निकलनी ही थी।
मैंने उससे पूछा- कॉलेज में कोई गर्लफ्रेण्ड बनाई है क्या?
उसने कहा- नहीं.. अभी कोई मिली नहीं वैसी।
मैंने मज़ाक में ही कहा- फिर मुझे कोई दिला दे अपने कॉलेज वाली।
उसने भी मज़ाक में ही अपने कॉलेज की एक लड़की का नम्बर दे दिया। उस लड़की का नाम अनामिका घोष था।
स्कूल के दिनों से ही मैं लड़कियों से काफ़ी संकोच महसूस करता था। मैंने कभी किसी लड़की से ज़्यादा बात नहीं की थी तो मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इससे कैसे बात करूँ।
फिर भी मैंने सोचा कि चलो कोशिश करते हैं।
अगले दिन ही नए साल का पहला दिन था, तो मैंने अनामिका से हैप्पी न्यू इयर के मैसेज से शुरुआत की, हालाँकि मैं कॉल करना चाहता था पर हिम्मत नहीं हुई।
पहला मैसेज भी मैंने अपने दोस्त के नम्बर से ही किया।
फिर मैंने उसको अपने लोकल नम्बर से मैसेज करना शुरू किया, वो भी दोस्त के ही नाम से।
उसने भी मुझे अपने कॉलेज का जान कर जबाब दिया।
फिर सामान्य बातें शुरू हुई जैसे नए साल पर क्या कर रही हो, इस नए साल में क्या करने वाली हो वग़ैरह-वग़ैरह।
अभी तक मैंने उसे कॉल नहीं किया था क्योंकि एक तो आवाज़ पकड़े जाने की डर था, दूसरे मेरे पास ज़्यादा बैलेन्स नहीं था।
करीब 12 बजे रात तक मैसेज के द्वारा हमारी बात होती रही, ना मैंने कॉल किया ना ही उसने।
12 बजे के बाद बस नए साल वाला एक ही मैसेज किया क्योंकि आपको भी मालूम होगा उन दिनों एक जनवरी को फ़ोन की पुराने महीने की दरें काम नहीं करती थीं।
उसके बाद मैं और लोगों को बधाइयाँ देने में लग गया।
अगले दिन दो बजे के बाद मैंने एक मैसेज किया- क्या कर रही हो?
कुछ घंटों के बाद जबाब आया- कुछ ख़ास नहीं!
उसका घर वैसे कोलकाता में था, पर वो पुणे में ही किसी रिश्तेदार के पास रुकी हुई थी इसीलिए शायद वो बोर हो रही थी।
फिर शाम को मैंने अपने डैडी के मोबाइल से उसे कॉल किया वो भी दोस्त के नाम से ही।
वो मुझे नहीं पहचान पाई शायद उसने मेरे दोस्त से ज़्यादा बात नहीं की होगी इसलिए आवाज को नहीं समझ पाई।
थोड़ी देर की इधर-उधर की बात करने के बाद मैंने उसे अपना असली नाम बताया और कहा- दरअसल मैं आपका गाना सुनना चाहता था क्योंकि मेरे दोस्त ने बताया कि आप बहुत अच्छा गाती हैं।
यह बात सच भी थी, मेरे दोस्त ने मुझे पहले ही उसके बारे में कुछ ऐसा बताया था। वैसे दोस्तो, नाम से ही आपको मालूम हो गया होगा कि वो बंगाली थी और बंगालियों को गाना तो बचपन से ही सिखाया जाता है।
इस तरह हमारी बात आगे बढ़ी, शायद मेरा अपने बारे में सच बताना उसे अच्छा लगा।
उसी रात हमारी बात कम से कम 1.30 घंटे चली।
एक जनवरी होने के कारण फ़ोन बार-बार कट रहा था, फिर भी उसने मुझे गाना सुनाया। वाकयी उसकी आवाज़ अच्छी थी।
मैंने भी उसके लिए एक गाना गाया- चुरा लिया है तुमने जो दिल को…
इस तरह हमारी दोस्ती हो गई।
अगले 5 दिन में ही हमारी बहुत ज्यादा बात होने लगी। उससे और ज्यादा बात करने के लिए मैंने उसे रिलायंस सैट लेने को कहा।
मुझे याद है उस समय रिलायंस में अनलिमिटेड ‘काल-फ्री’ 999 के पैक में मिलता था।
खैर मैंने भी एक रिलायंस सैट ले लिया। फिर क्या हम दिन-रात फ़ोन पर ऑनलाइन रहते थे। दोस्तो, मुझे मालूम है आप लोगों में ये बहुतों के साथ हुआ होगा।
अगले 20 दिन ऐसा ही बात चलता रहा।
न मैंने उसे देखा था न ही उसने मुझे, हालाँकि मुझे मालूम था कि वो थोड़ी सांवली है लेकिन खूबसूरत है, जैसा कि मेरे दोस्त ने मुझे बताया था।
मैंने अभी तक उससे अपने दिल की बात नहीं कही थी। हालाँकि हम दोनों को दिल से मालूम था कि हम लोग क्या सोचते हैं, क्योंकि हमारी बातों से लगता था कि हम दोनों के विचार और सोच आपस में बहुत मेल खाते हैं।
दोस्तो, यह प्यार तो ऐसी चीज़ है कि अगर इकरार की पूरी उम्मीद हो फिर भी दिल कहने को डरता है।
25 जनवरी को बातों ही बातों में मैंने उससे पूछा- तुम सारा दिन मुझसे बात करती हो, क्या तुम्हारे दोस्त कुछ नहीं कहते?
उसने थोड़े गुस्से से कहा- तुम्हें क्या पता वो क्या कहते हैं, तुम्हें इससे क्या फर्क पड़ता है कि वो क्या कह रहे हैं?
मैंने कहा- प्लीज बताओ.. वो क्या कह रहे हैं।
उसने बताया- वो हमेशा यही पूछते हैं कि तुम्हारा ये कैसा दोस्त है कि तुम इससे दिन-रात बात करती हो और दोस्तों के साथ ऐसा क्यों नहीं करती हो।
मैं- अनामिका, तुम क्या चाहती हो?
‘मैं नहीं जानती।’
फिर थोड़ी देर खामोशी।
मैंने थोड़ा हकलाते हुए कहा- अनामिका ‘आई लव यू…!’ डू यू लव मी?
उसने पूछा- क्या??
मैंने फिर से थोड़ा जोर से कहा- अनामिका डू यू लव मी? आई लव यू।
‘यस यस यस यस…!!!’ उसने इतनी खुशी से कहा, जैसे वो इन लम्हों का कब से इंतज़ार कर रही थी।
उस पूरी रात हम सो नहीं पाए जैसे कि हमारी सुहागरात हो।
इस दिन से ही हम थोड़ी रोमांटिक बातें करने लगे।
इस दिन मैंने जाना कि फ़ोन पर कैसे चुम्बन लेते हैं और देते हैं।
इसके बाद तो जैसे हम दोनों की दुनिया ही अलग हो गई।
अगले हफ्ते में मैंने उससे अपने फोटो मेल करने को कहा।
जब मैंने उसकी तस्वीरें देखीं तो मैं उसका और भी दीवाना हो गया। उसकी खूबसूरती बिपाशा बासु की तरह थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मैंने उसे अपने फोटो नहीं भेजे थे, फिर भी वो मिलने को बेताब थी, मैं तो था ही। अब तो हम बस मिलने की सोचने लगे।
इस बीच हम फ़ोन पर कुछ खुली बातें करने लगे थे। मैंने जाना कि वो कुँवारी है मैं भी कुँवारा था। पहली बार जब मैंने खुली बातें कीं तो वो बहुत गरम हो गई।
उस दिन वो कुछ भी ठीक से नहीं कर पाई। उसने मुझे अगली बार ऐसा ना करने को कहा। लेकिन दोस्तों किसी लड़की से पहली बार दोस्ती करना एक ऐसा नशा है जो जब तक तन और मन दोनों तक न पहुँचे.. सुकून नहीं मिलता। अब तन को सुकून देना तो फ़ोन पर संभव नहीं था। हम और बेताब होते चले गए। कहानी जारी रहेगी। आपके विचारों का स्वागत है।
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