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राज मैक्स मेरे प्रिय दोस्तो, मेरा नाम राज है, मैं नागपुर का रहने वाला हूँ और अभी मुंबई में रहता हूँ। यह कहानी तब की है जब मैं कॉलेज में पढ़ाई करता था। मैंने एक कमरा किराए पर लिया हुआ था। मैं पढ़ाई बहुत करता था, लेकिन कॉलेज में कम जाता था। उन दिनों मैं एंट्रेन्स की पढ़ाई करता था और अकेले पढ़ाई करना पसन्द करता था। मेरी घर की मालकिन एक बूढ़ी औरत थी और उसके दो पोते थे। उनकी देखभाल करने के लिए एक लड़की रखी गई थी जिसका नाम था प्रिया। प्रिया दिखने में बहुत खूबसूरत थी, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ मेरे लंड को बहुत परेशान करती थीं। मेरा कमरा ऊपर था और मैं हमेशा दिन में दो-तीन बार पानी माँगने घर मालकिन के पास जाया करता था। मैं प्रिया पर हमेशा लाइन मारता था और वो मुस्कुराती थी। एक दिन सुबह मैं पानी माँगने गया, हालांकि मैं उनके घर के सदस्य की तरह व्यवहार करता था। मैंने बाहर से आवाज़ लगाई लेकिन किसी का जवाब नहीं आ रहा था इसलिए मैं घर के भीतर चला गया। मुझे बाथरूम के अन्दर से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी। मैंने आवाज़ लगाई तो प्रिया ने जवाब दिया। मैं बाहर रुका रहा, थोड़ी देर बाद प्रिया आई और उसको देख कर तो मैं पागल हो गया। उसने नीचे पायजामा नहीं पहना था। उसके बाल भी भीगे-भीगे थे। मैंने उसे कहा- प्रिया तुम बहुत सुन्दर लग रही हो। यह सुनकर वो बेहद खुश हुई। मैंने उसके हाथ में पानी का जार थमा दिया और उसके मुलायम हाथों को स्पर्श किया, फिर मैं अपने कमरे में ऊपर चला गया, मैंने अंदाज़ा लगा लिया था कि आज मेरी बूढ़ी मालकिन घर पर नहीं है। मुझे बहुत अफ़सोस हो रहा था कि मैंने प्रिया को मन की बात नहीं बोली। इतने में मुझे दस्तक की आहट सुनाई दी। वो मेरे लिए एक प्लेट में ‘फ्राइड राइस’ लेकर आई थी। आज मुझे वो बहुत सेक्सी लग रही थी और आख़िर मैंने अपने दिल की बात बोल ही डाली- प्रिया तुम आज बहुत गर्म लग रही हो.. वो एक कातिल सी मुस्कान दे कर हँसने लगी। तभी मैंने उससे बूढ़ी मालकिन के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो अपने बेटी के पास गई है और शाम तक लौटेंगी। मैं खुश हो गया और कहा- फिर तुम अकेली क्या करोगी? तुम बोर नहीं होती हो? उसने कहा- बोर हो रही थी… इसीलिए तुम्हारे पास आई हूँ। मैंने उससे पूछा- तुम कौन सी क्लास में पढ़ती हो? उसने कहा- मैं बारहवीं क्लास में पढ़ती हूँ। मैंने फिर पूछा- तुम किसे पसन्द करती हो क्लास में? उसने कहा- किसी को नहीं। वो मेरी ओर देख कर मुस्कुरा रही थी। फिर मैंने उसे कहा- मेरी भी कोई दोस्त नहीं है और मुझे अकेलापन महसूस होता है। मैंने आगे बढ़ कर उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया। उसने कोई आपत्ति नहीं की। हम बहुत देर तक इधर-उधर की बातें करने लगे। मैंने देखा कि उसका हाथ गर्म हो रहा था और वो सिसकारियाँ ले रही थी। मैंने उससे कहा- प्रिया, मैं तुम्हें गाल पर चूमना चाहता हूँ। उसने कुछ नहीं कहा, मैंने उसके बालों में हाथ डाला और उसको अपने नज़दीक खींचा और उसके गालों पर एक चुम्बन किया। फिर मैं उसको अपने नज़दीक चिपका कर बहुत देर तक बिठाया और धीरे-धीरे उसके बालों को सहलाता रहा। फिर मुझसे रहा नहीं गया और उसके होंठ चूमने लगा। वो गर्म होने लगी और मैं उसके मुँह में अपनी जीभ डालने लगा। क्या मस्त अहसास था…! मैं उसके होंठों को गीला कर रहा था, मैंने उससे कहा- मुझे भी ऐसे ही प्यार करो प्रिया…। वो भी मुझ पर टूट पड़ी, मेरे होंठों को वो ज़ोर-ज़ोर से भींचने लगी। मैंने धीरे-धीरे उसका टॉप उतारना शुरू किया और उसकी पीठ पर हाथ फेरना शुरू किया। वो बहुत गरम होती जा रही थी। आख़िरकार मैंने उसका टॉप उतार दिया और उसके सफेद कबूतर खुली हवा में फुदकने को बेताब लगे, वे बहुत ही मस्त लग रहे थे। उसने काली ब्रा पहन रखी थी, मैंने एक झटके में उतार दी, वो मेरी बनियान उतार रही थी और मैं उसके दूध को एक हाथ से मसल रहा था। पूरे कमरे में उसकी गरम सीत्कारों की आवाज़ गूँज रही थी। फिर मैं उसके दूध मेरे मुँह में लेने लगा और एक हाथ से दोनों टाँगों के बीच रगड़ने लगा, वो दोनों पैरों को भींच रही थी। मैं इतना खुश हो रहा था कि मुझे एक अनचुदी चूत मिलने जा रही थी। वो भी मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से रगड़ने लगी। मेरा लंड बहुत कड़क हो गया था। फिर मैंने एक झटके में मेरी जीन्स उतार दी और उसने भी तुरन्त पलंग के नीचे आकर पायजामा उतार दिया। हम दोनों अब पूरे नंगे हो गए थे। मैंने उसे पलंग पर बिठाया और उसके मुँह में लंड देने लगा। वो मना कर रही थी, मैंने उसे सिर्फ़ एक बार लेने को कहा, उसने मुँह में लिया और मैं धीरे-धीरे झटके देने लगा। उसे मज़ा आ रहा था। लगभग पांच मिनट बाद मैंने उसके मुँह में पिचकारी छोड़ दी। उसके मुँह से सफेद सफेद वीर्य बाहर आने लगा। उसने मुझे पूछा- यह क्या हो गया है? मैंने कहा- इसे अँग्रेज़ी मे सीमेन कहते हैं और इसी की वजह से बच्चे होते हैं। फिर मैंने उसको लेटने के लिए कहा, वो पलंग पर बिना झिझक लेट गई। मैंने बड़े प्यार से उसकी चड्डी उतार दी और उसकी टांगें फैलाईं। मैं उसकी चूत देख कर हैरान रह गया। क्या मस्त चूत थी उसकी… छोटी सा चीरा लगा था और बीच में बहुत छोटा सा छेद था। शायद इसी को बाद में भोसड़ा कहते होंगे। मैंने पहले उसके लाल दाने को उंगली से सहलाया, उसकी चूत पानी छोड़ रही थी। मैंने कहा- मैं तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूँ। वो यह सुन कर हैरान रह गई और मुझसे नज़रें चुराने लगी। मैंने उसकी टाँगों को अच्छी तरह से फैलाया और उसकी चूत चाटने लगा। आ..ह्ह्ह… क्या मज़ा आ रहा था दोस्तो…! फिर मैं कभी उंगली घुसाता और कभी उंगली से दाने को रगड़ता। वो उस समय स्वर्ग का आनन्द ले रही थी और मैं उसमें झूम रहा था। उसकी चूत का पानी बहता देख मुझे और चुदास चढ़ रही थी। मैं अपनी जीभ से वो सारा माल चाट रहा था। मैंने उसको बहुत देर तक चूसा। वो भी अपनी कमर ऊपर-नीचे कर रही थी और मेरा साथ दे रही थी। फिर मैंने कहा- प्रिया.. अब मैं तुम्हारी चूत में लंड डालना चाहता हूँ। वो डर रही थी, कहने लगी- मुझे डर लग रहा है… मैंने कहा- मैं जल्द ही निकाल लूँगा। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धीरे-धीरे लौड़े को ठेलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन लंड घुसने का नाम ही नहीं ले रहा था। फिर उसने लौड़े को अपने हाथ में लिया और चूत पर लंड को सही निशाने पर टिकाया। मैंने ज़ोर का धक्का लगाया तो आधा लंड अन्दर चूत में समा गया। मैं धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, प्रिया को बहुत तकलीफ़ हो रही थी, लेकिन वो कुछ नहीं कह रही थी। फिर अचानक मैंने उसकी आँखों में आँसू देखे। मैं उसके माथे को चूमने लगा और मैंने धक्के मारना बंद कर दिया। उससे मैंने कहा- मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ प्रिया.. मैं उसकी आँखों को चूम रहा था, फिर वो भी मुझे चूमने लगी। फिर मैंने और एक ज़ोर का धक्का लगाया, मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए, वो भी मेरा साथ देने लगी, वो मुझे बार-बार कहने लगी- मुझे ऐसे ही प्यार करते रहना..! मैंने उसे फिर से प्यार से चूमा और कहा- मैं तुम्हें हमेशा ऐसे ही प्यार करूँगा। बीस-पच्चीस धक्के लगाने के बाद मैं चरम सीमा पर पहुँच गया। मैंने ज़ोर-ज़ोर से पूरी ताकत से चोदना शुरू किया। वो ‘आ..आ..ह्ह्ह..’ चिल्लाने लगी और मैंने मेरा लंड उसकी चूत से निकाल लिया क्योंकि मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था। फिर मैंने मेरा सारा माल उसकी छातियों के ऊपर गिरा दिया और मस्ती में निढाल हो गया। बाद में एक कपड़े से माल को पोंछने लगा, फिर हम दोनों ने एक-दूसरे को कपड़े पहनाए। मैंने उसे उसकी अंडरवियर पहनाते वक्त उसकी चूत को फिर से चूमा, वो हँसने लगी। मैंने कहा- मेरी चूत को हमेशा संभाल कर रखना। इस तरह से हमारी पहली मुलाकात बहुत हसीन रही। आप सभी को मजा आया होगा मुझसे अपने विचार साझा करने के लिए मुझे लिखें। [email protected]
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