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देसी साली की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी साली की चूत को चिकनी करके भोगना चाहता था तो मैंने उसे बाल साफ़ करने की क्रीम लाकर दी. तो मेरी साली ने क्या किया?
सात आठ मिनट की चुदाई में ही हम दोनों का काम एक साथ तमाम हो गया और मैं उसके भीतर झड़ने लगा. लंड अपने आप चूत से बाहर आ गया और मेरा रज मिश्रित वीर्य चूत में से बह निकला. “जीजू, मुझे तो पूरा गंदा कर दिया आपने; अब मुझे फिर से नहाना पड़ेगा!” साली जी विचलित होती हुई बोली. “मेरी जान, चुदाई से कोई गंदा नहीं होता. नेपकिन से चूत पौंछ लो बस!” मैंने हंसी की. “अच्छा अब आप बाहर निकलो यहां से और मुझे काम करने दो!” साली जी ने मुझे धकेल कर बाहर का रास्ता दिखा दिया.
अब आगे की देसी साली की चुदाई कहानी: उसी दिन शाम को करीब साढ़े पांच बजे साली जी सजधज कर अस्पताल चलने के लिए तैयार हो गयी. उसने जीन्स और ओरेंज कलर का टॉप पहिन रखा था. टॉप के अन्दर कोई डिजाइनर ब्रा पहनी हुई थी जिससे उसके बूब्स का आकर प्रकार बेहद लुभावना और चित्ताकर्षक लग रहा था. उन कपड़ों में वो गजब की सेक्सी लग रही थीं.
उसे देखकर मुझे अपनी किस्मत पर फख्र हुआ कि मैं इतना शानदार माल चोद रहा था. मैंने उसे देखा तो बस देखता ही रह गया; जब उसने मेरी ओर देखा तो मैंने आंख मार दी तो वो शर्मा गयी और नज़रें झुका दीं.
“निष्ठा रानी, इस ड्रेस में तो तुम बहुत बहुत ब्यूटीफुल और हॉट लग रही हो रियली!” मैंने तारीफ़ भरे स्वर में कहा. “सच्ची जीजू?” उसने चहकते हुए पूछा. “हां एकदम सच्ची साली जी!” “थैंक्स जीजू!” वो बोली.
निष्ठा के इस रूप पर मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था सो मैंने उसे पकड़ कर उसके गाल चूम कर गाल काट लिया. “उफ्फ जीजू, गाल मत काटो नहीं तो दांत के निशान पड़ जायेंगे; फिर मैं दीदी को कैसे मुंह दिखा पाऊँगी?” निष्ठा ने आशंकित होकर कहा और अपना गाल सहलाने लगीं.
फिर पता नहीं उसे क्या सूझा कि वो दौड़ती हुई भीतर गयी और दुपट्टा अपने कन्धों पर डाल के आयी. “अरे, ये दुपट्टा क्यों डाल लिया यार? सारा मजा किरकिरा कर दिया. हटाओ इसे!” मैंने कहा “जीजू मेरे गाल पर आपके काटने से हल्का निशान पड़ गया है; जब हम अस्पताल में जायेंगे न तब मैं इसे ओढ़ लूंगी; दीदी के सामने मैं इस तरह जाने से मुझे बहुत शर्म लगेगी न इसलिए!” साली जी बोली.
“चलो ये भी ठीक है.” मैंने उसकी बात समझते हुए कहा.
फिर उसने वो दुपट्टा उतार कर तह करके ले लिया और हम बाइक से चल दिए. साली जी मेरे पीछे बैठी हुई अपनी चूचियां जानबूझ कर मेरी पीठ से रगड़ रहीं थीं और मैं भी पीठ हिला हिला कर उसे मजे दे रहा था.
अस्पताल के गेट पर उसने वो दुपट्टा फिर से अपने सिर और कन्धों पर डाल लिया जिससे उसका पूरा जोबन छुप गया.
मेरी पत्नी और मेरा बेटा सब सकुशल थे. मैंने सासू माँ और फिर डॉक्टर से मिलकर उनसे जरूरी बातें कीं और मैं निष्ठा के साथ वापिस घर लौट आया.
वापिसी में मैंने एक बियर शॉप पर रुक कर दो कैन बियर की खरीद लीं. निष्ठा ने थोड़ा प्रतिवाद किया पर मैंने उसे समझा दिया कि ये तो कभी कभार ले लेता हूं मैं.
फिर थोड़ी दूर चल कर मैंने एक रेस्टोरेंट से निष्ठा की पसंद का खाना और साथ में तले हुए काजू और फ्राइड पिस्ता के पैकेट्स ले लिए. इसके बाद हम एक जनरल स्टोर पर रुके और मैंने निष्ठा की चूत क्लीन शेव करने के लिए हेयर रेमूविंग क्रीम खरीद ली और हम आठ बजे के करीब घर लौट आये.
“चलो जीजू खाना खा लेते हैं जल्दी फिर सोना है मुझे तो अभी से नींद आने लगी है.” घर में घुसते ही साली जी ने जम्हाई लेते हुए फरमान सुना दिया. “अरे साली जी खा लेंगे खाना बाद में; और ये दो चार रातें जो किस्मत ने हमें साथ रहने को दीं हैं; ये सोने के लिए नहीं हैं, बस प्यार करने के लिए और चुदाई करने के लिए ही हैं डियर. ऐसा मौका जीवन में दुबारा तो कभी आने वाला है नहीं. इन्हें जी भर के एन्जॉय कर लो, जवानी के मजे लूट लो और सारे सुख भोग लो बस. बाकी तो यादें ही बचेंगी जिंदगी भर के लिए!” मैंने प्यार से कहा. पर निष्ठा कुछ नहीं बोली, बस सिर झुकाए खड़ी रही.
“साली जी सुनो, पहले एक काम करो. ये लो क्रीम और अपनी पिंकी चूत की झांटें साफ करके इसे चिकनी बना लो.” मैंने कहा और वो क्रीम निष्ठा को देनी चाही. “धत्त, मुझे नहीं करना कुछ भी. रहने दो, मुझे अकेला जानकर कल से आप तो पता नहीं कैसे कैसे काम करवा रहे हो मुझसे!” साली जी तुनक कर बोली. “मेरी जान, प्लीज मान जा न. आज मैं तेरी बिना झांटों वाली चिकनी चूत देखना चाहता हूं.” मैंने रिक्वेस्ट की.
फिर निष्ठा ने वो क्रीम मेरे हाथ से छीन ली और दौड़ कर वाशरूम में चली गयी.
मैं रसोई में गया और खाली प्लेट और गिलास ला कर बियर की कैन खोल कर बैठ गया. प्लेट में काजू रख कर बियर के छोटे छोटे घूंट लेने लगा. माहौल बेहद खुशनुमा हो गया था; बियर का सुरूर और सावन महीने की मदमाती ठण्डी ठण्डी हवा और साली जी का साथ. इन सबके आगे स्वर्ग की कल्पना करना भी बेमानी था.
साढ़े नौ के करीब निष्ठा ने खाना के लिए पूछा तो मैंने कहा- यहीं बेडरूम में ले आओ. थोड़ी ही देर में निष्ठा खाना लेकर आ गयी. मैंने बिस्तर पर ही अखबार बिछा दिया और साली जी ने खाना उस पर लगा दिया.
मैंने निष्ठा की ओर ध्यान दिया तो देखा कि उसने कपड़े चेंज कर लिए थे और अब वो शर्मिष्ठा की गुलाबी वाली नाईटी पहिने हुए थी जो सामने से पूरी खुलने वाली थी. उसके मस्त मम्में तन कर खड़े थे जैसे मुझे चुनौती दे रहे हों कि आओ दम हो तो दबोच लो हमें और मीड़ डालो मसल दो.
साली जी एकदम फ्रेश लग रहीं थीं और खूब अच्छी तरह से टिपटॉप होकर आईं थीं. आँखों में गहरा काजल डाल रखा था, बालों की एक लट उसके गालों पर झूल रही थी जिसे वे बार बार संवार लेती थीं. इस रूप में वो बेहद कमसिन और कामुक लग रहीं थीं. मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसे चूमने लगा फिर उसका अधर चूसने लगा.
“ओफ्फो … अरे यार पहले खाना तो खा लो नहीं तो ठंडा हो जाएगा; ये सब करने को तो सारी रात पड़ी है.” साली जी ने मुझे परे हटाते हुए कहा. “ओके डार्लिंग चलो खा लेते हैं, पहले ये बताओ कि तुमने ये अपनी पिंकी चिकनी तो कर ली न?” मैंने उसकी चूत की तरफ इशारा करते हुए पूछा.
“नहीं की बस. मुझे नहीं करना ये सब. मैंने वो क्रीम कमोड में बहा दी है और अब आप फिर से लाना भी मत!” वो झट से बोली. “चलो कोई बात नहीं डार्लिंग जी, आपकी खुशी में ही मेरी खुशी!” मैंने कहा.
और उसका हाथ पकड़ कर सामने बैठा लिया और फिर मैंने अपने हाथ से खाने का पहला कौर उसे खुद खिलाया. बदले में साली जी ने भी मुझे खिलाया और इस तरह हमारा डिनर चलता रहा. डिनर के बाद हम लोग थोड़ा टहलने के लिए घर से बाहर निकल गए और आधा पौन घंटा यूं ही एक दूजे का हाथ पकड़े टहलते रहे.
वापिस लौट कर मैंने निष्ठा को बेड पर लिटा लिया और उसके पांव की उंगलियां अपने मुंह में भर कर चूसने लगा फिर उसके तलवे और पैर चाटते हुए मैंने उसकी गोरी गोरी पिंडलियां भी चाट चाट कर चूम डालीं. मेरे ख्याल से स्त्री का एक एक अंग कामवासना से संतृप्त होता है बस वहां जगाने की जरूरत होती है; निष्ठा पर भी मेरे चुम्बनों का असर होता दिखने लगा था और उसकी आंखें नशीलीं हो चलीं थीं. हालांकि वो मुझे बार बार रोक रही थी और कह रही थी कि पांवों पर मुंह मत लगाओ उसे पाप लगेगा. पर ये सब बातें मैंने अनसुनी करते हुए मैंने उसकी नाईटी जांघों के ऊपर तक उठा दी.
लड़की या औरत की नग्न जंघाओं का भी एक अलग ही सौन्दर्य होता है, साली जी की जांघें भी अत्यंत सुन्दर और मनोहर लग रहीं थीं, केले के तने जैसी चिकनी और मांसल एकदम गुलाबी रंगत लिए हुए.
मैं बरबस ही उसकी जांघों को मुग्ध भाव से निहारते हुए उसे चाटने लगा. लड़की की जांघें चाटने में मुझे वैसे भी अपार हर्ष और आनंद होता ही है. साली जी अब गर्म होकर अपनी ऐड़ियां बेड पर रगड़ने लगीं थीं और मेरी पीठ पर भी ऐड़ियां रख कर दबाने लगीं थीं. जांघों के मध्य उसने डिजाइनर पैंटी पहिन रखी थी जिसमें से उसकी गुदाज फूली हुई चूत का वो उभरा सा त्रिभुज और उसके बीच की गहरी रेखा स्पष्ट दिख रही थी.
मेरी देसी साली की चुदाई कहानी में कामुकता है या नहीं? [email protected]
देसी साली की चुदाई कहानी जारी रहेगी.
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