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फारूख खान यह सुनते ही रणजीत खुश हो गया, आज उसे एक नया माल चोदने के लिए मिल रहा था।
उसने अगले चौराहे से गाड़ी घुमाई और एक सस्ते से होटल में आ गया। साथ में कुछ खाने के लिए भी ले लिया।
होटल राज में आकर रिसेप्सनिस्ट को अपना आई-कार्ड दिखाया और एक कमरा बुक कर लिया।
एडवान्स में रिसेप्सनिस्ट को 500/- नगद दिए और फिर दोनों कमरे में चले गए।
कमरे में आते ही रणजीत ने सीमा को बाँहों में ले लिया और उसे चूमने लगा- तुम एकदम निर्भय रहो, यहाँ कुछ नहीं होगा। पहले कुछ खाना खाते हैं।
और रणजीत ने इंटरकॉम पर कॉल किया एक नेपाली वेटर आया।
उसने कहा- एक स्कॉच और दो प्लेट लेकर आओ और 200 रूपये उसे दिए।
वेटर चला गया, थोड़ी देर बाद वो सामान ले कर आया।
सीमा बाथरूम में नहाने चली गई और रणजीत ने दरवाजा खोल कर सारा सामान अन्दर लगवा दिया।
स्कॉच की बोतल खोल दी और एक गिलास में डाल कर पीने लगा।
सीमा भी एक तौलिया लपेट कर आ गई।
वो आते ही अपनी जीन्स उठाने लगी, तो रणजीत ने मना कर दिया।
‘कोई ज़रूरत नहीं है.. तुम ऐसे ही खूबसूरत लग रही हो… लो खाओ..’
और उसे एक हाथ से खींच कर अपनी जाँघों पर बिठा लिया और एक चुम्बन करने के बाद कहा- तुम शराब पीती हो?
उसने ‘नहीं’ कहा।
‘कोई बात नहीं.. थोड़ी टेस्ट करो तो सही।’
सीमा ने फिर मना किया- जी मैं शराब नहीं पीती, पर आपको रोकूँगी भी नहीं बल्कि मैं आपको अपने हाथों से पिलाऊँगी।
सीमा ने एक गिलास उठा कर उसके होंठों पर लगा दिया और सीमा एक चुम्मी रणजीत के गालों पर देते हुए शराब पिलाने लगी। जब शराब खत्म हुई तो रणजीत ने अपने होंठ सीमा के होंठों पर रख दिए और चूसने लगा।
सीमा को अब शराब की गन्ध आने लगी जो उसका दम निकालने लगी, किसी तरह अपने आपको छुड़ाया- जी.. मुझे आपकी शराब की बू आ रही है.. मुझे उल्टी हो जाएगी.. प्लीज़ चुम्बन ना करें।
रणजीत भी स्थिति को समझ गया- ठीक है, लो मैं भी नहीं पियूँगा।
सीमा खुश हो गई।
अब दोनों खाना खाने लगे। सीमा ने एक कौर रणजीत को खिलाया और रणजीत ने उसी कौर को उसे खिलाया।
ऐसे चलते-चलते दोनों की चुदाई का दौर शुरू हो गया।
रणजीत ने उसके तौलिया को खींच कर दूर फेंक दिया और खुद भी एकदम नंगा हो गया।
एक हाथ से अपने लंड को सहलाते हुए वो सीमा की तरफ बढ़ा।
‘कम ऑन डार्लिंग..।’
सीमा अपनी चूत को छुपा रही थी पर वो रणजीत के लंड को ज़रूर देख रही थी।
रणजीत ने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया और बिस्तर पर पटक दिया, उसके ऊपर चढ़ गया, पहले उसने उसकी चूत को चूमा फिर चाटा और फिर ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।
चूत की चुसाई की वजह से सीमा धनुष जैसी बन गई.. उसे भी बहुत मज़ा आने लगा।
अब दोनों 69 की अवस्था में आ गए।
सीमा ने जम कर चुंबनों की वर्षा कर दी, रणजीत का लंड एकदम बांस बन गया था।
इतनी चूतों की चुदाई के बाद भी उसका लंड एकदम खड़ा था, जिसे सीमा भी गौर से देख रही थी।
वो सोच रही थी कि ऐसा तो पवन का भी नहीं था, जो मुझे यहाँ लाया था तो इसका ऐसा क्यों है।
पर जब उसे पुलिस का ख्याल आया तो खामोश हो गई, शायद पुलिस वालों का ही ऐसा होता होगा।
उसने आगे बढ़ कर लंड के सुपारे को किस किया और फिर हल्का सा मुँह खोल कर चाटने लगी। उसे लंड का टेस्ट बहुत अच्छा लग रहा था, सबसे अच्छी तो लंड की मादक गन्ध लग रही थी।
रणजीत के मुँह के सामने सीमा की चूत आ रही थी।
रणजीत ने अपनी जीभ को बाहर निकाला और उसकी भगनास को चाटने लगा।
भगनास का स्वाद उसे बहुत अच्छा लगा, अब उसका नशा उतर चुका था और मज़े ले-ले कर उसकी चूत को चाटने लगा।
वो सारी चूत को अपने जीभ से घुमा-घुमा कर चाटने लगा।
कभी-कभी जीभ की नोक को चूत के अन्दर तक डालता था तो सीमा कराह उठती थी।
अब सीमा भी दिल खोल कर मज़े लूट रही थी, उसने पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और इधर रणजीत एक ऊँगली को उसकी चूत के छेद में डाल दिया और जीभ को गाण्ड के छेद पर लगा दिया।
गाण्ड का छेद भी उसे बहुत अच्छा लग रहा था।
रणजीत जब भी किसी औरत या लड़की को चोदता है तो उसे पागल बना देता है, उसे चुदाई के मामले में महारत हासिल है।
यह बात ममता भी जानती है, पर अभी तक ममता रणजीत से माँ नहीं बनी थी, पता नहीं क्यों।
ऐसा नहीं है कि रणजीत बच्चा नहीं पैदा कर सकता है, उसकी चुदाई से उसकी एक भाभी ने दो बच्चे पैदा किए हैं।
उसकी भाभी का नाम चम्पा है जिसकी कहानी बाद में बताऊँगा।
अब सीमा काफ़ी गर्म हो गई थी, उसकी चूत से रस गिरने लगा था, जिसे रणजीत ने चाट-चाट कर साफ़ किया।
थोड़ी देर के बाद फिर दोनों सीधे हो गए, अब रणजीत को लगा कि कुछ निकलने वाला है, वो सीमा की आँखों में देखने लगा, जैसे मानो चुदाई की आज्ञा माँग रहा हो।
सीमा ने भी शर्माते हुए ‘हाँ’ कर दी।
अब लंड के सुपारे को सीमा की चूत पर लगा और हल्का सा दवाब दिया। दबाव हल्का था और बुर गीली होने की वजह से सुपारा अन्दर चला गया।
सीमा को हल्का दर्द हुआ, रणजीत थोड़ा रुक गया। फिर उसे प्यार करते हुए एक और धक्का मारा। अब उसका लंड आधा घुस गया, पर बुर से खून गिरने लगा।
सीमा रोने लगी- मुझे नहीं चुदाना.. मुझे छोड़ दो प्लीज़, मुझे घर जाना है..
सीमा की बातों को अनसुनी करते हुए रणजीत उसे और ज़ोर से चोदने लगा। अब पूरा लंड घुस गया।
सीमा तो दर्द से बेहोश हो गई हो, पर थोड़ी देर बाद उसे अब अच्छा लगने लगा था।
रणजीत उसी तरह पड़ा हुआ था, वो हिल नहीं रहा था। कई चूत को चोदने के बाद उसे काफ़ी अनुभव हो गया था कि कुंवारी चूत को कैसे चोदा जाता है।
वो थोड़ी देर शान्त बैठने के अब वो धीरे-धीरे अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा। अब सीमा को भी मज़ा आ रहा था।
चुदाई के साथ-साथ रणजीत सीमा के होंठों को चूम रहा था, चूचियों को मरोड़ता हुआ सहला रहा था।
लंड का वेग बढ़ने लगा था। थोड़ी देर बाद और गति बढ़ने लगी। लंड इतना गतिमय हो गया कि होटल का सोफा भी ‘मच-मच’ करने लगा।
अब सीमा भी जी भर कर साथ देने लगी, वो अब रणजीत की बाँहों में अपनी बाँहों की माला पहना कर धक्के का जवाब धक्के से देने लगी। काफ़ी गुत्थम-गुत्थी के बाद रणजीत ने वीर्य की वर्षा कर दी।
सारा वीर्य सीमा की चूत में चला गया। लंड को दस मिनट तक अन्दर ही रखा।
जब लंड को निकाला तो ‘पक’ की आवाज़ हुई और लंड बाहर निकल गया।
लंड के साथ-साथ वीर्य और रज का संगम भी हो गया।
सीमा की गाण्ड भी वीर्य और रज से नहा गई थी।
उसके बाद रणजीत सीमा के ऊपर ही ढेर हो गया और हाँफते हुए उसी के ऊपर सो गया।
आधा घंटे के बाद वो उठा और नंगी अवस्था में ही गुसलखाने में गया, पीछे-पीछे सीमा भी चली गई।
जब गुसलखाने में गई, तो रणजीत नहाने के टब में बैठा हुआ था। सीमा भी उसी टब में बैठ गई और दोनों टाँगें टब के बाहर निकाल दी।
रणजीत दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को दबाते हुए चुम्बन करने लगा। सीमा भी चुम्बन का जवाब चुम्बन से देने लगी।
‘कैसा लगा मेरी जान?’
शरमाते हुए- बहुत अच्छा..
‘पहली बार में इतना मज़ा लिया, पर तुम तो कुंवारी थी?’
‘जी.. मैं कुंवारी हूँ.. कई बार सेक्स का मौका मिला, पर असफल रही। पहली बार कोई मिला है आपके रूप में.. मैं आपसे प्यार करने लगी हूँ, आप जब भी मन करे, मुझे बुला लीजिएगा। आपके लिए मैं रंडी भी बनने को तैयार हूँ।’
और दोनों हँसने लगे।
अब दोनों टब से बाहर आ गए और फव्वारा चालू कर दिया, दोनों नंगे होकर स्नान किया।
नहा कर दोनों ने कॉफी का ऑर्डर किया।
अब सीमा जीन्स पहन चुकी थी और रणजीत उसी अवस्था में थी, तभी रश्मि का फोन आया।
कहानी जारी रहेगी। आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा।
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