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कथा : शालिनी भाभी (राठौर) लेखक : अरुण
चुदाई के लिए जगह बनाने के लिए उसने मुझे मेरी सीट पीछे करने को कहा। मैंने सीट पीछे की तो वो करीब करीब पीछे की सीट को छू गई। अब मेरी सीट के सामने काफी जगह हो गई थी। मैं अभी भी सोच रही थी कि इस सीट पर वो मुझे कैसे चोदेगा।
अब मैंने सीट की पीठ को पीछे धकेला तो मैं अधलेटी पोजीशन में हो गई, नीचे से हम दोनों नंगे थे। उसने कार की ड्राइविंग सीट भी पीछे कर दी ताकि थोड़ी और जगह हो जाए।
मेरा बहुत मन हो रहा था कि वो मेरी चूचियों को चूसे, पर मैं समझ रही थी कि हम किसी बंद कमरे में नहीं है और यहाँ अचानक किसी के आने का भय भी था मुझे और मैं अपनी चूत, अपनी गांड और अपनी चूचियाँ किसी और को नहीं दिखाना चाहती थी।
उसने शायद मेरी आँखों को पढ़ लिया था, वो बोला- एक काम करो। मैं जिस तरह चुदाई करने की सोच रहा हूँ, उसमें मैं तुम्हारी चूचियाँ चोदते वक़्त नहीं चूस पाऊँगा। पर मैं तुम को चुदाई का पूरा पूरा मज़ा देना चाहता हूँ और साथ ही खुद भी पूरा मज़ा लेना चाहता हूँ। तुम अपनी ब्रा का हुक खोल लो और अपने कुर्ते को पूरी तरह से ऊँचा कर लो, इस तरह तुम्हारी चूचियाँ नंगी भी रहेंगी और ढकी हुई भी रहेंगी, मौके का फायदा उठा लेंगे।
मुझे उसकी बात सुन कर अच्छा लगा। हम दोनों ही जानते है कि चुदवाते समय मुझे अपनी चूचियाँ और निप्पल चुसवाना बहुत पसंद है, मैंने वैसा ही किया जैसा उसने कहा।
मेरी चूचियाँ अब मेरे कुर्ते से बाहर निकल आई थी और मस्त तन रही थी जिन्हें मैं चुसवाने को तैयार थी।
अब तक उसका गर्म लण्ड पूरी तरह तन कर चूत से मिलने को तैयार हो गया था। मैं जानती थी कि मेरी चुदाई बहुत देर तक होने वाली है क्योंकि मैंने अभी कुछ देर पहले मुठ मार कर एक बार उसके लण्ड रस को निकाल दिया था और दूसरी बार की चुदाई हमेशा लम्बी ही चलती है।
खैर, अब वक़्त आ गया था असली चुदाई का… चुदने का मन में ख्याल और मौका आते ही मर्द का लण्ड और औरत की चूत खुद ब खुद ही गीली होने लगती है।
जिस लण्ड को मैंने कुछ देर पहले निचोड़ के रख दिया था, अब वो वापिस मुँह उठा कर तन कर और कड़क हो के उठ खड़ा हुआ था। लण्ड को पकड़ा तो वो हमेशा की तरह बहुत गर्म था।
मैं बहुत भाग्यशाली हूँ की अरुण का लौड़ा इतना मज़बूत, इतना लम्बा, इतना मोटा और इतना गर्म है। मैं तो कहती हूँ कि यह लौड़ा नहीं, चोदने की मशीन है।
चुदाई की शुरुआत हमने होठों के चुम्बन से की, जैसे कि इमरान हाश्मी और मल्लिका शेरावत हों हम दोनों… हम एक दूसरे के गर्म, रसीले होंठ चूसने लगे। होठों के चुम्बन से चुदाई की आग और भी भड़क गई। उसने मुझे अपने ऊपर खींचा तो मेरे हाथ उसकी गर्दन के पीछे और उसके हाथ मेरी गोल गोल, कड़क गांड पर फिरने लगे। मेरी चूत में खुजली होने लगी और वो गीली होने लगी।
वो मेरी गांड दबा रहा था और अपनी उँगलियाँ मेरी गांड के विशाल उभरे हुए गोलों के बीच की दरार में घुमा रहा था। मैं और भी गर्म होने लगी।
अरुण सेक्स का पक्का खिलाड़ी है उसे पता है कि कम से कम समय में किसी लड़की को कैसे गर्म किया जाता है और वो वही काम एक बार फिर कर रहा था।
मेरी जीभ को अपने मुंह में लेकर उसने आइस क्रीम की तरह चूसा, चुभलाया। उसके हाथ लगातार मेरी नंगी गांड पर घूम रहे थे, उसकी उंगली मेरे कूल्हों पर घुमती हुई थोड़ी से मेरी गांड में घुसी तो मैं उछल पड़ी। जब उसने अपनी ऊँगली मेरी गांड में अन्दर बाहर हिलाई तो मज़ा ही आ गया।
हाइवे पर गाड़ियाँ आ जा रही थी और कोई भी हम को देख नहीं सकता था। हमारी कार पेड़ों के बीच में थी और हम दो जवान प्रेमी उसमे चुदाई का मज़ा ले रहे थे, बिना किसी की नज़र में आये।
मेरे लिए यह पहला मौका था जब हम पूरी चुदाई कार में करने वाले थे, अरुण तो अपनी बीवी के साथ कार में सेक्स कर चुका था, एक बार तो एयरपोर्ट रोड पे और एक बार तो बेसमेंट पार्किंग में ही, और आज वो मेरे साथ था।
मैंने उसका तना हुआ, चुदाई के लिए तैयार लण्ड पकड़ कर उसके मुँह की चमड़ी नीचे की तो उसके लौड़े का गुलाबी सुपारा बाहर आकर चमक उठा।
हमने चुम्बन ख़त्म किया और मैं अपनी सीट पर बैठ कर लम्बी लम्बी साँसें लगी। मैंने अरुण के हाथ पकड़ कर उनको अपनी नग्न चूचियों पर रखा तो वो मेरी चूचियों को मसलने लगा, मरोड़ने लगा दबाने लगा, मुझे दर्द तो हुआ पर मज़ा भी आया क्यूंकि बहुत दिनों से मेरे वक्षों में दर्द भी हो रहा था।
उसका लण्ड अभी भी मेरी पकड़ में था। जितना दवाब उसका मेरे उभारों पर बढ़ा उतना ही ज़ोर से में भी उसके लण्ड को मसलने लगी मरोड़ने लगी।
हम दोनों की ही सिसकारियाँ निकलने लगी थी।
उसने अपना मुंह मेरी चूचियों तक लाने के लिए अपनी पोज़िशन बदली और अब मेरी तनी हुई दोनों सेक्सी चूचियाँ उसके चेहरे के सामने थी। मेरी गहरे भूरे रंग की निप्पल तन कर खड़ी थी, एक निप्पल को उसने अपने मुंह में लिया और दूसरी को अपनी उँगलियों के बीच में, वो मेरी एक निप्पल को किसी भूखे बच्चे को तरह चूस रहा था और दूसरी निप्पल को किसी शैतान बच्चे की तरह मसल रहा था।
मेरी फुद्दी अब तक पूरी गीली हो चुकी थी और उसमें चुदवाने के लिए खुजली हो रही थी। इस पोज़िशन में मैं उसके लौड़े को देख नहीं पा रही थी पर वो अभी भी मेरे हाथ में था और मैंने उस को भी थोड़ा पानी छोड़ते हुए महसूस किया यानि वो भी मेरी चूत में घुसने के लिए मरा जा रहा था।
हम अपने अलग ही, चुदाई के संसार में थे और हमारा पूरा ध्यान चुदाई पर ही था, हम चुदाई में ही मग्न थे।
उसने मेरी दूसरी चूची को चूसने के लिए फिर अपनी पोज़िशन बदली।
जो निप्पल पहले मसली जा रही थी, वो अब चूसी जा रही थी और जो पहले चूसी जा चुकी थी, वो अब मसली जा रही थी।
उस छोटी सी कार में चुदाई का तूफ़ान उठ रहा था और बाहर बरसात हो रही थी। किसी को पता नहीं था कि वहाँ एक कार है और कार में हम दोनों चोदा-चुदी खेल रहे है।
उसका एक हाथ मेरे पैरों के जोड़ की तरफ बढ़ा तो मैंने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए ताकि वो मेरी झांटों से भारी चूत पर आराम से हाथ फिरा सके।
हाथ फिराते फिराते वो मेरी झांटों के बालों को भी खींच रहा था, उसकी बीच की उंगली मेरी गीली फुद्दी के बीच की दरार में घुस गई। वो अपनी ऊँगली मेरी चूत के बीच में ऊपर नीचे मेरी चूत के दाने को मसलता हुआ घुमा रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
चूची चुसवाने से और चूत में ऊँगली करवाने से मेरे मुख से सेक्सी आवाजें निकलने लगी। उसके मुंह में मेरी निप्पल और मेरे हाथ में उसका लण्ड दोनों और कड़क हो गए।
मैं भी उस का लण्ड चूसना चाहती थी और मैंने 69 पोज़िशन के बारे में सोचा मगर कार में यह संभव नहीं था। मेरी चूत में उसकी ऊँगली लगातार घूम रही थी और मैं संतुष्टि के सोपान की तरफ बढ़ने लगी।
उसकी ऊँगली अब मेरी चूत में घुस कर चुदाई कर रही थी, मेरी फुद्दी को उसकी ऊँगली चोद रही थी।
जैसे ही उसको पता चला कि मैं चरम पर पहुँचने वाली हूँ, उसने मेरी चूत की चुदाई अपनी उंगली से जोर जोर से करनी शुरू कर दी। वो मेरी चूत को अपनी ऊँगली से इतनी अच्छी तरह से, सेक्सी अंदाज़ में चोद रहा था कि मैं झड़ने वाली थी और मेरी नंगी गांड, चूतड़ अपने आप ही हिलने लगी। मेरे मुंह से जोर से संतुष्टि की आवाज निकली और मैं झड़ गई। मैंने उसकी ऊँगली को अपने पैर, गांड और चूत टाईट करके अपनी चूत में ही जकड़ लिया और झड़ने का मज़ा लेने लगी। आखिर मैंने उसे कह दिया कि मैं उसके गर्म लण्ड को चखना चाहती हूँ, मैं उसको इतना गर्म करना चाहती कि उसके लण्ड का पानी मेरी चूत में जल्दी ही बरस जाए, मैं उसको भी अपने अगले झड़ने के साथ झाड़ना चाहती थी। इसके लिए जरूरी था कि मैं उसको चुदाई के आधे रास्ते पर चूत की चुदाई शुरू करने के पहले ही ले जाऊँ।
हमने फिर अपनी पोज़िशन बदली और वो कार की पेसेंजर सीट पर अधलेटा हो गया और मैं ड्राइविंग सीट पर आ गई। उसका गर्म, लम्बा, मोटा और पूरी तरह तना हुआ चुदाई का सामान लण्ड कार की छत की तरफ मुंह करके खड़ा हुआ था, जिसका नीचे का भाग मैंने अपने हथेली में पकड़ा। उसके लण्ड का सुपारा पहले से ही बाहर था जिसको मैंने सीधे अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
हे भगवान्, कितना गर्म लण्ड है उसका। मैंने उस के लण्ड से बाहर आते पानी को चखा और अपनी जीभ उसके लण्ड के सुपारे पर घुमाने लगी। मेरा हाथ उसके लण्ड को पकड़ कर धीरे ऊपर नीचे होने लगा। मैं ड्राईवर सीट पर अपने घुटनों के बल बैठ कर, झुक कर उसके लण्ड को चूस रही थी और मेरी नंगी गांड ऊपर हो गई थी। यह उसको खुला निमंत्रण था।
उसने अपना हाथ मेरी गोल नंगी गांड पर घुमाते हुए फिर से मेरी टाईट गांड में अपनी उंगली डाल दी। मैं उसको उस का लौड़ा चूस कर, मुठ मार कर गर्म कर रही थी और वो मुझे मेरी गांड में अपनी ऊँगली धीरे धीरे अन्दर बाहर कर के गर्म कर रहा था।
अरुण को गांड मारना पसंद नहीं था पर आज मेरी गांड में ऊँगली करना उसको अच्छा लग रहा था, ऐसा उसने मुझे बताया और सच कहूँ तो मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मेरी गांड में घूमती उसकी ऊँगली मुझे चुदवाने के लिए बेचैन कर रही थी। अरुण सच में एक बहुत अच्छा चोदू है और जो कुछ वो अपनी कहानियों में लिखता है, वो सही में आज में महसूस कर रही थी।
उसके लण्ड की धीरे धीरे चुसाई और धीरे धीरे मुठ अब तेज हो चली थी, मेरी दोनों चूचियाँ हवा में लटक रही थी और आगे पीछे हिल रही थी, मेरी गांड में उसकी ऊँगली भी बराबर घूम रही थी।
इतनी देर में मुझे तसल्ली हो गई थी कि सच में यह जगह सुनसान और सुरक्षित है और यहाँ कोई नहीं आ सकता है तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई, सुविधाजनक चुदाई के लिए हमने दोनों साइड के गेट खोल लिए, अब हम चुदाई के झटके ज़ोर ज़ोर से लगा सकते थे।
गेट खोलते ही एक काम और हुआ शानदार मानसून वाली ठंडी हवा के झोंके आने लगे, उसके साथ पानी की हल्की हल्की फुहारें भी हमारे तन-बदन को भिगो रही थी और आग लगा रही थी। जब मैंने महसूस किया कि मैं उस को उसके लण्ड की चुसाई से और मुठ मार कर आधे रास्ते तक ले आई हूँ और अब चूत और लण्ड की चुदाई में हम साथ साथ झड़ सकते हैं, तो मैंने उस के तनतनाते हुए लण्ड को अपने मुंह से बाहर निकाला।
वो पेसेंजर सीट पर उसी तरह अधलेटा था और उस ने मुझे उसी पोज़िशन में अपने ऊपर आने को कहा। मैं उस पर लेट गई, मेरी पीठ उसकी छाती पर थी और उसका खड़ा हुआ चुदाई का औजार, उसका लण्ड मेरी गांड के नीचे था। उसके दोनों पैरों को मैंने अपने दोनों पैरों के बीच में ले कर चुदाई की पोज़िशन बनाई, एक हाथ से मैंने मैंने कार के दरवाजे के ऊपर के हैंडल का सहारा लिया और मेरा दूसरा हाथ ड्राईवर सीट के ऊपर था।
मैं अब उसके लण्ड पर सवारी करने को तैयार थी।
अपने दोनों हाथो के सहारे से से मैंने अपनी गांड ऊपर की तो उसका लण्ड राजा मेरी गीली, गर्म और चिकनी चूत के नीचे आ गया
उसने अपने लण्ड को मेरी चूत के दाने पे रखा और उसे रगड़ते हुए कुचलते हुए मेरी चूत में अंदर तक धंसा दिया, मैं एक जबरदस्त आनंदमयी अहसास से सराबोर हो गई, और भूल गई कि मैं जंगल में हूँ और ज़ोरदार चिल्लाई। यदि मैं सड़क में वाहनों के हॉर्न और इंजन की आवाजें न होती तो निश्चित रूप से मेरी आवाज वहाँ तक सुनाई दे जाती।
अरुण भी मेरी इस सीत्कार से हक्का बक्का रह गया और उसने मेरे मुँह पे हाथ रख के मेरी आवाज दबाने की कोशिश की लेकिन मैंने उसका हाथ हटा दिया, बिना चिल्लाये मुझे चुदवाने में मुझे मज़ा ही नहीं आता… कार के शानदार सस्पेंशन, और गद्देदार सीट की वजह से हम दोनों को ही मचके लगाने में मज़ा आ रहा था, कार भी मस्त हिल हिल कर हमारी चुदाई में हमारा भरपूर साथ दे रही थी। मैं बारी बारी से अपने झूलते हुए भारी उरोज उसके मुँह में दे रही थी, जो अरुण के थूक से गीले हो चुके थे।
अरुण के हाथ मेरी गांड को मसल रहे थे, वो मुझे अब ज़ोर ज़ोर से चांटे भी मारने लगा था, और तो और उसने एक उंगली तो मेरी गांड में इतनी ज्यादा अंदर घुसा दी कि शायद वो गंदी जगह तक ही पहुँच गई थी लेकिन हमें कोई होश नहीं था।
इस वक़्त हम सिर्फ चुदाई के मज़े ले रहे थे, बारिश थोड़ी तेज़ हो गई थी, हवा भी अब पहले से काफी तेज़ हो गई थी, हम लगभग भीगने लगे थे, मौसम की इस तेज़ी में हमने भी अपनी चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी और अब अरुण की भी चीखें निकलने लगी, जो मुझ से कम नहीं थी और दोस्तों उस दिन जो हम झड़े न एक साथ !!!
ऊऊ… ऊऊऊह्हह्ह… ह्ह्ह्हह… उसे यहाँ शब्दों में लिखना मुश्किल है।
सही में अब मुझे लगा कि अरुण से दोस्ती करना सफल हो गया।
तो दोस्तो, जिस काम के लिये सोच कर निकले थे, वो बहुत ही शानदार ढंग से सम्पन्न हुआ।
इस घटना के बारे में कुछ और पूछना हो तो मुझे मेल कर सकते हो। अरुण [email protected] gmail.com आपकी शालिनी- [email protected] शालिनी की फेसबुक आईडी [email protected]
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