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फारूख खान रणजीत ने अपनी हाथ आगे कर के बटनों को खोल दिया और उसके शरीर से सूट को अलग कर दिया।
रानी ने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी और काले रंग की पैन्टी थी क्योंकि रणजीत ने एक झटके में ही पज़ामा भी उतार दिया था।
अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में ही रह गई थी।
रानी- मुझे नहाना है.. गर्मी बहुत है।
रणजीत- तुम्हारी मर्ज़ी.. जाओ नहा लो।
रानी- लेकिन में पहनूँगी क्या?
रणजीत- पहनने की ज़रूरत क्या है? मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो जाना और वैसे भी तुम चुदते समय बिल्कुल नंगी ही रहोगी।
दोनों मुस्कुरा दिए।
रानी- आप भी चलो ना बाथरूम में।
रणजीत- ठीक है चलो.. पर मैं नहाऊँगा नहीं.. तुम्हें नहलाऊँगा।
रणजीत ने रानी के बचे-खुचे ब्रा और पैन्टी भी उतार दिए और रानी ने गुसलखाने में जाकर नहाने के टब में बैठ गई।
पीछे-पीछे रणजीत भी अपना लौड़ा हिलाता हुआ आ गया। रणजीत टब के बाहर खड़ा हो गया। उसने इशारा किया तो रानी ने रणजीत का लौड़ा अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगी।
रणजीत की आँखों में वासना का खुमार चढ़ चुका था। रानी लगातार अपनी निगाहें रणजीत की आँखों में डाल कर देखे जा रही थी। दोनों एक-दूसरे को खा जाने वाली निगाहों से देखते रहे और तभी रानी ने अपना मुँह खोला और रणजीत ने अपना लौड़ा उसके मुँह की तरफ बढ़ा दिया।
रानी ने जीभ निकाल कर सुपारे को चाटा और फिर होंठों के बीच लौड़े को दबा लिया।
कुछ देर तक धीरे-धीरे चूसने के बाद उसने रणजीत के लौड़े को अपने गले तक अन्दर लेना शुरू कर दिया।
रानी अब घुटनों के बल बैठ कर पूरी मस्ती से लौड़े को चचोर रही थी। रणजीत भी अपने लंड को रानी के मुँह में तेजी से अन्दर-बाहर कर रहा था।
रानी ने अपने हाथों से रणजीत के लवड़े की मालिश शुरू कर दी थी। रणजीत भी अपने दोनों हाथों से उसके अभी ताजे-ताजे जवान हुए संतरों को मसल रहा था। वासना का तूफ़ान बढ़ने लगा।
तभी रणजीत ने अपनी बलिष्ठ भुजाओं में रानी को उठा लिया और उसको अपने कन्धे पर इस तरह से बिठा लिया लिया कि रानी की गुलाबी अनछुई चूत रणजीत के मुँह से लग गई और रणजीत ने बिना देरी किए अपनी जुबान उसकी चूत पर फेरना शुरू कर दी।
अब रानी की चूत ने फड़कना शुरू कर दिया था। अभी कुछ ही सेकंड चूत की चुसाई हुई होगी कि रानी का पानी छूट गया और रणजीत ने उस सुगन्धित रस को अपनी जुबान से चाट लिया।
रानी की ऑंखें बोझिल हो गई थीं, उसने रणजीत से कहा- मुझे बिस्तर पर ले चलो।
रणजीत उसको उसी अवस्था में लेकर बिस्तर तक आया और उसको बिस्तर पर चित्त लिटा दिया। अब रानी की सील टूटने की तैयारी थी।
रणजीत ने अपने लौड़े पर क्रीम लगाई और रानी की चूत में अन्दर तक क्रीम लगा दी। रानी की चूत में जब रणजीत की ऊँगलियां क्रीम लगा रही थीं, तब ही उसकी चूत दुबारा से फड़कने लगी थी और अब वो फिर से चुदासी हो गई थी।
रणजीत ने एक बार रानी से पूछा- रेडी?
रानी ने थोड़ा सा डरते हुए कहा- डार्लिंग.. तुम्हारा बहुत बड़ा है जरा आहिस्ता से करना..!
रणजीत ने जबाब में हल्का सा मुस्कुरा कर सिर हिलाते हुए उसको आश्वस्त किया कि चिंता की कोई बात नहीं है।
रणजीत ने अपने सुपारे को मुठियाते हुए चूत के मुहाने पर रखा और फिर अपने होंठों से रानी के होंठों को चूसना शुरू किया।
रानी को लगभग दो-तीन मिनट तक इतना चूसा कि वो लंड का डर भूल गई और तभी रणजीत ने एक ठाप लगा कर अपना लौड़ा रानी की चूत में पेल दिया।
रानी अचानक हुए इस हमले को झेल नहीं पाई और उसके हलक से एक घुटी हुई चीख ही निकल पाई क्योंकि उसके होंठों पर रणजीत ने अपने होंठों का ढक्कन लगा रखा था।
रणजीत पुराना खिलाड़ी था सो उसने अपने लौड़े को और अन्दर जाने से रोक कर रानी के मस्त बोबों को सहलाते हुए उसके चूचुकों को उमेठना शुरू कर दिया और लगातार उसके होंठों को चूसता रहा।
अभी एक मिनट भी नही बीता होगा कि रानी कुछ सम्भल गई, तभी रणजीत ने अपना लौड़ा एकदम से बाहर खींचा और तगड़ा शॉट मार कर रानी की सील तोड़ दी।
अबकी बार के प्रहार ने रानी चूत से खून निकाल दिया था और रक्त की एक पतली सी धार चूत से निकल कर बिस्तर को रंगने लगी थी। रानी की छटपटाहट चरम पर थी।
मगर सील तोड़ने वाला रणजीत जैसा अनुभवी चोदू हो तो फिर डर कैसा।
कुछ ही पलों में सब कुछ सामान्य हो गया और रणजीत ने लौड़े को गतिमान कर दिया। कुछ ही धक्कों के बाद रानी भी सामान्य हो चली थी और अपने दोनों हाथों से बिस्तर की चादर को पकड़े हुए रणजीत के लौड़े की चोटें झेल रही थी।
लगभग 20 मिनट की जबदस्त चुदाई के बाद रणजीत के शरीर में अकड़न हुई और उसने रानी की तरफ देखा तो रानी, जोकि अब तक दो बार अपना पानी छोड़ चुकी थी आँखें मूँदें हमले झेल रही थी।
रणजीत ने उससे पूछा- पानी पिलाऊँ?
रानी ने आँखें खोले बगैर कहा- हाँ।
रणजीत ने आठ-दस चोटें और मारी और अपना पानी रानी की चूत में छोड़ दिया और उसी के दोनों तरफ अपनी कुहनियाँ टिका कर लेट गया।
जब रणजीत का लौड़ा रुक-रुक कर वीर्य छोड़ रहा था तो रानी को बहुत मजा आ रहा था। उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी चूत की कोई गरम पानी से सिकाई कर रहा हो।
कुछ देर बाद रणजीत उठा और चूंकि उसे मालूम था कि रानी अभी नहीं उठ पाएगी तो उसने रानी को अपनी गोद में उठाया और चूमता हुआ बाथरूम में ले गया। रानी को यह बहुत ही अच्छा लगा और वो अपना सारा दर्द भूल गई।
गुसलखाने में उसको नहाने के टब में लिटा दिया और गीजर चालू करके मिक्सर से हल्का गुनगुना पानी चालू कर दिया और रानी की चूत की सिकाई होने लगी।
फिर रणजीत ने रानी को एक दर्द निवारक गोली दी जिसे उसने खा ली।
तभी रणजीत का मोबाइल बज उठा।
कहानी जारी रहेगी। आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा।
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