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प्यारी कामरस से लबालब भरी हुई चूत की मालिकनों को इस कामरस से लबालब भरे हुए लंड के मालिक का 69 के आसन से प्रणाम।
एक ही जैसी कहानियां.. उपन्यास आदि पढ़ते-पढ़ते चूत और लंड से पानी तक आना बंद हो जाता है। इसी लिए सोचता हूँ कि आपको कुछ मज़ेदार ढंग से कहानी परोसी जाए।
मैं उम्मीद करता हूँ कि आपकी चूत इस कहानी को पढ़ते-पढ़ते कामरस से अवश्य भीगेगी।
एक बार जब मैं अपनी प्रेमिका को बाइक पर बैठाकर घुमा रहा था, तो मैंने उससे पहली बार चुम्बन की अभिलाषा जाहिर की। उसके दूध मेरी पीठ से सटे हुए थे, जिसके कारण, मुझे कामदेव ने तीर मार दिया हो, ऐसा प्रतीत हो रहा था। मेरी प्रेमिका का नाम मैंने बदलकर अन्नू रखा हुआ था।
मैंने जैसे ही उससे चुम्बन की इच्छा जाहिर की, उसका मुँह तत्काल बिगड़ गया और वो कहने लगी- देखो, यह संभव नहीं है। बस मैंने भी अपना मूड बिगाड़ा और उससे बातचीत बन्द करके गाड़ी स्पीड से घर की ओर वापस ले जाने लगा।
उसे मेरा नाराज होना अच्छा नहीं लगा, उसने कहा- अच्छा ठीक है, चुम्बन ले लो.. मगर यहाँ सड़क पर नहीं लेना.. कहीं और चलते हैं। मैंने खुश होते हुए कहा- चलो भंवरताल गाडर्न चलते हैं। उसने कहा- नहीं यार, वहाँ भीड़ रहती है। मैंने कहा- तो चलो देवताल चलते हैं। उसने कहा- नहीं।
मैंने कहा- देखो तुम्हें चुम्बन देना ही नहीं है.. इसीलिए यहाँ नहीं.. वहाँ नहीं कर रही हो। तब उसने कहा- मैं तुम्हें छोटा सा चुम्बन नहीं देना चाहती हूँ.. जैसा अंग्रेजी पिक्चर में देखते हैं.. वैसा वाला देना चाहती हूँ। मेरी भी ऐसा चुम्बन करने की खूब इच्छा है.. इसीलिए प्लीज़ मैं पब्लिक प्लेस में जाने से डर रही हूँ।
उसका इतना कहना था कि मेरा लंड जबलपुर के दूरदर्शन टॉवर की तरह खड़ा हो गया।
बाइक में बैठे हुए अन्दर दर्द सा महसूस होने लगा। मेरा गर्म और तना हुआ लंड जैसे चाह रहा हो कि पैन्ट को फाड़ते हुए बाहर निकल जाए, आजादी की सांस ले और चूत में घुसकर अपना सारा पसीना चूत में बहा दे।
मैंने तपाक से कहा- सुनो मेरा एक दोस्त अमित.. जो नरसिंहपुर से यहाँ पढ़ने आया है.. सिविल लाईन्स में एक अपार्टमेन्ट में किराए से रहता है। उसके यह आने-जाने पर आस-पास के किसी को भी पता नहीं चलेगा।
तो उसने घबराकर कहा- नहीं.. नहीं.. किसी लड़के के कमरे में नहीं जाऊँगी। मैंने उसे समझाने की कोशिश की.. अंतत: वह मान गई। मैंने तुरन्त अपने मित्र के अपार्टमेन्ट की ओर गाड़ी मोड़ दी।
अमित के अपार्टमेन्ट के पहले वाले मोड़ पर मैंने अन्नू को उतार दिया और कहा- दो-चार मिनट के बाद उस अपार्टमेन्ट में सेकेंड फ्लोर की तरफ सीढ़ी से चली आना। वहाँ पर मैं तुम्हें मिल जाऊंगा.. ताकि हमें एक साथ घुसते हुए कोई न देख सके।
मैंने अपार्टमेन्ट पहुँचते ही तुरन्त गाड़ी लगाई और अमित के घर की ओर गया। मेरे लंड की किस्मत से अमित घर पर ही था।
मैंने उसे जल्दी-जल्दी में बताया- तेरी भाभी आ रही है, तू शांत रहना.. जैसा मैं बोलूँगा.. बस वैसा ही करते जाना।
कुछ ही देर में अन्नू भी पहुँच गई, मैंने उसे अमित से मिलवाया। अमित ने भी ‘राम-राम भाभीजी..’ कहकर उसका अभिवादन किया।
मैंने अन्नू के सामने अमित से कहा- देख यार.. हम लोग अपनी शादी के बारे में कुछ विचार करना चाह रहे थे। तुम तो जानते ही हो कि मेरे घर वाले कितने सख्त हैं.. अन्नू तो रो पड़ती है, इसीलिए सोचा यहाँ आकर एकान्त में बात कर लूँ। यह कहते हुए मैंने उसे जाने का इशारा भी किया।
अमित ने समझदारी दिखाते हुए कहा- मैं तो कोचिंग जाने वाला हूँ.. वो उस कोने में ताला-चाभी रखी है, अगर मेरे आने से पहले तुम लोग निकलना चाहो तो वो जो कोचिंग के पास अमर की पान की दुकान है.. वहाँ छोड़ते हुए चले जाना।
बस इस तरह चाय वगैरह बनाने के बाद अमित चला गया। अब कमरे में हम लोग अकेले थे।
अन्नू बहुत घबरा रही थी, थोड़ी घबराहट मेरे मन में भी थी। मैंने उसे अन्दर बेडरूम की तरफ आने को कहा। जैसे ही वो आने लगी.. मैंने उसे बांहों में उठा लिया और चूमते हुए सीधे बिस्तर पर लिटा दिया। उसका दुपट्टा शरीर से अलग हो गया था।
उसने मुझे सीधे चूमना चालू कर दिया और ‘आई लव यू जानू.. आई लव यू..’ कहते हुए मुझे अपने ऊपर गिरा लिया।
मेरा लंड अब तोप की भांति गरजना चाह रहा था, उसे चूमते हुए मैंने हाथ से पैन्ट के ऊपर से ही लंड को थोड़ा सहलाया।
अब उसके होंठ खुल चुके थे और मेरी जीभ उसके अन्दर घुसकर उसके नवयौवन का आनन्द ले रही थी। उसने भी मुझे मेरा मुँह खोलने को कहा और मेरे अन्दर जीभ डालकर आनन्द लेने लगी।
अब मेरे हाथ उसके दूध तक पहुँच गए और मैं उन्हें दबाने लगा। वो कहने लगी- हाथ से नहीं.. अपने सीने से दबाओ न।
उसके मुख का रसपान के बाद मैंने उससे कहा- सेक्स के बारे में कितना जानती हो? उसने शरमा कर कहा- धत.. ये सब अभी नहीं। मैंने कहा- ठीक है अभी नहीं.. शादी के बाद तो होगा ही। कम से कम मुझे पता तो चले कि मेरी होने वाली दुल्हन मुझे कितना सुख दे पाएगी।
उसने नाराज़ होते हुए कहा- सभी लड़कियां शादी के पहले यह सब करती हैं क्या? वो आगे और कुछ बोलती.. उससे पहले मैंने फिर उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और उसके शरीर पर अपना हाथ धीरे-धीरे सहलाने लगा।
मैं उसे गर्म कर चुका था और जानता था कि आदमी का लंड जब चोदने के लिए खड़ा हो जाता है, तो औरत की चूत भी तो लंड चाहेगी ही।
मेहनत की फल जरूर मिलता है, यह सोचकर मैं उसे किस पर किस करता रहा।
अब उसने खुद ही बताया कि मैं सिर्फ इतना जानती हूँ कि जब हम नंगे हो जाएंगे और तुम अपनी नुन्नी मेरी बुर में डालोगे.. और शायद बहुत दर्द भी होता है।
बस मुझे जैसे बुर की लोकसभा का टिकट मिल गया। मैंने भी अपने उम्मीदवार लंड के चुनाव प्रचार में अपनी मेहनत लगा दी। उसे कान पर.. गदर्न पर.. दूध के ऊपर से ही चूमने लगा।
मैंने उससे कहा- देखो अगर तुम्हें मेरे ऊपर विश्वास है तो मेरी बात मानो, अपने इन कपड़ों को उतार दो.. फिर मैं तुमको अच्छी तरह से समझा सकूँगा।
थोड़ी ना-नुकुर के बाद वो मान गई। मैं खुद ही उसके कपड़े उतारने लगा.. वो और कामुक होकर सिसकारने लगी, उसने कहा- तुम भी उतारो न। मैंने कहा- जरूर उतारूंगा।
उसने मुझसे फिर से वायदा लिया कि मैं अपनी नुन्नी उसकी बुर में नहीं डालूँगा।
मैंने उसकी कसम खाकर कहा- जब तक तुम्हारी परमिशन नहीं होगी.. मैं तुम्हारा विश्वास नहीं तोडूंगा। मैं तो अपना लंड मुठ मरवा कर झड़वा लूँगा। उसने पूछा- ये मुठ मरवाना क्या चीज होती है? मैंने कहा- अभी सब पता चल जाएगा।
अन्नू का शरीर, शरीर नहीं कयामत तक को पीछे छोड़ देने वाला वो हाहाकरी बदन था, जिसे देखकर अच्छे से अच्छे अपने पैन्ट में ही झड़ चुके होंगे।
अन्नू भी इस बात को जानती थी और मुझे बताती रहती थी कि मुझे देखकर लड़के कमेन्टस पास करते हैं। लेकिन खुलकर नहीं बताती थी, उसे डर था कि मैं कहीं उन लड़कों से लड़ाई-झगड़ा न कर आऊँ।
अब अन्नू पूरी नंगी मेरे सामने थी। मैंने भी दो सेकेंड के अन्दर अपने सारे कपड़े उतार दिए।
लंड को देखते ही जैसे वो गश खा गई.. वो आश्चर्य करके बोली- अरे बाप रे.. तुम्हारी नुन्नी तो बहुत बड़ी है।
मैंने उससे कहा- जानू.. इसे नुन्नी नहीं.. लंड कहते हैं।
अब मेरी नजर उसकी बुर पर थी.. जिस पर बहुत ही छोटे-छोटे सुनहरे रंग के बाल आए हुए थे। मैंने कहा- देखो बिना तुम्हें चोदे आज मैं तुम्हें चुदाई का मजा दूँगा।
वो ये सुन कर घबरा गई.. और उठकर बोलने लगी- नहीं नहीं.. शादी के पहले ही मैं माँ नहीं बनना चाहती।
तब मैंने उसे बिस्तर पर लिटाकर, उसके बाजू में लेटकर उसके दूध को धीरे-धीरे से दबाते हुए विस्तार से आधे घंटे तक चुदाई के बारे में समझाया। उसे पूरी तरह समझाया कि कैसे झड़ने पर आनन्द मिलता है और फिर उस आनन्द से निकले हुए शुक्राणु और अंडाणु के मेल से गर्भ ठहरता है।
अब मैंने उठकर उसकी चूत.. जो कि पूरी तरह गीली हो चुकी थी, अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दी। वो तो मानो पागल हो गई हो, ‘आह.. ऊँह..’ करते-करते अपने ही हाथ से अपने दूध को सहलाने लगी।
मैंने अपने दोनों हाथ से उसकी चूत को थोड़ा सा फाड़कर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा दी और उसकी चूत से बहते हुए पानी को गटकने लगा।
मैं उसे बताता रहा था कि देखो तुम्हारी बुर का पानी बहुत ही नमकीन और जायकेदार है और मुझे बहुत आनन्द आ रहा है.. क्या तुम्हें नहीं आ रहा है?
उसने तड़फ कर कहा- जानू, मेरी चूत बहुत खुजला रही है.. चाटते ही जाओ पूरा मुँह घुसेड़ दो अन्दर।
मैं समझ गया कि अन्नू की बुर अब लंड माँगने लगी है। मैंने सोचा कि अगर चाटता रहा तो वो झड़ जाएगी और मेरा चोदने का सपना अधूरा ही रह जाएगा। तो मैंने उठकर अपने लंड को उसके मुँह में देना चाहा।
तो उसने कहा- पहले इसे साफ कर लो। मैंने कहा- जानू असली मजा लंड को इसी अवस्था में चाटने में है। देखो ये मेरा नमकीन पानी है.. एक बार चूसोगी तो बार-बार मांगोगी।
उसने मेरा लंड अपने मुँह में डाला, लेकिन सिर्फ सुपाड़ा ही लिया।
मैंने उसके बाल पकड़कर झटके से चार इंच अन्दर घुसेड़ दिया। तो वो ‘गोंग-गोंग’ करने लगी और अपना सिर छुटाकर बोली- गले में लग रहा है। मैंने कहा- जानू प्यार से लो, पूरा अन्दर आ जाएगा।
फिर वो धीरे-धीरे मेरे लंड को चूसने लगी और जितना भी अन्दर ले सकती थी.. उसने लिया।
थोड़ी देर बाद मेरे लंड पर मेरा नियंत्रण समाप्त होता नजर आया और मैं झड़ने ही वाला था। सोचते-सोचते आखिर मैं उसके मुँह में ही झड़ गया। वो घबरा गई और मेरे लंड को निकालने के लिए कोशिश करने लगी, लेकिन मैंने उसकी एक भी न चलने दी। उसके बाल पकड़ कर जबरदस्ती जब तब आखिरी बूँद नहीं झड़ गई, लंड निकालने नहीं दिया।
लंड निकालते ही उसने बिस्तर पर ही पूरा वीर्य थूक दिया और कहने लगी- जल्दी से पानी लाओ, मेरा मुँह कसैला सा हो रहा है।
मैंने तुरंत अपना मुँह उसके मुँह में दे दिया और चाट-चाटकर उसका पूरा मुँह साफ कर दिया। उसने भी पूरी इच्छा से मेरा साथ दिया। उसकी जीभ चाटते-चाटते मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने फिर से उसकी चूत चाटना चालू कर दी। वो फिर गर्म होकर अपनी चूत चटवाने लगी। मैं उसकी चूत में जीभ डालता ही रहा.. तभी मेरी ध्यान उसकी गांड पर गया.. वो बहुत ही छोटा सा, एकदम साफ और गुलाबी छेद था।
उसकी गांड भी उसकी बुर की तरह बिल्कुल गुलाबी थी। तभी मैंने अपनी जीभ से उसकी गांड भी चाटी.. तो वो अचानक जोर-जोर से उचकने लगी। अपनी गांड उठा-उठा कर सिसकारने लगी।
मुझे लगा कहीं इसे दौरा तो नहीं पड़ गया, लेकिन वो कहने लगी- चाटो और चाटो।
अब मैं समझ गया कि ये अब गर्म हो गई है, अब इसे चोद ही देना चाहिए। मैंने उसकी गांड चाटते हुए अपनी एक उंगली उसकी बुर में डाल दी।
मुझे मालूम था कि यह चूत तो सीलबंद है मगर उसकी बुर के पानी ने उंगली को बड़े आराम से अन्दर जाने दिया और मैंने उंगली से उसे चोदना चालू कर दिया। मैं उसके जी-स्पाट को छेड़ने लगा।
अब वो सचमुच में पागल हो उठी और कहने लगी- आहहह.. जानू उंगली नहीं.. अपना लंड डाल दो.. आहह.. मुझे चोद दो.. मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो.. मुझे पटक-पटक कर चोद दो.. इस बुर को फाड़ दो राजा.. आहह..
मैंने कोई खतरा मोल न लेते हुए तुरंत अपनी उंगली निकाली और उसके ऊपर मिशनरी पोजीशन में आकर अपने लंड को उसकी बुर में रख दिया। वो जोर-जोर से अपनी गांड उठाने लगी और लंड को जैसे खा जाना चाहती हो, उचकने लगी। मैंने बुर में लंड रखकर धीरे से धक्का लगाया, तो वो तुरंत अन्दर घुस गया।
तभी वो चीख पड़ी और चिल्लाने लगी ‘निकालो इसे.. अरे ये क्या कर डाला.. निकालो इसे..’ वो जोर-जोर से रोने लगी।
मैंने तुरंत लंड निकालकर उसकी बुर की तरफ देखा, वहाँ से खून की छोटी सी धार बह रही थी और मेरे लंड पर भी खून लग गया था। मैं समझ गया कि इसकी सील टूट गई है।
अब मेरी भी गांड फट गई, अब क्या होगा, ये तो रोने लगी।
तभी मैंने स्थिति को समझते हुए उसे चूमना चालू कर दिया और समझाने लगा- देखो अभी तो समझाया था ना.. कि सिर्फ पहली बार सील टूटने पर ही दर्द होता है, ये देखो थोड़ा सा खून निकला है, अब डालने से और दर्द नहीं होगा।
लेकिन वो उठने का प्रयास करने लगी और कहने लगी- नहीं.. नहीं.. मुझे नहीं डलवाना.. मुझे माफ कर दो, मुझे छोड़ दो प्लीज। मैंने उसे बैठने को कहा और पास ही पड़े रूमाल से उसकी बुर साफ करने लगा। वो अभी भी रो रही थी।
बुर साफ करके मैंने फिर अपनी जीभ से चूत को चूसने लगा, थोड़ी देर के बाद उसे फिर मजा आने लगा। मैंने धीरे से उसके दूध को दबाते हुए उसे लिटा दिया और फिर उसके उपर सवार हो गया।
अब वो कुछ नहीं कह रही थी। उसे चूमते हुए मैंने फिर से अपने लंड को सही दिशा में रखकर उसकी बुर में डाल दिया और थोड़ा-थोड़ा डालकर अन्दर-बाहर करने लगा। उसका चेहरा देखकर तो लग रहा था कि उसे मजा और दर्द दोनों का अहसास हो रहा है।
धीरे-धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई, अन्नू फिर मेरा साथ देने लगी और उसने अपने दोनों हाथ से मेरे सीने को जकड़ लिया। उसने कहा- सच जानू.. बहुत मजा आ रहा है.. चोदो मुझे.. जोर से चोदो.. मुझे दर्द नहीं हो रहा.. इस दर्द में भी मजा है।
मैंने भी पूरे जोश में आकर उसकी चुदाई चालू कर दी। तभी उसने कहा- जानू बहुत मजा आ रहा है और जोर-जोर से चोदो.. वो अपनी गांड उठाकर चुदवाने लगी, तो मैं समझ गया कि ये झड़ने वाली है और मैं जोर-जोर से चोदने लगा लेकिन मैंने अपने लंड पर थोड़ा नियंत्रण किया.. ये सोचकर कि कहीं मैं इसके अन्दर न झड़ जाऊँ.. नहीं तो पंगा हो सकता है।
तभी अन्नू ने जोर से ‘आहह..’ बोलते हुए ‘कुत्ता हरामी चोद दे मुझे..’ कहते हुए निढाल हो गई.. वो झड़ गई थी।
मैंने तुरंत अपना लंड निकाल लिया और निढाल पड़ी हुई अन्नू के दूध के पास बैठकर अपना लंड उसके मुँह में देना चाहा। वो समझ गई कि इसे फिर से चूसना है, उसने भी बड़ी अच्छी तरह से लंड की पप्पी लेते हुए उसे अपने मुँह में भर लिया और पूरा भर कर चूसने लगी।
मैंने उससे कहा- ये जो नीचे गोलियां लटक रहीं हैं.. इन्हें भी चूसो।
उसने गोलियों को भी चूसना चालू कर दिया।
मैंने उसे उठने को कहा, वो बैठ गई और मैं पलंग से नीचे उतर कर खड़ा हो गया। अब वो बैठे-बैठे ही मेरा लंड चूस रही थी और उसके दोनों हाथ मेरी गांड पर थे।
तभी उसने भी मजाक करते हुए मेरी गांड के छेद पर उंगली रख दी। मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया और मैं भी ‘आहहह..’ करते-करते उसके मुँह को अपने कामरस से भरने लगा।
उसने पूरा का पूरा कामरस गुटक लिया और जब तक मैंने मुँह से निकालने को नहीं कहा.. वो मुँह से ही लंड को चूसती रही।
ये मेरा और अन्नू का पहला चुदाई का अनुभव था। इसके बाद भी हम दोनों ने कई बार चुदाई की। बाद में उसके घरवालों ने उसकी शादी एक इंजीनियर लड़के के साथ तय कर दी। तब मैं बेरोजगार था।
अन्नू ने खुद मुझसे कहा- मैं घरवालों की मर्जी से ही शादी करना चाहती हूँ। लेकिन तुम्हारे लिए हमेशा पत्नी बनी रहूँगी।
इस प्रकार वो शादी करके बाहर चली गई। आज तक मैं दुबारा उसकी चुदाई नहीं कर पाया। लेकिन अब तक मैं दो शादीशुदा आंटियों को जरूर खुश कर चुका हूँ। दोनों का कहना है कि वाकयी में मुझे ईश्वर ने चुदाई के लिए ही बनाया है, जैसा मैं उन्हें चोदता हूँ.. वैसा सुख उन्हें आज तक नहीं मिला था।
लेकिन उनकी कहानी मैं आपको नहीं बता सकूँगा, क्योंकि ये राज की बातें हैं।
इस कहानी को पढ़कर आपकी बुर में पानी आया कि नहीं.. मुझे ईमेल करके जरूर बताना।
[email protected] यह कहानी पुरानी पी डी ऍफ़ कहानियों में से पुनर्प्रकाशित की गई है।
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