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दोस्तो, मैं अरुण आपका दोस्त, इस बार कहानी की जगह अन्तर्वासना की पाठिकाओं के लिए कुछ सुझाव और जानकारी वाला एक लेख प्रस्तुत कर रहा हूँ कि लड़कियाँ सुरक्षित हस्तमैथुन कैसे करें कि यह सुरक्षित भी और आनंददायी भी हो।
अब वो ज़माना गया जब की लड़के लड़कियों के लिए हस्तमैथुन को वर्जित और गंदी आदत माना जाता था, अब यह स्वयं की यौन-संतुष्टि का एक बहुत ही अच्छा एवम् सुरक्षित तरीका माना जाता है।
आप लोग सोच रहे होंगे कि मैं ‘लड़कियाँ सुरक्षित हस्तमैथुन कैसे करें?’ इस बात का जिक्र ही इस लेख में क्यूँ कर रहा हूँ, लड़कों के लिए क्यूँ नहीं, तो दोस्तो, लड़कों के लिए इस लिए नहीं कि लड़कों का लिंग बाहर की ओर निकला हुआ होता है, जिसे हाथ से सहला कर, मसल कर लड़के संतुष्ट होते हैं लेकिन लड़कियों की योनि बदन के अन्दर खुली होती है, एवम् इसकी संरचना भी जटिल होती है, यहाँ इन्फेक्शन की संभावना हो सकती है।
मेरा मकसद आप लड़कियों एवं महिलाओं को हस्तमैथुन से डराना या इस काम से रोकने का नहीं है बल्कि यह बताना है कि सुरक्षित हस्तमैथुन कैसे करें?
तो सबसे पहले तो मैं इस क्रिया को लेकर प्रचलित कुछ भ्रांतियों को दूर करना चाहता हूँ। इससे पाठिकाएँ खुद को तनावमुक्त महसूस करेंगी।
पहली बात- हस्त-मैथुन कोई पाप नहीं है, और इसकी इच्छा का होना ना होना आपके बस में नहीं है, यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो की उम्र के साथ हार्मोन्स की वजह से विकसित होती है एवम् एक उम्र बाद यौन उत्तेजना आना भी मासिक धर्म की तरह से ही है और यह नारीत्व की पहचान है।
दूसरी बात- यौनावस्था आने के बाद इसे कभी भी किया जा सकता है, मेरा मतलब कि यह सिर्फ अविवाहित या सेक्स से वंचित लड़कियों के लिए ही नहीं है, शादीशुदा महिलायें भी इसे किसी भी उम्र तक कर सकती है, एवम् इसे करने को लेकर कोई ग्लानि महसूस न करें, क्योंकि सहवास का अपना अलग मज़ा है और हस्त मैथुन का अलग ! बहुत से विवाहित पुरुष भी हस्तमैथुन करते हैं, और अपनी पत्नी के हाथ से भी हस्त-मैथुन का आनन्द लेते हैं।
तीसरी बात- ऐसा जरूरी भी नहीं है कि जो लड़कियाँ या महिलायें हस्तमैथुन नहीं करती, वे यह सोचें कि हम में ऐसी क्या कमी है जो हमें हस्तमैथुन की इच्छा ही नहीं होती क्योंकि जैसा मैंने ऊपर बताया कि यह सेक्स हार्मोन्स पर ही निर्भर करता है।
अब मैं इस बात पर आता हूँ कि इसे सुरक्षित तरीके से किया जाए।
यहाँ मैं तकनीकी शब्दों जैसे कि क्लाइटोरिस, वुलवा आदि का प्रयोग करने के बजाये आम बोलचाल के शब्दों का ही प्रयोग करूँगा।
नारी की इस अद्भुत रचना यानि उसकी योनि जिससे समूची सृष्टि चल रही है, उसे खुद कुदरत ने कितना महफ़ूज़ और सुरक्षित बनाया है क्योंकि सृष्टि के आरम्भ में नर-नारी सम्पूर्ण नग्नावस्था में रहा करते थे, नारी योनि की सुरक्षा का पूरा पूरा इंतज़ाम था, जैसे योनि की रचना में सबसे ऊपर की तरफ जो दाने के आकर की रचना होती है, यही मुख्य उत्तेजना का केंद्र होती है, जिसके ऊपर एक छोटा आवरण उसके नीचे मूत्र छिद्र फिर योनि द्वार जो की पंखुड़ियों के जैसे छोटे एवं पतले अंदरुनी होंठ समान रचना से बंद रहता है। एवम् ये सब भी ऊपर से दो मांसल, बड़े बाहरी होंठों से बंद रहता है। यहीं तक नही, इसके बाद भी योनि का ये समूचा क्षेत्र घने बालों से आच्छादित रहता है। अब जब नारी अंडरवियर एवं अन्य कपड़े पहनने लगी है तो वो बाल भी साफ़ करा लेती हैं, लेकिन कुदरत ने इन्हें योनि की सुरक्षा के लिए ही प्रदान किया था।
सखियो, एक बात शाश्वत सत्य है कि सबसे ज्यादा उत्तेजना त्वचा से त्वचा के स्पर्श से ही जागृत होती है, इसलिए हस्तमैथुन के लिए आपका हाथ और उंगलियाँ ही सर्वश्रेष्ठ साधन है, ये आनन्ददायी भी है।
घुटने से ऊपर पूरी जांघ वाला योनि तक पहुंचता हुआ हिस्सा एवं पेट में नाभि से नीचे योनि तक का हिस्सा कामुक उत्तेजना देता है, इसलिए हस्तमैथुन की शुरुआत सीधे चूत में उंगली फिराने के बजाये यहाँ से शुरू करनी चाहिए।
हस्तमैथुन एकान्त में सुरक्षित स्थान में करना चाहिए जब किसी के आने का डर ना हो, किसी के द्वारा देखे जाने का डर न हो क्योंकि इस काम के लिए आपका दिल और दिमाग डर रहित ही होने चाहिएँ।
अपने हाथों को साबुन से अच्छे से साफ़ कर लें, नाख़ून ज्यादा बड़े और तीखे न हो तो ज्यादा अच्छा रहता है क्योंकि हस्तमैथुन की चरमावस्था में होश नहीं रहता और बहुत ज़ोर ज़ोर से चूत को रगड़ने से यदि नाख़ून बहुत ज्यादा बढ़े हुए हों तो घाव हो सकता है।
दोनों जांघों के बीच की योनि को मिलाने वाली त्वचा बहुत ही पतली एवं संवेदन शील होती है, यहाँ किया जाने वाला स्पर्श भी यौनसुख देता है, लेकिन यदि पैर चौड़े नहीं किये जाए तो यह जगह हमेशा बंद और भिंची हुई रहती है और यहाँ गर्मियों में बहुत ज्यादा पसीना आता है और इन्फेक्शन हो जाता है, इसलिए इस जगह को रोज़ साबुन से जरूर साफ़ करना चाहिए और हस्तमैथुन करते समय अपने पैरों को यथासम्भव चौड़ा कर के फैला के रखना चाहिए, जिससे इस जगह को थोड़ी हवा भी मिले।
योनि के ऊपरी हिस्से में जो उभरा हुआ दाना सा होता है, यही नारी शरीर का सबसे ज्यादा उत्तेजना देने वाला बिंदु होता है, यह एक दाने की आकृति की रचना होती है जिसे भग्न, भग्नास, भग्नासा क्लिटोरिस एवं हस्त मैथुन के दौरान इसे मसलना, रगड़ना, दबाना और खीचना किया जाता है और ये ही परम यौन सुख देता है, योनि के अंदर गहराई तक उंगली डालने की कोई आवश्यकता नहीं होती और यह सही भी नहीं होता, ऐसा करने से बचना चाहिए।
लेकिन फिर भी बहुत लड़कियाँ ऐसा करती हैं, इससे अविवाहित लड़कियों की हायमन यानि योनि-झिल्ली कट सकती है और रक्तस्राव हो सकता है, लेकिन यदि ऐसा हो भी जाए तो घबराने की जरूरत नहीं है, यह झिल्ली वैसे भी खेल-कूद, सायक्लिंग, दौड़ने भागने में टूट जाती है। और अब यह सब जानते हैं कि झिल्ली का बरकरार रहना कोई कौमार्य की निशानी नहीं है।
अब मैं उस मुख्य बात की ओर आता हूँ कि बहुत सी लड़कियाँ अपनी योनि में बहुत सी दूसरी चीज़ें घुसा लेती हैं जैसे खीरा, बैंगन, केला या मोमबत्ती या इसी तरह की कोई गोल या लम्बी वस्तु, ऐसा करना बिल्कुल भी सुरक्षित या सही नहीं है, ऐसा करने से बचना चाहिए, हस्थमैथुन के लिए उंगली या हाथ से ज्यादा अच्छा और सुरक्षित साधन कुछ नहीं है।
अब आजकल ब्लू फिल्में देखना आम बात है, उसमें हस्तमैथुन के लिए तरह तरह के सेक्स खिलौने का इस्तेमाल दिखाया जाता है जिसे उसे करते समय लड़कियों को बहुत ज्यादा चिल्लाते और उछलते हुए दिखाया जाता है, तो सखियों मैं आपको बता दूँ कि वो सब बनावटी और नकली होता है, और सेक्स टॉयज का इस्तेमाल भी सुरक्षित नहीं कहा जा सकता। हो सकता है कि ये चीजें ज्यादा आनन्द दें लेकिन ये धीरे धीरे आपको स्वाभाविक और प्राकृतिक सेक्स से दूर ले जाएगा।
चूत में बहुत ज्यादा मोटी और बहुत ज्यादा लम्बी वस्तुएँ घुसाने का मतलब यह कतई नहीं है कि आपको ज्यादा मज़ा आएगा क्योंकि इस आदत का कोई अंत नहीं है, धीरे धीरे घुसाने वाली चीज़ों की संख्या और उनका आकार बढ़ता ही जाएगा।
ब्लू फिल्म्स में जैसे दिखाया जाता है कि सारी उंगलियां, पूरा हाथ, यहाँ तक की शराब की बोतल तक घुसाई हुई दिखाई जाती है, ये सब अप्राकृतिक है, इस आदत का अंत सही नहीं होता।
मुझे पता है कि फिर भी बहुत सी लड़कियाँ छोटी मोटी चीज़ें चूत में डालती हैं तो उनके लिए सलाह है कि योनि में डाली जाने वाली चीज़ें पूरी तरह साबुन से साफ़ कर के और यदि सम्भव हो तो उन पर कंडोम चढ़ा कर ही घुसायें।
और यदि योनि में कुछ भी परेशानी, खुजली, पेशाब में जलन या बार बार आने, लाल लाल दाने हो जाना या और कुछ असामान्य महसूस हो तो तुरंत किसी लेडी डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
मुझे पता है कि बहुत सी लड़कियों या महिलाओं को मेरे इस लेख को लेकर कोई सवाल या आपत्ति हो सकती है, वे मुझे मेल करके अपनी शंका का समाधान कर सकती हैं।
हाँ एक बात और, मैं अपना अगला लेख लड़कियों और महिलाओं को अपने पुरुष पार्टनर की यौन क्षमता, असामान्य व्यवहार, शीघ्र-पतन या ऐसी ही कोई और समझने वाली बात पर लिखूंगा, यदि आपके साथ ऐसा कुछ हो रहा तो कृपया मुझे मेल करें।
मेरे आज के इस पूरे लेख का सार यही है कि ‘हस्थमैथुन के लिए उंगली या हाथ से ज्यादा अच्छा और सुरक्षित साधन कुछ नहीं है!’ आपका दोस्त अरुण
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