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प्रेषक : नामालूम सम्पादक : जूजा जी ‘ओह हो.. बाबा, चूत और क्या।’ भाभी के मुँह से लंड और चूत जैसे शब्द सुन कर मेरा लंड फनफनाने लगा। अब तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
मैंने भाभी से कहा- भाभी इसी चूत की तो दुनिया इतनी दीवानी है।
‘अच्छा जी तो देवर जी भी इसके दीवाने हैं?’
‘हाँ मेरी प्यारी भाभी किसी की भी चूत का नहीं सिर्फ़ आपकी चूत का दीवाना हूँ।’
‘तुझे तो बिल्कुल भी शर्म नहीं है। मैं तेरी भाभी हूँ।’ भाभी झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोलीं।
‘अगर मैं आपको एक बात बताऊँ तो आप बुरा तो नहीं मानेंगी?’
‘नहीं राजू… देवर-भाभी के बीच तो कोई झिझक नहीं होनी चाहिए और अब तो तूने मेरे मुँह से सब कुछ कहलवा दिया है, लेकिन मेरी कच्छी तो वापस कर दे।’
‘सच कहूँ भाभी, रोज रात को उसे सूंघता हूँ तो आपकी चूत की महक मुझे मदहोश कर डालती है। जब मैं अपना लंड आपकी कच्छी से रगड़ता हूँ तो ऐसा लगता है जैसे लंड आपकी चूत से रगड़ रहा हो।’
‘ओह.. अब समझी देवर जी मेरी कच्छी के पीछे क्यों पागल हैं.. इसीलिए तो कहती हूँ तुझे एक सुन्दर सी बीवी की जरूरत है।’
‘लेकिन मैं तो अनाड़ी हूँ। आपने तो वादा करके भी कुछ नहीं बताया। उस दिन आप कह रही थीं कि मर्द अनाड़ी हो तो लड़की को सुहागरात में बहुत तकलीफ़ होती है। आपका क्या मतलब था? आपको भी तकलीफ़ हुई थी?’
‘हा राजू, तेरे भैया अनाड़ी थे। सुहागरात को मेरी साड़ी उठा कर बिना मुझे गर्म किए चोदना शुरू कर दिया। अपने 8′ लम्बे और 3′ मोटे लंड से मेरी कुँवारी चूत को बहुत ही बेरहमी से चोदा। बहुत खून निकला मेरी चूत से। अगले एक महीने तक दर्द होता रहा।’
मेरा लंड देखने के बाद से भाभी काफ़ी उत्तेजित हो गई थी और बिल्कुल ही शरमाना छोड़ दिया था।
‘लड़की को गर्म कैसे करते हैं भाभी?’
‘पहले प्यार से उससे बातें करते हैं। फिर धीरे-धीरे उस के कपड़े उतारते हैं। उसके बदन को सहलाते हैं। उसकी होंठों को और चूचियों को चूमते हैं, फिर प्यार से उसकी चूचियों और चूत को मसलते हैं। फिर हल्के से एक ऊँगली उसकी चूत में सरका कर देखते हैं कि लड़की की चूत पूरी तरह गीली है। अगर चूत गीली है, इसका मतलब लड़की चुदने के लिए तैयार है। इसके बाद प्यार से उसकी टाँगें उठा कर धीरे-धीरे लंड अन्दर डाल देते हैं। पहली रात ज़ोर-ज़ोर से धक्के नहीं मारते।’
‘भाभी उस फिल्म में तो वो कालू उस लड़की की चूत चाटता है, लड़की भी लंड चूसती है। कालू उस लड़की को कई तरह से चोदता है। यहाँ तक की उसकी गाण्ड भी मारता है।’
‘अरे बुद्धू, ये सब पहली रात को नहीं किया जाता, धीरे-धीरे किया जाता है।’
‘भाभी, भैया भी वो सब आपके साथ करते हैं?’
‘नहीं रे.. तेरे भैया अनाड़ी थे और अब भी अनाड़ी हैं। उनको तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर पेलना आता है। अक्सर तो पूरी तरह नंगी किए बिना ही चोदते हैं। औरत को मज़ा तो पूरी तरह नंगी हो कर ही चुदवाने में आता है।’
‘भाभी आपको नंगी हो कर चुदवाने मे बहुत मज़ा आता है?’
‘क्यों मैं औरत नहीं हूँ? अगर मोटा तगड़ा लंड हो और चोदने वाला नंगी करके प्यार से चोदे तो बहुत ही मज़ा आता है।’
‘लेकिन भैया का लंड तो मोटा-तगड़ा होगा। पर.. हाँ मेरे लंड की बराबरी नहीं कर सकता है।’
‘तुझे कैसे पता?’
‘मुझे तो नहीं पता, लेकिन आप तो बता सकती हैं।’
‘मैं कैसे बता सकती हूँ? मैंने तेरा लंड तो नहीं देखा है।’ भाभी ने बनते हुए कहा।
मैं मन ही मन मुस्कराया और बोला- तो क्या हुआ भाभी.. कहो तो अभी आपको अपने लंड के दर्शन करा देता हूँ, आप नाप लो किसका बड़ा है।’
‘हट बदमाश..!’
‘अगर आप दर्शन नहीं करना चाहती तो कम से कम मुझे तो अपनी चूत के दर्शन एक बार करवा दीजिए। सच भाभी मैंने आज तक किसी की चूत नहीं देखी।’
‘चल नालायक.. तेरी शादी जल्दी करवा दूँगी… इतना उतावला क्यों हो रहा है।’
‘उतावला क्यों ना होऊँ? मेरी प्यारी भाभी को भैया सारी-सारी रात खूब जम कर चोदें और मेरी किस्मत में उनकी चूत के दर्शन तक ना हो। इतनी खूबसूरत भाभी की चूत तो और भी लाजवाब होगी। एक बार दिखा दोगी तो घिस तो नहीं जाओगी। अच्छा, इतना तो बता दो कि आपकी चूत भी उतनी ही चिकनी है जितनी फिल्म में उस लड़की की थी?’
‘नहीं रे, जैसे मर्दों के लंड के चारों तरफ बाल होते हैं वैसे ही औरतों की चूत पर भी बाल होते हैं। उस लड़की ने तो अपने बाल शेव कर रखे थे।’
‘भाभी तब तो जितने घने और सुन्दर बाल आपके सिर पर है उतने ही घने बाल आपकी चूत पर भी होंगे? आप अपनी चूत के बाल शेव नहीं करती?’
‘तेरे भैया को मेरी झांटें बहुत पसंद हैं इसलिए शेव नहीं करती।’
‘हाय भाभी.. आपकी चूत की एक झलक पाने के लिए कब से पागल हो रहा हूँ और कितना तड़पाओगी?’
‘सबर कर, सबर कर… सबर का फल हमेशा मीठा होता है।’ यह कह कर बारे ही कातिलाना अंदाज में मुस्कराती हुई नीचे चली गईं।
मेरे लंड के दुबारा दर्शन करने के बाद से तो भाभी का काफ़ी बुरा हाल था।
एक दिन मैंने उनके कमरे में मोटा सा खीरा देखा। मैंने उसे सूंघ कर देखा तो खीरे में से भी वैसी ही महक आ रही थी जैसी भाभी की कच्छी में से आती थी। लगता था भाभी खीरे से ही चूत की भूख मिटाने की कोशिश कर रही थीं।
मुझे मालूम था की गंदी पिक्चर भी वो कई बार देख चुकी थीं। भैया को गए हुए तीन महीने बीत गए थे। घर में मोटा-ताज़ा लंड मौज़ूद होने के बावज़ूद भी भाभी लंड की प्यास में तड़प रही थीं।
मैंने एक और प्लान बनाया। बाज़ार से एक हिन्दी का बहुत ही कामुक उपन्यास लाया जिसमें देवर-भाभी की चुदाई के किस्से थे। उस उपन्यास में भाभी अपने देवर को रिझाती है। वो जानबूझ कर कपड़े धोने इस प्रकार बैठती है कि उसके पेटीकोट के नीचे से देवर को उसकी चूत के दर्शन हो जाते हैं। ये उपन्यास मैंने ऐसी जगह रखा, जहाँ भाभी के हाथ लग जाए।
एक दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मैंने पाया कि वो उपन्यास अपनी जगह पर नहीं था। मैं जान गया कि भाभी वो उपन्यास पढ़ चुकी हैं।
अगले इतवार को मैंने देखा कि भाभी कपड़े गुसलखाने में धोने के बजाय बरामदे के नलके पर धो रही थीं। उन्होंने सिर्फ़ ब्लाउस और पेटीकोट पहन रखा था।
मुझे देख कर बोलीं- आ राजू बैठ… तेरे कोई कपड़े धोने है तो देदे।
मैंने कहा- मेरे कोई कपड़े नहीं धोने हैं।
मैं भाभी के सामने बैठ गया। भाभी इधर-उधर की गप्पें मारती रहीं। अचानक भाभी के पेटीकोट का पिछला हिस्सा नीचे सरक गया। सामने का नज़ारा देख कर तो मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। भाभी की गोरी-गोरी माँसल जाँघों के बीच में से सफेद रंग की कच्छी झाँक रही थी। भाभी जिस अंदाज में बैठी हुई थीं उसके कारण कच्छी भाभी की चूत पर बुरी तरह कसी हुई थी। फूली हुई चूत का उभार मानो कच्छी को फाड़ कर आज़ाद होने की कोशिश कर रहा हो। कच्छी चूत के कटाव में धँसी हुई थी। कच्छी के दोनों तरफ से काली-काली झांटें बाहर निकली हुई थीं।
मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी। भाभी मानो बेख़बर हो कर कपड़े धोती जा रही थीं और मुझसे गप्पें मार रही थीं।
अभी मैं भाभी की टांगों के बीच के नज़ारे का मज़ा ले ही रहा था कि वो अचानक उठ कर अन्दर जाने लगीं।
मैंने उदास होकर पूछा- भाभी कहाँ जा रही हो?’
‘बस एक मिनट में आई…’
थोड़ी देर में वो बाहर आईं। उनके हाथ में वही सफेद कच्छी थी जो उन्होंने अभी-अभी पहनी हुई थी।
भाभी फिर से वैसे ही बैठ कर अपनी कच्छी धोने लगी। लेकिन बैठते समय उन्होंने पेटीकोट ठीक से टांगों के बीच दबा लिया।
यह सोच कर कि पेटीकोट के नीचे अब भाभी की चूत बिल्कुल नंगी होगी मेरा मन डोलने लगा। मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि भाभी का पेटीकोट फिर से नीचे गिर जाए। शायद ऊपर वाले ने मेरी दुआ जल्दी ही सुन ली। कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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