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आपकी सारिका कंवल मैंने कहा- फिर भी आपको तो सोचना चाहिए था कि अपने बच्चों का एक पढ़ी-लिखी औरत जैसा ख्याल रख सकती है वैसा एक अनपढ़ औरत नहीं रख सकती! तब उसने कहा- जी पढ़ी-लिखी तो है, पर सिर्फ उर्दू! फिर मैंने कहा- आपने इतनी जल्दी-जल्दी बच्चे क्यों किए? क्या जल्दबाजी थी? उसने हँसते हुए कहा- अब क्या कहूँ, रहने दीजिए! मुझे पता नहीं क्या हुआ शायद अपने सामने एक अनपढ़ औरत की बातें सुन खुद पर नाज हुआ और कह बैठी- इस जमाने में भी आप ऐसे लोग है… इतने सारे तरीके हैं, कुछ भी कर सकते थे.. कुछ तो दिमाग लगाना चाहिए था! अब उसे भी शायद अपनी बेइज्ज़ती सी लगी, सो उसने मुझे समझाते हुए कहा- देखिए हर इंसान का रहन-सहन अलग होता है और हर मजहब का भी… मेरी बीवी कट्टर मुस्लिम समाज में पली-बढ़ी है, इसलिए वो इससे दिल से जुड़ी है। मैं भी उसी मजहब का एक हिस्सा हूँ इसलिए उसकी इज्ज़त करता हूँ, पर मैं बस उसके लिए हूँ, मैं भी नए जमाने के बारे में जानता हूँ और घर के बाहर आम लोगों की तरह ही रहता हूँ। तब मैंने जोर देकर कहा- अगर सोचते तो ऐसा नहीं करते.. औरत बच्चे पैदा करने की मशीन नहीं होती! उसे मेरी बात का शायद बुरा लगा और कहा- देखिए आप गलत समझ रही हैं.. कन्डोम और बाकी की चीजों का इस्तेमाल करना हमारे यहाँ सही नहीं माना जाता और न ही नसबंदी कराने को, सो जल्दी-जल्दी में हो गए क्योंकि मेरी बीवी इन सब बातों को सख्ती से मानती है। तब मैंने कहा- मतलब आगे भी और बच्चे होंगे? उसने कहा- इसी बात का तो डर है इसलिए बीवी से दूर ही रहता हूँ! और फिर ऐसी बातें करते हुए हम अपने अपने घर को चले गए। घर पहुँच कर ऐसा लग रहा था जैसे हमारी मुलाकात दो दिन पहले नहीं बल्कि हम काफी दिनों से एक-दूसरे को जानते थे। हम दो दिन के मुलाकात में ही इतने खुल कर बातें करने लगे थे, यह सोचना जायज था। उससे खुल कर बातें करने का भी शायद कारण था कि वो दिखने और बातें करने में बहुत आकर्षक था। अगले दिन हम फिर मिले, पर इस बार मेरे पति और और घर परिवार की बातें हुई। फिर मैंने उसे बताया के मार्च में हम यहाँ से चले जायेंगे तो उसने मुझसे मेरा फोन का नंबर माँगा। मैंने मना किया तो उसने मुझे अपना नंबर दे दिया कि अगर कभी बात करने की इच्छा हो तो फोन कर लेना। मैं वापस अपने घर चली आई। शाम को पता नहीं मैंने क्या सोचा और उसे फोन किया। मेरी आवाज सुनते ही वो ऐसा खुश हुआ जैसे कोई खजाना मिल गया हो। थोड़ी बहुत बातें करने के बाद मैंने फोन रख दिया और अपने काम में व्यस्त हो गई। रात को पता नहीं मुझे नींद नहीं आ रही थी, फिर अचानक मेरे फोन की घंटी बजी, देखा तो उसका मैसेज था। मैं कुछ देर तो सोचती रही, फिर मैंने भी सोचा कि कोई मुझे अच्छे सपनों का मैसेज कर रहा है, तो मैं भी कर दूँ, सो मैंने भी रिप्लाई कर दिया। कुछ देर बाद उसका फोन आया, मैंने नहीं उठाया और मैं सोने की कोशिश करने लगी, पर नींद पता नहीं क्यों, मुझे आ नहीं रही थी। मैं पेशाब करने के लिए उठी और बाथरूम से आकर फिर सोने की कोशिश करने लगी पर फिर भी नींद नहीं आ रही थी। मैंने मोबाइल में समय देखा तो 12 बजने को थे। मैंने सोचा कि देखूँ मुर्तुजा सोया या नहीं, सो मैंने फोन करके तुरंत काट दिया। दस सेकंड के बाद तुरंत उसका फोन आ गया। मैं कुछ देर तो सोचती रही कि क्या करूँ, पर तब तक फोन कट गया। मैंने राहत की सांस ली पर तब तक दुबारा घण्टी बजी, मैं अब सोच में पड़ गई कि क्या करूँ? तब तक फिर फोन कट गया और मैंने सोचा कि शायद अब वो फोन नहीं करेगा, पर फिर से फोन रिंग हुआ। इस बार मैंने फोन उठा लिया। उसने कहा- हैलो.. सोई नहीं.. अभी तक आप? मैंने कहा- सो गई थी, पर अभी पानी पीने को उठी तो आपका ‘मिस कॉल’ था पर समय नहीं देख पाई थी, इसलिए कॉल कर दिया, आप सोये नहीं अभी तक? मैं बस अनजान बन रही थी। उसने कहा- मुझे आज नींद नहीं आ रही है। मैंने कहा- आप इतनी रात मुझसे बातें कर रहे हो, आपकी बीवी नहीं है क्या? उसने कहा- हम साथ नहीं सोते क्योंकि अब तीन बच्चे हो गए हैं। मैंने तब पूछ लिया- मतलब आप लोग सम्भोग नहीं करते? तब उसने बताया- हम करते हैं, पर बहुत कम.. बीवी को जब लगता है कि सब कुछ सुरक्षित है… तब..! मैंने पूछा- आप लोग इतने जवान हो, फिर कैसे इतना कण्ट्रोल करते हो? उसने बताया- क्या करूँ… बीवी ऐसी मिल गई है, तो करना पड़ रहा है। मैं धीरे-धीरे उससे खुल कर बातें करने लगी और वो भी खुल कर बातें करने लगा। उसने बताया कि उसे अपनी बीवी से उस तरह का सुख नहीं मिलता, जैसा उसे चाहिए था और कोई चाहेगा क्यों नहीं जवानी इसीलिए तो होती है। फिर उसने बताया- मेरी बीवी पास के रिश्तेदार की बेटी है, जो रिश्ते में उसकी चाची की छोटी बहन है, पर मुस्लिम समाज में रहन-सहन होने की वजह से बहुत धार्मिक है। इसलिए वो खुले तौर पर सेक्स की और चीजों को पसंद नहीं करती। मैंने भी सोचा कि शायद ऐसा होता होगा, सो ज्यादा जोर नहीं दिया। हम ऐसे ही बातें करते हुए सो गए और अगले दिन मैं फिर उससे मिली। वो मुझसे ऐसा मिला जैसे हर रोज मिलता था, पर आज रात की बात को लेकर मुझे थोड़ी शर्म सा महसूस हो रही थी। फिर भी मैं उसे जाहिर नहीं होने देना चाहती थी, सो उससे उसी की तरह बात करने लगी। उस दिन बच्चों को कुछ प्रोजेक्ट सा मिला था, तो मैंने सोचा कि यहीं से बाज़ार चली जाऊँ, तब उसने भी कहा- मैं भी चलता हूँ..! सो हम बाज़ार चले गए। हम लोगों ने बच्चों के लिए सामान ख़रीदा, फिर एक रेस्टोरेन्ट में उसने मुझे कुछ खाने के लिए बोला। मुझे देर हो रही थी और बारिश जैसा मौसम भी था सो मैंने उसे जल्दी चलने को कहा और हम निकल गए। मौसम को देखते हुए मैंने छाता ले लिया था। पर जिस बात का डर था वही हुआ, बीच रास्ते में बारिश शुरू हो गई। मैंने छाता खोला और हम चारों उसके नीचे आ गए। बारिश ज्यादा तो नहीं थी, इसलिए हमचलते रहे, पर थोड़ी दूर जाते ही तेज़ हो गई। मैंने हल्के गुलाबी रंग का सलवार-कमीज पहना था और बारिश की वजह से वो भीगने लगा था। करीब सलवार मेरी जाँघों तक पूरी भीग चुकी थी। बारिश इतनी तेज़ हो चुकी थी कि 4 लोगों का एक छाता के नीचे बच पाना मुश्किल था पर आस-पास कोई जगह नहीं थी कि हम छुप सकें इसलिए हम जल्दी-जल्दी चलने लगे। हमने बच्चों को आगे कर दिया और हम पीछे हो गए जिसके कारण उसका जिस्म मेरे जिस्म से चलते हुए रगड़ खाने लगा। मुझे बहुत अजीब सा लग रहा था। उसके जिस्म की खुशबू मुझे दीवाना सा करने लगी। मैं थोड़ी शरमाई सी थी, पर मेरे पास और कोई रास्ता भी नहीं था। मेरी अंतहीन प्यास की कहानी जारी रहेगी। आप मुझे ईमेल कर सकते हैं। [email protected]
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