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जीजा साली सेक्सी कहानी में पढ़ें कि लड़की जब पहली बार चुद जाती है तो उसकी चाल हमेशा के लिए बदल जाती है. मेरी साली जी की चाल बदली बदली सी लग रही थी.
साली जी उठ कर बैठ गयीं; मेरी लुंगी जो उसकी कमर के नीचे बिछी थी उसे उसने मुझे दिखाया उस पर खून और रज मिश्रित वीर्य के दाग लगे थे. “जीजू, लो देख लो अपनी करतूत!” साली जी मुझे गीली लुंगी दिखाते हुए बोलीं. टाइम देखा तो सुबह के तीन बज चुके थे. बरसात थम चुकी थी और मौसम शांत हो चुका था, इधर कमरे में जो तूफ़ान आया था वो भी गुजर चुका था और जीवन भर के लिए अपनी सुनहरी, मधुर स्मृतियाँ छोड़ गया था. मैं भी उसके बगल में ही लेट कर सोने की कोशिश करने लगा.
अब आगे की जीजा साली सेक्सी कहानी: अगली सुबह सात बजे मैं जाग गया. बाजू में निष्ठा गहरी नींद में सोई हुई थी उसकी सांसों के उतार चढ़ाव से चादर के भीतर से उसके स्तनों का उठना बैठना साफ दिख रहा था. उसके भोले से चेहरे पर मधुर मुस्कान खेल रही थी जैसे वे कोई मीठा स्वप्न देख रहीं हों.
मैं चुपचाप उसके बगल से उठा और नित्यकर्म से निवृत्त हो बाहर टहलने निकल गया. पिछली रात हुई बरसात की वजह से सब जगह पानी ही पानी भरा हुआ था. हालांकि मौसम काफी ख़ुशगवार लग रहा था.
मोर्निंग वाक से लौटते समय मैंने ताज़ी ब्रेड और मक्खन ले लिया और घर को लौट पड़ा. दरवाजे पर दूध के पैकेट्स रखे हुए थे जिन्हें मैंने उठा लिया और भीतर आ गया.
निष्ठा जाग चुकी थी और यूं ही लेटी हुई किसी सोच की मुद्रा में थी. मुझे देख कर वो जरा सा मुस्कुराई.
“गुड मोर्निंग साली जी. कैसी हो डार्लिंग?” मैं उसके पास बेड पर बैठ गया और उसका गाल चूमते हुए कहा. “गुड मोर्निंग जीजू; अब ठीक हूं.” वो संक्षिप्त स्वर में बोली. “चलो उठो ब्रश कर लो मैं चाय बना कर लाता हूं.” मैंने उसे प्यार से हिलाते हुए कहा.
“ठीक है जीजू. आप जाओ, मैं ब्रश करके आती हूं.” वो बोलीं और उठ कर वाशरूम की तरफ चल दी. मैंने देखा उसकी चाल बदल चुकी थी वो पहले वाली निष्ठा जैसी नहीं रहीं थीं. लोगों से सुना था कि लड़की जब पहली बार चुद जाती है तो उसकी चाल हमेशा के लिए बदल जाती है; वो मैं उस दिन प्रत्यक्ष देख रहा था. साली जी की चाल बदली बदली सी लग रही थी.
रसोई में जाकर मैंने चाय का पानी गैस पर चढ़ा दिया और तवे पर ब्रेड सेंक कर बटर लगा कर सैंडविच बना दिए और चाय भी बन चुकी थी. इतने में निष्ठा भी रसोई में ही आ गयी. हमने वहीं फर्श पर चटाई बिछा कर चाय नाश्ता किया.
न निष्ठा कुछ बोल रही थी और न ही मुझे कुछ सूझ रहा था कि अब क्या बात करूं. फिर भी कुछ बातें तो करनी ही थीं … “निष्ठा, आज अस्पताल चलोगी अपनी दीदी को देखने?” मैंने यूं ही प्रश्न किया. “नहीं जीजू, कल रात जो कुछ हमारे बीच हुआ उसके बाद आज मुझमे हिम्मत नहीं है दीदी के सामने जाने की, आज रहने दो कल चलेंगे.” निष्ठा ने कुछ गंभीरता से कहा. “ठीक है साली जी एज यू लाइक. पर हम लंच आज बाहर ही करेंगे, ठीक है?” मैंने कहा. क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि निष्ठा खाना बनाए.
“अरे नहीं जीजू, खाना मैं बना लूंगी न. अब ऐसी कोई प्रॉब्लम नहीं है मुझे!” वो बोली. “निष्ठा डार्लिंग, आज मेरा साउथ इंडियन डिशेज खाने का मन है. हम दोपहर में इंडियन कॉफ़ी हाउस चलेंगे, तुम तैयार रहना.” मैंने बात बनाते हुए कहा. “ठीक है जीजू. जैसी आपकी इच्छा!” वो बोली.
इस तरह हमने लंच बाहर ही किया. मेडिकल स्टोर से वो गर्भ निरोधक गोलियां लाकर भी मैंने निष्ठा को दे दीं. मैं निष्ठा को पूरा आराम देना चाहता था इसलिए शाम को भी मैंने निष्ठा को खाना बनाने नहीं दिया.
हमने डिनर भी बाहर ही किया और लौट कर मेरा मूड तो बना हुआ ही था कि निष्ठा के साथ एक राउंड और हो जाये पर फिर सोचा कि चलो आज रात और इसे फुल रेस्ट करने दो कल से करेंगे. अतः हम चुपचाप लेट गए. मुझे भी गहरी नींद आ गई.
रात में नींद खुली तो देखा कि निष्ठा मेरे बगल में ही मुझसे चिपक कर सो रही थी. उसका मुंह मेरी ही तरफ था. नाईट बल्ब की धीमी रोशनी में भी उसका सुन्दर मुखड़ा साफ साफ दमक रहा था. मैंने उसे बरबस ही चूम लिया और फिर सोने की कोशिश करने लगा.
अगले दिन दोपहर में निष्ठा रसोई में कुछ काम कर रही थी. मैंने जाकर देखा तो वो भरवां करेले बनाने के लिये करेले चीर कर उनमें मसाला भर रही रही थी.
उसके काले घने बाल कन्धों और पीठ पर बिखरे हुए थे. उसने शर्मिष्ठा की लाल रंग की मैक्सी पहिन रखी थी जिसमें उसका हुस्न और भी खिला खिला खिले गुलाब की तरह लग रहा था. उसके बालों से मस्त सुगंध उठ रही थी. लगता था उसने बाल शैम्पू किये थे. मैक्सी के ऊपर से मम्में खूब उभरे हुए से बड़े प्यारे लग रहे थे.
मैं कुछ क्षणों तक उसकी रूपराशि निहारता रहा फिर उसके पीछे जाकर उसकी गर्दन से बाल हटा कर वहां चूम लिया और उसके दोनों बूब्स दबोच लिए और उसे मसलने लगा.
“देखो जीजू, परेशान मत करो, मुझे करेले बनाने दो!” निष्ठा मुझे दूर हटाती हुई बोली. “मेरी जान, अब मत रोको मुझे. तुम्हें प्यार करने का दिल कर रहा है.” मैंने मैक्सी के भीतर उसकी ब्रा में हाथ घुसा कर एक स्तन दबाते हुए कहा.
“अच्छा, एक बार सब कुछ तो कर लिया; अब क्या बाकी रह गया करने को?” साली जी बोली. “मेरी जान, एक बार क्या लाख बार करने पर भी दिल नहीं भर सकता तुमसे तो, तुम हो ही ऐसी प्यारी प्यारी!” मैंने मक्खन लगाया.
“रहने दो ये बातें, मक्खन मत लगाओ मुझे. मैं सब समझती हूं आपकी चालबाजी!” साली जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बूब दबाने से रोकने लगी. “निष्ठा डार्लिंग, मान जा न एक बार यहीं पर कर लेते हैं न जल्दी जल्दी!” मैंने कहा और उसकी मैक्सी पीछे से ऊपर उठा कर और पैंटी में हाथ घुसा कर उसके पुष्ट नितम्ब सहलाने लगा.
“परेशान मत करो जीजू, खाना बनाने दो. अच्छा रात में कर लेना जो करना हो.” वो बोलीं और उसने अपनी मैक्सी नीचे करने का प्रयास किया. “अरे मेरी प्यारी, रात में फिर से करेंगे न. अभी तो यहीं हो जाने दो.” मैंने कहा और उसे अपनी तरफ घुमा लिया और उसके गालों को चूम डाला, फिर उसकी गर्दन को चूम चूम कर होंठ चूसने लगा. साली जी भी गर्म होने लगीं थीं और चुम्बन में साथ देने लगीं.
फिर मैंने उसकी मैक्सी उतार कर नीचे डाल दी. फिर उसकी पैंटी में हाथ घुसा कर चूत सहलाने लगा. निष्ठा ने एक दो बार मेरा हाथ बाहर निकालने की असफल कोशिश की पर हार कर चुप रह गयी.
उसकी चूत रसीली हो उठी थी; उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. फिर मैंने ब्रा खोल कर उतार दी और दोनों चूचियां मसलने लगा; फिर पैंटी भी नीचे खिसका कर अलग कर दी. साली जी ने भी अपने पांव उठा कर पैंटी निकल जाने दी.
तब मैं अपने सारे कपड़े निकाल कर नंगा हो गया और अपना खड़ा लंड साली जी को पकड़ा दिया. उसने पकड़ तो लिया पर तुरंत छोड़ भी दिया.
“अरे यार लंड को पकड़ो न अच्छे से … और इसे सहलाओ!” मैंने कहा. “जीजू, गंदे शब्द नहीं बोलो प्लीज!” साली जी लंड पकड़ते हुए बोली और उसे दबाते हुए हिलाने लगी.
“निष्ठा रानी, इन्हीं शब्दों के साथ ही तो चुदाई का असली मज़ा आता है. तुम भी बोलो फिर देखना कितना मज़ा आएगा तुम्हारी चूत को!” मैंने कहा. “धत्त, मैं नहीं बोलती जाओ.” वो बोली.
फिर मैंने उसकी चूत अपनी मुट्ठी में भर ली और मसलने लगा और चूत में एक उंगली घुसा कर अन्दर बाहर करते हुए अंगूठे से उसका क्लाइटोरिस रगड़ने लगा. “जीजू, उसे मत छुओ!” साली जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
लेकिन मैंने उसका मोती छेड़ना जारी रखा जिससे उसकी चूत मस्त पनियां गई और उसने अपने पैर अच्छे से खोल दिए. फिर मैंने उसे वहीं रसोई के प्लेटफोर्म पर बैठा दिया और उसके पैर ऊपर रखवा दिए और मैं उसकी खुली चूत में जीभ से चाटने लगा. साली जी के मुंह से कामुक कराहें फूट पड़ीं और उसने मेरा सिर अपनी चूत में जोर से दबा दिया.
“ओह जीजू … आह्ह्ह्ह अब छोड़ दो न और वो करो जल्दी से” साली जी कसमसाते हुए बोलीं. “क्या करना है मेरी जान?” मैंने कहा और समूची चूत मुंह में भर कर झिंझोड़ डाली “उफ्फ्फ जीजू, फक मी नाउ प्लीज!” वो बोली.
“गुड़िया रानी, हिंदी में बताओ क्या करवाना है?” मैंने कहा और उसके निप्पलस चुटकी में भर कर हौले हौले मसलने लगा जिससे उसकी वासना और भड़क उठी. “उफ्फ्फ आप भी ना … जीजू, अपना वो घुसा कर सम्भोग करो जल्दी से!” वो मिसमिसा कर बोली. “साली जी, ये वो क्या साफ साफ गंदी भाषा में बताओ क्या करना है? कहां करना है? तभी करूंगा मैं!” मैंने उसे सताया.
“जीजू, इतना क्यों सताते हो मुझे. मुझमे कुछ तो शर्म रहने दो प्लीज!” वो मुझे मनाते हुए बोली. “साली साहिबा, यूं शर्माने से चुदाई का मज़ा नहीं आता. खुल कर खेलने से ही असली आनंद मिलता है.” मैंने कहा
“आप तो बेशर्म हो ही, मुझे भी बेशर्म बना कर छोड़ना आपतो. अच्छा अब जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में पेल कर चोदो मुझे!” साली जी जोर से मिसमिसा कर बोली. “वाओ … दैट्स लाइक ऐ गुड बेबी. अब ऐसी ही भाषा बोला करो हमेशा. चलो अब नीचे बैठ जाओ और मेरा लंड चूसो कुछ देर!” मैंने कहा.
“उफ्फ्फ्फो … बस यही करवाना बाकी रहा था न; आप तो पूरी रंडी बना कर छोड़ना मुझे; पूरे निर्दयी हो आप तो; हे भगवान् कहां आ फंसी मैं तो सच में!” साली जी ने जैसे भगवान से शिकायत की.
पर वो नीचे बैठ गयी और झिझकते हुए मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और फोरस्किन पीछे करके डरते हुए सुपारा जीभ से चाटा और फिर अपने होंठ सुपारे पर रख दिए. फिर धीरे धीरे मुंह खोल कर आधा लंड मुंह में भर लिया और मेरी ओर देखती हुई चूसने लगी.
मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था. आनंद के मारे मेरा रोम रोम प्रफुल्लित होकर खड़ा हो गया था और मैं साली जी का सिर अपने लंड पर दबाने लगा. लंड चुसाई का जो मज़ा मुझे मेरी सगी बीवी ने कभी नहीं दिया था; वो मज़ा मुझे उसकी छोटी बहिन मेरा लंड चूस चूस कर दे रही थी.
साली जी ने इस तरह करीब दो मिनट ही लंड चूसा होगा कि फिर छोड़ कर खड़ी हो गयी. “जीजू बस अब कुछ नहीं करूंगी मैं. आप तो चोदो जल्दी से चोदो अब!” वो मेरे गले में बाँहें पहिनाते हुए बोली.
“ठीक है मेरी जान. चलो उस तरफ मुंह कर लो और झुक जाओ.” मैंने उसके दोनों मम्में कस के मसलते हुए कहा. साली जी तुरंत घूम गयी और प्लेटफोर्म पर अपनी कोहनियां रख कर झुक गयी. उसने अपनी गांड मेरी तरफ निकाल दी.
फिर मैंने उसका बायां पैर ऊपर प्लेटफोर्म पर रखवा दिया जिससे उसकी चूत अच्छे से खुल कर मेरे लंड की निशाने पर आ गयी. मैंने उसकी गीली चूत के छेद से लंड सटाया और धकेल दिया. साली जी के मुंह से दर्दभरी कराह निकल गयी; आखिर नयी चूत में दूसरी बार ही तो लंड घुस रहा था सो थोड़ा दर्द तो होना ही था. लेकिन मेरा पूरा लंड सट्ट से एक ही बार में उसकी कसी हुई चूत में चला गया.
फिर मैंने उसके दोनों बूब्स दबोच लिए और धीरे धीरे उसे चोदने लगा. फिर मैंने चुदाई की स्पीड तेज कर दी और लंड को निकाल निकाल कर चूत मारने लगा.
“आह जीजू … हां … ऐसे ही करो.” साली जी बोलीं और थोड़ा और पीछे आ के उसने खुद को एडजस्ट कर लिया जिससे मेरा लंड उसकी चूत में और गहराई तक मार करने लगा. और मैं उसके दोनों मम्में बेदर्दी से मसलते दबाते हुए उसे दम से चोदने लगा.
साली जी की चूत में दूसरी बार लंड गया था पर घुसेड़ने के तीन चार मिनट बाद ही उसकी चूत इतनी खुली खुली, इतनी स्लिपरी लग रही थी कि जैसे वो अब तक कई बार चुद चुकी हो. पर कुछ जो भी हो मैं उसे तबियत से चोदने में मशगूल था.
तभी साली जी बोली- हां जीजू, अब जल्दी कर लो. फिर मुझे खाना बनाना है. “ओहो यार तुम भी न, अरे खाना बनाने की चिंता छोड़ो और चुदाई पर ध्यान लगाओ बस!” मैंने कहा और फिर पूरी स्पीड से साली जी की चूत मारने लगा. “जीजूऊऊऊऊ … मेरे राजा … और तेज तेज चोदो.” अब साली जी अत्यंत कामुक स्वर में बोली.
“अभी लो मेरी बुलबुल रानी…” मैंने कहा. लंड को चूत से बाहर निकाल कर मैंने उसी की मैक्सी से एक बार पौंछ लिया और चूत को भी पौंछ दिया. फिर लंड को पूरी ताकत से एक ही वार में उसकी चूत में भोंक दिया. फिर दोनों मम्में पकड़ कर पूरी ताकत से उसे चोदने लगा जैसे मैं चूत से कोई बदला ले रहा होऊं.
निष्ठा रानी ने भी अच्छे से कोआपरेट करना शुरू किया और तबियत से कमर हिला हिला कर मेरे लंड से लोहा लेने लगीं. अब उसकी चूत और मेरे लंड में बुरी तरह ठन चुकी थी और चूत से चुदाई की मद्धिम सी आवाज आने लगीं थी. जब मेरा बदन उसके बदन से टकराता तो पटपट की आवाज आने लगती.
सात आठ मिनट की चुदाई में ही हम दोनों का काम एक साथ तमाम हो गया और मैं उसके भीतर झड़ने लगा. झड़ कर शांत हुआ तो लंड अपने आप चूत से बाहर आ गया और मेरा रज मिश्रित वीर्य चूत में से बह निकला.
“जीजू, ये क्या मुझे तो पूरा गंदा कर दिया आपने; अब मुझे फिर से नहाना पड़ेगा!” साली जी विचलित होती हुई बोली. “मेरी जान, चुदाई से कोई गंदा नहीं होता. नेपकिन से चूत पौंछ लो बस. फिर देखना कितने स्वादिष्ट भरवां करेले बनेंगे आज!” मैंने हंसी की. “अच्छा अब आप बाहर निकलो यहां से और मुझे काम करने दो!” साली जी ने मुझे धकेल कर बाहर का रास्ता दिखा दिया.
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जीजा साली सेक्सी कहानी जारी रहेगी.
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